प्रधानमंत्री ने श्री मन्नथु पद्मनाभन जी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्री मन्नथु पद्मनाभन जी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा,“श्री मन्नथु पद्मनाभन जी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। हम समाज कल्याण और युवा सशक्तीकरण में उनके लंबे समय तक दिए गए योगदान का भी स्मरण करते हैं। उनके उच्च विचार अनेक लोगों को लगातार प्रेरित कर रहे हैं।”

कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने निवेशकों को निवेश करने से पहले निधि कंपनियों की स्थिति का सत्यापन करने की सलाह दी

संशोधित कंपनी अधिनियम 2013 और निधि नियमावली 2014 के तहत कंपनियों को फॉर्म एनडीएच-4 में कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) को आवेदन करते हुए स्वयं को अपडेट (वे कंपनियां जिन्हें पहले कंपनी अधिनियम 1956 के तहत निधि कंपनी के रूप में घोषित किया गया था) करने या निधि कंपनी (वे कंपनियां जिन्हें 01-04-2014 के बाद निधि कंपनी के रूप में निगमित किया गया था) के रूप में घोषित करने की जरूरत है। फॉर्म एनडीएच-4 में आवेदनों की जांच करते हुए यह देखा गया है कि ये कंपनियां नियमों के प्रावधानों का ठीक तरह अनुपालन नहीं कर रही हैं। इस कारण अपनी घोषणा के संबंध में कंपनियों द्वारा प्रस्तुत किए गए आवेदनों को रद्द कर दिया गया है क्योंकि ये कंपनियां निधि कंपनी के रूप में घोषित होने के योग्य नहीं पाई गई हैं।

निवेशकों को यह सलाह दी जाती है कि वे ऐसी कंपनियों का सदस्य बनने और अपनी मेहनत की कमाई का निवेश करने से पूर्व, विशेष रूप से केन्द्र सरकार द्वारा निधि कंपनी के रूप में उनकी स्थिति की घोषणा के साथ-साथ उनके पूर्ववृतों / स्थिति का अच्छी तरह सत्यापन कर लें।

केन्‍द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने पेट्रोकैमिकल्‍स और प्‍लास्टिक प्रसंस्‍करण उद्योग में प्रौद्योगिकी नवाचार के लिए 10वें राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार (2019-20) प्रदान किए

केन्‍द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने आज यहां नई दिल्‍ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में पेट्रोकैमिकल्स और प्लास्टिक प्रसंस्करण उद्योग में प्रौद्योगिकी नवाचार के लिए 10वें राष्ट्रीय पुरस्‍कार (2019-20) प्रदान किए। इस अवसर पर रसायन एवं पेट्रो रसायन सचिव श्री योगेन्‍द्र त्रिपाठी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में पुरस्‍कार विजेताओं के अलावा वरिष्‍ठ सरकारी अधिकारी, उद्योगों के प्रतिनिधि, विद्वान और अनुसंधान एवं विकास संस्‍थानों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

अप्रैल 2007 में घोषित राष्‍ट्रीय पेट्रोकैमिकल्‍स नीति के अनुरूप भारत सरकार के रसायन एवं पेट्रोकैमिकल्‍स विभाग ने पोलीमेरिक मेटीरियल, उत्‍पादन तथा राष्‍ट्रीय और सामाजिक महत्‍व के प्रसंस्‍करण क्षेत्रों में श्रेष्‍ठ नवाचार और खोज करने वाले लोगों को प्रोत्‍साहित करने के लिए एक पुरस्‍कार योजना शुरू की थी। इसका मुख्‍य लक्ष्‍य पेट्रोकैमिकल्‍स उद्योग का पारिस्थितिकी अनुरूप प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों का इस्‍तेमाल कर वैश्विक प्रतिस्‍पर्धा वाले उद्योग के रूप में विकास करना था। प्रौद्योगिकी नवाचार के लिए राष्‍ट्रीय पुरस्‍कारों की इस योजना को लागू करने की जिम्‍मेदारी डीसीपीसी के तहत काम करने वाले स्‍वायत्‍तशासी संगठन सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ पेट्रोकैमिकल्‍स इंजीनियरिंग एंड टेक्‍नोलॉजी (सीआईपीईटी) को सौंपी गई थी।

इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्‍द्रीय मंत्री ने कहा कि भारत वैश्विक तौर पर पेट्रोकैमिकल्‍स उद्योग का केन्‍द्र बनने की संभावना रखता है। उन्‍होंने कहा कि भारत सरकार का जोर आत्‍मनिर्भर भारत अभियान के तहत पीएलआई योजना के जरिये फार्मास्‍युटिकल, दूरसंचार एवं नेटवर्किंग उपकरण, ऑटोमोबाइल्‍स, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स, मोबाइल्‍स, चिकित्‍सा उपकरण, कपड़ा आदि जैसे क्षेत्रों में इसके इस्‍तेमाल को प्रोत्‍साहित करना है। इससे देश में रसायनों और पेट्रोकैमिकल उत्‍पादों की मांग में वृद्धि होगी।

श्री गौड़ा ने कहा कि रसायन और पेट्रोकैमिकल क्षेत्र, प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के देश को जल्‍द से जल्‍द पांच खरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनाने के दृष्टिकोण को पूरा करने की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरा है। उन्‍होंने बताया कि रसायन और पेट्रोकैमिक विभाग इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिए असम, मध्‍य प्रदेश, ओडिसा, तमिलनाडु और झारखंड राज्‍यों में सरकारों के साथ समन्‍वय से 6 प्‍लास्टिक पार्क स्‍थापित करने जैसे बहुत से उपाय कर रहा है। इनमें से मध्‍य प्रदेश में दो पार्क स्‍थापित करने की योजना है। इससे प्‍लास्टिक प्रसंस्‍करण उद्योगों को, जिनमें से अधिकतर एमएसएमई क्षेत्र में हैं, मजबूत करने और उन्‍हें स्‍पर्धी बनाने में मदद मिलेगी, ताकि वे भविष्‍य में वैश्विक मूल्‍य श्रृंखला का हिस्‍सा बन सकें।

श्री गौड़ा ने इस बात को रेखांकित किया कि पेट्रोकैमिकल्‍स क्षेत्र में प्रधानमंत्री के आत्‍मनिर्भर भारत दृष्टिकोण के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए मंत्रालय ने राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार और उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र एवं प्‍लास्टिक पार्क योजना शुरू की है तथा वह भारतीय नवोन्‍मेषियों और अनुसंधान संगठनों को प्रोत्‍साहित कर रहा है। सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ पेट्रोकैमिकल्‍स इंजीनियरिंग एंड टेक्‍नोलॉजी (सीआईपीईटी) ने पिछले वर्षों में इस योजना को सफलतापूर्वक लागू किया है। इस योजना ने न सिर्फ गंभीर अनुसंधानकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया है, बल्कि युवा मानस को भी अनुसंधान कार्य को करियर विकल्‍प के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्‍साहित किया है।

10वें राष्‍ट्रीय पुरस्‍कारों के तहत 2019-20 के लिए 273 नामांकन प्राप्‍त हुए, जिनमें से अंत में चार का विजेता के रूप में और 9 का उपविजेता के तौर चयन किया गया।

विजेताओं का विवरण –

  1. “पॉलिमर सामग्री में नवाचार” की श्रेणी के तहत “प्रेपरेशन एंड स्‍केलअप ऑफ डिसइंटेंगल्‍ड अल्ट्राहाई मॉलिक्‍यूलर वेट पॉलीथाइलीन: ए मेटीरियल इलेवन टाइम्‍स स्‍ट्रांगर देन स्‍टील” विषय पर अनुसंधान के लिए सीएसआईआर- नेशनल केमिकल लेबोरेटरी, पुणे के डॉ. समीर एच. चिक्काली और श्री रवींद्र पी. गोटे, डॉ. दीपा मंडल, डॉ. केतन पटेल श्री कृष्णरूप चौधरी, डॉ. सीपी विनोद, डॉ. आशीष के. लेले ।
  2. “पॉलिमर उत्पादों में नवाचार श्रेणी के तहत इंडिजनस डेवलपमेंट ऑफ पोलिमर – सिरेमिक बेस्‍ड पोरस बेड फॉर सेपरेशन ऑफ मिक्‍सड आयन एक्‍सचेंज रेजिंस” विषय के लिए सिपेट: एसएआरपी, एलएआरपीएम, भुवनेश्वर के डॉ. स्मिता मोहंती और डॉ. अक्षय कुमार पलाई, श्री सागर कुमार नायक, श्री स्मृति रंजन मोहंती।
  3. मेसर्स शिबौरा मशीन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, चेन्नई को “पॉलिमर प्रोसेसिंग मशीनरी, इक्विप्मेंट्स, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन में नवाचार” की श्रेणी के तहत मल्टी कलर / मटेरियल इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन एंटी-काउंटरफिट आर्टिकल प्रोडक्‍शन के लिए”।
  4. डॉ. लिजिमोल फिलिपोज पम्‍पाद्याथिल, श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम, केरल, को “चिकित्सा और औषधि अनुप्रयोगों में पॉलिमर” की श्रेणी के तहत नवाचार के लिए ऑर्थोपेडिक अनुप्रयोगों के लिए सीटू पोलीमराइज़ेबल ओलिगोमर आधारित जैव-सक्रिय, रेडियोपैक, नॉन-साइटोटोक्सिक, बॉन सीमेंट के विकास करने के लिए”।

उपविजेताओं का विवरण : –

1. ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड, हैदराबाद के डॉ. के. वी. गोविंदराजन और श्री के. प्रेमचंद, श्रीमती तनु श्रीवास्तव को पॉलिमर सामग्री में नवाचार “की श्रेणी के तहत “फ्लोरोनेटेड टॉप कोट अलौंग विद हीट रेसिस्‍टेंट प्राइमर्स फॉर इंडियन सुपरसोनिक मिसाइल्‍स एंड हाइपरसोनिक व्हीकल्स के लिए विकसित किए गए हीट पॉलीमर” के लिए।

2) रक्षा सामग्री और भंडार अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (डीएमएसडीई), डीआरडीओ, कानपुर के डॉ. दिब्येंदु शेखर बाग और डॉ. गोवर्धन लाल, श्री राजकुमार, डॉ. दुर्गेशनाथ त्रिपाठी, डॉ. एन. ईश्‍वर प्रसाद को “पॉलिमर उत्पादों में नवाचार” की श्रेणी के तहत” प्रोडक्‍ट डेवलपमेंट अपग्रेडेशन ऑफ मैन्‍युफैक्‍चरिंग प्रोसेस टेक्‍नोलॉजी, सार्टिफिकेशन एंड फ्रीफ्लो बल्‍क प्रोडक्‍शन ऑफ पीक लाइटिनिंग इंसुलेटर पाइप्‍स फॉर लाइट कॉम्‍बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए-एमके-1, तेजस) के लिए।

3) मेसर्स मिल्‍क्रॉन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, अहमदाबाद को पॉलिमर प्रोसेसिंग मशीनरी, इक्विप्मेंट्स, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन में नवाचार की श्रेणी के तहत “क्यू-सीरीज़ 280 मोनो सैंडविच मशीन” के विकास के लिए।

4) सीएसआईआर-सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट, चेन्नई के डॉ. एन.आर. कामिनियंद डॉ. एन. अय्यादुरई, डॉ. एम. आरती, श्री जॉर्ज एस. एंटनी को “पॉलीमर वेस्ट के प्रबंधन में नवाचार” के तहत “गैर-पारंपरिक खमीर द्वारा बहुलक पदार्थों की बायोडिग्रेडेशन” संबंधी अनुसंधान के लिए।

5) मेसर्स बालासोर केमिकल्स, बालासोर और सीआईपीईटी: एसएआरपी-एलएआरपीएम, भुवनेश्वर की डॉ. स्मिता मोहंती को “ग्रीन पॉलिमर सामग्री और उत्पादों में नवाचार” की श्रेणी के तहत “पॉलीविनाइल क्लोराइड (पीवीसी) और इको-फ्रेंडली प्रेपरेशन मैथड देअरऑफ” के लिए।

6) मेसर्स रे कलर्स, आनंद को “कृषि और जल संरक्षण में पॉलिमर” की श्रेणी में “एलग्रोनिक्‍स – द एंटी-एल्‍गे मास्‍टरबैश फॉर ग्रीनहाउस फिल्‍मस के लिए।

7) सीएसआईआर-आईआईसीटी, हैदराबाद के डॉ. एस. श्रीधर और डॉ. निवेदिता साहू, श्री दिलीप कुमार फोतेदार, श्री भद्राचलम नरकुटी, श्रीमती भोग अरुंधति को पॉलिमर इन मेडिकल एंड फार्मास्युटिकल एप्लिकेशन की श्रेणी में दवा, डिस्टलरी, मेडिकल और सेमीकंडक्टर अनुप्रयोगों के लिए टाइप-1 और टाइप-2 के शुद्ध जल और स्वदेशी और सस्ती पॉलिमर मेम्ब्रेन-रेजिन एकीकृत डिवाइज के उत्पादन के लिए।

8) मेसर्स रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, वडोदरा को इनोवेशन इन पेट्रोकैमिकल्‍स एंड न्‍यूअर पॉलीमर्स एप्‍लिकेशंस श्रेणी के तहत “डेवलपमेंट ऑफ क्‍लोरिनेटिड पॉलिविनाइलक्‍लोराइड (सीपीवीसी) विद सुपीरियर मैकेनिकल एंड थर्मलप्रोपटीज प्रोडयूस्‍ड बाई विजिबल ब्‍ल्‍यू लेड लाइट मीडिएटिड फोटोक्‍लोरिनेशन इन वाटर” के लिए।

9) रक्षा सामग्री और भंडार अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (डीएमएसआरडीई), डीआरडीओ, कानपुर की डॉ. आकांशा दीक्षित को किसी अकादमिक संस्‍थान/अनुसंधान प्रयोगशाला में अनुसंधान छात्र के रूप में पॉलिमर साइंस एंड टेक्नोलॉजी श्रेणी के तहत “स्मार्ट-अनुप्रयोगों के लिए स्व-चिकित्सा उपचार और हाइड्रोजेल का विकास” के लिए।

प्रधानमंत्री ने जे. जयललिता की जयंती पर उन्हें याद किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जे. जयललिता को उनकी जयंती पर आज याद किया।

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘जयललिता जी की जयंती पर उनका स्मरण कर रहा हूं। उन्हें उनकी लोकोन्मुखी नीतियों और गरीबों को सशक्त बनाने के लिए किए गए प्रयासों के लिए व्यापक रूप से सराहना मिली। उन्होंने हमारी नारी शक्ति के सशक्तीकरण के लिए भी बहुत प्रयास किए। उनके साथ कई बार हुए विचार-विमर्श को मैं बहुत याद करता हूं।’

भारत सरकार और विश्व बैंक ने नागालैंड में भारत की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की परियोजना पर हस्ताक्षर किए

भारत सरकार, नागालैंड सरकार और विश्व बैंक ने आज नागालैंड के स्कूलों के प्रशासनिक कामकाज में सुधार के साथ ही चुनिंदा स्कूलों में शिक्षा की प्रक्रियाओं और पढ़ाई के माहौल को बेहतर बनाने के लिए 6.8 करोड़ डॉलर की परियोजना पर हस्ताक्षर किए।

“नागालैंड : कक्षा शिक्षण और संसाधन सुधार परियोजना” से कक्षा में पढ़ाई में सुधार होगा; शिक्षकों के व्यावसायिक विकास के लिए अवसर पैदा होंगे; और विद्यार्थियों व शिक्षकों को उपलब्ध कराने के लिए तकनीक प्रणाली बनाई जाएंगी, जिससे मिलीजुली व ऑनलाइन शिक्षा तक व्यापक पहुंच के साथ ही नीतियों और कार्यक्रमों की बेहतर निगरानी सुनिश्चित होगी। इस तरह का एकीकृत दृष्टिकोण पारम्परिक डिलिवरी मॉडलों का पूरक होगा और इससे कोविड-19 से पैदा हुई चुनौतियों से पार पाने में भी मदद मिलेगी। स्कूलों में राज्यव्यापी सुधारों से नागालैंड में सरकारी शिक्षा प्रणाली में लगभग 1,50,000 विद्यार्थियों और 20,000 शिक्षक लाभान्वित होंगे।

आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार में अतिरिक्त सचिव श्री सी. एस. महापात्रा ने कहा कि विकास की किसी भी रणनीति में मानव संसाधनों का विकास एक अहम भूमिका निभाता है और भारत सरकार ने भारत में शैक्षणिक परिदृश्य में बदलाव के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि नागालैंड में इस शिक्षा परियोजना से विद्यार्थियों और शिक्षकों के सामने मौजूद कई गंभीर समस्याओं का समाधान होगा तथा यह परियोजना राज्य के विकास में अहम भूमिका निभाएगी।

इस समझौते पर भारत सरकार की तरफ से श्री महापात्रा; नागालैंड सरकार की तरफ से मुख्य निदेशक, स्कूली शिक्षा विभाग श्री शानवास सी; और विश्व बैंक की तरफ से कंट्री निदेशक, भारत श्री जुवैद अहमद ने हस्ताक्षर किए।

आज, नागालैंड को कमजोर स्कूली अवसंरचना, शिक्षकों के व्यावसायिक विकास के लिए अवसरों की कमी और स्कूल व्यवस्था के साथ प्रभावी भागीदारी के लिए समुदायों की सीमित क्षमता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कोविड-19 महामारी ने इन चुनौतियों को बढ़ा दिया है और राज्य की स्कूली शिक्षा प्रणाली में अतिरिक्त संकट पैदा कर दिया है व व्यवधान बढ़ा दिए हैं

भारत में विश्व बैंक के कंट्री निदेशक श्री जुनैद अहमद ने कहा कि भले ही पिछले कुछ साल के दौरान भारत में स्कूल आने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है, लेकिन श्रम बाजार की बढ़ती मांगों को पूरा करने और भावी विकास को गति देने के लिए शिक्षा के परिणामों में सुधार की आवश्यकता बढ़ रही है। यह परियोजना सुधार और राज्य में ज्यादा लचीली शिक्षा प्रणाली के विकास की दिशा में नागालैंड सरकार के प्रयासों को समर्थन देने के लिए तैयार की गई है।

नागालैंड के शिक्षा प्रबंधन और सूचना प्रणाली (ईएमआईएस) को मजबूत बनाने से शिक्षा संसाधनों तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित होगी; शिक्षकों और शिक्षा प्रबंधकों के लिए व्यावसायिक विकास और प्रदर्शन मूल्यांकन प्रणालियों को समर्थन मिलेगा; स्कूल नेतृत्व सुविधाजनक और प्रबंधन बेहतर होगा; परीक्षा सुधारों को समर्थन मिलेगा।

शिक्षा विशेषज्ञ और इस परियोजना के लिए विश्व बैंक के टास्क टीम लीडर श्री कुमार विवेक ने कहा कि यह परियोजना राज्य के सुधार और स्कूलों में पढ़ाई के माहौल में सुधार के प्रयासों को समर्थन देगी जिससे वह बच्चों पर केंद्रित; आधुनिक, तकनीक कुशल शिक्षण और पढ़ाई के दृष्टिकोण में सहयोगी; और भावी झटकों के लिए लचीली हो सके।

इस रणनीति के तहत, नागालैंड के 44 उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में से 15 को ऐसे स्कूल परिसरों के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां परियोजना अवधि के दौरान परिकल्पित सीखने के माहौल को तैयार किया जा सकता हो।

अंतर्राष्ट्रीय पुनर्गठन एवं विकास बैंक से मिलने वाला 6.8 करोड़ डॉलर के कर्ज परिपक्वता अवधि 14.5 वर्ष होगी, जिसमें 5 साल की ग्रेस अवधि शामिल है।

स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन पर वेबिनार में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

नमस्कार।

ये जो कार्यक्रम थोड़ा आपको विशेष लगता होगा, इस बार बजट के बाद हमने तय किया कि बजट में जो चीजें तय की गई हैं उन्हीं चीजों को ले करके अलग-अलग सेक्‍टर जिनका इस बजट के प्रावधानों से सीधा संबंध है, उनसे विस्‍तार से बात करें और एक अप्रैल से जब नया बजट लागू हो तो उसी दिन से सारी योजनाएं भी लागू हों, सारी योजनाएं आगे बढ़ें और फरवरी और मार्च, इसका भरपूर उपयोग इस तैयारी के लिए किया जाए।

बजट जब हमने पहले की तुलना में करीब एक महीना prepone किया हुआ है तो हमारे पास दो महीने का समय है। उसका maximum लाभ हम कैसे लें और इसलिए लगातार अलग-अलग क्षेत्र के लोगों से बात हो रही है। कभी infrastructure के संबंधित सबसे बात हुई, कभी defence sector से सं‍बंधित सबसे बात हुई। आज मुझे हेल्‍थ सेक्‍टर के लोगों से बात करने का मौका मिला है।

इस वर्ष के बजट में हेल्थ सेक्टर को जितना बजट आवंटित किया गया है, वो अभूतपूर्व है। ये हर देशवासी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। बीता वर्ष एक तरह से देश के लिए, दुनिया के लिए, पूरी मानवजाति के लिए और खास करके हेल्थ सेक्टर के लिए एक प्रकार से अग्निपरीक्षा की तरह था।

मुझे खुशी है कि आप सभी, देश का हेल्थ सेक्टर, इस अग्निपरीक्षा में हम सफल हुए हैं। अनेकों की जिंदगी बचाने में हम कामयाब रहे हैं। कुछ महीनों के भीतर ही जिस तरह देश ने करीब ढाई हज़ार लैब्स का नेटवर्क खड़ा किया, कुछ दर्जन टेस्ट से हम आज करीब 21 करोड़ टेस्ट के पड़ाव तक पहुंच पाए, ये सब सरकार और प्राइवेट सेक्टर के साथ मिलकर काम करने से ही संभव हुआ है।

साथियों,

कोरोना ने हमें ये सबक दिया है कि हमें सिर्फ आज ही महामारी से नहीं लड़ना है बल्कि भविष्य में आने वाली ऐसी किसी भी स्थिति के लिए भी देश को तैयार करना है। इसलिए हेल्थकेयर से जुड़े हर क्षेत्र को मजबूत करना भी उतना ही आवश्यक है। Medical equipment से लेकर medicines तक, Ventilators से लेकर vaccines तक, Scientific research से लेकर surveillance infrastructure तक, Doctors से लेकर एपीडेमयोलोजिस्ट तक, हमें सभी पर ध्यान देना है ताकि देश में भविष्य में किसी भी स्वास्थ्य आपदा के लिए बेहतर तरीके से तैयार रहे।

पीएम- आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के पीछे मूलत: यही प्रेरणा है। इस योजना के तहत रिसर्च से लेकर Testing और Treatment तक देश में ही एक आधुनिक इकोसिस्टम विकसित करना तय किया गया है। PM आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना, हर spectrum में हमारी क्षमताओं में वृद्धि करेगी। 15वें वित्त आयोग, इसकी सिफारिशे स्वीकार करने के बाद हमारी जो लोकल बॉडीज हैं उनको स्वास्थ्य सेवाओं की व्‍यवस्‍थाओं के लिए 70 हजार करोड़ रुपए से अधिक अतिरिक्त मिलने वाला है। यानि सरकार का जोर सिर्फ हेल्थ केयर में निवेश पर ही नहीं है बल्कि देश के दूर-दराज वाले इलाकों तक हेल्थ केयर को पहुंचाने का भी है। हमें ये भी ध्यान रखना है कि हेल्थ सेक्टर में किया गया निवेश, स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ाता है।

साथियों,

कोरोना के दौरान भारत के हेल्थ सेक्टर ने जो मजबूती दिखाई है, अपने जिस अनुभव औऱ अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है, उसे दुनिया ने बहुत बारीकी से नोट किया है। आज पूरे विश्व में भारत के हेल्थ सेक्टर की प्रतिष्ठा और भारत के हेल्थ सेक्टर पर भरोसा, एक नए स्तर पर पहुंचा है। हमें इस भरोसे को ध्यान में रखते हुए भी अपनी तैयारियां करनी हैं। आने वाले समय में भारतीय डॉक्टरों की डिमांड विश्व में और ज्यादा बढ़ने वाली है और कारण है ये भरोसा। आने वाले समय में भारतीय नर्सेस, भारतीय पैरा मेडिकल स्टाफ की डिमांड पूरी दुनिया में बढ़ेगी, आप लिख करके रखिए। इस दौरान भारतीय दवाइयों और भारतीय वैक्सीनों ने एक नया भरोसा हासिल किया है। इनकी बढ़ती डिमांड के लिए भी हमें अपनी तैयारी करनी होगी। हमारे मेडिकल एजुकेशन सिस्टम पर भी स्‍वाभाविक रूप से लोगों का ध्‍यान जाएगा, उस पर भरोसा बढ़ेगा। आने वाले दिनों में दुनिया के और देशों से भी मेडिकल एजुकेशन के लिए, भारत में पढ़ाई करने के लिए विद्यार्थियों के आने की संभावना भी बढ़ने वाली है। और हमें इसे प्रोत्‍साहित भी करना चाहिए।

कोरोना के दौरान हमने वेंटिलेटर और अन्य सामान बनाने में भी महारत हासिल कर ली है। इसकी वैश्विक डिमांड पूरी करने के लिए भी भारत को तेजी से काम करना होगा। क्‍या भारत ये सपना देख सकता है कि दुनिया को जिस-जिस आधुनिक medical equipment  की आवश्‍यकता है वो cost effective कैसे बने? भारत ग्‍लोबल सप्‍लायर कैसे बने? और affordable व्‍यवस्‍था होगी, sustainable व्‍यवस्‍था होगी, user friendly technology होगी; मैं पक्‍का मानता हूं दुनिया की नजर भारत की तरफ जाएगी और health sector में जरूर जाएगी।

साथियों,

सरकार का बजट निश्चित तौर पर एक कैटेलेटिक एजेंट होता है। लेकिन बात तभी बनेगी, जब हम सब मिल करके काम करेंगे।

साथियों,

स्वास्थ्य को लेकर हमारी सरकार की अप्रोच, पहले की सरकारों की सोच से जरा अलग है। इस बजट के बाद आप भी ये सवाल देख रहे होंगे जिसमें स्‍वच्‍छता की बात होगी, पोषण की बात होगी, वेलनेस की बात होगी, आयुष का हेल्थ प्लानिंग होगा। ये सारी चीजें एक holistic approach के साथ हम आगे बढ़ा रहे हैं। यही वो सोच है जिसकी वजह से पहले हेल्थ सेक्टर को आमतौर पर टुकड़ों में देखा जाता था और टुकड़ों में ही उसको हैंडल किया जाता था।

हमारी सरकार Health Issues को टुकड़ों के बजाय Holistic तरीके से, एक integrated approach की तरह से और एक focus तरीके से देखने का प्रयास कर रही है। इसलिए हमने देश में सिर्फ Treatment ही नहीं Wellness पर फोकस करना शुरु किया है। हमने Prevention से लेकर Cure तक एक Integrated अप्रोच अपनाई है। भारत को स्वस्थ रखने के लिए हम 4 मोर्चों पर एक साथ काम कर रहे हैं।

पहला मोर्चा है, बीमारियों को रोकने का, मतलब कि Prevention of illness और Promotion of Wellness. स्वच्छ भारत अभियान हो, योग पर फोकस हो, पोषण से लेकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को समय पर सही केयर और ट्रीटमेंट हो, शुद्ध पीने का पानी पहुंचाने का प्रयास हो, ऐसे हर उपाय इसका हिस्सा हैं।

दूसरा मोर्चा, गरीब से गरीब को सस्ता और प्रभावी इलाज देने का है। आयुष्मान भारत योजना और प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र जैसी योजनाएं यही काम कर रही हैं।

तीसरा मोर्चा है, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स की Quantity और Quality में बढ़ोतरी करना। बीते 6 साल से AIIMS और इस स्तर के दूसरे संस्थानों का विस्तार देश के दूर-सुदूर के राज्यों तक किया जा रहा है। देश में ज्यादा से ज्यादा मेडिकल कॉलेज बनाने के पीछे भी यही सोच है।

चौथा मोर्चा है, समस्याओं से पार पाने के लिए मिशन मोड पर, focus तौर पर और समय सीमा में हमें काम करना है। मिशन इंद्रधनुष का विस्तार देश के आदिवासी और दूर-दराज के इलाकों तक किया गया है।

देश से टीबी के खिलाफ जंग और टीबी को खत्म करने के लिए दुनिया ने 2030 का टारगेट रखा है, भारत ने 2025 तक का लक्ष्य रखा है। और मैं टीबी की तरफ इस समय विशेष ध्‍यान देने के लिए इसलिए कहूंगा कि टीबी भी infected person के droplets से ही फैलती है। टीबी की रोकथाम में भी मास्क पहनना, Early diagnosis और treatment, ये सारी बातें अहम हैं।

ऐसे में कोरोना काल में जो हमें अनुभव मिला है, जो एक प्रकार से हिन्‍दुस्‍तान के common man तक पहुंच चुका है, अब उसी हमारी practices को हम टीबी के क्षेत्र में भी उसी मोड में काम करेंगे तो टीबी से जो हमें लड़ाई लड़नी है, बहुत आसानी से हम जीत सकेंगे। और इसलिए कोरोना का experience, कोरोना के कारण जन-सामान्‍य में जो जागृति आई है वो,  बीमारी से बचने में भारत के सामान्‍य नागरिक ने जो योगदान दिया है, उन सारी चीजों को देख करके लगता है कि इसी मॉडल को आवश्‍यक सुधार के साथ, addition-alternation के साथ अगर हम टीबी पर भी लागू करेंगे तो 2025 का टीबी मुक्‍त भारत का सपना हम पूरा कर सकते हैं।

इसी तरह आपको याद होगा, हमारे यहां खास करके उत्‍तर प्रदेश में गोरखपुर वगैरह जो क्षेत्र हैं जिसे पूर्वांचल भी कहते हैं, उस पूर्वांचल में दिमागी बुखार से हर वर्ष हजारों की तादाद में बच्चों की दुखद मृत्यु हो जाती थी। संसद में भी उसकी चर्चा होती थी। एक बार तो इस विषय पर चर्चा करते हुए हमारे वर्तमान उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगीजी बहुत रो पड़े थे, उन बच्‍चों की मरने की स्थिति देख करके। लेकिन जब से वो वहां के मुख्‍यमंत्री बने, उन्‍होंने एक प्रकार से focus activity की। पूरी तरह जोर लगाया। आज हमें बहुत आशास्‍पद परिणाम मिल रहे हैं। हमने दिमागी बुखार को फैलने से रोकने पर जोर दिया, इलाज की सुविधाएं बढ़ाईं तो इसका अब असर भी दिख रहा है।

साथियों,

कोरोना काल में आयुष से जुड़े हमारे नेटवर्क ने भी बेहतरीन काम किया है। ना सिर्फ human resource को लेकर बल्कि immunity और scientific research को लेकर भी हमारा आयुष का infrastructure देश के बहुत काम आया है।

भारत की दवाओं और भारत की वैक्‍सीन के साथ-साथ हमारे मसालों, हमारे काढ़े का भी कितना बड़ा योगदान है, ये दुनिया आज अनुभव कर रही है। हमारी traditional medicine ने भी विश्‍व मन पर अपनी एक जगह बनाई है। जो  traditional medicine से जुड़े हुए लोग हैं, जो उसके उत्‍पादन के साथ जुड़े हुए लोग हैं, जो आयुर्वेदिक परम्‍पराओं से परिचित लोग हैं; हमारा फोकस भी ग्‍लोबल रहना चाहिए।

विश्‍व जिस प्रकार से योग को आसानी से स्‍वीकार कर रहा है, वैसे ही विश्‍व holistic health care की तरफ गया है। साइड इफेक्‍ट से मुक्‍त health care की तरफ विश्‍व का ध्‍यान गया है। उसमें भारत की traditional medicine बहुत काम आ सकती है। भारत की जो traditional medicine है, वो मुख्‍यत: herbal based हैं और उसके कारण विश्‍व में उसका आकर्षण बहुत तेजी से बढ़ सकता है। Harm के संबंध में लोग निश्चिन्त होते हैं कि इसमें कुछ harmfull नहीं है। क्‍या हम उसको भी जोर लगा सकते हैं? हमारे हेल्‍थ के बजट को और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग मिलकर कुछ कर सकते हैं?

कोरोना के दौरान हमारी परंपरागत औषधियों की ताकत देखने के बाद हमारे लिए खुशी का विषय है और आयुर्वेद में traditional medicine में विश्‍वास करने वाले भी सभी और उससे अलग हमारे medical profession से जुड़े हुए लोगों के लिए गर्व की बात है कि विश्व स्वास्थ्य सेंटर- WHO, भारत में अपना Global Centre of Traditional Medicine भी शुरू करने जा रहा है। Already उन्होंने announcement कर दिया है। भारत सरकार उसकी प्रक्रिया भी कर रही है। ये जो मान-सम्‍मान मिला है इसको दुनिया तक पहुंचाना हमारा दायित्‍व बनता है।

साथियों,

Accessibility और Affordability को अब नेक्स्ट लेवल पर ले जाने का समय है। इसलिए अब हेल्थ सेक्टर में आधुनिक टेक्नॉलॉजी का उपयोग बढ़ाया जा रहा है। डिजिटल हेल्थ मिशन, देश के सामान्य नागरिकों को समय पर, सुविधा के अनुसार, प्रभावी इलाज देने में बहुत मदद करेगा।

साथियों,

बीते सालों की एक और अप्रोच को बदलने का काम तेज़ी से किया गया है। ये बदलाव आत्मनिर्भर भारत के लिए बहुत ज़रूरी है। आज हम Pharmacy of the World, इस बात पर गर्व करते हैं, लेकिन आज भी कई बातों के लिए जो Raw Material है उसके लिए हम विदेशों पर निर्भर हैं।

दवाओं और Medical Devices के Raw Material के लिए देश की विदेशों पर निर्भरता, विदेशों पर गुजारा करना हमारी इंडस्ट्री के लिए कितना बुरा अनुभव रहा है, ये हम देख चुके हैं।  ये सही नहीं है। इसलिए गरीबों को सस्ती दवाएं और उपकरण देने में भी ये बहुत बड़ी कठिनाई पैदा करते हैं। हमें इसका रास्‍ता खोजना ही होगा। भारत को हमें इन क्षेत्रों में आत्‍मनिर्भर बनाना ही होगा। इसके लिए चार विशेष योजनाएं इन दिनों शुरू की गई हैं। बजट में भी उसका उल्‍लेख है, आपने भी अध्‍ययन किया होगा।

इसके तहत देश में ही दवाओं और मेडिकल उपकरणों के Raw Material के उत्पादन के लिए Production Linked Incentives दिए जा रहे हैं। इसी तरह, दवाएं और Medical Devices बनाने के लिए मेगा पार्क्स के निर्माण को भी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।

साथियों,

देश को सिर्फ last mile health access ही नहीं चाहिए बल्कि हमें हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में, दूर-दराज के क्षेत्रों में…जैसे हमारे यहां जब इलेक्‍शन होता है तो रिपोर्ट आती है, एक मतदाता था वहां भी पोलिंग बूथ लगा; मुझे लगता है कि हेल्‍थ सेक्‍टर में भी और एजुकेशन दो विषय हैं कि जहां एक नागरिक होगा, तो भी हम पहुंचेंगे। ये हमारा मिजाज होना चाहिए और हमें इस पर जोर देना है। उस पर हमें पूरी कोशिश करनी है। और इसलिए सभी क्षेत्रों में health excess पर भी हमें जोर देना है। देश को wellness centres चाहिए,  देश को district hospitals चाहिए, देश को critical care units चाहिए, देश को health surveillance infrastructure चाहिए, देश को आधुनिक labs चाहिए, देश को telemedicine चाहिए, हमें हर स्तर पर काम करना है, हर स्तर को बढ़ावा देना है।

हमें ये सुनिश्चित करना है कि देश के लोग, चाहे वो गरीब से गरीब हों, चाहे वो सुदूर इलाकों में रहते हों, उन्हें best possible treatment मिले और समय पर मिले। और इन सभी के लिए जब केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय और देश का प्राइवेट सेक्टर, मिलकर काम करेंगे, तो बेहतर नतीजे भी मिलेंगे।

प्राइवेट सेक्टर, PM-JAY में हिस्सेदारी के साथ-साथ public health laboratories का नेटवर्क बनाने में PPP मॉडल्स को भी सपोर्ट कर सकता है। नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन, नागरिकों के डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड और दूसरी Cutting Edge Technology को लेकर भी साझेदारी हो सकती है।

मुझे विश्वास है कि हम  सभी मिलकर एक मजबूत साझेदारी के रास्ते निकाल पाएंगे, स्वस्थ और समर्थ भारत के लिए आत्मनिर्भर समाधान तलाश कर पाएंगे। मेरा आप सबसे आग्रह है कि हम जो stake holders के साथ, इस विषय के जो ज्ञाता लोग हैं उनके साथ चर्चा कर रहे हैं…बजट जो आना था वो आ गया। बहुत सी आपकी अपेक्षाएं होंगी, वो शायद इसमें नहीं होगा। लेकिन उसके लिए ये कोई आखिरी बजट नहीं है…अगले बजट में देखेंगे। आज तो जो बजट आया है इसका तेज गति से ज्‍यादा से ज्‍यादा और जल्‍दी से जल्‍दी हम सब मिलकर implementation कैसे करें, व्‍यवस्‍थाएं कैसे विकसित करें, सामान्‍य मानवी तक पहुंचने में हम तेजी कैसे लाएं। मैं चाहूंगा कि आप सबका अनुभव, आपकी बातें आज भारत सरकार को बजट के बाद…हम पार्लियामेंट में तो चर्चा करते हैं। पहली बार बजट की चर्चा संबंधित लोगों से हम कर रहे हैं। बजट की पूर्व चर्चा करते हैं तब सुझाव की होती हैं…बजट के बाद चर्चा करते हैं तब समाधान की होती हैं।

और इसलिए आइए हम मिल करके समाधान निकालें, हम मिल करके बहुत तेज गति से आगे बढ़ें और हम सब मिल करके चलें। सरकार और आप अलग नहीं हैं। सरकार भी आप ही की है और आप भी देश के लिए ही हैं। हम सब मिल करके देश के गरीब से गरीब व्‍यक्ति को ध्‍यान में रखते हुए हेल्‍थ सेक्‍टर का उज्‍ज्‍वल भविष्‍य, तंदुरूस्‍त भारत के लिए हम सब इस बात को आगे बढ़ाएंगे। आप सबने समय निकाला है। आपका मार्गदर्शन बहुत काम आएगा। आप की सक्रिय भागीदारी बहुत काम आएगी।

मैं फिर एक बार…आपने समय निकाला, इसके लिए आपका आभार व्‍यक्‍त करता हूं और आपके मूल्‍यवान सुझाव हमें आगे ले जाने में बहुत काम आएंगे। आप सुझाव भी देंगे, साझेदारी भी करेंगे। आप अपेक्षाएं भी करेंगे, जिम्‍मेदारी भी उठाएंगे। इसी विश्‍वास के साथ…

 

बहुत-बहुत धन्यवाद !

दिल्ली: सरकार ने नर्सरी में दाखिले के लिए उम्र सीमा में छूट दी

दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी के स्कूलों को नर्सरी में दाखिल के लिए उम्र सीमा में बच्चों को 30 दिनों की छूट देने का निर्देश दिया है। शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने स्कूलों को भेजे एक पत्र में कहा है, ‘‘एक बार फिर से यह कहा जा रहा है कि स्कूलों में न्यूनतम एवं अधिकतम उम्र सीमा में प्रधानाध्यापकों के स्तर से 30 दिनों की छूट दी जा सकती है। यदि किसी अभिभावक को अपने बच्चे के लिए उम्र सीमा में छूट चाहिए तो वे स्कूल के प्रधानाध्यपक से एक आवेदन के जरिए संपर्क कर सकते हैं और उनसे इस पर विचार करने का अनुरोध कर सकते हैं।’’ बता दें कि शिक्षा निदेशालय 31 मार्च के आधार पर आयु की गणना करता है।

आवेदन प्रक्रिया चार मार्च को समाप्त हो जाएगी

शिक्षा निदेशालय 2018 से प्रत्येक वर्ष उम्र सीमा निर्धारित कर रहा है। नर्सरी, केजी और पहली कक्षा में दाखिले के लिए एक ऊपरी उम्र सीमा है। नर्सरी में दाखिले के लिए 31 मार्च को बच्चे की उम्र चार साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। वहीं, केजी में दाखिल के लिए यह पांच साल और पहली कक्षा में दाखिले के लिए छह साल साल से अधिक उम्र नहीं होनी चाहिए। नर्सरी में दाखिले की प्रक्रिया 18 फरवरी से शुरू हो गई है और आवेदन प्रक्रिया चार मार्च को समाप्त हो जाएगी। चयनित उम्मीदवारों की पहली सूची 20 मार्च को और फिर अगली लिस्ट 25 मार्च को जारी की जाएगी।

जानिए उम्र में कितनी मिलेगी छूट

नर्सरी में एडमिशन के लिए 31 मार्च 2021 को बच्चे की उम्र 3 वर्ष से अधिक, लेकिन 4 वर्ष से कम होनी चाहिए। केजी (KG) में 31 मार्च 2021 को बच्चे की उम्र 4 वर्ष से अधिक, लेकिन 5 वर्ष से कम होनी चाहिए। वहीं क्लास 1 में 31 मार्च 2021 को बच्चे की उम्र 5 वर्ष से अधिक, लेकिन 6 वर्ष से कम होनी चाहिए। इसी न्यूनतम और अधिकतम आयु सीमा में 30 दिन की रियायत दी गई है।

बता दें कि नर्सरी दाखिले को लेकर ‘पहले आओ- पहले पाओ’ जैसे 50 मानदंड दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय ने प्रतिबंधित किए हुए हैं। स्‍कूलों को मैनेजमेंट कोटे पर दाखिला लेने की भी पाबंदी है। स्‍कूल कई मानदंडों पर बच्‍चों/अभिभावकों को अंक देते हैं जिसके आधार पर बच्‍चे को दाखिला मिलता है। यह भी देखा गया है कि कई स्‍कूल आवेदन के दौरान स्‍कूल बस का चुनाव करने पर अतिरिक्‍त अंक देते हैं। ऐसे सभी मानदंडों पर प्रतिबंध है और ऐसे मानकों के खिलाफ शिक्षा निदेशालय सख्‍त है।

प्रधानमंत्री ने रक्षा क्षेत्र में केंद्रीय बजट के प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आयोजित वेबिनार को संबोधित किया Transparency, Predictability और Ease of Doing Business के साथ हम रक्षा क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं – प्रधानमंत्री रक्षा क्षेत्र में विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने पर बल दिया जा रहा है – नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री ने आज रक्षा क्षेत्र में केंद्रीय बजट प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आयोजित वेबिनार को संबोधित किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में कैसे आत्मनिर्भर बने, इस संदर्भ में आज का ये संवाद बहुत अहम है। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले हमारे यहां सैकड़ों ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां होती थीं। दोनों विश्व युद्धों में भारत से बड़े पैमाने पर हथियार बनाकर भेजे गए थे। लेकिन आजादी के बाद अनेक वजहों से इस व्यवस्था को उतना मजबूत नहीं किया गया, जितना किया जाना चाहिए था।

प्रधानमंत्री ने बताया कि हमारी सरकार ने अपने इंजीनियरों-वैज्ञानिकों और तेजस लड़ाकू विमान की क्षमताओं पर भरोसा किया है और आज तेजस शान से आसमान में उड़ान भर रहा है। कुछ सप्ताह पहले ही तेजस के लिए 48 हजार करोड़ रुपए का ऑर्डर दिया गया है। उन्होंने कहा कि 2014 से ही हमारा प्रयास रहा है कि transparency, predictability और ease of doing business के साथ हम इस sector में आगे बढ़ रहे हैं। De-Licensing, de-regulation, export promotion, foreign investment liberalization, आदि के साथ हमने इस sector में एक के बाद एक कदम उठाए हैं।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत ने डिफेंस से जुड़े ऐसे 100 महत्वपूर्ण डिफेंस आइटम्स की लिस्ट बनाई है, जिन्हें हम अपनी स्थानीय इंडस्ट्री की मदद से ही मैन्यूफैक्चर कर सकते हैं। इसके लिए टाइमलाइन इसलिए रखी गई है ताकि हमारी इंडस्ट्री इन ज़रूरतों को पूरा करने का सामर्थ्य हासिल करने के लिए प्लान कर सकें।

सरकारी भाषा में ये Negative list है लेकिन आत्मनिर्भरता की भाषा में ये Positive List है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जिसके बल पर हमारी अपनी विनिर्माण क्षमता बढ़ने वाली है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जो भारत में ही रोज़गार निर्माण का काम करेगी। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जो अपनी रक्षा ज़रूरतों के लिए हमारी विदेशों पर निर्भरता को कम करने वाली है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है, जिसकी वजह से भारत में बने प्रॉडक्ट्स की, भारत में बिकने की गारंटी है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि रक्षा के capital budget में भी domestic procurement के लिए एक हिस्सा reserve कर दिया गया है। उन्होंने निजी क्षेत्र से आग्रह किया कि manufacturing के साथ-साथ design और development में भी निजी क्षेत्र आगे आये और भारत का विश्व भर में परचम लहराएँ।

उन्होंने कहा कि MSMEs तो पूरे मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर के लिए रीढ़ का काम करती हैं। आज जो रिफॉर्म्स हो रहे हैं, उससे MSMEs को ज्यादा आजादी मिल रही है, उनको Expand करने के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में आज जो डिफेंस कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं, वो भी स्थानीय उद्यमियों, लोकल मैन्यूफैक्चरिंग को मदद करेंगे। यानि आज हमारे डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता को हमें ‘जवान भी और नौजवान भी’, इन दोनों मोर्चों के सशक्तिकरण के रूप में देखना होगा।

 

प्रधानमंत्री 23 फरवरी को आईआईटी ,खड़गपुर के 66वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 फरवरी, 2021 को 12.30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आईआईटी, खड़गपुर के 66वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करेंगे। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल, केंद्रीय शिक्षा मंत्री, और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री भी उपस्थित रहेंगे।

प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा, “मां भारती के अमर सपूत छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। उनके अदम्य साहस, अद्भुत शौर्य और असाधारण बुद्धिमत्ता की गाथा देशवासियों को युगों-युगों तक प्रेरित करती रहेगी। जय शिवाजी।”