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स्पीकर बनते ही ओम बिरला ने लोकसभा में दिया धमाकेदार भाषण

News web media Uttarakhand :  स्पीकर बनते ही ओम बिरला ने लोकसभा में धमाकेदार भाषण दिया है. इमरजेंसी को इतिहास का काला धब्बा बताते हुए उन्होंने कांग्रेस को घेरा. ओम बिरला ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान नागरिकों के अधिकारों का हनन हुआ था. कांग्रेस ने संविधान की भावना को कुचलने काम किया था. स्पीकर ने कहा कि यह सदन 1975 में आपातकाल लगाने के फैसले की कड़ी निंदा करता है. बता दें कि ओम बिरला को 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में आज यानी बुधवार को चुना गया है. वो लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बने हैं.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि, ‘यह सदन 1975 में इमरजेंसी लगाने के फैसले की कड़ी निंदा करता है. इसके साथ ही हम उन सभी लोगों के दृढ़ संकल्प की सराहना करते हैं, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया, संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया.’ साथ ही उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 को लगाई गई इमरजेंसी को देश के इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा.’

लोकसभा स्पीकर ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर इमरजेंसी लगाने को लेकर जबरदस्त हमला बोला. उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया और बाबा साहब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान पर हमला किया. भारत पूरी दुनिया में लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है. भारत में हमेशा से लोकतांत्रिक मूल्यों और वाद-विवाद का समर्थन किया गया है. लोकतांत्रिक मूल्यों की हमेशा रक्षा की गई है, उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया गया है.’

स्पीकर बिरला ने इंदिरा गांधी पर तानाशाही थोपने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि उन्होंने (इंदिरा गांधी) ने भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया.’

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान भारत के नागरिकों के पूरी आजादी छीन ली गई. ये दौर था जब विपक्ष के नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया. पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया. तब की तानाशाही सरकार ने मीडिया पर अनेक पाबंदिया लगाई थी, न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा दिया गया था.

जब स्पीकर ओम बिरला के इमरजेंसी की निंदा करते हुए भाषण दे रहे थे तब सदन में जोरदार हंगामा हुआ. सत्ता पक्ष ने कांग्रेस पर निशाना साधा. एनडीए सांसदों ने ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ जैसे नारे लगाए. उधर विपक्षी सांसदों ने भी इसका पलटवार किया. स्पीकर के इस भाषण से विपक्ष हक्का-बक्का रखा. इस हंगामे के बीच लोकसभा की कार्रवाई 27 जून को दोबारा शुरू होने के लिए स्थगित कर दी गई. इससे पहले लोकसभा स्पीकर ने इमरजेंसी के दौरान मारे गए लोगों के लिए सदन में 2 मिनट का मौन रखवाया.

जैसे ही धर्मेंद्र प्रधान शपथ लेने के लिए उठे! विपक्ष चिल्लाने लगा नीट-नीट

News web media Uttarakhand :  नीट पेपर लीक पर मचे घमासान के बीच लोकसभा सत्र में भी इस मुद्दे की गूंज सुनाई दी. हुआ ये कि सोमवार को 18वीं लोकसभा के पहले सत्र का आगाज हुआ. पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह समेत नवनिर्वाचित सदस्यों का शपथ ग्रहण हुआ. पहले दिन सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सत्ता पक्ष के सदस्यों ने शपथ लेना शुरू किया.

इसी दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सांसद के तौर पर शपथ लेने के लिए उठे. जैसे ही धर्मेंद्र प्रधान शपथ के लिए आगे बढ़े विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी. उन्होंने नीट-नीट के नारे लगाए. विपक्ष ने अपने तेवर से जता दिया वो इस बार सरकार को किसी भी मुद्दे पर फ्री हैंड देने के मूड में नहीं हैं.

लोकसभा में नवनिर्वाचित सदस्यों को प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब शपथ दिलवा रहे हैं. सबसे पहले पीएम मोदी ने शपथ ग्रहण किया. इस दौरान सत्ता पक्ष के लोगों ने ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगाए. इसी बीच जब केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान शपथ के लिए उठे तो विपक्षी सदस्य एक्टिव हो गए. उन्होंने नीट पेपर लीक मामले को लेकर सदन में नारेबाजी करने लगे. उन्होंने नीट-नीट के नारे लगाए. इस नारेबाजी के जरिए उन्होंने सीधा टारगेट शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को किया. हालांकि, विपक्षी नारेबाजी के बीच धर्मेंद्र प्रधान ने शपथ ग्रहण किया.

विपक्षी पार्टियां नीट यूजी एग्जाम 2024 रद्द करने की मांग कर रही. इस बीच शिक्षा मंत्रालय की ओर से NEET-UG 2024 एग्जाम में कथित गड़बड़ियों की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है. जांच मिलने के तुरंत बाद एजेंसी कार्रवाई में जुट गई. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की शिकायत पर सीबीआई ने रविवार को एफआईआर दर्ज कर ली. जांच एजेंसी ने आईपीसी की अलग-अलग धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. मामले की जांच के लिए सीबीआई ने स्पेशल टीमें भी बनाई हैं.

देहरादून: मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने दिए जाली प्रमाण-पत्रों के मामलों में कड़ी कार्यवाही के निर्देश

News web media Uttarakhand : मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने जाली प्रमाण-पत्रों के मामलों में कड़ी कार्यवाही के निर्देश दिए हैं. सीएस ने आम जनता के लिए जन्म-मृत्यु पंजीकरण की प्रक्रिया अत्यन्त सरल बनाने के निर्देश दिए हैं ताकि आमजन को प्रमाण पत्र हेतु इधर उधर न भटकना पड़े.

राधा रतूड़ी ने अधिकारियों को हिदायत दी कि जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र भारत सरकार व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे स्कूल में दाखिला लेने, विधवा पेंशन प्राप्त करने, जीवन बीमा की राशि प्राप्त करने आदि के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ हैं, जिसे प्राप्त करने के लिए कभी कभी परिवार जालसाजों के झांसे में आकर मोटी धनराशि के बदले जाली प्रमाणपत्र प्राप्त कर लेते हैं तथा बाद में उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ता है. इसके अतिरिक्त जन्म मृत्यु पंजीकरण की भारत सरकार की अधिकारिक वेबसाइट से बहुत सी मिलती जुलती जाली वेबसाइट के मामले भी संज्ञान में आए हैं.

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आम जनता से भी अपील की है कि जनता इस प्रकार के जालसाजों से सचेत रहे तथा प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अपने क्षेत्र के रजिस्ट्रार से ही संपर्क करें. उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा जन्म -मृत्यु पंजीकरण के फर्जी मामलों की रोकथाम तथा आम जनता हेतु पंजीकरण प्रक्रिया को सरल एवं सुदृढ़ बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा एक नया सुदृढ़ पोर्टल लॉंच कर दिया गया है.

इसके माध्यम से परिवार का कोई भी सदस्य पोर्टल पर अपनी आई. डी. बनाकर परिवार में होने वाले जन्म या मृत्यु के पंजीकरण के लिए घर बैठे ही आवेदन कर सकता है. इसके लिए उसे केवल एक ईमेल एवं एक मोबाइल नंबर की आवश्यकता होगी. आवेदन पश्चात आवेदक किसी भी समय अपने आवेदन की स्थिति को भी देख सकता है.

सम्बंधित रजिस्ट्रार द्वारा आवेदन के साथ संलग्न दस्तावेजों से संतुष्ट होने पर आवेदन को स्वीकार कर लिया जाता है तथा डिजिटल प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है. जारी किये गए इस डिजिटल प्रमाण पत्र की एक प्रति आवेदक द्वारा दिए गए ईमेल आई डी पर भी तत्काल ही उपलब्ध हो जाती है, जिसे वह किसी भी समय डाउनलोड कर उसका उपयोग कर सकता है.

मुख्य सचिव द्वारा इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि चूँकि यह कार्य आम जनता के लिए ही है अतः जनता के बीच इसका उचित प्रचार प्रसार आवश्यक है, जिसके लिए संबंधित विभाग को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए गए.

सोमवार को सचिवालय में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने राज्य में चल रहे जन्म -मृत्यु पंजीकरण कार्य की सभी संबंधित विभागों के साथ समीक्षा की.

बैठक में प्रमुख सचिव, सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, जनगणना निदेशक, अपर सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा स्वास्थ्य निदेशालय, पंचायती राज, राजस्व विभाग, शहरी विकास, उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल, अर्थ एवं संख्या निदेशालय एवं जनगणना कार्य निदेशालय, भारत सरकार आदि के अधिकारी भी उपस्थित रहे.

आज संयुक्त नागरिक संगठन देहरादून के तत्वाधान गोष्ठी का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के समाजसेवी अवधेश शर्मा जी को सचिव पद पर मनोनीत किया गया।

News web media uttarakhand :  आज दिनांक 22 जून 2024 को सुबह 10:00 बजे स्थान राज्य अतिथि गृह में गोष्ठी का आयोजन संयुक्त नागरिक संगठन के द्वारा संपन्न हुआ । जिसकी अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष ब्रिगेडियर केजीबहल ने की एवं महासचिव सुनील त्यागी ने संचालन का दायित्व निभाया । संस्था के अन्य पदाधिकारी कर्नल बीएम थापा, सुमन सिंह वलदिया, लै, कर्नल बिक्रम सिंह थापा आदि उपस्थित रहे। विशेष आमंत्रित सदस्यों में श्री एस.एन. उपाध्याय सचिव, उत्तरांचल जन विकास समिति, देहरादून एवं अन्य संस्थाओं के गणमान्य लोग उपस्थित थे। विशेष रूप से देहरादून के पूर्व मेयर सुनील उनियाल गामा जी की गरिमामय उपस्थिति रही । कार्यक्रम के समन्वयक अवधेश शर्मा ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। विशेष रूप से आज के कार्यक्रम में समाजसेवी अवधेश शर्मा को संयुक्त नागरिक संगठन का सचिव मनोनीत किया गया। सभी उपस्थित महानुभाओं के अपने-अपने पर्यावरण संरक्षण संबन्धित सुझाव रखें।

आज मंत्री आतिशी का राजधानी के जल संकट पर अनशन, आप ने इंडिया गठबंधन से किया आने का आग्रह

News web media uttarakhand  : दिल्ली की जल मंत्री आतिशी शुक्रवार को हरियाणा से अतिरिक्त पानी की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने जा रही हैं। आम आदमी पार्टी ने इंडिया गठबंधन के सभी दलों से अपील की है कि वे इस अनशन का समर्थन करें।

वही दूसरी ओर भाजपा ने इस कदम को गैर जिम्मेदाराना बताते हुए आरोप लगाया है कि आतिशी का अनशन महज एक दिखावा है और दिल्ली सरकार अपनी नाकामियों को छिपाने की कोशिश कर रही है। भाजपा का कहना है कि यह कदम समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि जनता को भ्रमित करने का प्रयास है।

दिल्ली के जंगपुरा स्थित भोगल इलाके में आज दोपहर 12 बजे आतिशी अनशन शुरू करेंगी। इससे पूर्व वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए राजघाट जाएंगी।

आतिशी का कहना है कि दिल्ली के नागरिकों को अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास किए गए, लेकिन हरियाणा सरकार ने पानी की आपूर्ति नहीं की है। इस स्थिति के चलते अब पानी सत्याग्रह की शुरुआत की जा रही है।

दिल्ली में जल संकट पर भाजपा सांसदों ने बृहस्पतिवार को जल मंत्री आतिशी पर तीखे हमले किए। शीर्ष नेताओं का आरोप है कि दिल्ली सरकार जल संकट को लेकर भ्रम फैला रही है। उन्होंने आतिशी के उस बयान को झूठ करार दिया जिसमें कहा गया था कि हरियाणा दिल्ली को पूरा जल नहीं दे रहा है और हिमाचल प्रदेश से मिलने वाले अतिरिक्त जल को भी बाधित कर रहा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने भी तथ्यात्मक आंकड़े पेश किए हैं।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दिल्ली सरकार से सवाल किया कि अगर दिल्ली में जल संकट और जल की कमी है तो हर नुक्कड़ पर जल टैंकर और 20 लीटर पानी के कैन धड़ल्ले से कैसे उपलब्ध हो रहे हैं।

राजधानी देहरादून में तेज हवाओं के साथ बारिश की बौछार, गर्मी से मिली राहत

News web media Uttarakhand : राजधानी देहरादून में जून कि भारी गर्मी के बाद आज मौसम ने करवट ली हैं, कुछ देर तेज हवाओ के बाद बारिश ने लोगों को राहत दी हैं। झुलसती गर्मी के बाद इस बारिश ने मौसम को एक दम से ठंडा कर दिया हैं।

देहरादून में कुछ देर तह तूफ़ानी हवाएं चली जिसके बाद हल्की हल्की बारिश ने माहौल को ठंडा कर दिया। बारिश से लोगों ने राहत कि सांस ली। और बारिश का आनंद लिया।

झारखंड के लिए शिवराज सिंह, जानिए चार राज्यों के लिए बीजेपी के प्रभारी

News web media Utttarakhand :  आने वाले समय में कई राज्यों में विधानसभा होने हैं. बीजेपी अभी से इसकी तैयारी में जुट गई है. विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने राज्यों में प्रभारियों की नियुक्ति की है. महाराष्ट्र में भूपेंद्र यादव को चुनाव प्रभारी और अश्विनी वैष्णव को चुनाव सह प्रभारी नियुक्त किया है.

हरियाणा में धर्मेंद्र प्रधान को प्रदेश चुनाव प्रभारी और बिप्लब देब को प्रदेश चुनाव सह प्रभारी बनाया गया है. वहीं झारखंड का जिम्मा शिवराज सिंह को सौंपा गया है. यहां हिमंत बिस्वा सरमा को सह प्रभारी प्रभारी बनाया गया है. इसके अलावा जम्मू कश्मीर की जिम्मेदारी जी किशन रेड्डी को दी गई है.

देश में हाल ही में लोकसभा चुनाव हुए थे. इसके परिणाम 4 जून को सामने आए. इन चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हुआ. वह 240 पर ही सिमट गई. वहीं विपक्ष में इंडिया अलायंस 234 सीटें ही जीत पाईं. एनडीए (NDA) 293 सीटें जीत पाई. एनडीए ने केंद्र में सरकार बनाई. अब कई राज्यों में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं.

इस वर्ष के अंत तक महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. बीजेपी ने सभी चारों राज्यों में प्रभारी और सह प्रभारी के नामों की घोषणा कर दी है.

एनसीईआरटी किताब से हटा बाबरी मस्जिद का नाम, जोड़े गए ये नए टॉपिक

News web media Uttarakhand : एनसीईआरटी की 12वीं क्लास की पॉलिटिकल साइंस की नई रिवाइज्ड किताब मार्केट में आ चुकी है. इस किताब में काफी ज्यादा बदलाव देखने को मिले हैं. सबसे बड़ा बदलाव अयोध्या विवाद के टॉपिक को लेकर हुआ है, जहां किताब में बाबरी मस्जिद का जिक्र ही नहीं किया गया है. मस्जिद का नाम लिखने की जगह उसे ‘तीन गुंबद वाली संरचना’ बताया गया है. अयोध्या विवाद के टॉपिक को चार की जगह दो पेज में कर कर दिया है.

एक अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक, अयोध्या विवाद की जानकारी बताने वाले पुराने वर्जन भी हटा दिए गए हैं. इसमें गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक बीजेपी की रथयात्रा; कारसेवकों की भूमिका; 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सांप्रदायिक हिंसा; बीजेपी शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन; और बीजेपी का अयोध्या में होने वाली घटनाओं पर खेद जताना शामिल है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बार राजनीति विज्ञान की किताब में कौन से प्रमुख बदलाव हुए हैं.

12वीं क्लास की पॉलिटिकल साइंस की पुरानी किताब में बाबरी मस्जिद का परिचय मुगल सम्राट बाबर के जनरल मीर बाकी द्वारा निर्मित 16वीं शताब्दी की मस्जिद के रूप में किया गया. अब नई किताब में दिए चैप्टर में इसके बारे में कुछ इस तरह से जिक्र किया गया है, “एक तीन-गुंबद वाली संरचना, जो साल 1528 में श्री राम के जन्मस्थान स्थल पर बनाई गई थी, लेकिन संरचना के आंतरिक और बाहरी हिस्सों में हिंदू प्रतीकों और अवशेषों को साफ देखा जा सकता था.”

दो पन्नों से ज्यादा में अयोध्या विवाद का जिक्र करने वाली पुरानी किताब में फैजाबाद (अब अयोध्या) जिला अदालत के आदेश पर फरवरी 1986 में मस्जिद के ताले खोले जाने के बाद ‘दोनों तरफ से’ लामबंदी के बारे में बात की गई थी. इसमें सांप्रदायिक तनाव, सोमनाथ से अयोध्या तक आयोजित रथ यात्रा, दिसंबर 1992 में राम मंदिर के निर्माण के लिए स्वयंसेवकों द्वारा की गई कार सेवा, मस्जिद का विध्वंस और उसके बाद जनवरी 1993 में हुई सांप्रदायिक हिंसा का जिक्र किया गया था. पुरानी किताब में बताया गया कि कैसे बीजेपी ने अयोध्या में हुई घटनाओं पर खेद व्यक्त किया और धर्मनिरपेक्षता पर गंभीर बहस का उल्लेख किया.

ऊपर बताई गई बातों को एक नए पैराग्राफ के साथ नई किताब में रिप्लेस किया गया है. नई किताब में लिखा गया है, “1986 में, तीन-गुंबद वाली संरचना के संबंध में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब फैजाबाद (अब अयोध्या) जिला अदालत ने संरचना के ताले को खोलने का फैसला सुनाया, जिससे लोगों को वहां पूजा करने की इजाजत मिली. यह विवाद कई दशकों से चल रहा था क्योंकि ऐसा माना जाता था कि तीन गुंबद वाली संरचना एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद श्री राम के जन्मस्थान पर बनाई गई थी.”

इसमें आगे लिखा गया है, “हालांकि, मंदिर का शिलान्यास किया गया था, फिर भी आगे निर्माण पर पाबंदी रही. हिंदू समुदाय को लगा कि श्री राम के जन्मस्थान से संबंधित उनकी चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया गया है, जबकि मुस्लिम समुदाय ने संरचना पर अपने कब्जे को लिए आश्वासन मांगा. इसके बाद स्वामित्व अधिकारों को लेकर दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ा, जिसकी वजह से विवाद और कानूनी संघर्ष देखने को मिले. दोनों समुदाय लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे का निष्पक्ष समाधान चाहते थे. 1992 में ढांचे के विध्वंस के बाद कुछ आलोचकों ने तर्क दिया कि इसने भारतीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की.”

नई किताब में सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या फैसले का भी हुआ जिक्रराजनीति विज्ञान की किताब के नए वर्जन में अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एक सब-सेक्शन जोड़ा गया है. इसका शीर्षक- ‘कानूनी कार्यवाही से सौहार्दपूर्ण स्वीकृति तक’ है. इसमें कहा गया है कि किसी भी समाज में संघर्ष होना स्वाभाविक है, लेकिन एक बहु-धार्मिक और बहुसांस्कृतिक लोकतांत्रिक समाज में इन संघर्षों को आमतौर पर कानून की पालन करते हुए हल किया जाता है. किताब में आगे अयोध्या विवाद पर 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के 5-0 के फैसले का जिक्र है. उस फैसले ने मंदिर निर्माण के लिए रास्ता तैयार किया. इस साल ही मंदिर का उद्घाटन किया गया है.

किताब में आगे लिखा गया है, “फैसले ने विवादित स्थल को राम मंदिर के निर्माण के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को आवंटित कर दिया और संबंधित सरकार को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए उचित स्थान आवंटित करने का निर्देश दिया. इस प्रकार, लोकतंत्र संविधान की समावेशी भावना को कायम रखते हुए हमारे जैसे बहुलवादी समाज में संघर्ष के समाधान के लिए जगह देता है.”

इसमें आगे लिखा गया है, “पुरातात्विक उत्खनन और ऐतिहासिक अभिलेखों जैसे साक्ष्यों के आधार पर कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए इस मुद्दे को हल किया गया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को समाज में बड़े पैमाने पर स्वीकार किया गया. यह एक संवेदनशील मुद्दे पर आम सहमति बनाने का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो भारत में लोगों के बीच निहित लोकतंत्र की परिपक्वता को दर्शाता है.”

पुरानी किताब में विध्वंस के दौर के समय अखबार में लिखे आर्टिकल की तस्वीरें थीं, जिनमें 7 दिसंबर 1992 का एक आर्टिकल भी शामिल था. इसका शीर्षक था ‘बाबरी मस्जिद ध्वस्त, केंद्र ने कल्याण सरकार को बर्खास्त किया’. 13 दिसंबर, 1992 को छपे एक अखबार के आर्टिकल की एक हेडलाइन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को यह कहते हुए कोट किया गया है, ‘अयोध्या बीजेपी की सबसे खराब गलतफहमी है.’ नई किताब में सभी अखबारों की कटिंग को हटा दिया गया है.

सीएम धामी के निर्देश के बाद, 13 आईएएस अधिकारियों को दी गई प्रभारी की ज़िम्मेदारी-देखें लिस्ट

News web media Utttarakhand : लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद उत्तराखंड में योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए पुष्कर सिंह धामी सरकार ने उत्तराखंड के 13 ज़िलों के लिए अलग अलग प्रमुख सचिव और सचिव आईएएस अधिकारियों को समन्वय की ज़िम्मेदारी सौंपी है.

ज़िलों में विकास कार्य समीक्षा और स्थानीय प्रशासन से समन्वय के लिए राज्य सरकार ने 13 वरिष्ठ आईएएस को उत्तराखंड के 13 ज़िलों में प्रभारी नामित किया गया है. जिससे प्रदेश में हो रहे विकास कार्यों की गति को आगे बढ़ाया जा सके.

माना जा सकता है कि जिस तरह से चार धाम यात्रा के शुरूआती दौर में अव्यवस्थाओं और भीड़ प्रबंधन में सामंजस्य की कमी और समस्याओं की बढ़ोत्तरी हुई थी उसके बाद कमान खुद सीएम धामी ने संभाली थी. ऐसे में ये वो तरह सुपर ब्यूरोक्रेट्स हैं जिनके ज़िम्मे अब सरकार की योजनाओं को रफ़्तार देने की बहुत अहम ज़िम्मेदारी है.

चंद्रबाबू नायडू ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ, चौथी बार बने आंध्र के सीएम

News web media Uttarakhand : तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू आज आंध्र प्रदेश के सीएम पद की शपथ लेंगे. नायडू का विजयवाड़ा के केसरपल्ली आईटी पार्क में 11 बजकर 27 मिनट पर शपथ लेने का कार्यक्रम है. चंद्रबाबू नायडू चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे. शपथग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे. कार्यक्रम में शामिल होने के लिए गृह मंत्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा विजयवाड़ा पहुंच चुके हैं.

नायडू के अलावा पवन कल्याण समेत 25 विधायक मंत्री पद की शपथ लेंगे. आंध्र प्रदेश विधानसभा की सदस्य संख्या (175) के अनुसार, मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित 26 मंत्री हो सकते हैं. पवन कल्याण को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है. इसमें चंद्रबाबू नायडू के बेटे नारा लोकश भी शामिल हैं. आंध्र प्रदेश में टीडीपी-पवन कल्याण की जनसेना और बीजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था. NDA को 164 विधानसभा सीट मिली हैं. इनमें से टीडीपी को 135, जनसेना पार्टी को 21 और बीजेपी को 8 सीट मिली हैं.

 

 

इससे पहले आंध्र प्रदेश के गवर्नर अब्दुल नजीर ने नायडू को आंध्र प्रदेश में सरकार बनाने का न्योता दिया. एनडीए नेताओं के अनुरोध के बाद राज्यपाल एस. अब्दुल नजीर ने नायडू को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया.

शपथ से पहले क्या बोले नायडू?

चंद्रबाबू नायडू ने मंगलवार को NDA विधायकों को संबोधित किया. नायडू ने कहा कि उन्होंने दक्षिणी राज्य के लिए केंद्र सरकार से सहयोग मांगा है और इसके लिए ‘आश्वासन’ दिया गया है. उन्होंने संकल्प जताया कि अमरावती आंध्र प्रदेश की एकमात्र राजधानी होगी और पोलावरम परियोजना को पूरा किया जाएगा.

इसके अलावा उन्होंने कहा कि बंदरगाह शहर विशाखापत्तनम को आर्थिक राजधानी और एक उन्नत विशेष शहर के रूप में विकसित किया जाएगा. टीडीपी प्रमुख ने हाल के चुनावों के बारे में एनडीए की भारी जीत को अभूतपूर्व बताया. नायडू के अनुसार, उन्होंने पहले भी कई चुनावों की समीक्षा की है, लेकिन 2024 के चुनावों ने उन्हें सबसे अधिक संतुष्टि दी है.

शपथग्रहण में कौन-कौन होगा शामिल

  • पीएम मोदी
  • अमित शाह
  • जेपी नड्डा
  • नितिन गडकरी
  • राजमोहन नायडू
  • जीतन राम मांझी
  • जी किशन रेड्डी
  • चिराग पासवान
  • जयंत चौधरी
  • एकनाथ शिंदे
  • मोहन यादव