प्रदेश के सरकारी और अशासकीय स्कूलों में आज से वार्षिक गृह परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। आरटीई के तहत सरकारी अशासकीय स्कूलों में कक्षा एक से 8वीं तक के छात्र-छात्राओं से ट्यूशन फीस नहीं ली जाती लेकिन वार्षिक गृह परीक्षाओं के प्रश्नपत्र के नाम पर विभाग की ओर से अलग-अलग कक्षाओं के लिए अलग-अलग फीस तय की गई है।
प्रदेश के अशासकीय स्कूलों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) को ताक पर रखकर कक्षा 6 से 8वीं तक के हजारों छात्र-छात्राओं से वार्षिक परीक्षाओं की फीस ले ली गई है। गृह परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों के नाम पर प्रति छात्र 10 से 12 रुपये लिए गए हैं।
आरटीई के तहत सरकारी और अशासकीय स्कूलों में कक्षा एक से 8वीं तक के छात्र-छात्राओं से ट्यूशन फीस नहीं ली जाती लेकिन वार्षिक गृह परीक्षाओं के प्रश्नपत्र के नाम पर विभाग की ओर से अलग-अलग कक्षाओं के लिए अलग-अलग फीस तय की गई है। विभिन्न जिलों की जनपदीय परीक्षा समिति की ओर से यह फीस तय की गई है।
हरिद्वार जिले की जिला परीक्षा समिति ने कक्षा 6 से 8वीं में प्रश्नपत्र के लिए 10 रुपये प्रति छात्र फीस तय की है। जबकि 9वीं और 11वीं में प्रति छात्र 12 रुपये फीस तय की गई है। पौड़ी जिले में कक्षा 6 से 8वीं तक 12 रुपये फीस है। टिहरी जिले में भी 6 से 11वीं तक के छात्रों से वार्षिक फीस ली गई है।
उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा के मुताबिक सरकारी स्कूलों के 8वीं तक के छात्रों से परीक्षा फीस नहीं ली जा रही है। जबकि अशासकीय स्कूलों में इसे जमा कराया जा रहा है। हरिद्वार जिले में शिक्षकों के विरोध के बाद मुख्य शिक्षा अधिकारी केके गुप्ता ने फिलहाल फीस वसूली पर रोक लगा दी है।
फीस वसूली के आदेश रद्द
उनका कहना है कि इस संबंध में महानिदेशालय से स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा विभिन्न जिलों में मुख्य शिक्षा अधिकारियों की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं कि वार्षिक परीक्षा प्रश्नपत्रों के लिए नकद पैसा जमा किया जाए। दूसरी ओर, देर शाम पौड़ी जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी ने फीस वसूली के आदेश को रद्द कर दिया।
बेटी के विवाह के चलते मैं अवकाश पर था। इस दौरान डीईओ बेसिक एसपी सिंह के पास प्रभारी सीईओ का प्रभार था। उनकी ओर से कक्षा 6 से 8 तक के प्रश्नपत्रों के लिए शुल्क लिए जाने का आदेश किया गया। इसे संशोधित किया जाएगा। आरटीई के तहत 8वीं तक के छात्रों से फीस न लेने का आदेश है, इनकी छात्रों की फीस सरकार वहन करती है। इसके बाद भी यदि किसी प्रधानाचार्य ने फीस ले ली तो इसे छात्रों को लौटाया जाएगा।