news web media Uttarakhand : 30 अप्रैल से होने वाले कैंट बोर्ड के चुनाव पर रोक लगाने से हाईकोर्ट ने साफ इंकार कर दिया है। कैंट बोर्ड के चुनाव में नियमों को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें कि जस्टिस शील नागू व जस्टिस विशाल मिश्रा की डिवीजन बेंच ने कैंट बोर्ड के अध्यक्ष, सीईओ वा अध्यक्ष के नॉमिनी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। बता दें कि यह याचिका कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष द्वारका प्रसाद वर्मा ने दायर कर चुनाव से जुड़े नियम 16(4) को चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ता कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष द्वारका प्रसाद वर्मा की तरफ से पैरवी करते हुए एडवोकेट पंकज दुबे ने बताया कि इस नियम के तहत मतदाता सूची में नाम जोड़ने के आवेदनों पर अध्यक्ष या उसके नॉमिनी को सुनवाई का अधिकार है, दलील यह भी दी गई है कि यदि आवेदन पर नॉमिनी सुनवाई करते हैं तो उसकी अपील पर अध्यक्ष कैसे सुनवाई कर सकता है। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट तो यह भी बताया कि कैंट बोर्ड में रहने वाले बहुत से मतदाताओं की सूची से नाम भी काट दिए गए हैं।
केंद्र की तरफ से हाईकोर्ट में असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल पुष्पेंद्र यादव उपस्थित हुए थे। उन्होंने कोर्ट को बताया कि 13 और 14 मार्च को आवेदनों पर अध्यक्ष ने ही सुनवाई की है ऐसे में चुनाव पर रोक लगाने की मांग ठीक नहीं है। याचिकाकर्ता ने मतदान रविवार को निर्धारित करने को भी चुनौती दी है। मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी।
एक-दो साल के टल सकते हैं चुनाव
उधर, चुनाव की सरगर्मी के बीच राजनीतिक दलों के नेता तैयारियों में जुटे हैं। लेकिन, अचानक चुनाव टलने की चर्चा ने उनकी चिंताएं बढ़ा दी हैं। सूत्रों के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय कैंट बोर्ड के चुनाव को एक-दो साल के लिए टाल सकता है।
एक-दो दिन में आधिकारिक पत्र भी कैंट बोर्ड के पास आ सकता है। इसकी बजह कैंट बोर्ड की माली हालत ठीक नहीं होने, कैंट बोर्ड एक्ट में संशोधन और सिविल क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल करने की योजना इसकी वजह बताई जा रही है।