देहरादून में झंडा मेला शुरू, श्री झंडेजी के आरोहण के साथ शुरू हुए कार्यक्रम

News web media Uttarakhand :  उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में शनिवार को श्री झंडेजी के आरोहण के साथ ऐतिहासिक झंडा मेला शुरू हो गया। यह 17 अप्रैल तक चलेगा। सुबह से ही श्रीझंडेजी के आरोहण के लिए दरबार साहिब में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह सात बजे से पूजा की प्रक्रिया शुरू हुई और झंडे जी पर गिलाफ चढ़ाने का काम शुरू हो गया। इस बार पंजाब के होशियारपुर निवासी हरभजन सिंह पुत्र हरिसिंह को दर्शनी गिलाफ चढ़ाने का अवसर मिला है।

बड़ी संख्या में दून पहुंच रहे लोग

मेले को लेकर देशभर से कई संगतें दून पहुंची हैं। दोपहर बाद श्रीझंडेजी के आरोहण की प्रक्रिया शुरू होई। महंत देवेंद्र दास महाराज ने कहा कि, जो व्यक्ति गुरु के बताए मार्ग पर चलता है। उसे पृथ्वी पर ही स्वर्ग की अनुभूति हो जाती है। इस दौरान संगतों ने श्रीगुरुराम राय महाराज के शबद का सिमरन किया। वहीं, श्रीझंडेजी मेले से पहले शुक्रवार को दरबार साहिब से पूरब की संगतों की विदाई की गई। मेले के सह व्यवस्थापक विजय गुलाटी ने बताया कि मेले की परंपरा के अनुरूप श्रीझंडेजी के आरोहण से पहले पूरब की संगत को पगड़ी, ताबीज और प्रसाद वितरित कर विदा किया गया।

दून की सड़कों पर उमड़ा जन सैलाब

श्रीझंडेजी के आरोहण से पूर्व श्रीदरबार साहिब में और दून की सड़कों पर श्रद्धालु उमड़ पड़े। श्रीदरबार साहिब से स्कूल-कॉलेज की संगतें लगातार पहुंचती रहीं। सहारनपुर रोड पर कई जगह भंडारे आयोजित किए गए। इनमें बड़ी संख्या में संगतों ने प्रसाद ग्रहण किया। मेले के दौरान श्रीदरबार साहिब में आठ बड़े और चार छोटे लंगर लगाए गए हैं। इसके साथ ही श्रीझंडेजी मेले के दौरान श्रीदरबार साहिब परिसर में पांच एलईडी स्क्रीन लगाई गई है। यहां 42 सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।

श्री झंडे जी मेले का ये है पौराणिक इतिहास 

सिखों के सातवें गुरु श्री गुरु हर राय जी के बड़े बेटे श्री गुरु राम राय जी का जन्म होली के पांचवें दिन 1646 में चैत्रवदी पंचमी को हुआ था. साल 1676 में श्री गुरु राम राय जी दून घाटी में आए थे. उस दौरान गढ़वाल नरेश फतेहशाह ने उन्हें तीन गांव खुदबुड़ा, राजपुर और चामासारी दान किए थे. इसके बाद फतेह शाह के पोते प्रदीप शाह ने भी धामावाला, मियां वाला, पंडितवाड़ी और छतरावाला उन्हें दान किए थे. कहा जाता है कि श्री गुरु राम राय जी महाराज ने दून में डेरा डाला था, इसीलिए इस जगह का नाम देहरादून पड़ा. इसके साथ ही श्री गुरु राम राय जी महाराज के जन्मदिन पर हर साल श्री झंडा जी मेले की शुरुआत हुई. कहा जाता है कि इसी दिन महाराज जी देहरादून भी पहुंचे थे, इसलिए उनकी याद में श्री झंडा जी को चढ़ाया जाता है.

ये है झंडे जी की खासियत

इस साल श्री झंडा जी के ध्वजदंड की लंबाई 86 फीट और मोटाई 30 इंच है. परंपरा के अनुसार झंडा जी में तीन तरह के गिलाफ चढ़ाए जाते हैं. इसमें सबसे नीचे सादा गिलाफ चढ़ता है. इसके ऊपर सनील गिलाफ होता है, जिनकी संख्या 20 से 50 होती हैं. इस गिलाफ को चढ़ाने के लिए श्री दरबार जी महाराज में बुकिंग करने पर करीब 25 साल के दौरान संगत का नंबर आता है. सबसे ऊपर दर्शनी गिलाफ चढ़ाया जाता है, जिसके लिए श्री दरबार जी महाराज में दरख्वास्त करने पर करीब 100 साल बाद इसे चढ़ाने का मौका मिलता है. इस साल पंजाब के हरभजन सिंह द्वारा दर्शनी गिलाफ चढ़ाया जाएगा. करीब 104 साल पहले हरभजन के परिजनों ने इसके लिए बुकिंग करवाई थी. दर्शनी गिलाफ चढ़ाने के लिए साल 2132 तक के लिए बुकिंग हो चुकी है.

17 अप्रैल तक चलेगा झंडे जी मेला

वैसे तो श्री दरबार जी महाराज में लगने वाले झंडे मेले के लिए देश भर से संगतें आती हैं. लेकिन खासतौर पर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और राजस्थान की सबसे ज्यादा संगतें यहां पहुंचती हैं. झंडे जी का मेला करीब एक महीना चलता है. इस बार आज को श्री झंडे जी का भव्य आरोहण किया जाएगा. 17 अप्रैल को रामनवमी के साथ श्री झंडे जी का मेला संपन्न होगा.

 

 

 

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