Haridwar: सीएम धामी की घोषणा, संस्कृत के उत्थान और विकास के लिए गठित होगा उच्चस्तरीय आयोग

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सनातन संस्कृति के इतिहास और वैदिक काल को देखें तो समस्त वेदों, पुराणों और उपनिषदों की रचना संस्कृत में ही की गई है। संस्कृत भाषा अनादि और अनंत है।

उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय की ओर से संस्कृत अकादमी में चल रहे दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन के समापन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संस्कृत के उत्थान और विकास के लिए उच्चस्तरीय आयोग के गठन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा के आधार पर ही प्राचीन मानव सभ्यताओं का विकास संभव हो सका। विश्व की अधिकतर भाषाओं की जड़ें किसी न किसी रूप में संस्कृत से ही जुड़ी हुई हैं।

सोमवार को सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सनातन संस्कृति के इतिहास और वैदिक काल को देखें तो समस्त वेदों, पुराणों और उपनिषदों की रचना संस्कृत में ही की गई है। संस्कृत भाषा अनादि और अनंत है। माना जाता है कि संस्कृत का आविष्कार देवताओं ने किया, इसीलिए इसे देववाणी भी कहा जाता है। 19वीं शताब्दी में जब कुछ विदेशी विद्वान भारतीय ज्ञान परंपरा के संपर्क में आए तब वे ये देखकर आश्चर्यचकित रह गए कि यहां की प्राचीन ऋषि-परंपरा, वेद, उपनिषद, दर्शन, गणित, खगोल, साहित्य और व्याकरण जैसे विषयों का कितना व्यापक और गहरा ज्ञान संस्कृत भाषा में सुरक्षित है।

पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने संस्कृत को द्वितीय राजभाषा घोषित किया है। देवभूमि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही भारतीय ज्ञान परंपरा का एक ऊर्जामय एवं महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।

संस्कृत के महत्व पर चर्चा करते हुए निशंक ने कहा कि संस्कृत मात्र एक भाषा नहीं अपितु यह भारत की आत्मा है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी संस्कृत प्रेमियों से पूरी निष्ठा एवं लगन से संस्कृत के प्रचार-प्रसार की अपील की। इस मौके पर संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार गैरोला, विदेश मंत्रालय की सचिव डॉ.नीना मल्होत्रा, रानीपुर विधायक आदेश चौहान, विवि के कुलपति प्रो.दिनेश चंद्र शास्त्री, कुलसचिव दिनेश कुमार, डाॅ.सुमन भट्ट, डाॅ.प्रकाश पंत, रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा, दर्जाधारी राज्यमंत्री श्यामवीर सैनी, विवि की पूर्व कुलपति प्रो.सुधारानी पांडे, संस्कृत अकादमी के सचिव प्रो.मनोज किशोर पंत, प्रो.चांद किरण सलूजा, डाॅ.वाजश्रवा आर्य आदि मौजूद रहे।

सीएम ने सुनाए श्लोक
कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि मैंने अपने स्कूल के दिनों में कक्षा नौ तक संस्कृत पढ़ी है। उस समय सीखी गई श्लोक-पंक्तियां, व्याकरण के मूलभूत नियम और संस्कृत की मधुरता आज भी मुझे प्रेरित करती है। उसके बाद बोलने का अभ्यास नहीं रहा और अब समय नहीं मिल पाता। मुख्यमंत्री ने अपनी पढ़ाई के दौरान याद किए संस्कृत के कुछ श्लोक भी सुनाए।

PM Modi: ‘यहां ड्रामा नहीं डिलीवरी होनी चाहिए’, संसद के शीत सत्र से पहले पीएम मोदी का विपक्ष को संदेश

संसद के शीतकालीन सत्र से पहले पीएम मोदी ने विपक्षी दलों को कड़ा संदेश दिया है। पीएम मोदी ने कहा कि ड्रामा करने के लिए बहुत सी जगहें होती हैं, जिसको करना है करते रहें, लेकिन यहां ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नारों के लिए भी पूरा देश पड़ा है। जितने नारे बुलवाने हों, पूरा देश पड़ा है। आइए जानते है पीएम मोदी ने और क्या-क्या कहा?

संसद के शीतकालीन सत्र की आज यानी एक दिसंबर से शुरुआत हो रही है। इससे पहले प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत भी की। इस दौरान उन्होंने विपक्ष को भी कड़ा संदेश दिया। पीएम मोदी ने कहा कि ये शीतकालीन सत्र सिर्फ प्रथा नहीं है। ये देश को प्रगति की ओर तेज गति से ले जाने के जो प्रयास चल रहे हैं, उसमें ऊर्जा भरने का काम यह शीतकालीन सत्र करेगा, ऐसा मेरा विश्वास है। भारत ने लोकतंत्र को जिया है, लोकतंत्र के उमंग और उत्साह को समय समय पर ऐसे प्रकट किया है कि लोकतंत्र के प्रति विश्वास और मजबूत होता रहता है।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि लंबे समय से मेरी सबसे बड़ी चिंता रही है कि जो सदन में जो पहली बार चुनकर आए हैं या जो छोटी आयु के हैं, वैसे सभी दलों के सभी सांसद बहुत परेशान हैं, बहुत दुखी हैं। उन्हें अपने सामर्थ्य का परिचय कराने का अवसर नहीं मिल रहा है। अपने क्षेत्र की समस्या बताने का अवसर नहीं मिल रहा है।

पीएम मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि राष्ट्र की विकास यात्रा में वे अपने कुछ विचार बताना चाह रहे हैं, उस पर भी रोक लगा दी जा रही है। कोई भी दल हो, हमें अपने नई पीढ़ी के सांसदों को अवसर देने चाहिए। हमें उन्हें अवसर देना चाहिए। उनके अनुभवों का सदन को लाभ मिलना चाहिए। मेरा आग्रह रहेगा कि हम इन चीजों को गंभीरता से लें।

सदन में ड्रामा नहीं- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने विपक्षी दलों को संदेश देते हुए सख्त अंदाज में कहा कि ड्रामा करने के लिए बहुत सी जगहें होती हैं, जिसको करना है करते रहें, लेकिन यहां ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नारों के लिए भी पूरा देश पड़ा है। जितने नारे बुलवाने हों, पूरा देश पड़ा है। जहां पराजित होकर आए हो, वहां बोल चुके हो, जहां पराजित होने के लिए जाने वाले हो वहां भी बोल लीजिए। लेकिन यहां तो नारे नहीं, नीति पर बल देना चाहिए। वो आपकी नीयत होनी चाहिए।

इस दौरान पीएम मोदी ने यह भी कहा कि हो सकता है राजनीति में नकारात्मकता कुछ काम आती होगी, लेकिन देश निर्माण के लिए सकारात्मक सोच भी होनी चाहिए। नकारात्मकता को अपनी मर्यादा में रखकर देश निर्माण पर ध्यान दें, ऐसी मेरी अपेक्षा रहेगी।

जीएसटी रिफॉर्म्स पर भी बोले पीएम
पीएम मोदी ने आगे कहा कि हमारे नए सभापति आज से उच्च सदन का मार्गदर्शन करेंगे, मैं उन्हें शुभकामना देता हूं। जीएसटी रिफॉर्म्स यानी नेक्स्ट जेन रिफॉर्म्स ने देशवासियों के प्रति श्रद्धा का वातावरण पैदा किया है। उस दिशा में बहुत सारे काम होने वाले हैं। पिछले कुछ समय से हमारे सदन को या तो चुनावों की वॉर्मिंग अप के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, या पराजय की बौखलाहट को निकालने के लिए प्रयोग किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि कुछ प्रदेश ऐसे हैं कि वहां वर्षों सत्ता में रहने के बाद इतनी एंटी-इन्कंबेंसी है कि वहां वे अपनी बातें बताने जा नहीं पा रहे। वहां लोगों के बीच जा नहीं पा रहे। इसलिए सारा गुस्सा यहां सदन में आकर निकालते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि सदन को अपने उस राज्य की राजनीति के लिए इस्तेमाल करने की एक नई परंपरा को कुछ दलों ने जन्म दिया है। उन्हें एक बार चिंतन करना चाहिए कि 10 साल से ये खेल खेल रहे हैं, देश स्वीकार नहीं कर रहा है उनको। तो अपनी रणनीति थोड़ा बदलें।

पीएम ने कहा कि मैं टिप्स देने के लिए तैयार हूं, उनको कैसे परफॉर्म करना चाहिए। लेकिन कम से कम सांसदों के हक पर रोक मत लगाइए। सांसदों को अभिव्यक्ति का अवसर दीजिए। अपनी निराशा और पराजय में सांसदों की बलि मत चढ़ाइए।

 

उत्तराखंड में अभी नहीं होगी बारिश, सूखी ठंड बढ़ाएगी मुश्किलें… मुक्तेश्वर से मसूरी तक मौसम का हाल

उत्तराखंड में बदलते जलवायु पैटर्न के चलते नवंबर महीने में भी बारिश नहीं हुई है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार फिलहाल अगले कुछ दिनों तक तापमान में इजाफा हो सकता है। जिस दिन के समय ठंड से राहत रहेगी।

उत्तराखंड में आने वाले दिनों में अभी मौसम शुष्क बना रहेगा। मैदानी क्षेत्र में कोहरा और पर्वतीय इलाकों में पाला पड़ने से लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ गई है। जबकि दिन के समय चटक धूप खिलने की वजह से अधिकतम तापमान में भी बढ़ोतरी हुई है। जिसके चलते दिन के समय ठंड से हल्की राहत मिल रही है। शाम के समय पारे में तेजी से गिरावट आ रही है और रात के समय कड़ाके की ठंड पड़ रही है।

न्यूनतम तापमान में भारी गिरावट के चलते उधम सिंह नगर की रातें मुक्तेश्वर से भी ज्यादा सर्द हो गई है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार फिलहाल अगले कुछ दिनों तक मौसम की मिजाज में परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है। शुक्रवार को देहरादून सहित आसपास के क्षेत्र में चटक धूप खिली रही। जबकि दिन और रात के तापमान में 3 गुना से अधिक का अंतर आ रहा है।

शाम के समय सर्द हवाएं परेशान कर रही है। उधम सिंह नगर का अधिकतम तापमान सामान्य से 3 डिग्री सेल्सियस अधिक और न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया। जबकि मुक्तेश्वर का अधिकतम तापमान 18.3 और न्यूनतम तापमान 6.7 डिग्री सेल्सियस रहा। नई टिहरी का अधिकतम तापमान 20.6 और न्यूनतम तापमान 5.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार फिलहाल प्रदेश में मौसम शुष्क बना रह सकता है और तापमान में भी परिवर्तन की कोई आसार नहीं है। उसके बाद पारे में गिरावट आ सकती है। उत्तराखंड के अधिकांश क्षेत्रो में इस साल भी नवंबर महीने में बारिश नहीं हुई है। जिसके चलते सूखी ठंड में परेशान किया हुआ है।

वहीं अभी आने वाले दिनों में भी बारिश की कोई आसान नहीं है। प्रदेश भर में नवंबर महीने में सामान्य रूप से 5.9 एमएम बारिश होती है जबकि इस बार चमोली, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में ही महीने की शुरुआत में हल्की बारिश हुई। अन्य जिलों में बारिश की बूंद भी नहीं गिरी।

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार जलवायु परिवर्तन और मौसम के बदले पैटर्न के कारण इस साल पर बारिश नहीं हुई है। वर्ष 2024 से पहले 2021 और 2016 में नवंबर के महीने में बारिश नहीं हुई थी।

इसकी वजह से मैदानी क्षेत्रों के साथ-साथ पर्वतीय इलाकों में भी सामान्य तापमान में इजाफा दिखाई दे रहा है। शुक्रवार को देहरादून का अधिकतम तापमान सामान्य से चार डिग्री बढ़ोतरी के साथ 27.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि रात का न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री गिरावट के साथ 8.7 डिग्री सेल्सियस रहा।

मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार 4 दिसंबर तक प्रदेश भर में मौसम शुष्क रहेगा। पर्वतीय क्षेत्रों में पाला और मैदानी इलाकों में हल्का कोहरा सुबह और शाम की ठंड में इजाफा कर सकता है।

सोशल मीडिया कैसे रेगुलेट हो? सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को थमा दिया ‘हथियार’

सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट को लेकर बहुत ही सख्त रुख अपनाया है। सीजेआई सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने अनियंत्रित सोशल मीडिया कंटेंट पर लगाम लगाने के लिए एससी/एसटी ऐक्ट की तरह कानून पर विचार करने को कहा है।

 सु्प्रीम कोर्ट ने कहा है कि सोशल मीडिया कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए ऑटोनोमस बॉडी की जरूरत है। भारत के चीफ जस्टिस (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने माना है कि ‘सेल्फ-स्टाइल्ड’ बॉडी इन हालातों से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं और बाहरी प्रभावों से मुक्त एक न्यूट्रल रेगुलेटर बॉडी की आवश्यकता है। सर्वोच्च अदालत ने तो केंद्र सरकार को इसके लिए एससी/एसटी ऐक्ट तक का उदाहरण दिया है।

अश्लील कंटेंट का मामला

सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई कि क्या किसी व्यक्ति के आधार नंबर का इस्तेमाल सोशल मीडिया कंटेंट देखने से पहले उम्र सत्यापित करने के लिए किया जा सकता है, जिससे उसे ऐसे ऑनलाइन कंटेंट देखने का मौका मिल जाए, जो अश्लील हो सकता है। सर्वोच्च अदालत में उन यूट्यूबर्स की याचिकाओं पर सुनवाई हो रही थी, जिनमें इंडियाज गॉट लेटेंट शो के दौरान की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ एफआईआर को चुनौती दी गई।

बेहत सख्त कानून की जरूर

इस दौरान सीजेआई सूर्यकांत ने केंद्र से कहा कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए सख्त कानून बनाने पर विचार करे, खासकर उन केस में जिनमें दिव्यांगों को अपमानित किया जाता है। सीजेआई ने मौखिक तौर पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘आप कुछ उसी तरह का क्यों नहीं सोचते हैं, जैसे कि एससी/एसटी ऐक्ट की तरह…जहां सजा मिलेगी, अगर आप उन्हें अपमानित (दिव्यांग को) करते हैं।’ सीजेआई की बातों पर तुषार मेहता ने कहा, ‘कुछ करना पड़ेगा। इसे यूजर जनरेटेड कंटेंट कहते हैं, उसमें कुछ कमी है…मैं अपना खुद का यूट्यूब चैनल बनाता हूं, मेरा अपना प्रोग्राम हो सकता है। मैं किसी भी कानून..नियम या कम से कम खुद से बनाए गए नियमों के कंट्रोल से बाहर हूं।’

‘ जिम्मेदार समाज बनाना जरूरी’

वहीं अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने बेंच को बताया कि केंद्र ने कुछ नई गाइडलाइंस प्रस्तावित की है। इसपर सीजेआई ने मौखिक तौर पर कहा, ‘पायलट बेसिस पर कुछ आने दें; और अगर इससे फ्री स्पीच और एक्सप्रेशन में रुकावट आती है, तो उस पर तब विचार किया जा सकता है। हमें एक जिम्मेदार समाज बनाने की आवश्यकता है और एक बार ऐसा हो जाने पर, अधिकतर समस्याओं का हल निकल जाएगा।

‘मौलिक अधिकार का बैलेंस जरूरी’

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि मौलिक अधिकार को बैलेंस करना होगा और ऐसी चीजों को मंजूरी नहीं दी जाएगी जो किसी का मुंह बंद करा दे। सीजेआई ने कहा,’अगर आप कोई उपाय लेकर आते हैं, तो हम रेगुलेटरी उपाय भी बताएंगे।’ सीजेआई सूर्यकांत ने कहा, ‘बोलने के अधिकार का सम्मान करना होगा। मान लीजिए कि कोई प्रोग्राम है और उसमें कुछ एडल्ट कंटेट है, तो पहले से कुछ चेतावनी दी जानी जरूरी है।’इसपर जस्टिस बागची ने भी मौखिक टिप्पणी में कहा, ‘बोलने के अधिकार की सुरक्षा करनी होगी’ लेकिन, ‘प्रिवेंटिव मेकेनिज्म’ होनी चाहिए। इस दौरान जस्टिस बागची ने कथित राष्ट्र-विरोधी कंटेंट का भी जिक्र किया और सवाल उठाया कि क्या इन्हें सेल्फ-रेगुलेशन से रोका जा सकता है।

गंगोत्री में नदी-झरने जमकर बर्फ हुए, टिहरी से मुक्तेश्वर तक लुढ़क रहा पारा… उत्तराखंड में मौसम का हाल

उत्तराखंड में फिलहाल मौसम शुष्क बना रहेगा। अगले दो-तीन दिनों में प्रदेश के न्यूनतम तापमान में 1 से 2 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने की संभावना है। वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में हल्के से मध्यम कोहरा छा सकता है।

त्तराखंड के सभी जनपदों में आज मौसम शुष्क रहेग। हरिद्वार और उधम सिंह नगर में कहीं-कहीं सुबह के समय हल्का कुहासा छाने की उम्मीद है। मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से 2 दिसंबर तक प्रदेश भर में मौसम शुष्क रहने का पूर्वानुमान जारी किया गया है। अगले दो-तीन दिनों में प्रदेश में न्यूनतम तापमान में 1 से 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ोतरी होने की संभावना है जबकि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में कहीं-कहीं हल्के से मध्यम कोहरा छा सकता है।

देहरादून में बुधवार को दिन भर चटक धूप खिली रही। हालांकि ठंडी हवाएं चलने की वजह से ठंड का एहसास भी हुआ लेकिन धूप ने ठंड से राहत दी। बुधवार को देहरादून का अधिकतम तापमान 25.0 और न्यूनतम तापमान 8.2 डिग्री सेल्सियस रहा। पंतनगर का अधिकतम तापमान 25.4 और न्यूनतम तापमान 5.1 डिग्री सेल्सियस रहा। मुक्तेश्वर का अधिकतम तापमान 16.2 और न्यूनतम तापमान 4.2 डिग्री सेल्सियस रहा। नई टिहरी का अधिकतम तापमान 16.5 और न्यूनतम तापमान 3.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

गंगोत्री में नदी-झरने जमकर बर्फ हुए
उधर, गंगोत्री धाम में तापमान में गिरावट आने के चलते नदी, नाले और झरने पूरी तरह से जाम चुके हैं। धाम में इन दोनों तापमान जीरो डिग्री सेल्सियस से नीचे जा रहा है। जिस कारण गंगोत्री धाम सहित नेलांग घाटी और गौमुख ट्रैक पर सभी नदी-नाले जम गए हैं। पानी की आपूर्ति के लिए लोग पाले से ढकी बर्फ को पार्क में पिघलाकर प्रयोग में ला रहे हैं।

उधर पिथौरागढ़ में ज्योलिंगकांग में 14,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित आदि कैलाश में ठंड के चलते पार्वती और गौरीकुंड का पानी भी जम गया है। तापमान में गिरावट आने से रात के समय उच्च हिमालय क्षेत्र में जाने और तालाबों का पानी जम रहा है। लगभग 80 प्रतिशत पानी जम चुका है।

Constitution Day: संसद में संविधान दिवस समारोह, राष्ट्रपति के नेतृत्व में हुआ संविधान की प्रस्तावना का पाठ

National Constitution Day: आज संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रीय संविधान दिवस समारोह का आयोजन किया जाएगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस समारोह की अध्यक्षता करेंगी। जबकि उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और तमाम केंद्रीय मंत्री इस समारोह में शामिल होंगे।

संविधान दिवस, 2025 के उपलक्ष्य में संसद के संविधान सदन में बुधवार को समारोह का आयोजन किया जा रहा है। सेंट्रल हॉल में हो रहे इस कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू कर रही हैं। इसके अलावा उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, पीएम मोदी, लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला के अलावा केंद्रीय मंत्रियों का समूह भी सेंट्रल हॉल पहुंचा। विपक्ष की तरफ से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी मौजूद रहे। यह मौका भारत द्वारा संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक परंपराओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि का प्रतीक है।

इस कार्यक्रम को सबसे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की तरफ से संबोधित किया गया। इसके बाद उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने भी वक्तव्य दिया। आखिर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों को संदेश दिया और कहा कि संविधान में सामाजिक न्याय प्रमुख है। आखिर में राष्ट्रपति के नेतृत्व में सेंट्रल हॉल में संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया गया।

संविधान दिवस समारोह के एक हिस्से के रूप में, सेंट्रल हॉल समारोह के दौरान डिजिटल मोड में कई योजनाओं का विमोचन किया गया।

    • विधायी विभाग की तरफ से तैयार नौ भाषाओं – मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, ओडिया और असमिया – में भारत के संविधान का लोकार्पण ।
    • संस्कृति मंत्रालय की तरफ से तैयार स्मारक पुस्तिका ‘भारत के संविधान से कला और कैलीग्राफी ‘ (हिन्दी संस्करण) का विमोचन।

देश भर में, सभी केंद्रीय मंत्रालय/विभाग, उनके अधीनस्थ और संबद्ध कार्यालय, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारें और स्थानीय निकाय इस अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित करेंगे। आम नागरिक कई माध्यमों से इसमें भाग लेंगे:

  • मायजीओवी.इन और संविधान75.कॉम पर प्रस्तावना का ऑनलाइन वाचन
  • प्रमाणपत्र सृजन और सोशल मीडिया साझाकरण में भागीदारी
  • ‘हमारा संविधान – हमारा स्वाभिमान’ पर राष्ट्रीय ऑनलाइन क्विज और ब्लॉग/निबंध प्रतियोगिताएं
  • सम्मेलन, सेमिनार, वाद-विवाद, लघु फिल्में, प्रदर्शनियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पोस्टर/पेंटिंग और रंगोली प्रतियोगिताएं, तथा पंचायत से संसद स्तर तक संविधान-विषयक अन्य गतिविधियां।

इस प्रकार, संविधान दिवस, 2025 को देश के हर कोने में और विश्व में रहने वाले भारतीयों द्वारा संवैधानिक मूल्यों के राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू कार्यक्रम के दौरान भारत के संविधान की प्रस्तावना पढ़ने का नेतृत्व करेंगी। इस कार्यक्रम के दौरान यादगार पुस्तिका ‘भारत के संविधान में कला और कैलिग्राफी’ भी जारी की जाएगी।

Dehradun: साइबर अपराध के लिए युवाओं को अवैध रूप से म्यांमार भेजने वाले 3 एजेंट गिरफ्तार, रैकेट की पड़ताल जारी

एसटीएफ के अनुसार, गिरफ्तार किए गए ये लोग बागेश्वर, पिथौरागढ़ और उधम सिंह नगर जिलों के नौ पीड़ितों से पूछताछ के दौरान सामने आए हैं, जिन्हें हाल ही में म्यांमार से वापस लाया गया था।

उत्तराखंड एसटीएफ ने रविवार को खुलासा किया कि साइबर अपराध कराने के लिए थाईलैंड के रास्ते लोगों को धोखाधड़ी से म्यांमार ले जाने में कथित रूप से शामिल तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। एसटीएफ के अनुसार, गिरफ्तार किए गए ये लोग बागेश्वर, पिथौरागढ़ और उधम सिंह नगर जिलों के नौ पीड़ितों से पूछताछ के दौरान सामने आए हैं, जिन्हें हाल ही में म्यांमार से वापस लाया गया था।

एसटीएफ ने बताया कि म्यांमार के म्यावाड्डी शहर के केके पार्क में अवैध रूप से रह रहे उत्तराखंड सहित विभिन्न राज्यों के कई भारतीय युवकों को वापस लाया गया है। उत्तराखंड के इन नौ युवकों को दिल्ली से यहां लाया गया और उनके परिवारों को सौंप दिया गया।

एसटीएफ ने बताया कि पूछताछ के दौरान पता चला कि भारतीय एजेंटों ने एक संगठित योजना के तहत इन युवकों से कथित तौर पर बड़ी रकम की ठगी की, उन्हें थाई वीजा का इस्तेमाल करके विदेश भेजा और फिर म्यावाड्डी के केके पार्क में अवैध रूप से घुसपैठ कराई।

प्रारंभिक जांच से पता चला है कि भारतीय एजेंट पीड़ितों से व्यक्तिगत रूप से या टेलीग्राम और व्हाट्सएप जैसे मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से संपर्क करते थे और पैसे ऐंठने के बाद उन्हें बैंकॉक भेज देते थे। एसटीएफ के सहायक पुलिस अधीक्षक कुश मिश्रा ने बताया कि अब तक उधमसिंह नगर जिले के जसपुर निवासी सुनील कुमार, उधमसिंह नगर जिले के काशीपुर निवासी नीरव चौधरी और प्रदीप को गिरफ्तार किया जा चुका है।

 

Success Story: पहला स्टार्टअप रहा असफल, लाखों के कर्ज में डूबे; फिर बनाई करोड़ों की ब्रोकिंग फर्म

ललित केशरे ने आईआईटी, बॉम्बे से पढ़ाई पूरी करने के बाद अपना पहला स्टार्टअप शुरू किया, जो असफल रहा। फिर उन्होंने फ्लिपकार्ट में काम किया, पर उसे भी छोड़कर ग्रो कंपनी की स्थापना की। उनकी कहानी सिखाती है कि अगर जज्बा हो, तो मुश्किल से मुश्किल हालात में भी रास्ते खुद बन जाते हैं।

कभी मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाला एक साधारण लड़का ललित केशरे आज करोड़ों निवेशकों के भरोसे का नाम बन चुका है। बचपन में पिता को खेतों में मेहनत करते देख उन्होंने समझ लिया था कि सफलता का रास्ता आसान नहीं होता, लेकिन मेहनत और सीखने की लगन अगर साथ हो, तो कुछ भी संभव है।

ललित ने अपने सफर की शुरुआत एडुफ्लिक्स नामक ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म से की थी। हालांकि, यह पहला प्रयास असफल रहा और उन पर कर्ज भी बढ़ गया। लेकिन हार मानने के बजाय उन्होंने नौकरी की, अपनी गलतियों से सीखा और एक नए सपने ‘ग्रो’ को हकीकत में बदल दिया।

ऐसे बनी भारत की सबसे बड़ी ब्रोकिंग फर्म
इस बार उन्होंने ठान लिया था कि जो भी करेंगे, सीखकर और समझदारी से करेंगे। परिणामस्वरूप, ग्रो आज भारत की सबसे बड़ी ब्रोकिंग फर्मों में से एक बन चुकी है, जिसकी वैल्यू लगभग रुपये 70,000 करोड़ तक पहुंच गई है। ललित की कहानी यह सिखाती है कि असफलता अंत नहीं, बल्कि नई शुरुआत की प्रेरणा होती है। खेतों की मिट्टी से निकला यह सपना आज लाखों युवाओं के लिए उम्मीद की मिसाल बन गया है।

गांव छोटा, लेकिन सोच बड़ी
मध्य प्रदेश में जन्मे ललित केशरे का पालन-पोषण एक ऐसे किसान परिवार में हुआ, जो शिक्षा और नवाचार को बहुत महत्व देता था। बचपन से ही, उन्हें तकनीक और समस्याओं के समाधान में गहरी रुचि रही है। इसी जिज्ञासा ने वास्तव में एक उद्यमी के रूप में उनके सफर की नींव रखी। ललित के पिता किसान थे, लेकिन वे शिक्षा के महत्व को भली-भांति समझते थे और हमेशा ललित को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करते थे।

बारहवीं के बाद उन्होंने आईआईटी प्रवेश परीक्षा दी और उत्कृष्ट रैंक के साथ उसे पास किया। इसके बाद उन्हें आईआईटी, बॉम्बे में प्रवेश मिला, जहां उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के बाद ललित ने ‘एडूफ्लिक्स’ नाम से एक ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म शुरू किया। उनका उद्देश्य था शिक्षा को देश के हर कोने तक पहुंचाना, लेकिन यह प्रयास सफल नहीं हो सका। कुछ ही समय में कंपनी बंद हो गई और उन पर कर्ज का बोझ बढ़ गया।

दोस्तों के साथ रखी नींव
इसके बावजूद ललित ने हार नहीं मानी और फ्लिपकार्ट में ग्रुप प्रोडक्ट मैनेजर के पद पर काम करना शुरू किया। हालांकि, उनके मन में कुछ बड़ा करने की चाह अब भी बनी हुई थी। फ्लिपकार्ट में काम करते हुए ललित की मुलाकात हर्ष जैन, नीरज सिंह और ईशान बंसल से हुई। तीनों ही युवा उद्यमशील सोच रखते थे। 2016 में ललित ने फ्लिपकार्ट की लाखों रुपये की नौकरी छोड़कर अपने इन दोस्तों के साथ बंगलूरू में ग्रो की स्थापना की। शुरुआती दिनों में उन्हें कई कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे कंपनी ने गति पकड़ी और सफलता की ओर बढ़ती चली गई।

ऐसे सफल हुआ ग्रो
कुछ साल में इस स्टार्टअप ने देश की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्म बनने का खिताब हासिल कर लिया है। ग्रो में माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला, सिकोइया कैपिटल और टाइगर ग्लोबल जैसे दिग्गज निवेशक अपना पैसा लगा चुके हैं। ग्रो निवेशकों को स्टॉक, म्यूचुअल फंड, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड, आईपीओ, अमेरिकी स्टॉक, फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस, फिक्स्ड डिपॉजिट और सोने में निवेश करने की सुविधा प्रदान करती है।

कंपनी का अपना एक ऐप है, जो स्टॉक ब्रोकिंग से जुड़ी सेवाएं बहुत ही कम कमीशन पर उपलब्ध कराता है। एक इंटरव्यू में ललित ने बताया कि ग्रो की सफलता का बड़ा कारण ‘माउथ-टू-माउथ पब्लिसिटी’ रही है। आज सक्रिय उपयोगकर्ताओं की संख्या के आधार पर ग्रो भारत का सबसे बड़ा स्टॉक मार्केट एप बन चुका है। इसकी सस्ती और पारदर्शी सेवाएं इसे लोगों के बीच और भी लोकप्रिय बना रही हैं। किसान परिवार में जन्मे ललित केशरे की आज की नेटवर्थ लगभग रुपये 247 करोड़ रुपये है, जो उनके संघर्ष, मेहनत और दूरदृष्टि की प्रेरक कहानी बयां करती है।

युवाओं को सीख

  •  असफलता वहीं खत्म होती है, जहां सीखना शुरू होता है।
  •  बड़े सपनों की शुरुआत अक्सर छोटे गांवों से होती है।
  •  कर्ज बोझ नहीं होता, अगर हौसला उसे अवसर में बदल दे।
  •  गलतियां वही करते हैं जो कुछ नया करने की हिम्मत रखते हैं।
  •  जो जमीन से जुड़ा रहता है, वही आसमान छूता है।

Dehradun: फिर खराब हुई दून की हवा, पीएम 2.5 का स्तर खतरनाक, मौसम वैज्ञानिकों ने बताई इसके पीछे की वजह

दून की हवा जहरीली हो रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी बुलेटिन में दून का एक्यूआई 106 रहा। इसमें प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण पीएम 2.5 का बढ़ा हुआ स्तर माना गया

शुद्ध आबोहवा के लिए पहचाने जाने वाले देहरादून में फिर वायु प्रदूषण बढ़ गया है। शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 100 पार पहुंच गया है। इससे आबोहवा खराब श्रेणी में दर्ज की गई है। निजी वेबसाइटों में तो ये आंकड़ा 171 तक पहुंच गया है। पीएम 2.5 का स्तर लगातार बढ़ने के कारण दून की हवा जहरीली हो रही है।

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि बारिश न होने और कोहरा छाने से हवा की गुणवत्ता बिगड़ी है। खासकर पटेलनगर, घंटाघर, आईएसबीटी, हरिद्वार रोड और जीएमएस रोड पर हवा की गुणवत्ता खराब हुई है। निजी वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, देहरादून में पीएम 2.5 और पीएम 10 दोनों में ही प्रदूषण कणों की मात्रा बढ़ी हुई है, जिससे एक्यूआई स्तर ऊपर गया है।

एक्यूवेदर डॉट कॉम में दून का एक्यूआई 171 दर्ज किया गया
पीएम 2.5 का स्तर खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है। कुछ स्थानों पर ये मानक से तीन गुना तक अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि ठंडी हवाओं की कमी और वायुमंडलीय स्थिरता प्रदूषण कणों को नीचे सतह पर फंसा रही है, जिससे हवा आराम से साफ नहीं हो पा रही।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी बुलेटिन में दून का एक्यूआई 106 रहा। इसमें प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण पीएम 2.5 का बढ़ा हुआ स्तर माना गया। वायु प्रदूषण की निगरानी करने वाली निजी वेबसाइटों की बात करें तो एक्यूवेदर डॉट कॉम में दून का एक्यूआई 171 दर्ज किया गया। इसमें पीएम 2.5 का स्तर बहुत खराब माना गया

आईक्यू एयर डॉट कॉम में दून का औसत एक्यूआई 128 रहा। वहीं, एक्यूआई डॉट इन में एक्यूआई 135 दर्शाया गया। बता दें कि जीरो से पचास तक एक्यूआई का स्तर बहुत अच्छा माना जाता है। 51 से 100 तक संतोषजनक रहता है। 101 से 200 तक खराब श्रेणी में माना जाता है।

उत्तराखंड में अगले छह माह तक हड़ताल पर रोक, पुष्कर सिंह धामी सरकार ने लिया फैसला

देहरादून में इन दिनों उपनल कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिसके चलते तमाम सरकारी विभागों में व्यवस्थाएं पटरी से उतर गई हैं। उपनल कर्मचारियों की हड़ताल और अन्य विभागों में काम छोड़ो या संभावित हड़तालों पर रोक लगाने लिए अगले छह माह तक हड़ताल पर प्रतिबंध लगाया गया है।

उत्तराखंड में अगले छह माह तक राज्याधीन सेवाओं में हड़ताल पर शासन ने प्रतिबंध लगा दिया है। इस संबंध में कार्मिक सचिव शैलेश बगौली ने अधिसूचना जारी करते हुए कहा है कि यह फैसला जनहित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उत्तराखंड में राज्य कर्मचारियों और विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए यह आदेश जारी किया गया है। जिसके बाद अब कर्मचारी अगले छह माह तक हड़ताल नहीं कर पाएंगे।

कार्मिक सचिव शैलेश बगौली की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, लोकहित को ध्यान में रखते हुए अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1966 (जो उत्तराखण्ड राज्य में लागू है) की धारा 3(1) के तहत यह निर्णय लिया गया है। आदेश जारी होने की तारीख से आगामी छह महीनों तक राज्याधीन सेवाओं में किसी भी तरह की हड़ताल पूरी तरह निषिद्ध रहेगी।

शासन का मानना है कि सरकारी तंत्र की निरंतरता और जनसेवा की बाधारहित उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यह कदम आवश्यक है, क्योंकि हाल के दिनों में कई विभागों में हड़ताल एवं आंदोलन की स्थितियां बनी थीं, जिनसे सरकारी कार्य प्रभावित हो सकता था।

उत्तराखंड सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय उन सभी सेवाओं पर लागू होगा जो राज्याधीन हैं। उपनल के माध्यम से कार्यरत कर्मचारी भी इस निर्णय के तहत आएंगे। बता दें कि उपनल कर्मचारियों के पिछले कई दिनों से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं, जिसके चलते सरकारी अस्पतालों सहित कई सरकारी विभागों में व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं।

राज्य के विभिन्न विभागों में बड़ी संख्या में संविदा एवं आउटसोर्सिंग कार्मिक उपनल के जरिए तैनात किए गए हैं। शासन के इस निर्णय के बाद अब उपनल कर्मचारियों की संभावित हड़तालों या काम छोड़ो आंदोलनों पर भी प्रभावी रोक लगेगी। वहीं, इस निर्णय को जारी करने को लेकर शासन का तर्क है कि प्रदेश में विकास योजनाओं, कुंभ 2027 की तैयारियों, डिजिटल प्रशासन और सार्वजनिक सेवा वितरण जैसे कई कार्य चल रहे हैं। ऐसे में किसी भी प्रकार की हड़ताल से जनता को गंभीर परेशानी हो सकती है, इसीलिए सरकार द्वारा अधिनियम के तहत जारी यह प्रतिबंध अगले छह महीनों तक लागू रहेगा। इस अवधि में हड़ताल करने वालों पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।