उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज को मिली नए सत्र में प्रवेश की अनुमति

उत्तराखंड में निजी क्षेत्र में 2001 से स्थापित प्रथम आयुर्वेदिक कॉलेज राजपुर रोड स्थित उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज को बीएएमएस एवं एमडी आयुर्वेद पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु 60 सीटों के प्रवेश हेतु आयुष मंत्रालय ने मान्यता प्रदान कर दी है। जिसमें आयुर्वेद, स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में अभ्यर्थियों को प्रवेश का मौका मिलेगा।
उक्त जानकारी देते हुए कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सत्य मानव दयाल शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद में भविष्य बनाने के प्रति युवाओं में क्रेज बढ़ा है। सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित भवन अस्पताल एवं सुरम्य घाटी में स्थित उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज में प्रवेश हेतु अभ्यर्थी उत्साहित है। नीट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को संस्था में नियमानुसार प्रवेश की कार्यवाही 28 फरवरी तक पूर्ण कर ली जाएगी। कॉलेज को द्वितीय चरण की काउंसलिंग में शामिल कर लिया गया है।
उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. सुरेश चौबे ने दी जानकारी में बताया कि राज्य में आयुर्वेदिक कॉलेजों में प्रवेश हेतु प्रथम चरण की काउंसिलिंग पूर्ण हो चुकी है एवं द्वितीय चरण की काउंसिलिंग अंतिम चरण में है। मोप अप राउंड काउंसलिंग 24 से अनंतिम निर्धारित है। डॉ. चौबे ने बताया कि राज्य में 3 राजकीय व निजी क्षेत्र के 9 आयुर्वेदिक कॉलेजों को आगामी सत्र में प्रवेश हेतु मान्यता प्राप्त हुई है।
एक कॉलेज को मान्यता मिलने की संभावना है। अगले प्रवेश प्रक्रिया की घोषणा जल्द ही की जाएगी। विश्ववविद्यालय ने काउंसलिंग शेडयूल में आंशिक फ़ेरबदल किया है। डॉ. चौबे ने बताया कि द्वितीय चरण की काउंसलिंग के उपरांत विगत दिवस विश्वविद्यालय द्वारा मेरिट लिस्ट जारी कर दी जायेगी। जिसमें अभ्यर्थियों को नीट की मेरिट के आधार पर राज्य के विभिन्न आयुर्वेदिक कॉलेजों में दाखिले का मौका मिलेगा। 19 व 20 को अभ्यर्थी अपनी सूची के अनुसार महाविद्यालयों का चयन (choice filling) कर सकेंगे। उपलब्ध सीटों के आधार पर 22 को विश्वविद्यालय द्वारा सीटें आवंटित कर परिणाम घोषित किया जाएगा। आवंटित सीटों पर अभ्यर्थी 23 व 24 फरवरी को प्रवेश प्राप्त कर सकेंगे।
उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज के एमडी एवं उत्तराखंड मेडिकल कॉलेज एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ अश्विनी काम्बोज ने आयुष मंत्रालय एवं सी.सी.आई.एम नई दिल्ली का आभार प्रकट करते हुए कहा कि इस वर्ष को महामारी के चलते आयुर्वेदिक पाठ्यक्रम का सत्र विलंबित हुआ है। प्रतिवर्ष 30 अक्टूबर उक्त प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाती थी, परंतु कोरोना के चलते इस वर्ष आयुष कॉलेजों में नए सत्र का शिक्षण-प्रशिक्षण मार्च 2021 से प्रारंभ होगा। डॉ. कांबोज ने बताया कि राज्य के कुछ कॉलेजों को अभी भी प्रवेश की अनुमति प्राप्त नहीं हुई है। उनको भारत सरकार द्वारा शीघ्र अनुमति मिलने की संभावना है। ऐसे कॉलेजों में रिक्त सीटों के लिए अलग से काउंसलिंग हेतु भारत सरकार को एसोसिएशन के माध्यम से पत्र प्रेषित किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा एवं केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद नई दिल्ली द्वारा उत्तराखंड के आयुष कॉलेजों में नए सत्र में प्रवेश हेतु निजी क्षेत्र के 9 कॉलेजों को मान्यता प्रदान करते हुए सूची जारी कर दी है। इनके अतिरिक्त राज्य के तीन राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज व गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज (हरिद्वार) एवं आयुर्वेद विश्वविद्यालय मैन केंपस हर्रावाला देहरादून को भारत सरकार ने पूर्व में ही मान्यता प्रदान कर दी थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के जिन 9 निजी कॉलेजों को मान्यता मिली है, उनमें पतंजलि आयुर्वेदिक कॉलेज (100 सीट), उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज (60), हिमालय आयुर्वेदिक कॉलेज (60) दून इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (60), क्वाड्रा इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेद(30), मदरहुड आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज(60), शिवालिक इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेद एंड रिसर्च (60), मंजीरा देवी आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज (30), चंदोला होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज (50) सीट शामिल है।
देवभूमि मेडिकल कॉलेज ऑफ आयुर्वेद को भी जल्द मान्यता मिलने की संभावना है। राज्य के तीन कॉलेजों हरिद्वार आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, उत्तरांचल युनानी मेडिकल कॉलेज एवं आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज को कोर्ट के आदेश से मान्यता प्राप्त होने की जानकारी मिली है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार तीन कॉलेजों बिहाइव मेडिकल कॉलेज, विशंभर सहाय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं परम हिमालयन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज को मान्यता मानक (टीचिंग फैकल्टी) पूरे न किए जाने पर रद्द कर दी गई है।

जल जीवन मिशन के तहत एक उपलब्धि हासिल करते हुए 3.5 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान किए गए 1 जनवरी, 2021 तक 50 लाख से ज्यादा कनेक्शन मुहैया कराए गए

वर्ष 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को जल नल कनेक्शन मुहैया कराने के लक्ष्य के साथ 15 अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित जल जीवन मिशन ने एक और उपलब्धि हासिल कर 3.53 करोड़ ग्रामीण परिवारों को जल नल कनेक्शन मुहैया करा दिए हैं। 15 अगस्त, 2019 को कुल 18.93 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से मात्र 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) परिवारों के पास यह कनेक्शन थे। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के अथक प्रयासों के बाद जल जीवन मिशन के तहत 3.53 करोड़ परिवारों को यह कनेक्शन दिए गए। इसके साथ ही 52 जिलों और 77 हजार गांवों में रहने वाले हर परिवार को अपने घरों में यह कनेक्शन दिए गए हैं। अब 6.76 करोड़ (35.24 प्रतिशत) यानि एकतिहाई से ज्यादा ग्रामीण परिवारों को नल से पेयजल मिल रहा है। गोवा देश का पहला राज्य बन गया है,जहां शत-प्रतिशत परिवारों को जल नल कनेक्शन दिए जा चुके हैं। इसके बाद तेलंगाना का स्थान है। विभिन्न राज्य/केंद्रशासित प्रदेश अब इस मामले में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं और इस बात को सुनिश्चित कर रहे हैं कि देश के हर परिवार को सुरक्षित पेयजल प्रदान किया जाए। यह कार्य समानता और समावेशिता के सिद्धान्त के आधार पर किया जा रहा है।

जल जीवन मिशन राज्यों के साथ भागीदारी में चलाया जा रहा है और इसका उद्देश्य प्रत्येक परिवार को पर्याप्त मात्रा में और उचित गुणवत्ता वाला पेयजल नियमित और दीर्घकालिक आधार पर मुहैया कराया जाना है। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने प्रारंभिक दृष्टिकोण के अनुरूप व्यापक योजना तैयार की और इसी के अनुरूप प्रत्येक ग्रामीण परिवार को जल नल कनेक्शन मुहैया कराने की कार्य योजना तैयार की गई। इस योजना को लागू करते समय राज्य शुद्ध पेयजल रहित इलाकों, सूखा प्रभावित और रेगिस्तानी इलाकों के गांवों, अनूसूचित जनजाति/अनुसूचित जाति बहुल गांवों महत्वाकांक्षी जिलों और सांसद आदर्श ग्राम योजना वाले गांवों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

जल जीवन मिशन की यह यात्रा अभी तक चुनौतियों और कोविड-19 महामारी के चलते बाधाओं से जूझती रही है। देश के ज्यादातर हिस्सों में लॉकडाउन के कारण सभी प्रकार के विकास और निर्माण कार्य बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। महामारी के खिलाफ जंग में लोगों के लिए सुरक्षा की दृष्टि से लगातार हाथ धोते रहना सबसे महत्वपूर्ण काम बन गया है। फिर भी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सामाजिक दूरी और मास्क पहनने जैसी एहतियातों का पालन करते हुए जल आपूर्ति अवसंरचना तैयार करने के काम में लगे हुए हैं। कोविड-19 के बावजूद लगातार जारी यह काम ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए काफी लाभप्रद रहा है, क्योंकि इसने कोविड के कारण अपने गांवों को लौटे लोगों को रोजगार मुहैया कराया है। जो मजदूर लॉकडाउन के कारण अपने घरों को लौटे वे निर्माण कार्य में कुशल थे। उन्होंने पिछले वर्षों में शहरों में राजमिस्त्री, प्लंबर, फिटर, पंप ऑपरेटर आदि का काम किया था।

जल जीवन मिशन के तहत ऐसे गांवों और इलाकों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना उच्च प्राथमिकता है, जिन इलाकों में शुद्ध जल कि उपलब्धता बहुत कम है। मिशन के तहत प्रयास किया जा रहा है कि ऐसे गांवों और इलाकों में जहां शुद्ध जल की अनुपलब्धता है और जो खासतौर से आर्सेनिक और फ्लोराइड से प्रभावित हैं, उनमें शुद्ध और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जाए। जल जीवन मिशन पेयजल की शुद्धता को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है, जिससे लोगों में जल जनित बीमारियां कम होती हैं और उनका स्वास्थ्य बेहतर होता है। राज्य/केंद्रशासित प्रदेश पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने वाली प्रयोगशालाओं को उन्नत बनाने और उन्हें जनता के लिए खोलने का काम कर रहे हैं ताकि बहुत कम शुल्क पर आम लोग अपने पेयजल के नमूनों की जांच करा सकें।

बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तारीख घोषित, जानें अन्य धामों को खोलने की तिथि कब होगी तय

उत्तराखंड के चारों धामों में से बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तारीख तय हो गई है। चमोली जिले स्थित बदरीनाथ धाम के कपाट 18 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। धाम के कपाट विधि-विधान के साथ प्रात: 4 बजकर 15 मिनट पर खोले जाएंगे। बता दें कि मंगलवार को आज बसंत पंचमी के अवसर पर नरेन्द्रनगर राजदरवार में आयोजित समारोह में बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय हुई है। जबकि, केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि महाशिवरात्रि के दिन उखीमठ में तय की जाएगी। जबकि, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट हर वर्ष अक्षय तृतीया के दिन खुलते हैं।

गौरतलब है कि चारधाम यात्रा पर विगत साल कोरोना का बड़ा असर पड़ा। सभी धामों में पहुंचने वाले कुल श्रद्धालुओं की संख्या 4.48 लाख रही। जबकि यही संख्या पिछली बार रिकॉर्ड 34.10 लाख रही। यही स्थिति धामों की कमाई की भी रही। सालाना 55 करोड़ की कमाई इस बार आठ करोड़ पर सिमट गई है। धामों में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की कम संख्या की स्थिति ये रही कि यमुनोत्री धाम में तो आंकड़ा दस हजार के पास भी नहीं पहुंचा।

यहां इस साल सिर्फ आठ हजार श्रद्धालु ही पहुंचे। जबकि पिछले साल यहां 4.66लाख श्रद्धालु पहुंचे थे। कोरोना के कारण पहले तो इस बार कपाट समय पर नहीं खुले। कपाट खुले, तो श्रद्धालुओं को दर्शन की मंजूरी नहीं दी गई। सिर्फ पूजा पाठ तक गतिविधि सीमित रही। पहले चरण में सिर्फ जिले के भीतर के लोगों को मंजूरी दी गई। दूसरे चरण में राज्य के भीतर के श्रद्धालुओं ने ईपास के जरिए दर्शन किए।

तीसरे चरण में राज्य से बाहर के लोगों को तमाम शर्तों के साथ मंजूरी दी गई। इन बंदिशों और कोरोना के कारण श्रद्धालुओं की संख्या सीमित ही रही। श्रद्धालुओं की इस सीमित संख्या के कारण मंदिरों में दान दक्षिणा, भेंट, चढ़ावा भी सीमित रहा। 55 करोड़ की कमाई का आंकड़ा आठ करोड़ तक सीमित रहा।

धाम 2020 2019 2018 (वर्ष)
गंगोत्री 0.23 4.48 5.30
यमुनोत्री 0.08 4.66 3.94
केदारनाथ 1.35 9.97 7.32
बदरीनाथ 2.75 11.74 10.48
हेमकुंड 0.65 2.40 1.59 (श्रद्धालुओं की संख्या लाख में)

चमोली में त्रासदी:शवों का मिलना जारी,58 में से 31 की हुई पहचान

उत्तराखंड के चमोली जिले में आई आपदा के बाद सुरंग में से शवाें का मिलना लगातार जारी है। एनडीआरएफ,एसडीआरएफ,सेना, आईटीबीपी के जवान कड़ी मेहनत कर राहत व बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं। रैणी-तपोवन क्षेत्र में राहत-बचाव कार्यं को तेजी देने के लिए उन्नत उपकरण भेजे गए हैं। आपदा में लापता लोगों की तलाश के लिए खोजी कुत्ते भी लगाए गए हैं। आपदा के बाद 58 लाशों में से 31 की पहचान की जा चुकी है। डीआईजी, एसडीआरएफ रिद्धिम अग्रवाल ने कहा कि लापता लोगों की तलाश युद्ध स्तर से की जा रही है जबकि, राहत व बचाव कार्य भी जारी है।

एयरफोर्स का एमआई-17 से एनडीआरएफ के तीन जवान बचाव उपकरण के साथ आपदा प्रभावित क्षेत्र गए हैं। जबकि 22 लोग आज वापस जौलीग्रांट हेलीपैड लाए गए हैं। गौचर स्थित एयरफोर्स के 01 एएलएच हेलीकॉप्टर से जोशीमठ से एसडीआरएफ के कमांडेंट ओर पांच जवानों को भी जौलीग्रांट लाया गया। बीआरओ की ओर से  रैणी में वैलीब्रिज़ निर्माण कार्य में तेजी लाई जा रही है।

उत्तराखंड में आगामी सत्र में वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम के तहत होंगे तबादले: मुख्यमंत्री

आगामी सत्र में कार्मिकों के तबादले वार्षिक स्थानांतरण अधिनयम के प्रावधानों के तहत ही होंगे। मुख्यमंत्री ने कार्मिक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

पिछले साल 20-21 में वार्षिक स्थानांतरण सत्र को शून्य किया गया था। वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम की धारा-27 के अधीन गठित समिति की 3 फरवरी, 21 को हुई बैठक में शून्य सत्र को समाप्त किए जाने का निर्णय लिया गया था। मुख्य सचिव ने प्रस्ताव में बताया कि आगामी वर्ष में विधानसभा के निर्वाचन भी होने हैं। इस कारण निर्वाचन की आदर्श आचार संहिता भी लागू हो जाएगी। आम तौर पर निर्वाचन कार्य में संलग्न सभी विभागों के कार्मिकों के लिए एक स्थान पर 3 साल से अधिक रहने का निषेध है। इसलिए आगामी सत्र को शून्य नहीं किया जा सकता। इसमें वित्तीय दृष्टिकोण से 10 फीसदी या आदर्श चुनावी आचार संहिता के अनुरूप वांछित स्थानांतरण ही किए जाने की व्यवस्था की गई है।

इस प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री के समक्ष लाया गया था। इस पर मुख्यमंत्री ने अनुमोदन दे दिया है। साथ ही आगामी सत्र के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम के प्राविधान ही लागू किए जाने और स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू करने के प्रस्ताव पर भी मोहर लगा दी है।

चमोली जिले में रविवार को आयी आपदा के तीसरे दिन भी रेस्क्यू आपरेशन जारी

चमोली जिले में रविवार को आयी आपदा के तीसरे दिन भी रेस्क्यू आपरेशन पूरे दिनभर जारी रहा। आपदा मे सडक पुल बह जाने के कारण नीति वैली के जिन 13 गांवों से संपर्क टूट गया है उन गांवों में जिला प्रशासन चमोली द्वारा हैलीकॉप्टर के माध्यम से राशन, मेडिकल एवं रोजमर्रा की चीजें पहुंचायी जा रही है। गांवों मे फसे लोगो को राशन किट के साथ 5 किलो चावल, 5 किग्रा आटा, चीनी, दाल, तेल, नमक, मसाले, चायपत्ती, साबुन, मिल्क पाउडर, मोमबत्ती, माचिस आदि राहत सामग्री हैली से भेजी जा रही हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्र के साथ ही अलकनन्दा नदी तटों पर जिला प्रशासन की टीम लापता लोगों की खोजबीन में जुटी हैं।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार घटना के बाद 32 शव मिल गए हैं जबकि 174 लोग अभी लापता हैं। प्रभावित क्षेत्रों में एसडीआरएफ के 190, एनडीआरएफ के 176, आईटीबीपी के 425 जवान एसएसबी की 1 टीम, आर्मी के 124 जवान, आर्मी की 02 मेडिकल टीम, स्वास्थ्य विभाग उत्तराखण्ड की 04 मेडिकल टीमें और फायर विभाग के 16 फायरमैन, लगाए गए हैं। राजस्व विभाग, पुलिस दूरसंचार और सिविल पुलिस के कार्मिक भी कार्यरत हैं। बीआरओ द्वारा 2 जेसीबी, 1 व्हील लोडर, 2 हाईड्रो एक्सकेवेटर, आदि मशीनें लगाई गई हैं। एक हेलीकाप्टर द्वारा एनडीआरएफ की टीम औश्र 03 वैज्ञानिकों को भेजा गया है। स्टैंडबाई के तौर पर आईबीपी के 400, आर्मी के 220 जवान, स्वास्थ्य विभाग की 4 मेडिकल टीमें और फायर विभाग के 39 फायरमैन रखे गए हैं। आर्मी के 03 हेलीकाप्टर जोशीमठ में रखे गए हैं।

आपदा से 05 पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं। 13 गांवों में बिजली प्रभावित हुई थी, इनमें से 11 गांवों में बिजली बहाल कर दी गई है। शेष 2 गांवों में अभी लाईन क्षतिग्रस्त है। इसी प्रकार 11 गांवों में पेयजल लाईन क्षतिग्रस्त हुई थीं, इनमें से 8 गांवों में पेयजल आपूर्ति सुचारू कर दी गई है। शेष 03 पर भी काम चल रहा है।

चमोली ग्लेशियर त्रासदी: 48 घंटे बाद सिर्फ 120 मीटर खुली सुरंग, फंसी हैं 35 जान

उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आस-पास के इलाकों में काफी तबाही हुई है। इस आपदा में तपोवन-रैणी क्षेत्र में स्थित ऊर्जा परियोजना में काम करने वाले करीब 202 कर्मी के लापता हैं। ग्लेशियर टूटने के चलते अलकनंदा और धौली गंगा उफान पर हैं। ऋषिगंगा प्रोजेक्ट की सुरंग में फंसे लोगों को निकालने का अभियान दूसरे दिन सोमवार देर रात तक जारी रहा। सुरंग में फंसे श्रमिकाें को निकालने सहित आसपास के क्षेत्र में राहत कार्य के लिए स्थानीय पुलिस के साथ ही सेना,आईटीबीपी, एनडीआरएफ सहित एसडीआरएफ के बहादुर जवान मौके पर डटे हुए हैं।

लेकिन, चिंता की बात है कि जिस सुरंग में करीब 30-35 श्रमिक फंसे हुए हैं वह करीब एक मीटर लंबी है। करीब 48 घंटों के बाद ही सुरंग की 120 मीटर खुदाई हो पाई है। सुरंग से मलबा हटाने के लिए जेसीबी ही एकमात्र विकल्प है। रातभर चले रेस्क्यू ऑपरेशन में अंधेरी सुरंग में जिन्दगी बचाने को जद्दोजहद जारी रही। श्रमिकों से संपर्क न हो पाना भी एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है। लेकिन, ग्राउंड जीराे पर डटे बहादुर जवान जिंदगी बचाने के लिए कोई कमी कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बताया गया है कि करीब 180 मीटर सुरंग से गाद व मलबा हटाने के बाद टी-प्वाइंट आएगा, जिसके बाद फंसे श्रमिकों को आसानी से बचाया जा सकेगा। फिलहार, राहत कार्यों में जुटे अधिकारियों का कहना है कि सुरंग में से मलबा व गाद हटाने का काम युद्धस्तर से जारी है।