उत्तराखंड मै स्थित विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योतिलिंग भगवान केदारनाथ धाम के कपाट 17 मई 2021 को खुलेंगे । उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड ने इस बाबत जानकारी दी है। पिछले साल केदारनाथ धाम के कपाट वैदिक उच्चारण के साथ छ: माह अवधि के लिए बंद किये गए थे । पिछले वर्ष में भगवान केदारनाथ के दर्शन हेतु लगभग एक लाख पैतीस हज़ार श्रद्धालु आये थे ।
केदारनाथ धाम के कपाट भगवान भैरवनाछ की पूजा अर्चना के उपरांत 14 मई को बाबा केदार की डोली फाटा में विश्राम करेगी । 15 मई को यह डोली गौरीकुंड और 16 मई को केदारनाथ धाम पहुंचेगी । 17 मई को सुबह 5 बजे भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट पारंपरिक पूजा पाठ के साथ खोले जायेंगे ।
Category: उत्तराखंड
तीरथ सिंह रावत को उत्तराखंड के दसवें मुख्यमंत्री का चयन किया गया । पीएम मोदी ने नए मुख्यमंत्री को दी शुभकामनाएं ।
उत्तराखंड के दसवें नए मुख्यमंत्री के तौर पर तीरथ सिंह रावत ने शपथ ग्रहण की है। उन्हें राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने बुधवार को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके साथ ही राज्य में शुरू हुआ सियासी उठापटक भी खत्म हो गया है। भाजपा सांसद रावत को विधायक दल की बैठक में आज ही नेता चुना गया था। जिसके बाद उन्हें राज्य की सत्ता पर काबिज होने का मौका मिला है।
तीरथ सिंह रावत के उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री बनने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘वे अपने साथ विशाल प्रशासनिक और संगठनात्मक अनुभव लेकर आए हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि उनके नेतृत्व में राज्य प्रगति की नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ेगा।’
मंगलवार को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद आज देहरादून में विधायक दल की बैठक में तीरथ सिंह रावत के नाम पर मुहर लगी। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इनका नाम प्रस्तावित किया था जिसपर सभी ने सहमति जताई।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस्तीफा दिया ; कल बुधवार को नये चेहरे का फैसला होगा
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज मंगलवार को महामहिम राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा दे दिया । इसके चलते प्रदेश में नेतृत्व बदलने को लेकर विगत दिनों से घटित हो रही घटना पर विराम लग गया है । इस्तीफा सौंपने के उपरांत अपने आवास पर प्रेस वार्ता में बताया की मैं एक आरएसएस का सिपाही होते हुए अपने कर्त्तव्यों का पालन किया । उपरोक्त घटनाक्रम उत्तराखंड विधान सभा का बजट सत्र के आखिरी दिनों में तेजी से घटित हुआ और आज सरकार के चार साल में नौ दिन शेष रहते घटना का पटाक्षेप हो गया । यह फैसला केंद्रीय पर्यवक्षकों के रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है । बुधवार को प्रदेश के नए नेता के नाम पर फैसला संभव है । नए मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार प्रदेश सरकार के मंत्री धन सिंह रावत , अजय भट्ट आदि बताये जा रहे है ।
राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस पर अपने संदेश में – “मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ” ने कहा ये; जाने पूरी खबर
राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस पर अपने संदेश में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि 04 मार्च से 10 मार्च तक सुरक्षा की दृष्टि से औद्योगिक दुर्घटनाओं और सड़क दुर्घटनाओं के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है। 04 मार्च 1972 से प्रतिवर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया जा रहा है। इस साल राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस की थीम ‘‘आपदा से सीखें और सुरक्षित भविष्य की तैयारी करें’’ है।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि यह दिवस हमारे सुरक्षा सैनिक, अर्द्वसैनिक बल और पुलिस को समर्पित किया जाता है। जो अपनी जान जोखिम में डालकर हमेशा लोगों की सुरक्षा को लेकर तैयार होते हैं। आपदाओं से हम सबक सीखें और कैसे लोगों को सुरक्षित रख सखते हैं, इस पर चितंन-मनन होगा। सुरक्षा में लगी सभी एजेंसियों को भी मुख्यमंत्री ने शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड आपदा की दृष्टि से संवेदशील राज्य है। आपदा प्रबंधन की दृष्टि से राज्य में अनेक कार्य किये जा रहे हैं। राज्य में इन्सीडेंट रिस्पॉस सिस्टम को काफी मजबूत किया गया है।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिये कुम्भ मेले की व्यवस्थाओं को “शीघ्र अंतिम रूप देने के निर्देश “
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिये कुम्भ मेले की व्यवस्थाओं को शीघ्र अंतिम रूप देने के निर्देश
ग्रीन कुम्भ मेले की कल्पना को साकार करने के लिये सफाई व्यवस्था पर दिया जाये विशेष ध्यान
कुम्भ क्षेत्र के सौंदर्यीकरण के लिये किये जाये प्रभावी प्रयास
शहर की आंतरिक सड़कों की मरम्मत आदि में लायी जाये तेजी
कुम्भ क्षेत्र में पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था पर दिया जाये ध्यान
कुम्भ मेले की व्यवस्थाओं में कोई कमी न रहे, इसके लिये अधिकारी आपसी समन्वय से करें कार्य
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को कुम्भ मेला क्षेत्र में संचालित स्थायी एवं अस्थायी निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण करने के बाद अटल बिहारी वाजपेई राज्य अतिथि गृह में कुम्भ मेले से जुड़े सभी उच्चाधिकारियों की बैठक ली।
बैठक में मुख्यमंत्री ने कुम्भ मेले में संचालित स्थायी एवं अस्थायी निर्माण कार्यों के प्रति संतोष व्यक्त करते हुए अधिकारियों को कुम्भ मेले की व्यवस्थाओं से सम्बंधित कार्यों को शीघ्र अंतिम रूप देने को कहा। मुख्यमंत्री ने ग्रीन कुम्भ की कल्पना को साकार करने के लिए कुम्भ मेले की सफाई व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने कुम्भ क्षेत्र के सौंदर्यीकरण पर भी विशेष ध्यान दिये जाने पर बल दिया। शहर की आंतरिक सड़कों की आवश्यक मरम्मत, साफ-सफाई एवं अतिक्रमण हटाये जाने के भी निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारी व्यक्तिगत ध्यान देकर शेष कार्यों को पूर्ण करायंे। उन्होंने व्यवस्थाओं को शीघ्र दुरूस्त करने के लिये आपसी समन्वय से कार्य करने के भी निर्देश दिये। कुम्भ क्षेत्र के साथ ही स्नान घाटों पर पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि शहर में जो लाइटें खराब हैं, उन्हें तुरंत बदला जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुम्भ क्षेत्र की सफाई व्यवस्था हेतु धनराशि की कमी नहीं होनी दी जाएगी। इसके लिए आवश्यक मानव संसाधन की व्यवस्था करने के भी निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये।
बैठक में मेलाधिकारी दीपक रावत, जिलाधिकारी सी. रविशंकर, आईजी कुंभ संजय गुंज्याल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कुंभ जन्मेजय खंडूड़ी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार सेंथिल अबुदई कृष्ण राज एस आदि अधिकारीगण मौजूद थे।
रुद्रपुर काठगोदाम राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनने वाला “टोल प्लाजा रुदपुर रोड पर किलोमीटर 61 में बनेगा”
रुद्रपुर काठगोदाम राष्ट्रीय राजमार्ग पर लालकुआं बरेली रोड पर बाईपास के पास बनने वाला टोल प्लाजा अब बाईपास से रुदपुर रोड पर किलोमीटर 61 में बनेगा। वन विभाग से अनुमति मिलने तक वहां पर टेंपरेरी टोल प्लाजा बनाया जाएगा।राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने निर्माणाधीन रुद्रपुर काठगोदाम राष्ट्रीय राजमार्ग का टोल प्लाजा नगला बाईपास पर बनाने के लिए चयनित किया था। लेकिन वहा पर हाथी कॉरिडोर होने के कारण वन विभाग द्वारा एनएचएआई को भूमि अधिग्रहण की अनुमति नहीं दी गई । जिसके बाद एनएचएआई ने नगला बाईपास से रुद्रपुर की तरफ किलोमीटर 61 पर टोल प्लाजा बनाने का निर्णय लिया है।
जिसके लिए एनएचएआई को फिर से वन विभाग से भूमि अधिकरण की प्रक्रिया करनी होगी। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में समय लगने के चलते एनएचएआई पहले अस्थाई रूप से टोल प्लाजा का निर्माण करेगी। जिसके बाद वन विभाग से अनुमति मिलने पर वहां पर स्थाई टोल प्लाजा का निर्माण कर दिया जाएगा।एनएचएआई के प्रोजेक्ट मैनेजर योगेश शर्मा ने बताया कि प्रोजेक्ट में पहले नगला बाईपास पर लालकुआं की तरफ टोल प्लाजा बनाने का लक्ष्य था, लेकिन वन विभाग द्वारा वहां पर भूमि नहीं दी जा रही है, जिसके बाद आप नगला बाईपास से रुद्रपुर की तरफ किलोमीटर 61 में टोल प्लाजा बनाया जाएगा।
पं. सुभाष चन्द्र जोशी जी वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद ( राज्य स्तर मंत्री) उत्तराखंड के अध्यक्ष मनोनीत किया गया .
पं. सुभाष चन्द्र जोशी जी वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद ( राज्य स्तर मंत्री) के अध्यक्ष मनोनीत । देवभूमि जॉर्नलिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन , रजि. उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष एवं देवभूमि पत्रकार यूनियन, रजि. के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य , दृष्टि में ही सृष्टि, पत्रिका के सम्पादक , वरिष्ठ पत्रकार, ब्राह्मण समाज महासंघ के संरक्षक , भागवताचार्य, पं.सुभाष चन्द्र जोशी जी को मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी द्वारा वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद , उत्तराखंड सरकार का अध्यक्ष ( राज्य स्तर मंत्री) मनोनीत किये जाने पर पत्रकारों में हर्ष की लहर दौड़ गई । इसके लिए एसोसिएशन व यूनियन ने मुख्यमंत्री जी का आभार प्रकट किया है । प्रदेश भर के पत्रकारों ने एवं धार्मिक संस्थाओं ने जोशी जी को शुभ कामनाएं प्रेषित करते हुए हर्ष प्रकट किया है । डॉ. वी डी शर्मा, प्रदेश महासचिव, देवभूमि जॉर्नलिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन, उत्तराखंड व देवभूमि पत्रकार यूनियन, रजि. उत्तराखंड ।
मुख्यमंत्री ने किया हिमालय आजीविका कलस्टर स्तरीय फैडरेशन वेब पोर्टल का विधिवत लोकार्पण
हिमालय आजीविका कलस्टर स्तरीय फैडरेशन द्वारा संचालित वेब पोर्टल www.himalayankart.in का विधिवत लोकार्पण मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा सर्किट हाउस में किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय आजीविका कलस्टर स्तरीय द्वारा संचालित वेब पोर्टल में यथा संभव सहयोग किया जायेगा जिससे महिलाओं में इस कार्य क्षेत्र में अधिक रूचि होगी और अन्य महिलाऐं भी इस पोर्टल के माध्यम से अपने उत्पादों को आमजन तक पहुचा पायेंगी, इससे महिलाओं का आर्थिक विकास होगा तथा वे आत्मनिर्भर भी बनेंगी तथा पोर्टल के जरिये महिलाओं द्वारा उत्पादित उत्पादों की पहुच जन-जन तक हो सकेगी। मुख्यमंत्री द्वारा सभी जनप्रतिनिधियों, स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं तथा फैडरेशन के पदाधिकारियों को इस वेब पोर्टल के संचालन के लिए बधाई दी।
मुख्यमंत्री को जानकारी देते हुए मुख्य विकास अधिकारी नरेन्द्र सिंह भण्डारी ने बताया कि कोविड-19 से पूर्व स्वयं सहायता समूह के उत्पादों को बाजार में आसानी से बेचा जा रहा था, लेकिन कोविड-19 में लाॅकडाउन के कारण स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के बनाये गये उत्पादों को बाजार में लाना मुश्किल था, जिस कारण इन उत्पादों को बाजार में लाने के लिए ई-मार्केटिंग से जोड़ने के लिए ई-कामर्स वेब पोर्टल बनाया गया, जिसमें स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के द्वारा बनाये गये उत्पादों को आनलाईन मार्केट के माध्यम से बेचा जायेगा। जिसमें मुख्यमंत्री द्वारा बताया गया कि ई-मार्केटिंग के द्वारा महिलाओं में तकनीकी क्षेत्र के बारे में जानकारी के साथ-साथ अपने उत्पादों को बेहतर गुणवत्ता के साथ बनाकर पूरे देश में बेचा जा सकता है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी और वर्तमान के प्रतिस्पर्धा के दौर में खुद को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।
लोकार्पण समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री डा.धन सिंह रावत, विधायक एवं प्रदेश अध्यक्ष भाजपा बंशीधर भगत, विधायक संजीव आर्य, नवीन दुम्का, राम सिंह कैड़ा, जिला अध्यक्ष भाजपा प्रदीप बिष्ट, मण्डलायुक्त अरविन्द सिंह ह्यांकी, जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल के अलावा फैडरेशन पदाधिकारी श्रीमती विनीता आर्य, इन्दिरा देवी, सरीता जोशी आदि उपस्थित थे।
उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज को मिली नए सत्र में प्रवेश की अनुमति
उत्तराखंड में निजी क्षेत्र में 2001 से स्थापित प्रथम आयुर्वेदिक कॉलेज राजपुर रोड स्थित उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज को बीएएमएस एवं एमडी आयुर्वेद पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु 60 सीटों के प्रवेश हेतु आयुष मंत्रालय ने मान्यता प्रदान कर दी है। जिसमें आयुर्वेद, स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में अभ्यर्थियों को प्रवेश का मौका मिलेगा।
उक्त जानकारी देते हुए कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सत्य मानव दयाल शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद में भविष्य बनाने के प्रति युवाओं में क्रेज बढ़ा है। सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित भवन अस्पताल एवं सुरम्य घाटी में स्थित उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज में प्रवेश हेतु अभ्यर्थी उत्साहित है। नीट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को संस्था में नियमानुसार प्रवेश की कार्यवाही 28 फरवरी तक पूर्ण कर ली जाएगी। कॉलेज को द्वितीय चरण की काउंसलिंग में शामिल कर लिया गया है।
उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. सुरेश चौबे ने दी जानकारी में बताया कि राज्य में आयुर्वेदिक कॉलेजों में प्रवेश हेतु प्रथम चरण की काउंसिलिंग पूर्ण हो चुकी है एवं द्वितीय चरण की काउंसिलिंग अंतिम चरण में है। मोप अप राउंड काउंसलिंग 24 से अनंतिम निर्धारित है। डॉ. चौबे ने बताया कि राज्य में 3 राजकीय व निजी क्षेत्र के 9 आयुर्वेदिक कॉलेजों को आगामी सत्र में प्रवेश हेतु मान्यता प्राप्त हुई है।
एक कॉलेज को मान्यता मिलने की संभावना है। अगले प्रवेश प्रक्रिया की घोषणा जल्द ही की जाएगी। विश्ववविद्यालय ने काउंसलिंग शेडयूल में आंशिक फ़ेरबदल किया है। डॉ. चौबे ने बताया कि द्वितीय चरण की काउंसलिंग के उपरांत विगत दिवस विश्वविद्यालय द्वारा मेरिट लिस्ट जारी कर दी जायेगी। जिसमें अभ्यर्थियों को नीट की मेरिट के आधार पर राज्य के विभिन्न आयुर्वेदिक कॉलेजों में दाखिले का मौका मिलेगा। 19 व 20 को अभ्यर्थी अपनी सूची के अनुसार महाविद्यालयों का चयन (choice filling) कर सकेंगे। उपलब्ध सीटों के आधार पर 22 को विश्वविद्यालय द्वारा सीटें आवंटित कर परिणाम घोषित किया जाएगा। आवंटित सीटों पर अभ्यर्थी 23 व 24 फरवरी को प्रवेश प्राप्त कर सकेंगे।
उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज के एमडी एवं उत्तराखंड मेडिकल कॉलेज एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ अश्विनी काम्बोज ने आयुष मंत्रालय एवं सी.सी.आई.एम नई दिल्ली का आभार प्रकट करते हुए कहा कि इस वर्ष को महामारी के चलते आयुर्वेदिक पाठ्यक्रम का सत्र विलंबित हुआ है। प्रतिवर्ष 30 अक्टूबर उक्त प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाती थी, परंतु कोरोना के चलते इस वर्ष आयुष कॉलेजों में नए सत्र का शिक्षण-प्रशिक्षण मार्च 2021 से प्रारंभ होगा। डॉ. कांबोज ने बताया कि राज्य के कुछ कॉलेजों को अभी भी प्रवेश की अनुमति प्राप्त नहीं हुई है। उनको भारत सरकार द्वारा शीघ्र अनुमति मिलने की संभावना है। ऐसे कॉलेजों में रिक्त सीटों के लिए अलग से काउंसलिंग हेतु भारत सरकार को एसोसिएशन के माध्यम से पत्र प्रेषित किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा एवं केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद नई दिल्ली द्वारा उत्तराखंड के आयुष कॉलेजों में नए सत्र में प्रवेश हेतु निजी क्षेत्र के 9 कॉलेजों को मान्यता प्रदान करते हुए सूची जारी कर दी है। इनके अतिरिक्त राज्य के तीन राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज व गुरुकुल आयुर्वेदिक कॉलेज (हरिद्वार) एवं आयुर्वेद विश्वविद्यालय मैन केंपस हर्रावाला देहरादून को भारत सरकार ने पूर्व में ही मान्यता प्रदान कर दी थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के जिन 9 निजी कॉलेजों को मान्यता मिली है, उनमें पतंजलि आयुर्वेदिक कॉलेज (100 सीट), उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज (60), हिमालय आयुर्वेदिक कॉलेज (60) दून इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (60), क्वाड्रा इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेद(30), मदरहुड आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज(60), शिवालिक इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेद एंड रिसर्च (60), मंजीरा देवी आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज (30), चंदोला होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज (50) सीट शामिल है।
देवभूमि मेडिकल कॉलेज ऑफ आयुर्वेद को भी जल्द मान्यता मिलने की संभावना है। राज्य के तीन कॉलेजों हरिद्वार आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, उत्तरांचल युनानी मेडिकल कॉलेज एवं आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज को कोर्ट के आदेश से मान्यता प्राप्त होने की जानकारी मिली है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार तीन कॉलेजों बिहाइव मेडिकल कॉलेज, विशंभर सहाय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं परम हिमालयन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज को मान्यता मानक (टीचिंग फैकल्टी) पूरे न किए जाने पर रद्द कर दी गई है।
जल जीवन मिशन के तहत एक उपलब्धि हासिल करते हुए 3.5 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान किए गए 1 जनवरी, 2021 तक 50 लाख से ज्यादा कनेक्शन मुहैया कराए गए
वर्ष 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को जल नल कनेक्शन मुहैया कराने के लक्ष्य के साथ 15 अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित जल जीवन मिशन ने एक और उपलब्धि हासिल कर 3.53 करोड़ ग्रामीण परिवारों को जल नल कनेक्शन मुहैया करा दिए हैं। 15 अगस्त, 2019 को कुल 18.93 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से मात्र 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) परिवारों के पास यह कनेक्शन थे। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के अथक प्रयासों के बाद जल जीवन मिशन के तहत 3.53 करोड़ परिवारों को यह कनेक्शन दिए गए। इसके साथ ही 52 जिलों और 77 हजार गांवों में रहने वाले हर परिवार को अपने घरों में यह कनेक्शन दिए गए हैं। अब 6.76 करोड़ (35.24 प्रतिशत) यानि एकतिहाई से ज्यादा ग्रामीण परिवारों को नल से पेयजल मिल रहा है। गोवा देश का पहला राज्य बन गया है,जहां शत-प्रतिशत परिवारों को जल नल कनेक्शन दिए जा चुके हैं। इसके बाद तेलंगाना का स्थान है। विभिन्न राज्य/केंद्रशासित प्रदेश अब इस मामले में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं और इस बात को सुनिश्चित कर रहे हैं कि देश के हर परिवार को सुरक्षित पेयजल प्रदान किया जाए। यह कार्य समानता और समावेशिता के सिद्धान्त के आधार पर किया जा रहा है।
जल जीवन मिशन राज्यों के साथ भागीदारी में चलाया जा रहा है और इसका उद्देश्य प्रत्येक परिवार को पर्याप्त मात्रा में और उचित गुणवत्ता वाला पेयजल नियमित और दीर्घकालिक आधार पर मुहैया कराया जाना है। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने प्रारंभिक दृष्टिकोण के अनुरूप व्यापक योजना तैयार की और इसी के अनुरूप प्रत्येक ग्रामीण परिवार को जल नल कनेक्शन मुहैया कराने की कार्य योजना तैयार की गई। इस योजना को लागू करते समय राज्य शुद्ध पेयजल रहित इलाकों, सूखा प्रभावित और रेगिस्तानी इलाकों के गांवों, अनूसूचित जनजाति/अनुसूचित जाति बहुल गांवों महत्वाकांक्षी जिलों और सांसद आदर्श ग्राम योजना वाले गांवों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
जल जीवन मिशन की यह यात्रा अभी तक चुनौतियों और कोविड-19 महामारी के चलते बाधाओं से जूझती रही है। देश के ज्यादातर हिस्सों में लॉकडाउन के कारण सभी प्रकार के विकास और निर्माण कार्य बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। महामारी के खिलाफ जंग में लोगों के लिए सुरक्षा की दृष्टि से लगातार हाथ धोते रहना सबसे महत्वपूर्ण काम बन गया है। फिर भी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सामाजिक दूरी और मास्क पहनने जैसी एहतियातों का पालन करते हुए जल आपूर्ति अवसंरचना तैयार करने के काम में लगे हुए हैं। कोविड-19 के बावजूद लगातार जारी यह काम ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए काफी लाभप्रद रहा है, क्योंकि इसने कोविड के कारण अपने गांवों को लौटे लोगों को रोजगार मुहैया कराया है। जो मजदूर लॉकडाउन के कारण अपने घरों को लौटे वे निर्माण कार्य में कुशल थे। उन्होंने पिछले वर्षों में शहरों में राजमिस्त्री, प्लंबर, फिटर, पंप ऑपरेटर आदि का काम किया था।
जल जीवन मिशन के तहत ऐसे गांवों और इलाकों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना उच्च प्राथमिकता है, जिन इलाकों में शुद्ध जल कि उपलब्धता बहुत कम है। मिशन के तहत प्रयास किया जा रहा है कि ऐसे गांवों और इलाकों में जहां शुद्ध जल की अनुपलब्धता है और जो खासतौर से आर्सेनिक और फ्लोराइड से प्रभावित हैं, उनमें शुद्ध और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया जाए। जल जीवन मिशन पेयजल की शुद्धता को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है, जिससे लोगों में जल जनित बीमारियां कम होती हैं और उनका स्वास्थ्य बेहतर होता है। राज्य/केंद्रशासित प्रदेश पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने वाली प्रयोगशालाओं को उन्नत बनाने और उन्हें जनता के लिए खोलने का काम कर रहे हैं ताकि बहुत कम शुल्क पर आम लोग अपने पेयजल के नमूनों की जांच करा सकें।