Uttarakhand: सख्ती…163 प्रमोटर्स को रेरा का नोटिस, प्रोजेक्ट आरडब्ल्यूए को सौंपे, बढ़े धोखाधड़ी के मामले

प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद आरडब्ल्यूए को न साैंपने वाले 163 प्रमोटर्स को रेरा ने नोटिस दिया है।तीन माह में मालिकाना हक देना होता है पर मनमानी से लगातार धोखाधड़ी के मामले बढ़ रहे हैं।

प्रोजेक्ट पूरा करने के बाद नियमानुसार आरडब्ल्यूए के नाम न करने वाले प्रमोटर्स के खिलाफ अब रेरा में मुकदमा चलाया जाएगा। रेरा के सदस्य नरेश मठपाल की पीठ ने इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए ऐसे 163 प्रमोटर्स को नोटिस भेजा है।

रेरा अधिनियम के तहत प्रमोटर्स जब आवासीय प्रोजेक्ट पूरा कर लेते हैं तो उन्हें पूर्णता प्रमाणपत्र प्राप्त करने के तीन महीने के भीतर इसका मालिकाना हक आरडब्ल्यूए को देना होता है लेकिन अधिकतर प्रमोटर्स ऐसा नहीं करते हैं। इससे धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। प्रोजेक्ट पूरा हो जाता है और लोग इसमें रहने लगते हैं। एक अधिकृत आरडब्ल्यूए भी बन जाती है।

इसके बावजूद मालिकाना हक नहीं दिया जाता। इससे कई बार प्रमोटर्स या अन्य जालसाज लोग इन संपत्तियों को दूसरे लोगों को भी बेच देते हैं जिसका आरडब्ल्यूए को पता भी नहीं चलता। इसके बाद जब पता चलता है तो उसके खिलाफ शिकायत लेकर रेरा के पास पहुंचते हैं। फिर रेरा संबंधित प्रमोटर्स के खिलाफ कार्रवाई करता है।

यही कारण है कि अब रेरा ने इस पर स्वत: संज्ञान लिया है। फिलहाल प्रदेश में 643 प्रोजेक्ट चल रहे हैं जो कि रेरा में पंजीकृत हैं। इनमें से 163 ऐसे हैं जिनका काम पूरा हो चुका है लेकिन इन्होंने नियमानुसार मालिकाना हक एसोसिएशन को नहीं दिया है। अब इनके खिलाफ वाद दायर किया जाना है। इसके पहले इन सभी को नोटिस जारी किए गए हैं।

पहले से आसान हुई व्यवस्था पर नियमों की अनदेखी जारी

पहले मालिकाना हक सौंपने में प्रमोटर्स को भारी भरकम स्टांप ड्यूटी चुकानी होती थी। हालांकि, रेरा के प्रयासों से इसका भी हल निकाल लिया गया है। शासन ने अब इसके लिए एकमुश्त राशि 10 हजार रुपये शुल्क के रूप में तय किया है। इतना कम शुल्क होने के बाद भी कोई प्रमोटर्स नियमों का पालन नहीं कर रहा है।

UK: हाईकोर्ट ने दो हजार आउटसोर्स कर्मियों की सेवा समाप्त करने संबंधी मामले में सुनवाई की, कहा- सेवा जारी रहेगी

हाईकोर्ट ने वन विभाग के करीब दो हजार आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने संबंधी विभागीय निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद कर्मचारियों के पक्ष में फैसला सुनाया है।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वन विभाग के करीब दो हजार आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने संबंधी विभागीय निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद कर्मचारियों के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि विभाग कर्मचारियों से सशर्त नियमित सेवा लेता रहे।

वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में यह मामला सुना गया। याचिका में दिनेश चौहान सहित लगभग तीन सौ आउटसोर्स कर्मचारियों ने कहा था कि वन विभाग ने उनका वेतन जिस मद से दिया जाता था उसमें बदलाव होने की वजह से उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं। साथ ही विभाग उनकी नियमित सेवाएं भी नहीं ले रहा था।

राज्य सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि इन कर्मचारियों के वेतन के लिए किसी वित्तीय मद का प्रावधान नहीं है। इस कारण सेवाएं जारी रखना संभव नहीं है। फरवरी 2023 में न्यायालय ने इस निर्णय पर अंतरिम रोक लगा दी थी। सभी पक्षों को सुनने के बाद एकलपीठ ने कर्मचारियों के हक में फैसला देते हुए उनकी सेवाएं बनाए रखने के निर्देश जारी किए। इस निर्णय का लाभ वन विभाग में आउटसोर्स के रूप में कार्यरत लगभग दो हजार कर्मचारियों को मिलेगा।

 

AILET 2026 : अखिल भारतीय विधि प्रवेश परीक्षा 14 दिसंबर 2025 (रविवार) को , उम्मीदवार तैयारियों के अंतिम चरण में

अखिल भारतीय विधि प्रवेश परीक्षा (AILET 2026) का आयोजन 14 दिसंबर 2025 (रविवार) को पूरे देश में निर्धारित परीक्षा केंद्रों पर किया जाएगा। उत्तराखंड के परीक्षार्थियों के लिए इस वर्ष का प्रमुख परीक्षा केंद्र Doon University, Mothrowala Road, P.O. Defence Colony, Dehradun तय किया गया है। परीक्षा दोपहर 2:00 बजे से 4:00 बजे तक आयोजित होगी।

परीक्षा को सुरक्षित, पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से संपन्न कराने के लिए देहरादून प्रशासन ने विशेष सुरक्षा प्रबंध किए हैं। केंद्रों पर अतिरिक्त पुलिस बल, हेल्प डेस्क और ट्रैफिक नियंत्रण की व्यवस्था की गई है ताकि अभ्यर्थियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

परीक्षा से पहले प्रशासन की अपील

प्रशासन ने सभी अभ्यर्थियों से अनुरोध किया है कि वे समय से पहले परीक्षा केंद्र पहुँचें, क्योंकि सुरक्षा जांच और दस्तावेज़ सत्यापन में अतिरिक्त समय लग सकता है। परीक्षा केंद्र के मुख्य द्वार पर परीक्षार्थियों की सुविधा के लिए सीटिंग अरेंजमेंट बोर्ड भी लगाया जाएगा।

📌 आवश्यक दिशानिर्देश (Mandatory Guidelines)

  • परीक्षा का समय: 2:00 PM – 4:00 PM
  • रिपोर्टिंग समय: 1:00 PM से पहले पहुँचना अनिवार्य
  • AILET Admit Card (प्रिंट कॉपी) और मान्य फोटो ID साथ रखना ज़रूरी
  • इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे मोबाइल, स्मार्टवॉच, कैलकुलेटर वगैरह पूरी तरह प्रतिबंधित
  • केवल ब्लैक/ब्लू बॉल पेन की अनुमति
  • परीक्षा शुरू होने के बाद देर से आने वाले अभ्यर्थियों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा
  • उम्मीदवारों को अनुशासन, शांति और नियमों का पालन करने का निर्देश

 

देहरादून केंद्र पर विशेष व्यवस्था

Doon University के बाहर ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग, पार्किंग व्यवस्था और हेल्प टीम तैनात की जाएगी। प्रशासन ने अभिभावकों से भी अनुरोध किया है कि वे भीड़ न बनाएं और सुचारू प्रवेश प्रक्रिया में सहयोग करें।

यह परीक्षा देश के शीर्ष विधि विश्वविद्यालयों में एडमिशन के लिए आयोजित की जाती है। अभ्यर्थियों में उत्साह के साथ-साथ अंतिम समय की तैयारियों को लेकर हलचल बनी हुई है।

सुप्रीम फैसला आज: बनभूलपुरा में जवानों की फौज तैनात, 29 हेक्टेयर रेलवे जमीन और 4365 घरों की किस्मत का सवाल

बनभूलपुरा के रेलवे भूमि विवाद में बुधवार (आज) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। फैसले से पहले जिला और पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड पर है। क्षेत्र में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती कर दी गई है।

बनभूलपुरा के रेलवे भूमि विवाद में बुधवार (आज) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। फैसले से पहले जिला और पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड पर है। क्षेत्र में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती कर दी गई है। बनभूलपुरा जाने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेड लगाकर चेकिंग की जा रही है। सुरक्षा के मद्देनजर बाहरी लोगों की आवाजाही पर रोक है। स्थानीय लोगों को भी लोकल आईडी दिखाने के बाद ही प्रवेश मिलेगा।पूर्व में यह सुनवाई दो दिसंबर को होनी थी लेकिन समयाभाव के कारण इसे टालते हुए 10 दिसंबर की तारीख मुकर्रर की गई।

बुधवार को दोपहर बाद मामले की सुनवाई होगी। याचिका से जुड़े लोग भी दिल्ली पहुंच गए हैं। इसी दिन इस पर फैसला भी आ सकता है। यह मामला सीधे 4365 मकानों में रह रही बड़ी आबादी से जुड़ा है। बीते साल अतिक्रमण हटाने के दौरान हुई हिंसा के बाद पुलिस और जिला प्रशासन किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पूरी तरह मुस्तैद है। संभावित फैसले से पहले प्रशासन ने क्षेत्र की संवेदनशीलता और तनाव की आशंका को ध्यान में रखकर सुरक्षा व्यवस्था को बेहद कड़ा कर दिया है।
क्या है पूरा मामला
रेलवे ने बनभूलपुरा की गफूर बस्ती, इंदिरा नगर, नई बस्ती और रेलवे पटरी से सटे इलाकों की करीब 29 हेक्टेयर जमीन पर दावा किया है। रेलवे के अनुसार यहां रह रही बड़ी आबादी ने अवैध रूप से निर्माण किया है। स्थानीय लोगों की मानें तो वे लोग यहां 40 से 50 साल से रह रहे हैं। मामले में हल्द्वानी निवासी रविशंकर जोशी ने साल 2022 में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। इस पर कोर्ट ने भूमि को अतिक्रमणमुक्त करने के निर्देश दिए। इसके खिलाफ क्षेत्रीय लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

66 सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करें। आगे की कार्रवाई में शासन प्रशासन का सहयोग करें। शांति व्यवस्था बनाए रखें। अफवाह न फैलाएं। किसी भी तरह की गलत बयानबाजी तथा व्यवधान उत्पन्न करने और कानून व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ने का प्रयास न करें। पुलिस, सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी नजर रखे है। लोग भी किसी भी तरह से गलत हरकत करने से बचें। डॉ. मंजूनाथ टीसी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक


इमाम मोहम्मद आसिम सहित 20 लोग किए गए पाबंद

हल्द्वानी। बनभूलपुरा रेलवे जमीन मामले की सुनवाई को देखते हुए पुलिस ने बिलाली मस्जिद के इमाम मौलाना मोहम्मद आसिम सहित 20 लोगों को निजी मुचलके में पाबंद किया है। मौलाना से पिछले दिनों दिल्ली से आई सुरक्षा एजेंसियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में पूछताछ की थी। बाद में उन्हें छोड़ दिया था। पुलिस का मानना है कि मौलाना की आमजन में पकड़ है। उनके कहने पर भीड़ जमा हो सकती है। इससे पहले एक दिसंबर को 121 लोगों को पाबंद किया गया था। एसपी सिटी मनोज कुमार कत्याल ने बताया कि बवाल की आशंका को देखते हुए पुलिस ने देर शाम तक 15 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। यह संख्या अभी बढ़ सकती है। पकड़े गए लोगों में बनभूलपुरा हिंसा के आरोपी भी शामिल हैं। कहा कि क्षेत्र में चप्पे-चप्पे पर पुलिस का निगरानी तंत्र है। कंट्रोल रूम से भी सीसीटीवी के जरिए पुलिस नजर रख रही है।

बनभूलपुरा में आज बंद रहेंगे स्कूल
हल्द्वानी। रेलवे भूमि मामले की सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई के चलते बुधवार को बनभूलपुरा क्षेत्र के अंतर्गत आने वालीं शिक्षण संस्थाएं बंद रहेंगी। बनभूलपुरा क्षेत्र के अंतर्गत जीआईसी, जीजीआईसी, जूनियर हाईस्कूल, प्राइमरी, अशासकीय विद्यालय महिला गर्ल्स इंटर कॉलेज के अलावा निजी स्कूल भी हैं। सीईओ गोविंद राम जायसवाल ने बताया इन स्कूलों को बुधवार के लिए बंद किया जाएगा। इस संबंध में संबंधित शिक्षण संस्था के प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्य से रिपोर्ट भी लेंगे। इसके अलावा बनभूलपुरा के जो बच्चे बसों के माध्यम से स्कूल जाते हैं, ट्रैफिक रूट डायवर्ट होने के कारण बुधवार को उन स्कूलों में भी अवकाश रहेगा।

अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम भी नहीं खुलेगा
हल्द्वानी। सुप्रीम सुनवाई के चलते बुधवार को अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम गौलापार भी खिलाड़ियों के लिए बंद रहेगा। पुलिस प्रशासन की ओर से हल्द्वानी-गौलापार और शनिबाजार मार्ग को आवाजाही के लिए बंद किया गया है। इससे खिलाड़ियों को काठगोदाम और तीनपानी मार्ग से अतिरिक्त घूमकर आना-जाना होगा। खेल उप निदेशक राशिका सिद्दीकी ने बताया कि बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से स्टेडियम को खिलाड़ियों के प्रशिक्षण और अभ्यास के लिए बुधवार को एक दिन बंद करने का फैसला लिया गया है।

करीब आठ सौ कर्मियों ने संभाली सुरक्षा व्यवस्था
रेलवे जमीन मामले में बुधवार को सुनवाई के बाद आने वाले संभावित फैसले को देखते हुए पुलिस ने सुरक्षा की तैयारियां पूरी कर ली हैं। क्षेत्र में करीब 800 अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती की गई है। मंगलवार को एसपी सिटी मनोज कत्याल ने रेलवे स्टेशन परिसर में सुरक्षा कर्मियों को ब्रीफिंग की। इसके बाद टीम ने ढोलक बस्ती, गफूर बस्ती, लाइन नंबर 17, इन्द्रानगर बड़ी रोड, बिलाली मस्जिद, लाइन नंबर 8, चोरगलिया रोड, ताज चौराहा आदि में मार्च किया। गलियों में तीन से चार किलोमीटर की दूरी तय कर पुलिस फोर्स बनभूलपुरा थाने पहुंची। यहो से उन्हें तैनाती स्थल पर भेजा गया। एसपी सिटी ने कहा कि बनभूलपुरा रेलवे भूमि मामले को लेकर कानून व्यवस्था बनाए रखना प्राथमिकता है। संवेदनशील इलाकों पर पुलिस पैनी नजर रखेगी।

बताया कि सुरक्षा के लिहाज से तीन एएसपी, चार सीओ, 12 थानाध्यक्ष व इंस्पेक्टर, 45 एसआई व एएसआई और 400 कांस्टेबल व हेड कांस्टेबल तैनात रहेंगे। पीएसी की तीन कंपनियां भी तैनात होंगी। इसके साथ ही चार-चार की संख्या में फायर
यूनिट, टियर गैस यूनिट और ड्रोन रहेंगे। वहां एसपी डॉ. जगदीश चंद्रा, एडीएम विवेक राय, एएसपी दीपशिखा अग्रवाल, सिटी मजिस्ट्रेट गोपाल सिंह चौहान, एसडीएम राहुल शाह, सीओ अमित कुमार आदि मौजूद थे।

प्रवेश के लिए आईडी जरूरी… बुधवार सुबह छह बजे से ही बनभूलपुरा क्षेत्र में बिना लोकल आईडी के किसी का भी प्रवेश नहीं होगा। बिना पहचान पत्र मिलने पर पुलिस उस व्यक्ति पर कार्रवाई कर सकती है।

गौला बाईपास से करनी होगी आवाजाही… बनभूलपुरा को जाने वाले सभी मार्गों पर वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है। सभी रूट पर बैरिकेडिंग की गई है। ऐसे में गौलापार, चोरगलिया, सितारगंज, टनकपुर को जाने वाले लोगों को तीनपानी से गौला बाईपास होते हुए आवाजाही करनी होगी।

खुफिया तंत्र सक्रिय… बनभूलपुरा के माहौल की जमीनी हकीकत जानने को खुफिया तंत्र जुट गया है। हर तरह की सूचना एकत्र कर उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट दी जा रही है।

Uttarakhand: हरक सिंह के बयान पर गुरुद्वारा पहुंच हरीश रावत ने मांगी माफी, बोले-मुंह की फिसलन पड़ जाती भारी

पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने कहा कि पूर्व मंत्री हरक सिंह से हुई गलती के लिए गुरुद्वारे में जाकर जूता सेवा की। उन्होंने कहा कि मुंह की फिसलन कभी-कभी बहुत भारी पड़ जाती है।

कांग्रेस नेता हरक सिंह के बयान के बाद सिख समाज में रोष है तो वहीं कांग्रेस भी अपने आप को असहज महसूस कर रही है। सोमवार को कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आढ़त बाजार गुरुद्वारे में पहुंचे और अरदास की। साथ ही उन्होंने जोड़ा सेवा (संगत के जूते रखने का स्थान) भी की। उन्होंने कहा कि जो गलती हुई है हम सिख समुदाय से उसकी माफी मांगते हैं।

सोमवार की शाम पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आढ़त बाजार स्थित गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा पहुंचे। यहां उन्होंने अरदास के साथ ही लंगर सेवा कर प्रसाद ग्रहण किया। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय भारत का एक गौरवशाली, उदार समाज है, ऐसे समाज की सपने में भी अपमान की कल्पना नहीं की सकती।

 

CLAT 2026 : छात्र बोले– पेपर संतुलित, पर लॉजिकल रीजनिंग ने रोका गति

क्लैट-2026 में शामिल छात्रों ने पेपर को संतुलित लेकिन थोड़ा चुनौतीपूर्ण बताया। शहर में इस परीक्षा के लिए उत्तरांचल विश्वविद्यालय एकमात्र परीक्षा केंद्र बनाया गया था, जहाँ कुल 772 उम्मीदवारों ने पंजीकरण कराया था।

छात्रों का कहना था कि अंग्रेज़ी और सामान्य ज्ञान (GK) वाला सेक्शन अपेक्षाकृत सरल रहा, जबकि लीगल और लॉजिकल रीजनिंग ने सोचने पर मजबूर किया। छात्रों ने बताया कि इस बार लॉजिकल रीजनिंग सेक्शन में क्रिकेट की बजाय एनालिटिकल रीजनिंग के अधिक सवाल आए, जो उनके लिए नया अनुभव रहा। वहीं, क्वांटिटेटिव सेक्शन को मध्यम स्तर का बताया गया।
कई छात्रों का मानना था कि प्रश्नपत्र सभी सेक्शन में संतुलित चुनौती देता नजर आया।…

Forest Fires: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जंगल की आग पर विशेषज्ञों से मार्गदर्शन मांगा, अगली सुनवाई 10 दिसंबर को

हर साल सामने आने वाला यह संकट व्यावहारिक निदान की मांग करता है।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में हो रही वनाग्नि से संबंधित एक जनहित याचिका (PIL) पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। पर्यावरणविद् प्रोफेसर अजय रावत को मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होकर वनों को आग से बचाने के उपायों पर न्यायालय को मार्गदर्शन देना था।

हालांकि, नेटवर्क संबंधी समस्याओं के कारण, वह न्यायालय में उपस्थित नहीं हो सके। उन्होंने न्यायालय से अगली सुनवाई की तारीख 10 दिसंबर तय करने का अनुरोध किया। न्यायमूर्ति उपाध्याय ने कहा कि वह 10 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित होकर अपने सुझाव प्रस्तुत करेंगे। न्यायालय ने तदनुसार अगली सुनवाई की तारीख 10 दिसंबर तय की।

सुनवाई के दौरान, न्यायमित्र ने न्यायालय को सूचित किया कि न्यायालय 2021 से उत्तराखंड सरकार को वनों को आग से बचाने के लिए निर्देश जारी कर रहा है। हालाँकि, अभी तक जमीनी स्तर पर कुछ भी लागू नहीं किया गया है।

आग के मौसम में, राज्य के जंगल भीषण रूप से जलते रहते हैं। न्यायालय ने कहा कि पिछले आदेशों का जो भी अनुपालन दिखाया गया है, वह केवल प्रतीकात्मक है। इसमें कहा गया है कि यदि आदेशों को लागू किया गया होता तो 2021 से अब तक जंगल की आग की घटनाओं में कमी आनी चाहिए थी। 

विश्‍वास और आस्‍था से भी हल होती हैं समस्‍याएं- गणित के बहाने राजनाथ सिंह ने ट्रेनी IAS अफसरों को दी सीख

मसूरी की लाल बहादुर शास्‍त्री राष्‍ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 600 से ज्‍यादा ट्रेनी IAS अफसरों से बातचीत की। इस बातचीत में राजनाथ सिंह ने उनसे गणित के बहाने आस्‍था और विश्‍वास पर जोर दिया।

 एक शिक्षक हमेशा शिक्षक ही रहता है। मसूरी की लाल बहादुर शास्‍त्री राष्‍ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यही साबित कर दिया। उनके सामने थे 600 से ज्‍यादा ट्रेनी IAS। राजनाथ सिंह ने उनसे गणित का एक सवाल पूछा, कुछ लोगों ने गलत जवाब दिया। राजनाथ सिंह ने फिर से सोचने को कहा, जब सही जवाब आया तो राजनाथ सिंह ने सवाल को हल करके दिखाया। इसके साथ ही एक सीख भी दी कि आस्‍था और विश्‍वास से समस्‍याओं का हल निकाला जा सकता है।

अकादमी में राजनाथ सिंह ने गणित का एक पूछा, ‘एक व्यक्ति के पास कुछ राशि थी। उसने उसका आधा हिस्सा A को दे दिया, एक-तिहाई B को दे दिया और जो पैसा बचा वह सिर्फ 100 था, जो C को दे दिया गया। बताइए कुल राशि कितनी थी?’

उनका सवाल सुनने के बाद एक ट्रेनी IAS अधिकारी ने जवाब दिया 3000, इस पर राजनाथ सिंह ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘गलत जवाब है, फिर से कोशिश कीजिए। वहां मौजूद एक और ट्रेनी ने जवाब दिया, 600। राजनाथ सिंह ने कहा, बिल्कुल सही।

बाद राजनाथ सिंह ने सरल तरीके से इसका समाधान समझाया। उन्‍होंने कहा, कुल राशि को A मान लेते हैं। माना, A को दी गई राशि = A/2, B को दी गई राशि = A/3, कुल दी गई राशि = A/2 + A/3 = 5A/6, बची राशि = A- 5A/6 = 100, यानी A = 600।

इस समस्‍या का हल समझाने के बाद राजनाथ सिंह ने इसे आस्था और विश्वास से जोड़ा। उन्‍होंने कहा, हालांकि, यह एक मैथमेटिकल प्रॉब्लम है। हमने मान लिया कि कुल राशि A है। कई बार विश्वास और आस्था भी समस्याओं का समाधान ढूंढ लेते हैं।

Haridwar: सीएम धामी की घोषणा, संस्कृत के उत्थान और विकास के लिए गठित होगा उच्चस्तरीय आयोग

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सनातन संस्कृति के इतिहास और वैदिक काल को देखें तो समस्त वेदों, पुराणों और उपनिषदों की रचना संस्कृत में ही की गई है। संस्कृत भाषा अनादि और अनंत है।

उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय की ओर से संस्कृत अकादमी में चल रहे दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन के समापन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संस्कृत के उत्थान और विकास के लिए उच्चस्तरीय आयोग के गठन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा के आधार पर ही प्राचीन मानव सभ्यताओं का विकास संभव हो सका। विश्व की अधिकतर भाषाओं की जड़ें किसी न किसी रूप में संस्कृत से ही जुड़ी हुई हैं।

सोमवार को सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सनातन संस्कृति के इतिहास और वैदिक काल को देखें तो समस्त वेदों, पुराणों और उपनिषदों की रचना संस्कृत में ही की गई है। संस्कृत भाषा अनादि और अनंत है। माना जाता है कि संस्कृत का आविष्कार देवताओं ने किया, इसीलिए इसे देववाणी भी कहा जाता है। 19वीं शताब्दी में जब कुछ विदेशी विद्वान भारतीय ज्ञान परंपरा के संपर्क में आए तब वे ये देखकर आश्चर्यचकित रह गए कि यहां की प्राचीन ऋषि-परंपरा, वेद, उपनिषद, दर्शन, गणित, खगोल, साहित्य और व्याकरण जैसे विषयों का कितना व्यापक और गहरा ज्ञान संस्कृत भाषा में सुरक्षित है।

पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने संस्कृत को द्वितीय राजभाषा घोषित किया है। देवभूमि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही भारतीय ज्ञान परंपरा का एक ऊर्जामय एवं महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।

संस्कृत के महत्व पर चर्चा करते हुए निशंक ने कहा कि संस्कृत मात्र एक भाषा नहीं अपितु यह भारत की आत्मा है। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित सभी संस्कृत प्रेमियों से पूरी निष्ठा एवं लगन से संस्कृत के प्रचार-प्रसार की अपील की। इस मौके पर संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार गैरोला, विदेश मंत्रालय की सचिव डॉ.नीना मल्होत्रा, रानीपुर विधायक आदेश चौहान, विवि के कुलपति प्रो.दिनेश चंद्र शास्त्री, कुलसचिव दिनेश कुमार, डाॅ.सुमन भट्ट, डाॅ.प्रकाश पंत, रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा, दर्जाधारी राज्यमंत्री श्यामवीर सैनी, विवि की पूर्व कुलपति प्रो.सुधारानी पांडे, संस्कृत अकादमी के सचिव प्रो.मनोज किशोर पंत, प्रो.चांद किरण सलूजा, डाॅ.वाजश्रवा आर्य आदि मौजूद रहे।

सीएम ने सुनाए श्लोक
कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि मैंने अपने स्कूल के दिनों में कक्षा नौ तक संस्कृत पढ़ी है। उस समय सीखी गई श्लोक-पंक्तियां, व्याकरण के मूलभूत नियम और संस्कृत की मधुरता आज भी मुझे प्रेरित करती है। उसके बाद बोलने का अभ्यास नहीं रहा और अब समय नहीं मिल पाता। मुख्यमंत्री ने अपनी पढ़ाई के दौरान याद किए संस्कृत के कुछ श्लोक भी सुनाए।

उत्तराखंड में अभी नहीं होगी बारिश, सूखी ठंड बढ़ाएगी मुश्किलें… मुक्तेश्वर से मसूरी तक मौसम का हाल

उत्तराखंड में बदलते जलवायु पैटर्न के चलते नवंबर महीने में भी बारिश नहीं हुई है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार फिलहाल अगले कुछ दिनों तक तापमान में इजाफा हो सकता है। जिस दिन के समय ठंड से राहत रहेगी।

उत्तराखंड में आने वाले दिनों में अभी मौसम शुष्क बना रहेगा। मैदानी क्षेत्र में कोहरा और पर्वतीय इलाकों में पाला पड़ने से लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ गई है। जबकि दिन के समय चटक धूप खिलने की वजह से अधिकतम तापमान में भी बढ़ोतरी हुई है। जिसके चलते दिन के समय ठंड से हल्की राहत मिल रही है। शाम के समय पारे में तेजी से गिरावट आ रही है और रात के समय कड़ाके की ठंड पड़ रही है।

न्यूनतम तापमान में भारी गिरावट के चलते उधम सिंह नगर की रातें मुक्तेश्वर से भी ज्यादा सर्द हो गई है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार फिलहाल अगले कुछ दिनों तक मौसम की मिजाज में परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है। शुक्रवार को देहरादून सहित आसपास के क्षेत्र में चटक धूप खिली रही। जबकि दिन और रात के तापमान में 3 गुना से अधिक का अंतर आ रहा है।

शाम के समय सर्द हवाएं परेशान कर रही है। उधम सिंह नगर का अधिकतम तापमान सामान्य से 3 डिग्री सेल्सियस अधिक और न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया गया। जबकि मुक्तेश्वर का अधिकतम तापमान 18.3 और न्यूनतम तापमान 6.7 डिग्री सेल्सियस रहा। नई टिहरी का अधिकतम तापमान 20.6 और न्यूनतम तापमान 5.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार फिलहाल प्रदेश में मौसम शुष्क बना रह सकता है और तापमान में भी परिवर्तन की कोई आसार नहीं है। उसके बाद पारे में गिरावट आ सकती है। उत्तराखंड के अधिकांश क्षेत्रो में इस साल भी नवंबर महीने में बारिश नहीं हुई है। जिसके चलते सूखी ठंड में परेशान किया हुआ है।

वहीं अभी आने वाले दिनों में भी बारिश की कोई आसान नहीं है। प्रदेश भर में नवंबर महीने में सामान्य रूप से 5.9 एमएम बारिश होती है जबकि इस बार चमोली, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में ही महीने की शुरुआत में हल्की बारिश हुई। अन्य जिलों में बारिश की बूंद भी नहीं गिरी।

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार जलवायु परिवर्तन और मौसम के बदले पैटर्न के कारण इस साल पर बारिश नहीं हुई है। वर्ष 2024 से पहले 2021 और 2016 में नवंबर के महीने में बारिश नहीं हुई थी।

इसकी वजह से मैदानी क्षेत्रों के साथ-साथ पर्वतीय इलाकों में भी सामान्य तापमान में इजाफा दिखाई दे रहा है। शुक्रवार को देहरादून का अधिकतम तापमान सामान्य से चार डिग्री बढ़ोतरी के साथ 27.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि रात का न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री गिरावट के साथ 8.7 डिग्री सेल्सियस रहा।

मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार 4 दिसंबर तक प्रदेश भर में मौसम शुष्क रहेगा। पर्वतीय क्षेत्रों में पाला और मैदानी इलाकों में हल्का कोहरा सुबह और शाम की ठंड में इजाफा कर सकता है।