वाराणसी ज्ञानवापी मामले में बड़ा फैसला, व्यास तहखाने में 31 साल बाद मिली पूजा की इजाजत

News web media Uttarakhand : ज्ञानवापी-काशी विश्वनाथ मंदिर विवाद में वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट ने बुधवार को बड़ा फैसला दिया है। 31 साल बाद ज्ञानवापी के तहखाने में व्यास परिवार को पूजा का अधिकार मिल गया है। कोर्ट ने कहा कि सात दिन के अंदर व्यास परिवार पूजा पाठ कर सकता है। डीएम के निर्देश पर पुजारी की नियुक्ति भी जाएगी।

हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी के तहखाना में पूजा-पाठ करने की मांग की थी। तहखाने को व्यास जी का तहखाना भी कहा जाता है। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

31 साल से बंद है पूजा पाठ
हिंदू पक्ष के वकील एडवोकेट सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि हमने 25 सितंबर 2023 को वाराणसी की अदालत में याचिका दायर की थी कि सोमनाथ व्यास परिवार के ‘तहखाने’ के संबंध में एक जिला मजिस्ट्रेट को रिसीवर बनाया जाए, ताकि वहां कोई अतिक्रमण न हो और न ही तहखाना को कोई नुकसान न हो। साथ ही, 1993 तक यहां होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों को फिर से शुरू किया जाए। व्यासजी समेत परिवार 1993 तक तहखाने में पूजा पाठ करता था। 1993 के बाद तत्कालीन राज्य सरकार के आदेश पर तहखाने में पूजा पाठ बंद कर दिया गया था।

उन्होंने बताया कि जिला न्यायालय ने 17 दिसंबर को आदेश पारित किया था और जिला मजिस्ट्रेट को रिसीवर नियुक्त किया था। लेकिन 30 जनवरी को मुस्लिम पक्ष ने हमारी मांग पर आपत्ति जताई थी। हमने सभी संबंधित साक्ष्य जमा कर दिए थे।

डीएम के पास है तहखाने की चाबी
17 जनवरी को व्यासजी के तहखाने को जिला जज के आदेश पर जिला प्रशासन ने कब्जे में लिया था। डीएम के पास इस समय तहखाने की चाबी है। वकील विष्णु शंकर जैन और सुधीर त्रिपाठी ने आशंका जताई थी कि मुस्लिम पक्ष के लोग वहां कब्जा कर सकते हैं, क्योंकि काफी साल से तहखाने में कोई पूजा करने नहीं गया। अब उस जगह पर फिर से पूजा शुरू करानी चाहिए।

क्या है मुस्लिम पक्ष का तर्क?
ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा पाठ के अधिकार की मांग वाली याचिका पर अंजुमन इंतेजामिया ने आपत्ति जताई थी। जिला जज डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में मुमताज अहमद, एखलाक अहमद ने कहा कि व्यासजी का तहखाना मस्जिद का पार्ट है। पूजा पाठ की अनुमति नहीं दी जा सकती है। यह वाद विशेष पूजा अधिनियम से बाधित है। लिहाजा चलने योग्य नहीं है। वक्फ बोर्ड की संपत्ति है, इसलिए पूजा पाठ की अनुमति न दी जाए। लेकिन अदालत ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों को खारिज कर दिया।

 

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