Dehradun: कुंभ क्षेत्र में भीड़ नियंत्रण के लिए लगेंगे भीड़ घनत्व सेंसर, संवेदनशील लोकेशन की होगी जियो फेंसिंग

भीड़ बढ़ते ही प्रशासन के पास सीधे अलर्ट आ जाएगा। आईओटी आधारित भीड़ घनत्व सेंसर के साथ ही संवेदनशील जगहों की जियो फेंसिंग भी होगी।

कुंभ 2027 में भीड़ नियंत्रण के लिए इस बार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का खूब इस्तेमाल होगा। भीड़ बढ़ते ही प्रशासन के पास सीधे अलर्ट आ जाएगा। आईओटी आधारित भीड़ घनत्व सेंसर के साथ ही संवेदनशील जगहों की जियो फेंसिंग भी होगी।

हर बार कुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या बड़ी चुनौती है। 2010 के कुंभ में महाशिवरात्रि, फाल्गुन अमावस्या, मेष संक्रांति और चैत्र पूर्णिमा के शाही स्नान में 3.11 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे। इसके बाद अर्द्धकुंभ 2016 में इन चारों स्नान पर 72 लाख और कुंभ 2021 में कोविड के बावजूद 66.25 लाख श्रद्धालु पहुंचे। इस बार राज्य सरकार ने मुख्य स्नान पर 1.5 से दो करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान लगाया है। पूरे कुंभ के दौरान चार माह में 17 से 21 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है।

इस नाते भीड़ का नियंत्रण बड़ी चुनौती होगा। लिहाजा, भीड़ नियंत्रण व यातायात प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल किया जाएगा। भीड़ की रियल टाइम क्राउड मॉनिटरिंग होगी। इसके अलावा सभी जगहों पर भीड़ घनत्व सेंसर (क्राउड डेनसिटी सेंसर) लगाए जाएंगे, जो कि भीड़ बढ़ने पर अलर्ट दे देंगे। इसी हिसाब से प्रशासनिक अमला हरकत में आएगा।

कुंभ की सभी संवेदनशील लोकेशन की जियो फेंसिंग होगी, जिससे वहां होने वाली हर हलचल और भीड़ बढ़ने पर सैटेलाइट से पता चल जाएगा। साथ ही हीटमैप आधारित क्राउड फ्लो डैशबोर्ड बनाया जाएगा, जिसमें हर अवधि में भीड़ के आने का फ्लो पता चल सकेगा। इसी कड़ी में आईटी विभाग यहां ईवी चार्जिंग लोकेटर और सिक्योरिटी ऑपरेशन सेंटर भी बनाएगा।

कुंभ 2027 के लिए डिजिटल कुंभ के तौर पर भी तैयारी की जा रही है। कुंभ के दौरान व्यवस्थाएं बनाने में अधिक से अधिक एआई व अन्य तकनीकी का इस्तेमाल किया जाएगा।
-नितेश झा, सचिव आईटी

उत्‍तराखंड के चार पालिटेक्निक में AI लैब स्थापित, छात्रों को मिलेगा मॉडर्न टेक्नोलॉजी का साथ

उत्तराखंड सरकार ने राज्य के चार पॉलिटेक्निक संस्थानों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) प्रयोगशालाएं स्थापित करने का फैसला किया है। इसका उद्देश्य छात्रों को AI की नवीनतम तकनीकों से परिचित कराना है, जिसमें मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग शामिल हैं। सरकार का मानना है कि इससे राज्य में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा और छात्रों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

अशोक केडियाल, जागरण, देहरादून । उत्तराखंड के तकनीकी शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ी पहल के तहत राज्य के चार राजकीय पालिटेक्निक संस्थानों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) प्रयोगशाला स्थापित की गईं हैं। ये प्रयोगशाला राजकीय पालिटेक्निक पित्थूवाला (देहरादून), रानीपोखरी (देहरादून), काशीपुर (ऊधम सिंह नगर) और द्वाराहाट (अल्मोड़ा) में शुरू की गई हैं। इस पहल से उत्तराखंड तकनीकी रूप से सशक्त युवाओं के निर्माण की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। इन अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं के माध्यम से छात्र अब पारंपरिक विषयों को आधुनिक तकनीकी दृष्टिकोण से पढ़ पा रहे हैं, जिससे उनके ज्ञान और कौशल में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और डाटा एनालिटिक्स जैसे उभरते हुए विषयों के साथ छात्रों को जोड़ने की दिशा में यह राज्य सरकार की एक अग्रणी पहल मानी जा रही है। इन प्रयोगशालाओं में आवश्यक कंप्यूटर संसाधन, साफ्टवेयर, हाई स्पीड इंटरनेट एवं प्रशिक्षित फैकल्टी की व्यवस्था की गई है, जिससे छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ-साथ तकनीकी अनुसंधान का भी अवसर मिल रहा है।

प्रविधिक शिक्षा निदेशालय की माने तो राज्य सरकार इस परियोजना पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है और इसका उद्देश्य युवाओं को भविष्य की तकनीकों से लैस करना है। प्रयोगशालाएं केवल इन चार संस्थानों तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि राज्य के अन्य 71 पालिटेक्निक संस्थानों को भी इससे प्रेरणा और मार्गदर्शन मिलेगा। इससे पूरे राज्य में तकनीकी शिक्षा का स्तर सुधरेगा और युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त होंगे।

पालीटेक्निक छात्रों की रुचि और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोजेक्ट आधारित लर्निंग और इंडस्ट्री सह सहयोग प्रशिक्षण कार्यक्रम की भी योजना बनाई जा रही है। इससे तकनीकी शिक्षा को उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुरूप ढाला जा सकेगा।

ऐसे मिलेगा एआइ से छात्रों को लाभ

तकनीकी विषयों की समझ और व्यावहारिकता बढ़ेगी। एआइ के ज़रिए इलेक्ट्रानिक्स, मैकेनिकल, सिविल, कंप्यूटर साइंस आदि पारंपरिक विषयों में डाटा विश्लेषण, स्मार्ट कंट्रोल सिस्टम, भविष्यवाणी माडल जैसे आधुनिक आयाम जोड़े जाते हैं। इससे छात्र किसी भी विषय को नई दृष्टि से समझ पाते हैं। आज की इंडस्ट्री आटोमेशन, रोबोटिक्स, स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग पर आधारित है। इसका भी एआइ से लाभ मिलेगा।

समस्या सुलझाने की क्षमता में वृद्धि

एआइ का ज्ञान डिप्लोमा छात्रों को उद्योग की वर्तमान और भविष्य की ज़रूरतों के अनुसार तैयार करता है, जिससे वे सीधे काम के लिए तैयार रहते हैं। एआइ टूल्स और तकनीकों का इस्तेमाल कर छात्र रियल-लाइफ समस्याओं का विश्लेषण और समाधान कर पाते हैं। इससे उनमें जटिलताएं से जूझने, आत्म विश्वास एवं कौशल क्षमता विकसित होती हैं।

 

‘अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर आधिकारिक बातचीत के लिए यह सही समय नहीं है।’

वाणिज्य राजेश अग्रवाल का कहना है कि भारत से एक टीम टैरिफ पर चर्चा करने के लिए अमेरिका में है; लेकिन शटडाउन के कारण अमेरिका में कर्मचारियों की कमी है।

वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल के अनुसार, भारत की एक टीम वर्तमान में टैरिफ से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अमेरिका में है।

हालाँकि, अमेरिकी सरकार में चल रहे कामबंदी के कारण, द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर अगले आधिकारिक दौर की वार्ता आयोजित करने का यह “सही समय” नहीं है, उन्होंने कहा। श्री अग्रवाल, जो वर्तमान में बीटीए पर भारत के मुख्य वार्ताकार हैं, ने आगे कहा कि भारत को अमेरिका से अपने ऊर्जा आयात को बढ़ाने में “बहुत खुशी” होगी। अमेरिकी सरकार वर्तमान में “कामबंदी” के दौर से गुजर रही है क्योंकि वह उस देश में चालू वित्तीय वर्ष के लिए आवश्यक वित्त पोषण कानून लागू नहीं कर पाई है।

“हमारी वार्ता टीम अमेरिका में है और यह देखने की कोशिश कर रही है कि क्या हम दोनों पक्षों के बीच एक ऐसा समाधान निकाल सकते हैं जो टैरिफ से जुड़े कुछ मुद्दों को सुलझा सके,” श्री अग्रवाल ने बुधवार को एक प्रेस वार्ता में कहा। “इस पर पहले से ही चर्चा चल रही है और समाधान निकलने की हमेशा उम्मीद है।”

“औपचारिक वार्ता के दौर के संबंध में, अमेरिका वर्तमान में बंद है और उनकी जनशक्ति कम है, इसलिए यह पूर्ण व्यापार वार्ता करने का सही समय नहीं है,” वाणिज्य सचिव ने द हिंदू द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में कहा। हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पक्ष सक्रिय रूप से इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि भारत और अमेरिका के बीच मौजूदा व्यापार तनाव का समाधान कैसे निकाला जाए। उन्होंने कहा, “एक देश के रूप में, हमें अमेरिका से और अधिक ऊर्जा खरीदने में बहुत खुशी होगी, बशर्ते वह सही कीमत पर उपलब्ध हो।”

उत्तराखंड में लक्सर सब स्टेशन का बढ़ेगा लोड, पूहाना–रुड़की लाइन की बढ़ेगी करंट वहन क्षमता

उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने पिटकुल की दो परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है। लक्सर सबस्टेशन की क्षमता बढ़ाई जाएगी और पूहाना-रुड़की ट्रांसमिशन लाइन को सुदृढ़ किया जाएगा। आयोग ने कुछ शर्तों के साथ स्वीकृति दी है और राज्य सरकार से वित्तीय सहायता सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। गलत जानकारी मिलने पर स्वीकृति रद्द हो सकती है।

उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन आफ उत्तराखंड लिमिटेड (पिटकुल) की दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं को सशर्त मंज़ूरी दे दी है। पहली परियोजना हरिद्वार ज़िले के 132 केवी लक्सर सबस्टेशन की क्षमता बढ़ाने से जुड़ी है, जबकि दूसरी परियोजना 220 केवी पूहाना–रुड़की ट्रांसमिशन लाइन की वहन क्षमता बढ़ाने से संबंधित है। आयोग ने दोनों प्रस्तावों की गहन समीक्षा करने के बाद सशर्त स्वीकृति जारी की है।

लक्सर सबस्टेशन से जुड़ी परियोजना में वर्तमान में तीन 40 एमवीए ट्रांसफार्मर स्थापित हैं, जिनकी कुल क्षमता 120 एमवीए है। सबस्टेशन पर कुल लोड लगभग 155 एमवीए तक पहुंच गया है और ट्रांसफार्मर लगभग 90 प्रतिशत तक ओवरलोड स्थिति में चल रहे हैं। इस कारण पिटकुल ने एक 40 एमवीए ट्रांसफार्मर को 80 एमवीए ट्रांसफार्मर से बदलने का प्रस्ताव दिया, जिससे कुल क्षमता बढ़कर 160 एमवीए हो जाएगी।

परियोजना की प्रारंभिक लागत 18.43 करोड़ थी, जिसे संशोधित डीपीआर में बढ़ाकर 24.36 करोड़ किया गया। आयोग ने तकनीकी समीक्षा के दौरान पाया कि प्रोजेक्ट के कुछ प्रस्ताव उचित नहीं हैं। इसलिए इन हिस्सों को अस्वीकृत कर दिया गया। हालांकि, आयोग ने ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़ाने और उससे संबंधित उपकरणों जैसे करंट ट्रांसफार्मर आदि के कार्य को मंज़ूरी दे दी।

आयोग ने निर्देश दिया कि पिटकुल 15 दिनों में संशोधित लागत का विवरण प्रस्तुत करे और एक महीने के भीतर राज्य सरकार से इक्विटी अंशदान की स्वीकृति का प्रमाण दे। इसके साथ ही यह भी तय किया गया कि सभी कार्य प्रतिस्पर्धी निविदा प्रक्रिया के तहत किए जाएं।

दूसरी ओर, 220 केवी पूहाना–रुड़की लाइन से संबंधित परियोजना में वर्तमान में एसीएसआर ज़ेब्रा कंडक्टर उपयोग किए जा रहे हैं, जिनकी अधिकतम करंट वहन क्षमता लगभग 650 एम्पियर है। गर्मियों के दौरान यह लाइन 600 से 800 एम्पियर तक लोड वहन करती है, जिससे ओवरहीटिंग जैसी समस्या सामने आती हैं।

इस स्थिति को सुधारने के लिए पिटकुल ने लाइन को एचटीएलएस (हाई टेंपरेचर लो सैग) कंडक्टर से री-कंडक्टर करने का प्रस्ताव दिया, जिसकी करंट क्षमता लगभग 1600 एम्पियर है। परियोजना की लागत 13.95 करोड़ निर्धारित की गई थी, जिसे 15 माह में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया। आयोग ने परियोजना की तकनीकी व आर्थिक समीक्षा के बाद 12.89 करोड़ की मंज़ूरी दी और कुछ आवश्यक शर्तों के साथ कार्य आरंभ करने की अनुमति दी।

आयोग ने दोनों मामलों में यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल प्रस्तुत लागत को प्रावधिक माना जाएगा। अंतिम लागत का निर्धारण ट्रू-अप प्रक्रिया के समय किया जाएगा। यदि किसी भी स्तर पर गलत या अधूरी जानकारी सामने आती है, तो आयोग स्वीकृति को निरस्त कर सकता है। साथ ही, आयोग ने राज्य सरकार को सलाह दी कि वह इक्विटी अंशदान सुनिश्चित करे ताकि परियोजना बिना वित्तीय अड़चन के पूरी हो सकें।

UKSSSC की सहकारी निरीक्षक भर्ती परीक्षा 16 नवंबर को होगी, आयोग ने जारी की नई डेट

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) ने सहकारी निरीक्षक भर्ती परीक्षा की नई तिथि घोषित कर दी है। अब यह परीक्षा 16 नवंबर, 2025 को होगी। पहले यह 5 अक्टूबर को होने वाली थी। यह परीक्षा देहरादून और हल्द्वानी के 26 केंद्रों पर होगी। आयोग ने उप पुस्तकालय अध्यक्ष परीक्षा का परिणाम भी जारी कर दिया है।

 देहरादून:  उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) प्रस्तावित सहकारी निरीक्षक पदों की भर्ती परीक्षा 16 नवंबर, 2025 को आयोजित करेगा। पूर्व में प्रस्तावित पांच अक्टूबर को इस परीक्षा को आयोग ने स्थगित कर दिया था। सोमवार को परीक्षा की नयी तिथि घोषित की गई।

सहकारी निरीक्षक वर्ग-दो/ सहायक विकास अधिकारी (सहकारी) के 45 पदों के लिए लिखित परीक्षा देहरादून और हल्द्वानी के 26 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की जाएगी। प्रवेश पत्र कुछ समय बाद आयोग की वेबसाइट http://www.sssc.uk.gov.in पर अपलोड किए जाएंगे।

आयोग के अध्यक्ष जीएस मार्ताेलिया ने पुष्टि करते हुए बताया कि 16 नवंबर को सहकारी विभाग की समूह-ग की परीक्षा आयोजित की जाएगी। हालांकि आयोग ने बीती 12 अक्टूबर को प्रस्तावित सहायक कृषि अधिकारी वर्ग-एक (रसायन विज्ञान) व प्राविधिक सहायक वर्ग-एक (अभियंत्रण शाखा) के 10 पदों के लिए भर्ती परीक्षा पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। आयोग जल्दी ही इस परीक्षा की भी नई तिथि घोषित करेगा।

SpaceX: स्पेसएक्स ने 40 माले की इमारत के बराबर रॉकेट का सफल परीक्षण किया, 11वीं उड़ान में हासिल की यह खासियत

दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट स्टारशिप का 11वां टेस्ट सफल रहा।मंगलवार (14 अक्तूबर) को सुबह 5:00 बजे टेक्सास के बोका चिका से स्टारशिप की सफल लॉन्चिंग की गई।

दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने फिर बड़ा कारनामा किया है। सबसे ताकतवर रॉकेट स्टारशिप का 11वां टेस्ट सफल रहा। मंगलवार (14 अक्तूबर) को सुबह 5:00 बजे टेक्सास के बोका चिका से स्टारशिप की सफल लॉन्चिंग की गई। स्टारशिप की हिंद महासागर में लैंडिंग कराई गई।

स्टारशिप अब तक का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली रॉकेट है। जो कि टेक्सास के दक्षिणी सिरे से आकाश में गर्जना के साथ उड़ा। बूस्टर रॉकेट अलग हो गया और योजना के मुताबिक मेक्सिको की खाड़ी में नियंत्रित रूप से प्रवेश किया, और स्टारशिप हिंद महासागर में उतरने से पहले अंतरिक्ष में उड़ता रहा।

स्टारशिप रॉकेट को परीक्षण उड़ान के दौरान प्रक्षेपित किया और पिछली बार (10वां टेस्ट) की तरह ही दुनिया के आधे हिस्से का सफलतापूर्वक चक्कर लगाया। बूस्टर ने योजना के अनुसार मेक्सिको की खाड़ी में नियंत्रित प्रवेश किया, और अंतरिक्ष यान हिंद महासागर में उतरने से पहले अंतरिक्ष में घूमता रहा। घटनास्थल से कुछ भी बरामद नहीं हुआ।

सुपर हैवी बूस्टर की अमेरिका की खाड़ी में वॉटर लैंडिंग कराई गई, जबकि स्टारशिप की हिंद महासागर में वॉटर लैंडिंग हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक ये टेस्ट 1 घंटे 6 मिनट का था। स्टारशिप अंतरिक्ष यान (ऊपरी हिस्सा) और सुपर हैवी बूस्टर (निचला हिस्सा) को पूरे तौर से स्टारशिप कहा जाता है। जिसका उद्देश्य भविष्य में रॉकेट को उड़ान भरने वाली जगह पर वापस लाने से जुड़े परीक्षण करना था। स्टारशिप की ऊंचाई 403 फीट है। जिसका उपयोग स्पेसएक्स के संस्थापक और सीईओ एलन मस्क मंगल ग्रह पर लोगों को भेजने के लिए करना चाहते हैं।

दुनिया का सबसे बड़ा और शक्तिशाली रॉकेट
स्पेसएक्स ने अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर वापस भेजने के अपने प्रयासों में दुनिया के सबसे बड़े और सबसे शक्तिशाली रॉकेट, स्टारशिप का उपयोग करने की योजना बनाई थी। कंपनी ने उन आलोचकों को भी खारिज करने की कोशिश की, जिन्होंने कहा था कि इसकी तकनीक नासा की चंद्र परियोजनाओं को पूरा करने और मनुष्यों को मंगल ग्रह पर ले जाने के मस्क के सपने को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती है।

आपको बता दें कि इससे पहले स्टारशिप का 10वां टेस्ट 27 अगस्त को किया गया था, जो सफल रहा था। स्टारशिप का 10वां ये टेस्ट 1 घंटे 6 मिनट का था, जिसमें स्टारलिंक सिम्युलेटर सैटेलाइट को अंतरिक्ष में छोड़ने से लेकर इंजन चालू करने जैसे सभी ऑब्जेक्टिव पूरे किए गए थे। गौरतलब है कि स्टारशिप का उपयोग एलन मस्क लोगों को मंगल ग्रह पर भेजने के लिए करना चाहते हैं। जो कि यह एक प्रयोज्य वाहन यानी रीयूजेबल व्हीकल है, जिसे चंद्रमा की कक्षा से सतह तक और वापस ऊपर ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है।

 

Uttarakhand: चारधामों के कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन यात्रा से भी घूमेगा पर्यटन का पहिया, तैयारियां शुरू

चारधामों के कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन यात्रा से पर्यटन को बढ़ावा देने की सरकार की तैयारी है। केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने पर ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार की पूजा अर्चना होगी। वहीं, बदरीनाथ धाम के प्रवास स्थल योग बदरी पांडुकेश्वर, ज्योतिर्मठ में नृसिंह मंदिर में शीतकाल में यात्रा संचालित होगी। यमुनोत्री धाम की खरसाली व गंगोत्री धाम की मुखबा में पूजा की जाएगी।

चारधामों के कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन यात्रा से पर्यटन कारोबार का पहिया घूमेगा। इसके लिए प्रदेश सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। चारधामों के शीतकाल प्रवास स्थलों से यात्रा संचालित होगी। चारधाम यात्रा अंतिम चरण में है। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने की तिथि घोषित हो चुकी है।

दीपावली के बाद इसी माह केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होंगे। जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर को बंद होंगे। केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने पर ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार की पूजा अर्चना होगी। वहीं, बदरीनाथ धाम के प्रवास स्थल योग बदरी पांडुकेश्वर, ज्योतिर्मठ में नृसिंह मंदिर में शीतकाल में यात्रा संचालित होगी। यमुनोत्री धाम की खरसाली व गंगोत्री धाम की मुखबा में पूजा की जाएगी।

प्रवास स्थलों पर भक्तों के लिए तैयारियां
वर्ष 2024-25 में शीतकालीन यात्रा के दौरान चारधामों में 70 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। मुख्यमंत्री धामी ने बाबा केदार के शीतकालीन प्रवास ओंकारेश्वर मंदिर से शीतकालीन यात्रा का शुभांभ किया। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगोत्री धाम के प्रवास स्थल मुखबा पहुंच कर पूरे देश में शीतकालीन यात्रा का संदेश दिया था।

इस बार सरकार शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने के लिए प्रवास स्थलों पर भक्तों के लिए तैयारियों में जुटी है।पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि बीते वर्ष शीतकालीन यात्रा में भारी संख्या में श्रद्धालु चारधामों के प्रवास स्थलों पर दर्शन के लिए आए थे।

सरकार का प्रयास है कि चारधाम यात्रा पूरे साल चलती रही है। यात्रा प्रदेश की अर्थव्यवस्था व पर्यटन कारोबार से जुड़ी है। शीतकालीन यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा दी जाएगी।

गाजा पट्टी में खत्म हो गया युद्ध… इजरायल-हमास करेंगे बंधकों-कैदियों की अदला-बदली, मिस्र में ग्लोबल लीडर्स का जमावड़ा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस सोमवार तड़के मिस्र पहुच गये हैं। उनके अलावा कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, स्पेनिश प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज, तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगान और इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो भी विश्व नेताओं में शामिल हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मिस्र में आयोजित गाजा शांति समझौता कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अमेरिका से निकल चुके हैं। अमेरिका से निकलते वक्त उन्होंने कहा कि ‘गाजा में युद्ध खत्म हो चुका है।’ माना जा रहा है कि भारतीय समय के मुताबिक साढ़े 10 बजे से हमास, इजरायली बंधकों की रिहाई शुरू कर देगा। रिहाई, मिस्र में गाजा सीजफायर समिट से पहले पूरा हो जाने की संभावना है, जिसके तहत हमास, इजरायली बंधकों को रिहा करेगा और इजरायल, हजारों उन फिलीस्तीनियों को रिहा करेगा, जो इजरायली जेल में सालों से बंद हैं।

इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम समझौता होने से गाजा के उन लाखों लोगों को राहत मिलने की संभावना है, जो पिछले दो सालों से बम बारूद के धमाकों के बीच जिंदगी जी रहे हैं। गाजा में अकाल है और हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2023 में शुरू हुए गाजा पर इजरायल के युद्ध में कम से कम 67,806 लोग मारे गए हैं और 170,066 घायल हुए हैं। 7 अक्टूबर 2023 को हमास के क्रूर हमले में इजरायल में कुल 1,139 लोग मारे गए थे और लगभग 250 लोगों को हमास ने बंदी बना लिया था।

इजरायल और हमास में सीजफायर समझौता
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एयर फोर्स वन में सवार हैं और उनके सोमवार सुबह इजराइल पहुंचने की उम्मीद है। वाइट हाउस के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति बंधकों के परिवारों से बात करेंगे और इजरायली संसद, नेसेट को संबोधित करेंगे। इसके बाद ट्रंप मिस्र के लिए रवाना होंगे, जहां वे सोमवार को ही क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नेताओं के साथ एक वैश्विक “शांति शिखर सम्मेलन” की सह-अध्यक्षता करेंगे, जिसमें युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे और क्षेत्र में दीर्घकालिक शांति का आह्वान किया जाएगा।

– गाजा में जिन 20 इजरायली बंधकों के जीवित होने की आशंका है, उन्हें कुछ ही घंटों में रिहा कर दिया जाएगा। अमेरिका की मध्यस्थता वाले युद्धविराम समझौते के पहले महत्वपूर्ण चरण के तहत, इजरायल में लगभग 2,000 फिलिस्तीनी कैदियों और बंदियों को भी रिहा किया जाएगा। युद्ध शुरू होने के बाद से, 148 बंधकों को जीवित इजराइल वापस लाया गया है, जबकि 140 को रिहा कर दिया गया और आठ को इजराइली सेना ने बचा लिया। हमास ने कई मृत बंधकों के शव भी लौटाए हैं।
गाजा में युद्धविराम को लेकर मिस्र में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिसमें दुनिया के करीब 20 नेता शामिल हो रहे हैं। इनमें फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर शामिल हैं। डोनाल्ड ट्रंप, कार्यक्रम की सह अध्यक्षता करेंगे।
उत्तरी गाजा पट्टी में मानवीय सहायता पहुंचने के साथ ही फिलिस्तीनी अपने बचे-खुचे घरों की ओर लौट रहे हैं। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि भोजन, दवा और अन्य जरूरी चीजों की आपूर्ति अभी भी गंभीर रूप से कम है।
बंदियों और कैदियों की अदला-बदली कैसे होगी?
इजरायली सरकार ने आज बंधकों की रिहाई की योजनाएं तैयार कर ली हैं। यह बंधकों और कैदियों की पहली अदला-बदली नहीं है। इससे पहले भी हमास ने अपहृत लोगों को सौंपने से पहले समारोह आयोजित किए थे। लेकिन इस बार, इजरायली प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता शोश बेड्रोसियन ने रविवार को कहा कि हमास का कोई प्रोपेगेंडा नहीं होगा और न ही फिलिस्तीनी उग्रवादी समूह को कोई “प्रदर्शन” करने दिया जाएगा। इसके बजाय, बेड्रोसियन ने कहा कि गाजा में बंधक बनाए गए 20 जीवित बंधकों को रेड क्रॉस को सौंप दिया जाएगा “और छह से आठ वाहनों में उन्हें वापस इजरायल जाया जाएगा।”
सीएनएन के मुताबिक, इजराइल इस दौरान आजीवन कारावास की सजा काट रहे 250 फिलिस्तीनी कैदियों के साथ-साथ 7 अक्टूबर 2023 के बाद हिरासत में लिए गए गाजा के 1,700 फिलिस्तीनियों को भी रिहा करेगा। इजराइली जेल सेवाओं के एक प्रवक्ता ने कहा कि रिहा होने वाले आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों को शनिवार को इजराइल के दक्षिण में ओफर और केट्ज़ियोट जेलों में निर्वासन परिसरों में ले जाया गया है। इजराइल के अनुसार, इनमें से 142 कैदियों को निर्वासित किया जाएगा। बाकी या तो वेस्ट बैंक या पूर्वी यरुशलम लौट जाएंगे।
तेल अवीव में सूर्योदय के साथ ही होस्टेज स्क्वायर पर भीड़ जमा हो गई है, कुछ लोग रात से ही रूके हुए हैं। उन्हें उम्मीद है कि कुछ ही घंटों में 20 जीवित बंधकों की रिहाई हो जाएगी। यह चौक 700 से ज्यादा दिनों से बंधकों के प्रदर्शनों का केंद्र रहा है और भीड़ में से कई लोग एक साथ बैठकर गाने गा रहे थे और स्क्रीन पर बंधकों की वापसी की तस्वीरें देख रहे थे। बंधक और लापता परिवार फोरम की स्वास्थ्य टीम ने चेतावनी दी है कि बंधकों और उनके परिवारों के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है।
युद्धविराम कार्यक्रम के लिए मिस्र पहुंच रहे ग्लोबल लीडर्स
गाजा के भविष्य को लेकर होने वाले शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 20 से ज्यादा देशों के विश्व नेता मिस्र के लाल सागर स्थित शर्म अल-शेख रिसॉर्ट पहुंच रहे हैं। इस सम्मेलन की अध्यक्षता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी सोमवार को करेंगे, जिसमें एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर समारोह भी शामिल होने की उम्मीद है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने रविवार को X पर एक पोस्ट में मिस्र पहुंचने की पुष्टि की हैं। ब्रिटेन गाजा में सहायता के लिए 2.6 करोड़ डॉलर की सहायता दे रहा है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस सोमवार तड़के मिस्र पहुच गये हैं। उनके अलावा कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, स्पेनिश प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज, तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगान और इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो भी विश्व नेताओं में शामिल हैं, जिनके इसमें भाग लेने की उम्मीद है। इस शिखर सम्मेलन में भारत की तरफ से राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह हिस्सा ले रहे हैं।

Uttarakhand: मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में होगा फायर सेफ्टी ऑडिट, स्वास्थ्य सचिव ने दिए सख्त निर्देश

मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में फायर सेफ्टी ऑडिट होगा। स्वास्थ्य सचिव ने इस संबंध में सख्त निर्देश देते हुए हा कि सुरक्षा में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।

जयपुर के एक अस्पताल आग लगने की घटना के बाद प्रदेश सरकार ने सभी मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में सुरक्षा के लिए फायर सेफ्टी ऑडिट करने का निर्णय लिया है। सचिवालय में स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने समीक्षा बैठक में निर्देश सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों में फायर सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के निर्देश दिए।

         हर महीने मॉक ड्रिल प्रैक्टिस कर फायर सेफ्टी का ऑडिट किया जाएगा। अस्पतालों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बैठक में निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. अजय आर्य, दून मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. गीता जैन, उपसचिव जसंविदर कौर, सीएमएस दून मेडिकल कॉलेज डॉ. आरएस बिष्ट मौजूद रहे।

दून मेडिकल कॉलेज में फायर सेफ्टी के लिए सख्त निर्देश

स्वास्थ्य सचिव ने दून मेडिकल कॉलेज में फायर सेफ्टी से जुड़ी कार्यदायी संस्था को निर्देश दिए फायर से संबंधित अनापत्ति प्रमाण पत्र शीघ्र उपलब्ध कराया जाए। सचिव ने अग्निशमन विभाग से भी आवश्यक कार्रवाई करने का आग्रह किया। सचिव ने स्प्रिंकलर, मोटर्स व अन्य फायर सेफ्टी उपकरणों की जांच कर उनका डेमो कराया जाए। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को निर्देश दिए कि कार्यदायी संस्था के साथ नियमित रूप से प्रतिमाह बैठक की जाए। कार्यदायी संस्था ने बैठक में जानकारी दी कि ओटी बिल्डिंग की फायर एनओसी 30 अक्तूबर 2025 तक व सीएसएसडी विभाग की एनओसी 30 नवंबर 2025 दी जाएगी।

मरीजों व स्टाफ की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता : धामी

मुख्यमंत्री धामी ने कहा, राज्य के सभी सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों में फायर सुरक्षा प्रणाली को मजबूत किया जाएगा। अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना अनिवार्य है। हमारी प्राथमिकता मरीजों और अस्पताल स्टाफ की सुरक्षा है। राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि उत्तराखंड के सभी अस्पताल सुरक्षा मानकों के अनुरूप संचालित हों। किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

भारत काबुल मिशन को पूर्ण दूतावास में अपग्रेड करेगा, तालिबान के साथ गहरे संबंधों का संकेत

भारत के विदेश मंत्री ने शुक्रवार को नई दिल्ली में अपने अफ़ग़ान समकक्ष से मुलाकात के बाद घोषणा की कि भारत काबुल में अपने तकनीकी मिशन को एक पूर्ण दूतावास में उन्नत कर रहा है। यह घोषणा दो दशकों की अमेरिकी सैन्य उपस्थिति के बाद 2021 में तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्ज़ा करने के बाद पहली उच्च-स्तरीय राजनयिक बातचीत के दौरान की गई।

भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने कहा कि भारत अफ़ग़ानिस्तान के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और उन्होंने व्यापार, स्वास्थ्य और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग का वादा किया। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली अफ़ग़ानिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए प्रतिबद्ध है। नई दिल्ली में अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुत्ताकी के साथ बैठक के बाद एक संयुक्त प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा, “हमारे बीच घनिष्ठ सहयोग आपके राष्ट्रीय विकास के साथ-साथ क्षेत्रीय स्थिरता और लचीलेपन में भी योगदान देता है।”

मुत्ताकी, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों, जिनमें यात्रा प्रतिबंध और संपत्ति ज़ब्त करना शामिल है, के तहत कई अफ़ग़ान तालिबान नेताओं में से एक हैं, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति द्वारा उन्हें अस्थायी यात्रा छूट दिए जाने के बाद गुरुवार को नई दिल्ली पहुँचे। यह यात्रा मुत्ताकी द्वारा मंगलवार को रूस में अफ़ग़ानिस्तान पर एक अंतरराष्ट्रीय बैठक में भाग लेने के बाद हुई है, जिसमें चीन, भारत, पाकिस्तान और कुछ मध्य एशियाई देशों के प्रतिनिधि शामिल थे।

तालिबान तक भारत की व्यावहारिक पहुंच

यह कदम भारत और तालिबान शासित अफ़ग़ानिस्तान के बीच ऐतिहासिक रूप से एक-दूसरे के प्रति शत्रुता के बावजूद गहरे होते संबंधों को रेखांकित करता है।

दोनों को कुछ न कुछ हासिल करना है। तालिबान प्रशासन अंतरराष्ट्रीय मान्यता चाहता है। इस बीच, भारत अपने क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों पाकिस्तान और चीन का मुकाबला करना चाहता है, जो अफ़ग़ानिस्तान में गहराई से शामिल हैं।

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जनवरी में दुबई में मुत्तकी से मुलाकात की थी, और अफ़ग़ानिस्तान में भारत के विशेष दूत ने अप्रैल में राजनीतिक और व्यापारिक संबंधों पर चर्चा के लिए काबुल का दौरा किया था।

विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान के साथ उच्च स्तर पर बातचीत करने का भारत का निर्णय एक रणनीतिक पुनर्मूल्यांकन को दर्शाता है, जो आंशिक रूप से पिछली गैर-संलग्नता के परिणामों के साथ-साथ अपने रणनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से पिछड़ने से बचने के लिए किया गया है।

इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के वरिष्ठ विश्लेषक प्रवीण दोंती ने कहा, “नई दिल्ली दुनिया को चीन, पाकिस्तान या दोनों के साथ अपनी प्रतिद्वंद्विता के चश्मे से देखती है। तालिबान की संतुलित विदेश नीति, जिसमें प्रतिद्वंद्वी देशों और समूहों के साथ संबंध स्थापित करना शामिल है, नई दिल्ली की अपनी रणनीति को प्रतिबिंबित करती है।”

यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अफ़ग़ानिस्तान के पाकिस्तान के साथ संबंध तनावपूर्ण हैं, खासकर शरणार्थियों के निर्वासन और सीमा तनाव को लेकर, और भारत की भागीदारी को पाकिस्तान के प्रभाव के रणनीतिक प्रतिकार के रूप में देखा जा रहा है। भारत का लक्ष्य बुनियादी ढाँचे और राजनयिक उपस्थिति के माध्यम से अफ़ग़ानिस्तान में चीनी प्रभुत्व को सीमित करना भी है।

दोंती ने कहा, “बीजिंग द्वारा तालिबान के साथ सक्रिय रूप से बातचीत करने के साथ, नई दिल्ली नहीं चाहेगी कि उसका मुख्य रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी काबुल पर विशेष प्रभाव रखे।”

उन्होंने कहा कि अतीत में पाकिस्तान का तालिबान पर भी ऐसा ही प्रभाव था, लेकिन इस्लामाबाद के साथ उसके बिगड़ते संबंधों के कारण, नई दिल्ली “काबुल पर थोड़ा प्रभाव विकसित करने और एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में अपनी स्थिति को मज़बूत करने” का अवसर देख रही है।