Haridwar: सीएम धामी की घोषणा, संस्कृत के उत्थान और विकास के लिए गठित होगा उच्चस्तरीय आयोग

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सनातन संस्कृति के इतिहास और वैदिक काल को देखें तो समस्त वेदों, पुराणों और उपनिषदों की रचना संस्कृत में ही की गई है। संस्कृत भाषा अनादि और अनंत है।

उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय की ओर से संस्कृत अकादमी में चल रहे दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन के समापन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संस्कृत के उत्थान और विकास के लिए उच्चस्तरीय आयोग के गठन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा के आधार पर ही प्राचीन मानव सभ्यताओं का विकास संभव हो सका। विश्व की अधिकतर भाषाओं की जड़ें किसी न किसी रूप में संस्कृत से ही जुड़ी हुई हैं।

सोमवार को सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सनातन संस्कृति के इतिहास और वैदिक काल को देखें तो समस्त वेदों, पुराणों और उपनिषदों की रचना संस्कृत में ही की गई है। संस्कृत भाषा अनादि और अनंत है। माना जाता है कि संस्कृत का आविष्कार देवताओं ने किया, इसीलिए इसे देववाणी भी कहा जाता है। 19वीं शताब्दी में जब कुछ विदेशी विद्वान भारतीय ज्ञान परंपरा के संपर्क में आए तब वे ये देखकर आश्चर्यचकित रह गए कि यहां की प्राचीन ऋषि-परंपरा, वेद, उपनिषद, दर्शन, गणित, खगोल, साहित्य और व्याकरण जैसे विषयों का कितना व्यापक और गहरा ज्ञान संस्कृत भाषा में सुरक्षित है।

पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने संस्कृत को द्वितीय राजभाषा घोषित किया है। देवभूमि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही भारतीय ज्ञान परंपरा का एक ऊर्जामय एवं महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।

संस्कृत के महत्व पर चर्चा करते हुए निशंक ने कहा कि संस्कृत मात्र एक भाषा नहीं अपितु यह भारत की आत्मा है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी संस्कृत प्रेमियों से पूरी निष्ठा एवं लगन से संस्कृत के प्रचार-प्रसार की अपील की। इस मौके पर संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार गैरोला, विदेश मंत्रालय की सचिव डॉ.नीना मल्होत्रा, रानीपुर विधायक आदेश चौहान, विवि के कुलपति प्रो.दिनेश चंद्र शास्त्री, कुलसचिव दिनेश कुमार, डाॅ.सुमन भट्ट, डाॅ.प्रकाश पंत, रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा, दर्जाधारी राज्यमंत्री श्यामवीर सैनी, विवि की पूर्व कुलपति प्रो.सुधारानी पांडे, संस्कृत अकादमी के सचिव प्रो.मनोज किशोर पंत, प्रो.चांद किरण सलूजा, डाॅ.वाजश्रवा आर्य आदि मौजूद रहे।

सीएम ने सुनाए श्लोक
कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि मैंने अपने स्कूल के दिनों में कक्षा नौ तक संस्कृत पढ़ी है। उस समय सीखी गई श्लोक-पंक्तियां, व्याकरण के मूलभूत नियम और संस्कृत की मधुरता आज भी मुझे प्रेरित करती है। उसके बाद बोलने का अभ्यास नहीं रहा और अब समय नहीं मिल पाता। मुख्यमंत्री ने अपनी पढ़ाई के दौरान याद किए संस्कृत के कुछ श्लोक भी सुनाए।

उत्तराखंड में अभी नहीं होगी बारिश, सूखी ठंड बढ़ाएगी मुश्किलें… मुक्तेश्वर से मसूरी तक मौसम का हाल

उत्तराखंड में बदलते जलवायु पैटर्न के चलते नवंबर महीने में भी बारिश नहीं हुई है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार फिलहाल अगले कुछ दिनों तक तापमान में इजाफा हो सकता है। जिस दिन के समय ठंड से राहत रहेगी।

उत्तराखंड में आने वाले दिनों में अभी मौसम शुष्क बना रहेगा। मैदानी क्षेत्र में कोहरा और पर्वतीय इलाकों में पाला पड़ने से लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ गई है। जबकि दिन के समय चटक धूप खिलने की वजह से अधिकतम तापमान में भी बढ़ोतरी हुई है। जिसके चलते दिन के समय ठंड से हल्की राहत मिल रही है। शाम के समय पारे में तेजी से गिरावट आ रही है और रात के समय कड़ाके की ठंड पड़ रही है।

न्यूनतम तापमान में भारी गिरावट के चलते उधम सिंह नगर की रातें मुक्तेश्वर से भी ज्यादा सर्द हो गई है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार फिलहाल अगले कुछ दिनों तक मौसम की मिजाज में परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है। शुक्रवार को देहरादून सहित आसपास के क्षेत्र में चटक धूप खिली रही। जबकि दिन और रात के तापमान में 3 गुना से अधिक का अंतर आ रहा है।

शाम के समय सर्द हवाएं परेशान कर रही है। उधम सिंह नगर का अधिकतम तापमान सामान्य से 3 डिग्री सेल्सियस अधिक और न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया। जबकि मुक्तेश्वर का अधिकतम तापमान 18.3 और न्यूनतम तापमान 6.7 डिग्री सेल्सियस रहा। नई टिहरी का अधिकतम तापमान 20.6 और न्यूनतम तापमान 5.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार फिलहाल प्रदेश में मौसम शुष्क बना रह सकता है और तापमान में भी परिवर्तन की कोई आसार नहीं है। उसके बाद पारे में गिरावट आ सकती है। उत्तराखंड के अधिकांश क्षेत्रो में इस साल भी नवंबर महीने में बारिश नहीं हुई है। जिसके चलते सूखी ठंड में परेशान किया हुआ है।

वहीं अभी आने वाले दिनों में भी बारिश की कोई आसान नहीं है। प्रदेश भर में नवंबर महीने में सामान्य रूप से 5.9 एमएम बारिश होती है जबकि इस बार चमोली, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में ही महीने की शुरुआत में हल्की बारिश हुई। अन्य जिलों में बारिश की बूंद भी नहीं गिरी।

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार जलवायु परिवर्तन और मौसम के बदले पैटर्न के कारण इस साल पर बारिश नहीं हुई है। वर्ष 2024 से पहले 2021 और 2016 में नवंबर के महीने में बारिश नहीं हुई थी।

इसकी वजह से मैदानी क्षेत्रों के साथ-साथ पर्वतीय इलाकों में भी सामान्य तापमान में इजाफा दिखाई दे रहा है। शुक्रवार को देहरादून का अधिकतम तापमान सामान्य से चार डिग्री बढ़ोतरी के साथ 27.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि रात का न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री गिरावट के साथ 8.7 डिग्री सेल्सियस रहा।

मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार 4 दिसंबर तक प्रदेश भर में मौसम शुष्क रहेगा। पर्वतीय क्षेत्रों में पाला और मैदानी इलाकों में हल्का कोहरा सुबह और शाम की ठंड में इजाफा कर सकता है।

गंगोत्री में नदी-झरने जमकर बर्फ हुए, टिहरी से मुक्तेश्वर तक लुढ़क रहा पारा… उत्तराखंड में मौसम का हाल

उत्तराखंड में फिलहाल मौसम शुष्क बना रहेगा। अगले दो-तीन दिनों में प्रदेश के न्यूनतम तापमान में 1 से 2 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने की संभावना है। वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में हल्के से मध्यम कोहरा छा सकता है।

त्तराखंड के सभी जनपदों में आज मौसम शुष्क रहेग। हरिद्वार और उधम सिंह नगर में कहीं-कहीं सुबह के समय हल्का कुहासा छाने की उम्मीद है। मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से 2 दिसंबर तक प्रदेश भर में मौसम शुष्क रहने का पूर्वानुमान जारी किया गया है। अगले दो-तीन दिनों में प्रदेश में न्यूनतम तापमान में 1 से 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ोतरी होने की संभावना है जबकि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में कहीं-कहीं हल्के से मध्यम कोहरा छा सकता है।

देहरादून में बुधवार को दिन भर चटक धूप खिली रही। हालांकि ठंडी हवाएं चलने की वजह से ठंड का एहसास भी हुआ लेकिन धूप ने ठंड से राहत दी। बुधवार को देहरादून का अधिकतम तापमान 25.0 और न्यूनतम तापमान 8.2 डिग्री सेल्सियस रहा। पंतनगर का अधिकतम तापमान 25.4 और न्यूनतम तापमान 5.1 डिग्री सेल्सियस रहा। मुक्तेश्वर का अधिकतम तापमान 16.2 और न्यूनतम तापमान 4.2 डिग्री सेल्सियस रहा। नई टिहरी का अधिकतम तापमान 16.5 और न्यूनतम तापमान 3.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

गंगोत्री में नदी-झरने जमकर बर्फ हुए
उधर, गंगोत्री धाम में तापमान में गिरावट आने के चलते नदी, नाले और झरने पूरी तरह से जाम चुके हैं। धाम में इन दोनों तापमान जीरो डिग्री सेल्सियस से नीचे जा रहा है। जिस कारण गंगोत्री धाम सहित नेलांग घाटी और गौमुख ट्रैक पर सभी नदी-नाले जम गए हैं। पानी की आपूर्ति के लिए लोग पाले से ढकी बर्फ को पार्क में पिघलाकर प्रयोग में ला रहे हैं।

उधर पिथौरागढ़ में ज्योलिंगकांग में 14,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित आदि कैलाश में ठंड के चलते पार्वती और गौरीकुंड का पानी भी जम गया है। तापमान में गिरावट आने से रात के समय उच्च हिमालय क्षेत्र में जाने और तालाबों का पानी जम रहा है। लगभग 80 प्रतिशत पानी जम चुका है।

Dehradun: साइबर अपराध के लिए युवाओं को अवैध रूप से म्यांमार भेजने वाले 3 एजेंट गिरफ्तार, रैकेट की पड़ताल जारी

एसटीएफ के अनुसार, गिरफ्तार किए गए ये लोग बागेश्वर, पिथौरागढ़ और उधम सिंह नगर जिलों के नौ पीड़ितों से पूछताछ के दौरान सामने आए हैं, जिन्हें हाल ही में म्यांमार से वापस लाया गया था।

उत्तराखंड एसटीएफ ने रविवार को खुलासा किया कि साइबर अपराध कराने के लिए थाईलैंड के रास्ते लोगों को धोखाधड़ी से म्यांमार ले जाने में कथित रूप से शामिल तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। एसटीएफ के अनुसार, गिरफ्तार किए गए ये लोग बागेश्वर, पिथौरागढ़ और उधम सिंह नगर जिलों के नौ पीड़ितों से पूछताछ के दौरान सामने आए हैं, जिन्हें हाल ही में म्यांमार से वापस लाया गया था।

एसटीएफ ने बताया कि म्यांमार के म्यावाड्डी शहर के केके पार्क में अवैध रूप से रह रहे उत्तराखंड सहित विभिन्न राज्यों के कई भारतीय युवकों को वापस लाया गया है। उत्तराखंड के इन नौ युवकों को दिल्ली से यहां लाया गया और उनके परिवारों को सौंप दिया गया।

एसटीएफ ने बताया कि पूछताछ के दौरान पता चला कि भारतीय एजेंटों ने एक संगठित योजना के तहत इन युवकों से कथित तौर पर बड़ी रकम की ठगी की, उन्हें थाई वीजा का इस्तेमाल करके विदेश भेजा और फिर म्यावाड्डी के केके पार्क में अवैध रूप से घुसपैठ कराई।

प्रारंभिक जांच से पता चला है कि भारतीय एजेंट पीड़ितों से व्यक्तिगत रूप से या टेलीग्राम और व्हाट्सएप जैसे मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से संपर्क करते थे और पैसे ऐंठने के बाद उन्हें बैंकॉक भेज देते थे। एसटीएफ के सहायक पुलिस अधीक्षक कुश मिश्रा ने बताया कि अब तक उधमसिंह नगर जिले के जसपुर निवासी सुनील कुमार, उधमसिंह नगर जिले के काशीपुर निवासी नीरव चौधरी और प्रदीप को गिरफ्तार किया जा चुका है।

 

Dehradun: फिर खराब हुई दून की हवा, पीएम 2.5 का स्तर खतरनाक, मौसम वैज्ञानिकों ने बताई इसके पीछे की वजह

दून की हवा जहरीली हो रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी बुलेटिन में दून का एक्यूआई 106 रहा। इसमें प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण पीएम 2.5 का बढ़ा हुआ स्तर माना गया

शुद्ध आबोहवा के लिए पहचाने जाने वाले देहरादून में फिर वायु प्रदूषण बढ़ गया है। शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 100 पार पहुंच गया है। इससे आबोहवा खराब श्रेणी में दर्ज की गई है। निजी वेबसाइटों में तो ये आंकड़ा 171 तक पहुंच गया है। पीएम 2.5 का स्तर लगातार बढ़ने के कारण दून की हवा जहरीली हो रही है।

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि बारिश न होने और कोहरा छाने से हवा की गुणवत्ता बिगड़ी है। खासकर पटेलनगर, घंटाघर, आईएसबीटी, हरिद्वार रोड और जीएमएस रोड पर हवा की गुणवत्ता खराब हुई है। निजी वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, देहरादून में पीएम 2.5 और पीएम 10 दोनों में ही प्रदूषण कणों की मात्रा बढ़ी हुई है, जिससे एक्यूआई स्तर ऊपर गया है।

एक्यूवेदर डॉट कॉम में दून का एक्यूआई 171 दर्ज किया गया
पीएम 2.5 का स्तर खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है। कुछ स्थानों पर ये मानक से तीन गुना तक अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि ठंडी हवाओं की कमी और वायुमंडलीय स्थिरता प्रदूषण कणों को नीचे सतह पर फंसा रही है, जिससे हवा आराम से साफ नहीं हो पा रही।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी बुलेटिन में दून का एक्यूआई 106 रहा। इसमें प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण पीएम 2.5 का बढ़ा हुआ स्तर माना गया। वायु प्रदूषण की निगरानी करने वाली निजी वेबसाइटों की बात करें तो एक्यूवेदर डॉट कॉम में दून का एक्यूआई 171 दर्ज किया गया। इसमें पीएम 2.5 का स्तर बहुत खराब माना गया

आईक्यू एयर डॉट कॉम में दून का औसत एक्यूआई 128 रहा। वहीं, एक्यूआई डॉट इन में एक्यूआई 135 दर्शाया गया। बता दें कि जीरो से पचास तक एक्यूआई का स्तर बहुत अच्छा माना जाता है। 51 से 100 तक संतोषजनक रहता है। 101 से 200 तक खराब श्रेणी में माना जाता है।

उत्तराखंड में अगले छह माह तक हड़ताल पर रोक, पुष्कर सिंह धामी सरकार ने लिया फैसला

देहरादून में इन दिनों उपनल कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिसके चलते तमाम सरकारी विभागों में व्यवस्थाएं पटरी से उतर गई हैं। उपनल कर्मचारियों की हड़ताल और अन्य विभागों में काम छोड़ो या संभावित हड़तालों पर रोक लगाने लिए अगले छह माह तक हड़ताल पर प्रतिबंध लगाया गया है।

उत्तराखंड में अगले छह माह तक राज्याधीन सेवाओं में हड़ताल पर शासन ने प्रतिबंध लगा दिया है। इस संबंध में कार्मिक सचिव शैलेश बगौली ने अधिसूचना जारी करते हुए कहा है कि यह फैसला जनहित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उत्तराखंड में राज्य कर्मचारियों और विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए यह आदेश जारी किया गया है। जिसके बाद अब कर्मचारी अगले छह माह तक हड़ताल नहीं कर पाएंगे।

कार्मिक सचिव शैलेश बगौली की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, लोकहित को ध्यान में रखते हुए अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1966 (जो उत्तराखण्ड राज्य में लागू है) की धारा 3(1) के तहत यह निर्णय लिया गया है। आदेश जारी होने की तारीख से आगामी छह महीनों तक राज्याधीन सेवाओं में किसी भी तरह की हड़ताल पूरी तरह निषिद्ध रहेगी।

शासन का मानना है कि सरकारी तंत्र की निरंतरता और जनसेवा की बाधारहित उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यह कदम आवश्यक है, क्योंकि हाल के दिनों में कई विभागों में हड़ताल एवं आंदोलन की स्थितियां बनी थीं, जिनसे सरकारी कार्य प्रभावित हो सकता था।

उत्तराखंड सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय उन सभी सेवाओं पर लागू होगा जो राज्याधीन हैं। उपनल के माध्यम से कार्यरत कर्मचारी भी इस निर्णय के तहत आएंगे। बता दें कि उपनल कर्मचारियों के पिछले कई दिनों से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं, जिसके चलते सरकारी अस्पतालों सहित कई सरकारी विभागों में व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं।

राज्य के विभिन्न विभागों में बड़ी संख्या में संविदा एवं आउटसोर्सिंग कार्मिक उपनल के जरिए तैनात किए गए हैं। शासन के इस निर्णय के बाद अब उपनल कर्मचारियों की संभावित हड़तालों या काम छोड़ो आंदोलनों पर भी प्रभावी रोक लगेगी। वहीं, इस निर्णय को जारी करने को लेकर शासन का तर्क है कि प्रदेश में विकास योजनाओं, कुंभ 2027 की तैयारियों, डिजिटल प्रशासन और सार्वजनिक सेवा वितरण जैसे कई कार्य चल रहे हैं। ऐसे में किसी भी प्रकार की हड़ताल से जनता को गंभीर परेशानी हो सकती है, इसीलिए सरकार द्वारा अधिनियम के तहत जारी यह प्रतिबंध अगले छह महीनों तक लागू रहेगा। इस अवधि में हड़ताल करने वालों पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।

शटर गिरे, मची भगदड़: चार घंटे तक सुलगता रहा हल्द्वानी, गोवंश अवशेष पर भड़की हिंसा; CCTV में दिखा नया मोड़

हल्द्वानी में गोवंश के अवशेष मिलने के बाद रविवार रात बरेली रोड पर चार घंटे तक हंगामा रहा। भड़के युवकों ने नारेबाजी की। एक रेस्तरां को पुलिस ने तुरंत बंद करा दिया। हालांकि बाद में सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि अवशेष एक कुत्ता लाया था।

हल्द्वानी में गोवंश के अवशेष मिलने के बाद रविवार रात बरेली रोड पर चार घंटे हंगामा रहा। तनाव बढ़ा तो अनहोनी की आशंका पर दुकानों के शटर धड़ाधड़ गिर गए। बरेली रोड से मंदिर को जाने वाली गली के आसपास की दुकानों पर ताला लग गया। शमा डीलक्स रेस्टोरेंट पत्थरबाजी के बाद भी खुला रहा तो युवकों का गुस्सा चढ़ गया। इस पर पुलिस ने रेस्टोरेंट को तुरंत बंद कराया। पुलिस और लोगों की सूझबूझ से शहर सांप्रदायिकता की आग में झुलसने से बाल-बाल बचा। इधर सीसीटीवी फुटेज में एक कुत्ता गोवंश के अवशेष लाता दिखाई दे रहा है।

रविवार देर शाम साढ़े सात बजे के करीब जब लोगों ने मंदिर के पास गोवंश अवशेष देखा तो बात पूरे शहर में फैल गई। कुछ ही समय बीता था कि कई युवक नारेबाजी करते हुए मौके पर पहुंच गए। सूचना पर कई थानों की पुलिस भी पहुंची। फोरेंसिक टीम ने जांच की। रात आठ बजे के बाद भीड़ बढ़ती चली गई। आक्रोशित लोगों ने एक कार में भी तोड़फोड़ की।

भीड़ में शामिल कुछ युवकों ने शमा डीलक्स रेस्टोरेंट पर पत्थर फेंके तो उसका शीशा चकनाचूर होकर सड़क पर फैल गया। रेस्टोरेंट के अंदर कई लोग खाना खा रहे थे। लोग किसी तरह जान बचाकर रेस्टोरेंट से बाहर भागे। पुलिसकर्मियों पर भी पत्थर फेंके गए। भीड़ बेकाबू होने लगी तो पुलिस ने लाठियां फटकारीं। इस दौरान वहां भगदड़ मच गई। कई लोग भाग निकले जबकि कुछ को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

घटना के बाद महापौर गजराज सिंह बिष्ट मौके पर पहुंचे और पुलिस अधिकारियों से वार्ता की। उन्होंने युवकों को समझाया। कहा कि पुलिस मामले की गहन छानबीन में जुटी है। सीसीटीवी भी देख रही है। गोवंश के अवशेष को लाने वाला कौन है, इसकी जांच के लिए पुलिस ने गली के एक मकान के सीसीटीवी की फुटेज देखी तो पता चला कि इसे लाने वाला एक कुत्ता है। फुटेज में वह सिर मुंह में दबाए आता दिख रहा है। इसके बाद वह सिर को मंदिर के सामने एक घर के पास रखकर चला जाता है। पुलिस फुटेज की और गहन जांच में जुटी है।

क्षेत्र में पीएसी की तैनाती
घटना के तुरंत बाद शहर में कानून व्यवस्था बनाने के लिए पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया। इलाके में फ्लैग मार्च भी किया। पुलिस टीम ने उजाला नगर क्षेत्र में गश्त कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। तनावग्रस्त इलाके में चार सीओ, सभी थानाध्यक्ष, पुलिस फोर्स और पीएसी लगाई गई है। इसके साथ ही हेड क्वार्टर और रेंज से पुलिस बल मांगा गया है। एसएसपी का कहना है कि जरूरत पड़ने पर पैरामिलिट्री फोर्स की मांग की जाएगी।

कुछ तत्वों ने इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने का भी प्रयास किया जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रशासन और पुलिस दोनों स्थिति पर कड़ी निगरानी बनाए हुए हैं। पुलिस के पास संबंधित फुटेज और आवश्यक साक्ष्य उपलब्ध हैं जिनकी गहन जांच जारी है। हल्द्वानी की शांति 6 और सद्भावना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसलिए नागरिकों से अपील है कि अफवाहों पर ध्यान न दें। धैर्य रखें, संयम बरतें और पुलिस को पूरी तरह से अपना काम करने दें। 

घटना की टाइमलाइन

  • शाम 7:30 बजे लोगों ने गोवंश का कटा सिर देखा
  • 7:35 बजे कई थानों की फोर्स के साथ सीओ और एसपी क्राइम भी पहुंचे।
  • 7:36 बजे फोरेंसिक टीम ने घटना स्थल को कवर कर जांच शुरू की।
  • 7:40 बजे सूचना मिलने पर मौके पर भीड़ बढ़ने लगी।
  • 8:15 बजे बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों ने बरेली रोड पर जाम लगाने की कोशिश की।
  • 8:20 बजे शमा डिलक्स रेस्टोरेंट पर पथराव हुआ।
  • 8:45 बजे भीड़ ने गली में घुस रहे एक टैंपो चालक को रोका और वाहन पलटाने की कोशिश की।
  • 8:50 बजे पीलीकोठी में हंगामा की सूचना पर पुलिस की एक टीम भेजी गई।
  • 8:55 बजे महापौर गजराज बिष्ट ने मौके पर पहुंचकर युवकों को समझाया।
  • 9.10 बजे बरेली रोड पर युवकों ने हंगामा शुरू किया। दोनों तरफ वाहनों की आवाजाही पुलिस ने रोक दी।
  • 9:50 बजे भीड़ वापस सड़क पर आई और फिर नारेबाजी शुरू कर दी।
  • 10:15 बजे भीड़ नैनीताल रोड की ओर जाने लगी।
  • 10:45 बजे एसटीएच मोड़ के पास युवकों की भीड़ रुकी और फिर नारेबाजी करने लगी।
  • 10:50 बजे- एहतियातन पुलिस ने कुछ युवकों को पकड़ा और वाहन में बिठा लिया।
  • 11:30 बजे भीड़ वापस गलियों के रास्ते होते हुए आगे निकल गई।

पहले भी हो चुके हैं मामले
हल्द्वानी को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने का काम पहले भी हो चुका है। तीन से चार मामले इसी तरह के सामने आए। हालांकि बाद में मामला अलग ही निकला। इसी माह कालाढूंगी के पास कुछ संगठनों ने एक वाहन को रोका जिसमें पशुओं के अवशेष थे। हल्ला मचा कि यह गोवंश है। पुलिस को स्थिति नियंत्रित करने में पसीने छूट गए। बाद में हत्या के प्रयास का मुकदमा हंगामा करने वाले युवकों पर दर्ज हुआ था। इसी प्रकार मंगल पड़ाव में भी एक मूर्ति खंडित मिली थी। इसे लेकर दो पक्ष आमने सामने आए थे। बाद में जांच हुई तो पता चला कि यह टेंट का सामान ले जाने के दौरान टूटा था। अप्रैल 2025 में राजपुरा के मंदिर के पास भी किसी ने पशु के अवशेष डाल दिए थे। इसे लेकर भी तनाव हो गया था।

Dehradun: सेलाकुई में फूड सप्लीमेंट निर्माता कंपनी पर जीएसटी का छापा, पांच करोड़ की चोरी का खुलासा

टीम ने इलेक्ट्रॉनिक डाटा, ई-वे बिल, सामान खरीद व बिक्री से संबंधित दस्तावेज अपने कब्जे में लिए हैं। प्रारंभिक जांच में कंपनी के सामान खरीद व बिक्री के रिकॉर्ड में भारी अंतर पाया गया।

राज्य कर विभाग की विशेष अन्वेषण शाखा (एसटीएफ) ने सेलाकुई में फूड सप्लीमेंट निर्माता कंपनी पर छापा मार कर पांच करोड़ की टैक्स चोरी का खुलासा किया। कार्रवाई के दौरान कंपनी ने 1.75 करोड़ की टैक्स राशि जमा कराई।

राज्य कर आयुक्त सोनिका के निर्देश पर आयुक्त पीएस डुंगरियाल व अपर आयुक्त गढ़वाल अजय कुमार ने टैक्स चोरी के खिलाफ कार्रवाई के लिए टीम गठित की। शुक्रवार को विभागीय टीम ने सेलाकुई स्थित फूड सप्लीमेंट निर्माता कंपनी के कार्यालय व गोदाम में छापा मारा।

टीम ने इलेक्ट्रॉनिक डाटा, ई-वे बिल, सामान खरीद व बिक्री से संबंधित दस्तावेज अपने कब्जे में लिए हैं। प्रारंभिक जांच में कंपनी के सामान खरीद व बिक्री के रिकॉर्ड में भारी अंतर पाया गया। इसके अलावा ई-वे बिल में जिन वाहनों का नंबर दर्शाया गया, वह किसी भी टोल से नहीं गुजरे थे।

जांच अधिकारी राज्य कर विभाग के उपायुक्त सुरेश कुमार ने बताया कि कंपनी ने गलती स्वीकार करते हुए मौके पर 1.75 करोड़ का टैक्स जमा कराया है। कंपनी से जब्त दस्तोवजों की गहन जांच की जा रही है। कार्रवाई में टीआर चन्याल, अलीशा बिष्ट, असद अहमद, कंचन थापा व अनुराग पाठक भी शामिल रहे।

Chamoli: भारत-तिब्बत के बीच व्यापार का गवाह गौचर मेला, 1943 से शुरू हुआ, अब नमो मंत्र से बनेगी राष्ट्रीय पहचान

गौचर मेला भारत-तिब्बत के बीच व्यापार का गवाह है, जिसे अब नमो मंत्र से राष्ट्रीय पहचान मिलेगी। वर्ष 1943 से गौचर मेला शुरू हुआ था। हर वर्ष 14 नवंबर से सात दिन तक मेले की  धूम रहती है।

14 नवंबर से राजकीय औद्योगिक विकास एवं सांस्कृतिक मेला शुरू हो जाएगा। सात दिनों तक चलने वाले इस मेले में हर रोज कई आयोजन होते हैं। अपर गढ़वाल के सबसे बड़े मेलों में शामिल इस मेले की राज्य स्तर पर विशेष पहचान है। बीते नौ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक जिला एक मेले की बात से इस मेले को अब राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिलेगी।

वर्ष 1943 में भोटिया जनजाति एवं अन्य लोगों की पहल पर यह मेला शुरू हुआ। जिसका शुभारंभ तत्कालीन गढ़वाल कमिश्नर बरनेडी ने किया। तब यहां भारत तिब्बत व्यापार इस मेले के माध्यम किया जाता था। बाद में धीरे-धीरे औद्योगिक विकास मेले एवं सांस्कृतिक मेले का स्वरूप धारण कर लिया। अब मेले में मूल अवधारणा व्यापार को शामिल करते हुए नए आयोजन को शामिल कर दिया गया है। चमोली जिले के व्यापार संघ के जिला महामंत्री सुनील पंवार कहते हैं कि गौचर मेले की अपनी राज्य स्तर की पहचान है। जिसे देखते हुए सरकार ने इसे राजकीय मेला घोषित किया है।

स्थानीय उत्पादों को मिलता है बड़ा बाजार
गौचर मेला सरकार की थीम लोकल टू ग्लोबल का बड़ा माध्यम बन रहा है। इस मेले में जहां पूरे प्रदेश से हस्तशिल्प, बुनकर अपने उत्पादों को लेकर पहुंचते हैं। वहीं काष्ठ शिल्प से लेकर मंडुवा, झंगोरा, तुलसी, स्थानीय दालें, चावल, फल सहित कई स्थानीय उत्पादों को बड़ा बाजार मिलता है। आत्मनिर्भर के तहत काम करने वाली महिला कांता देवी का कहना है कि यदि इस मेले को मोदी मंत्र का सहयोग मिले तो यह नई उड़ान भर सकेगा।

बंड विकास मेले में स्थानीय उत्पादों को मिलता है बाजार

चमोली जिले के पीपलकोटी क्षेत्र में एक सप्ताह तक बंड विकास मेला 20 दिसंबर से आयोजित होगा। मेले में स्थानीय उत्पादों के स्टॉल लगाए जाते हैं। साथ ही सरकारी विभागों की ओर से भी अपने-अपने स्टॉल लगाए जाते हैं। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रहती है। इस मेले में भोटिया जनजाति के ग्रामीण ऊनी उत्पादों की बिक्री करने पहुंचते हैं। मेले में ज्योतिर्मठ से लेकर जिले भर से लोग खरीदारी करने आते हैं।

अनसूया मेले में अनुष्ठान के लिए आते हैं निसंतान दंपति

दिसंबर माह में दो दिवसीय अनसूया मेला आयोजित होता है। इस वर्ष 3 व 4 दिसंबर को अनसूया मेला आयोजित होगा। 3 को मां अनसूया की डोली अपने मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी। इस दौरान मंडल और अनसूया मंदिर में मेले का आयोजन होगा। इस मेले में बाहरी क्षेत्रों से भी मेलार्थी पहुंचते हैं। निसंतान दंपति अनसूया मंदिर में अनुष्ठान के लिए पहुंचते हैं।

Uttarakhand Weather: बीते 10 वर्षों में कभी इतना गर्म नहीं हुआ नवंबर का महीना; अगले छह दिन ऐसा रहेगा मौसम

भले रात के न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज होने से ठंड का अहसास होने लगा है लेकिन दिन का अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर रहने की वजह से दिन नवंबर के नहीं लग रहे हैं।

उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन और मौसम के बदले पैटर्न का सीधा असर तापमान में देखने को मिल रहा है। बरसात के दिनों में सामान्य से अधिक बादल बरसे तो आपदा ने खूब तबाही मचाई। ऐसे में अब सर्दियों से पहले तापमान भी अपने तेवर दिखा रहा है।

भले रात के न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज होने से ठंड का अहसास होने लगा है लेकिन दिन का अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर रहने की वजह से दिन नवंबर के नहीं लग रहे हैं। आंकड़ों की बात करें तो नवंबर का दूसरा सप्ताह बीते दस वर्षों में पहले कभी इतना गर्म नहीं हुआ। साल 2015 से 2024 तक इस महीने के शुरुआती दिनों में तापमान 30 के आसपास दर्ज किया गया था। जबकि दूसरे सप्ताह से तापमान में गिरावट देखने को मिली थी लेकिन 12 दिन गुजर जाने के बाद भी अभी नवंबर का तापमान 30 के आसपास ही रिकॉर्ड किया जा रहा है।

बुधवार को भी दून का अधिकतम तापमान सामान्य से तीन डिग्री इजाफे के साथ 28.4 डिग्री दर्ज किया गया। हालांकि रात का न्यूनतम तापमान सामान्य से दो डिग्री कमी के साथ 10 डिग्री रहा। आंकड़ों की अनुसार रात के न्यूनतम तापमान में कोई खास बदलाव नहीं है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पोस्ट मानसून की बारिश के बाद ही दिन के तापमान में गिरावट देखने को मिलेगी।

छह दिन तक शुष्क रहेगा मौसम
प्रदेशभर में बृहस्पतिवार से अगले छह दिन तक मौसम शुष्क रहेगा। मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से जारी पूर्वानुमान के अनुसार 18 नवंबर तक प्रदेशभर में मौसम शुष्क रहेगा। दिन भर धूप खिलने से जहां पहाड़ों में ठंड से राहत मिलेगी वहीं मैदानी इलाकों में ठंड का फिलहाल अहसास कम होगा। हालांकि सुबह-शाम मैदानी इलाकों में कोहरा छाने और पर्वतीय क्षेत्रों में शीतलहर चलने से ठंड परेशान करेगी।