समान नागरिक संहिता कानून लागू करने वाला पहला राज्य होगा उत्तराखंड, विधानसभा से पास हुआ यूसीसी विधेयक

News web media uttarakhand : उत्तराखंड विधानसभा ने आज इतिहास रच दिया है। विधानसभा के विशेष सत्र में समाननागरिक संहिता का विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया है। अब बिल पर राज्यपाल का साइन होते ही यह कानून बन जाएगा। यूसीसी कानून लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा।

समान नागरिक संहिता बिल पर मंगलवार को शुरू हुई चर्चा बुधवार को भी जारी रही। सत्ता पक्ष के ज्यादातर सदस्यों ने बिल की खूबियां गिनाते हुए इसे ऐतिहासिक करार दिया। जबकि विपक्षी विधायकों ने बिल में त्रुटियां गिनाते हुए इसे प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की। शामं को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के भाषण के बाद मुख्यमंत्री ने बिल पास करने का प्रस्ताव पढ़ा जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। बिल पास होते ही पूरा सदन जय श्री राम के नारों औऱ तालियों से गूंज उठा। इसके अलावा उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को नौकरी में 10 पीसदी क्षैतिज आरक्षण देने का बिल भी ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसी के साथ विधानसभा का सत्र अनिश्चतिकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।

इससे पहले मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल कोई आम विधेयक नहीं है। आज उत्तराखंड को इतिहास बनाने का मौका मिला है, जिसके कारण आज उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को लागू कर दिया जाएगा। सीएम धामी ने कहा यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को विस्तार से बनाया गया है. इसमें कई लोगों के सुझाव लिये गये हैं। उन्होंने बताया माणा गांव से इसकी शुरुआत हुई थी। इसमें तमाम राजनैतिक दलों को भी शामिल किया गया। यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल उत्तराखंड के जन गण मन की बात है। ये कानून सबको एक रुपता में लाने का काम करता है। सीएम धामी ने कहा हम समरस समाज का निर्माण करने की ओर बढ़ रहे हैं।

सीएम ने कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विकसित भारत का सपना देख रहे हैं। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रही है। उनके नेतृत्व में यह देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर है। समान नागरिक संहिता का विधेयक पीएम द्वारा देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश द्वारा अर्पित की गई एक आहुति मात्र है। समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है। हमनें संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत वर्णित हमारी अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा है, जिससे उन जनजातियों का और उनके रीति रिवाजों का संरक्षण किया जा सके। यह महिला सुरक्षा तथा महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण अध्याय है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *