उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आस-पास के इलाकों में काफी तबाही हुई है। इस आपदा में तपोवन-रैणी क्षेत्र में स्थित ऊर्जा परियोजना में काम करने वाले करीब 202 कर्मी के लापता हैं। ग्लेशियर टूटने के चलते अलकनंदा और धौली गंगा उफान पर हैं। ऋषिगंगा प्रोजेक्ट की सुरंग में फंसे लोगों को निकालने का अभियान दूसरे दिन सोमवार देर रात तक जारी रहा। सुरंग में फंसे श्रमिकाें को निकालने सहित आसपास के क्षेत्र में राहत कार्य के लिए स्थानीय पुलिस के साथ ही सेना,आईटीबीपी, एनडीआरएफ सहित एसडीआरएफ के बहादुर जवान मौके पर डटे हुए हैं।
लेकिन, चिंता की बात है कि जिस सुरंग में करीब 30-35 श्रमिक फंसे हुए हैं वह करीब एक मीटर लंबी है। करीब 48 घंटों के बाद ही सुरंग की 120 मीटर खुदाई हो पाई है। सुरंग से मलबा हटाने के लिए जेसीबी ही एकमात्र विकल्प है। रातभर चले रेस्क्यू ऑपरेशन में अंधेरी सुरंग में जिन्दगी बचाने को जद्दोजहद जारी रही। श्रमिकों से संपर्क न हो पाना भी एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है। लेकिन, ग्राउंड जीराे पर डटे बहादुर जवान जिंदगी बचाने के लिए कोई कमी कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बताया गया है कि करीब 180 मीटर सुरंग से गाद व मलबा हटाने के बाद टी-प्वाइंट आएगा, जिसके बाद फंसे श्रमिकों को आसानी से बचाया जा सकेगा। फिलहार, राहत कार्यों में जुटे अधिकारियों का कहना है कि सुरंग में से मलबा व गाद हटाने का काम युद्धस्तर से जारी है।