केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने आज यहां नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में पेट्रोकैमिकल्स और प्लास्टिक प्रसंस्करण उद्योग में प्रौद्योगिकी नवाचार के लिए 10वें राष्ट्रीय पुरस्कार (2019-20) प्रदान किए। इस अवसर पर रसायन एवं पेट्रो रसायन सचिव श्री योगेन्द्र त्रिपाठी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में पुरस्कार विजेताओं के अलावा वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, उद्योगों के प्रतिनिधि, विद्वान और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
अप्रैल 2007 में घोषित राष्ट्रीय पेट्रोकैमिकल्स नीति के अनुरूप भारत सरकार के रसायन एवं पेट्रोकैमिकल्स विभाग ने पोलीमेरिक मेटीरियल, उत्पादन तथा राष्ट्रीय और सामाजिक महत्व के प्रसंस्करण क्षेत्रों में श्रेष्ठ नवाचार और खोज करने वाले लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए एक पुरस्कार योजना शुरू की थी। इसका मुख्य लक्ष्य पेट्रोकैमिकल्स उद्योग का पारिस्थितिकी अनुरूप प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल कर वैश्विक प्रतिस्पर्धा वाले उद्योग के रूप में विकास करना था। प्रौद्योगिकी नवाचार के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों की इस योजना को लागू करने की जिम्मेदारी डीसीपीसी के तहत काम करने वाले स्वायत्तशासी संगठन सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकैमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीईटी) को सौंपी गई थी।
इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि भारत वैश्विक तौर पर पेट्रोकैमिकल्स उद्योग का केन्द्र बनने की संभावना रखता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का जोर आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत पीएलआई योजना के जरिये फार्मास्युटिकल, दूरसंचार एवं नेटवर्किंग उपकरण, ऑटोमोबाइल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल्स, चिकित्सा उपकरण, कपड़ा आदि जैसे क्षेत्रों में इसके इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना है। इससे देश में रसायनों और पेट्रोकैमिकल उत्पादों की मांग में वृद्धि होगी।
श्री गौड़ा ने कहा कि रसायन और पेट्रोकैमिकल क्षेत्र, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के देश को जल्द से जल्द पांच खरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के दृष्टिकोण को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरा है। उन्होंने बताया कि रसायन और पेट्रोकैमिक विभाग इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिए असम, मध्य प्रदेश, ओडिसा, तमिलनाडु और झारखंड राज्यों में सरकारों के साथ समन्वय से 6 प्लास्टिक पार्क स्थापित करने जैसे बहुत से उपाय कर रहा है। इनमें से मध्य प्रदेश में दो पार्क स्थापित करने की योजना है। इससे प्लास्टिक प्रसंस्करण उद्योगों को, जिनमें से अधिकतर एमएसएमई क्षेत्र में हैं, मजबूत करने और उन्हें स्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी, ताकि वे भविष्य में वैश्विक मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बन सकें।
श्री गौड़ा ने इस बात को रेखांकित किया कि पेट्रोकैमिकल्स क्षेत्र में प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मंत्रालय ने राष्ट्रीय पुरस्कार और उत्कृष्टता केन्द्र एवं प्लास्टिक पार्क योजना शुरू की है तथा वह भारतीय नवोन्मेषियों और अनुसंधान संगठनों को प्रोत्साहित कर रहा है। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकैमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीईटी) ने पिछले वर्षों में इस योजना को सफलतापूर्वक लागू किया है। इस योजना ने न सिर्फ गंभीर अनुसंधानकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया है, बल्कि युवा मानस को भी अनुसंधान कार्य को करियर विकल्प के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है।
10वें राष्ट्रीय पुरस्कारों के तहत 2019-20 के लिए 273 नामांकन प्राप्त हुए, जिनमें से अंत में चार का विजेता के रूप में और 9 का उपविजेता के तौर चयन किया गया।
विजेताओं का विवरण –
- “पॉलिमर सामग्री में नवाचार” की श्रेणी के तहत “प्रेपरेशन एंड स्केलअप ऑफ डिसइंटेंगल्ड अल्ट्राहाई मॉलिक्यूलर वेट पॉलीथाइलीन: ए मेटीरियल इलेवन टाइम्स स्ट्रांगर देन स्टील” विषय पर अनुसंधान के लिए सीएसआईआर- नेशनल केमिकल लेबोरेटरी, पुणे के डॉ. समीर एच. चिक्काली और श्री रवींद्र पी. गोटे, डॉ. दीपा मंडल, डॉ. केतन पटेल श्री कृष्णरूप चौधरी, डॉ. सीपी विनोद, डॉ. आशीष के. लेले ।
- “पॉलिमर उत्पादों में नवाचार श्रेणी के तहत इंडिजनस डेवलपमेंट ऑफ पोलिमर – सिरेमिक बेस्ड पोरस बेड फॉर सेपरेशन ऑफ मिक्सड आयन एक्सचेंज रेजिंस” विषय के लिए सिपेट: एसएआरपी, एलएआरपीएम, भुवनेश्वर के डॉ. स्मिता मोहंती और डॉ. अक्षय कुमार पलाई, श्री सागर कुमार नायक, श्री स्मृति रंजन मोहंती।
- मेसर्स शिबौरा मशीन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, चेन्नई को “पॉलिमर प्रोसेसिंग मशीनरी, इक्विप्मेंट्स, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन में नवाचार” की श्रेणी के तहत मल्टी कलर / मटेरियल इंजेक्शन मोल्डिंग मशीन एंटी-काउंटरफिट आर्टिकल प्रोडक्शन के लिए”।
- डॉ. लिजिमोल फिलिपोज पम्पाद्याथिल, श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम, केरल, को “चिकित्सा और औषधि अनुप्रयोगों में पॉलिमर” की श्रेणी के तहत नवाचार के लिए ऑर्थोपेडिक अनुप्रयोगों के लिए सीटू पोलीमराइज़ेबल ओलिगोमर आधारित जैव-सक्रिय, रेडियोपैक, नॉन-साइटोटोक्सिक, बॉन सीमेंट के विकास करने के लिए”।
उपविजेताओं का विवरण : –
1. ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड, हैदराबाद के डॉ. के. वी. गोविंदराजन और श्री के. प्रेमचंद, श्रीमती तनु श्रीवास्तव को पॉलिमर सामग्री में नवाचार “की श्रेणी के तहत “फ्लोरोनेटेड टॉप कोट अलौंग विद हीट रेसिस्टेंट प्राइमर्स फॉर इंडियन सुपरसोनिक मिसाइल्स एंड हाइपरसोनिक व्हीकल्स के लिए विकसित किए गए हीट पॉलीमर” के लिए।
2) रक्षा सामग्री और भंडार अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (डीएमएसडीई), डीआरडीओ, कानपुर के डॉ. दिब्येंदु शेखर बाग और डॉ. गोवर्धन लाल, श्री राजकुमार, डॉ. दुर्गेशनाथ त्रिपाठी, डॉ. एन. ईश्वर प्रसाद को “पॉलिमर उत्पादों में नवाचार” की श्रेणी के तहत” प्रोडक्ट डेवलपमेंट अपग्रेडेशन ऑफ मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस टेक्नोलॉजी, सार्टिफिकेशन एंड फ्रीफ्लो बल्क प्रोडक्शन ऑफ पीक लाइटिनिंग इंसुलेटर पाइप्स फॉर लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए-एमके-1, तेजस) के लिए।
3) मेसर्स मिल्क्रॉन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, अहमदाबाद को पॉलिमर प्रोसेसिंग मशीनरी, इक्विप्मेंट्स, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन में नवाचार की श्रेणी के तहत “क्यू-सीरीज़ 280 मोनो सैंडविच मशीन” के विकास के लिए।
4) सीएसआईआर-सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट, चेन्नई के डॉ. एन.आर. कामिनियंद डॉ. एन. अय्यादुरई, डॉ. एम. आरती, श्री जॉर्ज एस. एंटनी को “पॉलीमर वेस्ट के प्रबंधन में नवाचार” के तहत “गैर-पारंपरिक खमीर द्वारा बहुलक पदार्थों की बायोडिग्रेडेशन” संबंधी अनुसंधान के लिए।
5) मेसर्स बालासोर केमिकल्स, बालासोर और सीआईपीईटी: एसएआरपी-एलएआरपीएम, भुवनेश्वर की डॉ. स्मिता मोहंती को “ग्रीन पॉलिमर सामग्री और उत्पादों में नवाचार” की श्रेणी के तहत “पॉलीविनाइल क्लोराइड (पीवीसी) और इको-फ्रेंडली प्रेपरेशन मैथड देअरऑफ” के लिए।
6) मेसर्स रे कलर्स, आनंद को “कृषि और जल संरक्षण में पॉलिमर” की श्रेणी में “एलग्रोनिक्स – द एंटी-एल्गे मास्टरबैश फॉर ग्रीनहाउस फिल्मस के लिए।
7) सीएसआईआर-आईआईसीटी, हैदराबाद के डॉ. एस. श्रीधर और डॉ. निवेदिता साहू, श्री दिलीप कुमार फोतेदार, श्री भद्राचलम नरकुटी, श्रीमती भोग अरुंधति को पॉलिमर इन मेडिकल एंड फार्मास्युटिकल एप्लिकेशन की श्रेणी में दवा, डिस्टलरी, मेडिकल और सेमीकंडक्टर अनुप्रयोगों के लिए टाइप-1 और टाइप-2 के शुद्ध जल और स्वदेशी और सस्ती पॉलिमर मेम्ब्रेन-रेजिन एकीकृत डिवाइज के उत्पादन के लिए।
8) मेसर्स रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, वडोदरा को इनोवेशन इन पेट्रोकैमिकल्स एंड न्यूअर पॉलीमर्स एप्लिकेशंस श्रेणी के तहत “डेवलपमेंट ऑफ क्लोरिनेटिड पॉलिविनाइलक्लोराइड (सीपीवीसी) विद सुपीरियर मैकेनिकल एंड थर्मलप्रोपटीज प्रोडयूस्ड बाई विजिबल ब्ल्यू लेड लाइट मीडिएटिड फोटोक्लोरिनेशन इन वाटर” के लिए।
9) रक्षा सामग्री और भंडार अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (डीएमएसआरडीई), डीआरडीओ, कानपुर की डॉ. आकांशा दीक्षित को किसी अकादमिक संस्थान/अनुसंधान प्रयोगशाला में अनुसंधान छात्र के रूप में पॉलिमर साइंस एंड टेक्नोलॉजी श्रेणी के तहत “स्मार्ट-अनुप्रयोगों के लिए स्व-चिकित्सा उपचार और हाइड्रोजेल का विकास” के लिए।