उत्तरखंड लॉकडाउन :- उत्‍तराखंड में कोरोना संक्रमण की रफ्तार जरूर बढ़ी है, सरकार फिलहाल लाकडाउन के पक्ष में नहीं, सख्ती बरतेगी सरकार, विवाह समारोह में अब 50 व्यक्तियों को ही मिलेगी अनुमति

कोरोना संक्रमण की रफ्तार जरूर बढ़ी है, मगर सरकार प्रदेश में लाकडाउन के पक्ष में नहीं है। अलबत्ता, संक्रमण की रोकथाम के मद्देनजर जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाएगा। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई मंत्री परिषद की अनौपचारिक बैठक में इस पर सहमति बनी। यह भी तय किया गया कि भीड़भाड़ रोकने के लिए राज्य में सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी जाए। इसके अलावा विवाह समारोहों में शामिल होने के लिए अधिकतम व्यक्तियों की संख्या 50 रखने का निर्णय लिया गया। सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने इसकी पुष्टि की।

कोरोना के बढ़़ते मामलों को देखते हुए गुरुवार को बुलाई गई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक स्थगित कर दी गई थी। फिर तय किया गया कि मंत्री परिषद की अनौपचारिक बैठक कर कोरोना संकमण की स्थिति पर विमर्श कर लिया जाए। इससे पहले मुख्यमंत्री ने विशेषज्ञों के साथ कोरोना संक्रमण से निबटने के उपायों पर विमर्श किया। इसमें चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि हालात पर नियंत्रण के राज्य में कम से कम 10 दिन कोरोना कफ्र्यू लगाया जाना चाहिए। शाम को मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में हुई मंत्री परिषद की अनौपचारिक बैठक में राज्य में कोरोना की स्थिति पर गहन मंथन किया गया। सरकार के प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार तय हुआ कि फिलहाल सरकार लाकडाउन नहीं करेगी। अलबत्ता, कोरोना से बचाव के लिए जारी गाइडलाइन का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि राज्य में भीड़भाड़ न होने पाए। इस कड़ी में सार्वजनिक कार्यक्रमों (सामाजिक, राजनीतिक व धार्मिक) के आयोजन पर परिस्थितियां सामान्य होने तक रोक लगाने पर सहमति बनी है।
यह भी तय किया गया कि विवाह समारोहों में अधिकतम 50 व्यक्तियों को ही शामिल होने की अनुमति दी जाए। अभी यह यह सीमा सौ व्यक्ति है। इस संबंध में संशोधित आदेश शासन द्वारा जारी किए जाएंगे। बैठक में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, सतपाल महाराज, बंशीधर भगत, डा.हरक सिंह रावत, गणेश जोशी, बिशन सिंह चुफाल, राज्यमंत्री डा.धन सिंह रावत व यतीश्वरानंद उपस्थित थे।

राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा की ऑनलाइन बैठक सम्पन्न, कोरोना काल में सोशल मीडिया के द्वारा तेज किया जाएगा पुरानी पेंशन बहाली आन्दोलन – Dr. D.C. पसबोला

उत्तराखंड देहरादून– राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा की ऑनलाइन बैठक में कर्मचारियों ने कहा कि अब पुनः आंदोलन को ऑनलाइन मोड पर ले जाने का वक़्त है। इस बार कर्मचारियों के साथ हो रहे पेंशन सम्बन्धी अन्याय को जनता के पास पहुंचाया जाएगा।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के कुमाऊँ मण्डल प्रभारी योगेश घिल्डियाल ने कहा कि ओपीएस में सरकारी तनख़्वाह की तरह ही पे कमीशन और डीए लागू होता है, वहीं एनपीएस में ये दोनों चीज़ें नदारद हैं. ‘पे कमीशन’ जहां हर 10 साल में पेंशन को गुणात्मक रूप से बढ़ा देता है, वहीं डीए के चलते भी कुछेक प्रतिशत बढ़ौतरी हर छः महीने में हो जाती है. जबकि एनपीएस में पेंशन आपको इन पांच इंश्योरेंस कंपनीज़ में से एक से मिलनी है. वो क्यूं ही हर साल, छः महीने में आपके पैसे बढ़ाए।
महिला मोर्चा की गढ़वाल मण्डल प्रभारी रश्मि गौड़ ने कहा कि आज मै तो यही सोचती हूँ कि जब हम रिटायर होंगे, तब क्या होगा।क्योंकि पुरानी पेंशन तो बुढ़ापे का सहारा है।हम अपनी इज्जत से जी सकते है।किसी के आगे हाथ नही फैला सकते।जिन लोगो की पेंशन है वे स्वाभिमान से अपना जीवन यापन कर रहे है।चाहे उनकी सन्तान उन्हें दे या ना दे इससे उन्हें कोई फर्क नही पड़ता है।इसलिए पुरानी पेंशन जरूरी है। मै अपने पिता श्री को देखती हूँ ।वो अपनी पेंशन के कारण स्वाभिमान से जीते है। आज भी वो 40000 रु पेंशन पाते है। माँ और पिताजी अपनी सारी जरुरतो को पूरा करते है और सम्मानपूर्वक जिंदगी जी रहें है।पुरानी पेंशन ही न्याय संगत हे।इसलिए हमे पुरानी पेंशन चाहिए और ले कर रहेंगे।पुरानी पेंशन के लिए लड़ेंगे और ले कर रहेंगे।

प्रान्तीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ० डी० सी० पसबोला ने कहा कि
पुरानी पेंशन व्यवस्था (OPS) का शेयर मार्केट से कोई संबंध नहीं था।पुरानी पेंशन में हर साल डीए जोड़ा जाता था।पुरानी पेंशन व्यवस्था में गारंटी थी कि कर्मचारी या अधिकारी की आखिरी सैलरी का लगभग आधा उसे पेंशन के तौर पर मिलेगा।अगर किसी की आखिरी सैलरी 50 हजार है तो उसे 25 हजार पेंशन मिलती थी। इसके अलावा हर साल मिलने वाला डीए और वेतन आयोग के तहत वृद्धि की सुविधा थी।नौकरी करने वाले व्यक्ति का जीपीएफ अकाउंट खोला जाता था।जीपीएफ एकाउंट में कर्मचारी के मूल वेतन का 10 फ़ीसदी कटौती करके जमा किया जाता था।जब वह रिटायर होता था तो उसे जीपीएफ में जमा कुल राशि का भुगतान होता था सरकार की तरफ से आजीवन पेंशन मिलती थी। इसके विपरीत नई पेंशन व्यवस्था (NPS) वर्ष 2004 से लागू हुई न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस)न्यू पेंशन स्कीम एक म्‍यूचुअल फंड की तरह है।ये शेयर मार्केट पर आधारित व्यवस्था है।पुरानी पेंशन की तरह इसमेें पेंशन में हर साल डीए नहीं जोड़ा जाता। कोई गारंटी नहीं है कि कर्मचारी या अधिकारी की आखिरी सैलरी का लगभग आधा ही उसे पेंशन के तौर पर मिले। एनपीएस के तहत जो टोटल अमाउंट है, उसका 40 प्रतिशत शेयर मार्केट में लगाया जाता है। कर्मचारी या अधिकारी जिस दिन वह रिटायर होता है, उस दिन जैसा शेयर मार्केट होगा, उस हिसाब से उसे 60 प्रतिशत राशि मिलेगी. बाकी के 40 प्रतिशत के लिए उसे पेंशन प्लान लेना होगा।पेंशन प्लान के आधार पर उसकी पेंशन निर्धारित होगी।नई व्यवस्था में कर्मचारी का जीपीएफ एकाउंट बंद कर दिया गया है।

डॉ० पसबोला ने आगे स्पष्ट किया कि विरोध इन बातों पर है:-
1 जनवरी 2004 को जब केंद्र सरकार ने पुरानी व्यवस्था को खत्म कर नई व्यवस्था लागू की. एक बात साफ थी कि अगर राज्य चाहें तो इसे अपने यहां लागू कर सकते हैं. मतलब व्यवस्था स्वैच्छिक थी. उत्तराखंड में इसे 1 अक्टूबर 2005 को लागू कर दिया. पश्चिम बंगाल में आज भी पुरानी व्यवस्था ये लागू है।
पुरानी पेंशन व्यवस्था नई व्यवस्था की तरह शेयर बाजार पर आश्रित नहीं है, लिहाजा उसमें जोखिम नहीं था.
न्यू पेंशन स्कीम लागू होने के 14 साल बाद भी यह व्यवस्था अभी तक पटरी पर नहीं आ सकी है।
नई स्कीम में कोई गारंटी नहीं है कि कर्मचारी या अधिकारी की आखिरी सैलरी का लगभग आधा ही उसे पेंशन के तौर पर मिले. क्योंकि शेयर बाजार से चीजें तय हो रही हैं।
नई व्यवस्था के तहत 10 प्रतिशत कर्मचारी और 10 प्रतिशत सरकार देती है. लेकिन जो सरकार का 10 प्रतिशत का बजट है, वही पूरा नहीं है।
उत्तराखण्ड में मौजूदा समय में 2.5 लाख कर्मचारी है. अगर उनकी औसत सैलरी निकाली जाए तो वह 25 हजार के आसपास है. इस हिसाब से कर्मचारी का 2500 रुपए अंशदान है. लेकिन इतना ही अंशदान सरकार को भी करना है. मोटे तौर पर सरकार के ऊपर कई हजार करोड़ का भार आएगा. लेकिन सरकार के पास इसके लिए बजट ही नहीं है।
नई व्यवस्था के तहत मान लीजिए अगर किसी की पेंशन 2000 निर्धारित हो गई तो वह पेंशन उसे आजीवन मिलेगी. उसमें कोई उतार-चढ़ाव नहीं होगा. पुरानी व्यवस्था में ऐसा नहीं था. उसमें हर साल डीए और वेतन आयोग के तहत वृद्धि की सुविधा थी. विरोध शेयर मार्केट आधारित व्यवस्था को लेकर है. कर्मचारियों का कहना है कि मान लीजिए कि एक कर्मचारी एक लाख रुपये जमा करता है. जिस दिन वह रिटायर होता है उस दिन शेयर मार्केट में उसके एक लाख का मूल्य 10 हजार है तो उसे 6 हजार रुपये मिलेंगे और बाकी 4 हजार में उसे किसी भी बीमा कंपनी से पेंशन स्कीम लेनी होगी. इसमें कोई गारंटी नहीं है।
पहले जो व्यवस्था थी, उसमें नौकरी करने वाले व्यक्ति का जीपीएफ अकाउंट खोला जाता था. उसमें कर्मचारी के मूल वेतन का 10 फ़ीसदी कटौती करके जमा किया जाता था. जब वह रिटायर होता था तो उसे जीपीएफ में जमा कुल राशि का भुगतान होता था और सरकार की तरफ से आजीवन पेंशन मिलती थी. नई व्यवस्था में जीपीएफ अकाउंट बंद कर दिया गया है।

उत्तराखंड:देहरादून में आईसीयू, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन बेड फुल ,मुसीबत में गंभीर मरीज, कोविड श्मशान घाट पर भी लोगों को अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ा।

हरादून और ऋषिकेश के प्रमुख अस्पतालों के कोविड बेड कोरोना मरीजों से भर गए हैं। बेड खाली नहीं होने से बुधवार को गंभीर कोरोना मरीजों के सामने इलाज का संकट पैदा हो गया। उन्हें एंबुलेंस में आक्सीजन सपोर्ट पर लिटाकर दिनभर अस्पतालों के चक्कर काटने पड़े। इस तरह के नाजुक हालात से देहरादून को पहली बार दो चार होना पड़ा है। कोरोना मरीज बढ़ने से देहरादून में इलाज के इंतजाम कम पड़ने लगे। दून अस्पताल में बुधवार सुबह सात बजे ही आईसीयू, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन बेड फुल हो गए। सुबह के वक्त एक घंटे के भीतर वहां से करीब 20 मरीजों को वापस लौटना पड़ा।

इन सभी मरीजों को शहर के निजी अस्पतालों में ले जाया गया। प्राइवेट अस्पताल कैलाश, मैक्स, इंद्रेश और सीएमआई में आईसीयू, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन बेड खाली नहीं होने पर फिर से गंभीर मरीजों को कुछ घंटे बाद दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल वापस लौटने को मजबूर होना पड़ा। हालात बिगड़ते देख दून अस्पताल की गैलरी में ऑक्सीजन बेड लगाए गए। वहां भर्ती होने के लिए मरीजों को डेढ़ से दो घंटे तक इंतजार करना पड़ा।

दून अस्पताल इमजरेंसी के बाहर दिनभर एक वक्त में कम से कम पांच से सात एंबुलेंस खड़ी थीं, उनमें ऑक्सीजन सपोर्ट पर गंभीर मरीज लेटे हुए थे। दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना का कहना है कि गंभीर मरीजों को भर्ती करने में दिक्कत आ रही है। आईसीयू और वेटिंलेटर खाली नहीं हैं। ऑक्सीजन बेड का इंतजाम कर उन्हें भर्ती करने का प्रयास किया जा रहा है।

ऋषिकेश में भी स्थिति खराब
ऋषिकेश में एम्स और राजकीय चिकित्सालय में भी 81 सामान्य बेड को छोड़ सभी ऑक्सीजन बेड, आईसीयू और वेंटिलेटर फुल हो गए हैं। यहां से भी मरीज जौलीग्रांट और फिर आईसीयू नहीं मिलने पर देहरादून पहुंच रहे हैं।

माेर्चुरी के बाहर भीड़
दून अस्पताल में मच्र्यूरी के बाहर सुबह से लोगों की भीड़ लगी है। उनको यहां पहले एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ रहा है। एंबुलेंस खाली नहीं मिलने की वजह से उन्हें बाहर से मनमानी कीमत चुकाकर शव ले जाने के लिए इंतजाम करना पड़ रहा है। अस्पताल से बुधवार दोपहर 12 बजे से डेढ़ बजे तक आठ शवों को ले जाया जा चुका था।

श्मशान में भी लगाना पड़ा नंबर
कोविड श्मशान घाट पर भी लोगों को अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ा। वहां राजधानी दून के साथ ही जौलीग्रांट तक से शव अंतिम संस्कार के लिए आ रहे हैं। यहां मुख्य सड़क पर वाहनों की लंबी लाइन लगी है। श्मशान घाट पर भी लोगों से अंतिम संस्कार के लिए मनमाने तरीके से रुपये लिए जाने की शिकायत लोग कर रहे हैं।

अस्पतालों में तीन गुना तक बढ़ी ऑक्सीजन की मांग, फिलहाल किल्लत नहीं
राज्य में कोरोना संक्रमण में तेजी और गंभीर मरीजों की संख्या में इजाफे से ऑक्सीजन की मांग तीन गुना तक बढ़ गई है। मांग में बढ़ोत्तरी की वजह से कुछ स्थानों पर ऑक्सीजन की कीमतों में उछाल भी आया है। हालांकि राज्य भर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में हो रही है और कहीं भी किल्लत जैसी नौबत नहीं है। यह अलग बात है कि संक्रमण में बेतहाशा वृद्धि और गंभीर मरीज अचानक बढ़ने से भविष्य में ऑक्सीजन संकट की नौबत आ सकती है। पेश है हिन्दुस्तान की रिपोर्ट।

दून में डिमांड बढ़ी, किल्लत नहीं
राजधानी के अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत बढ़ गई है। दून अस्पताल में रोजाना पांच से छह टन ऑक्सीजन की खपत हो रही है जो पहले दो टन के आसपास थी। श्री महंत इंद्रेश अस्पताल में छह टन ऑक्सीजन की खपत हो रही है। दोनों अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले यूनिवर्सल गैस कंपनी के संचालक विजय दीक्षित ने बताया कि रुड़की से ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में मिल रही है। उन्होंने कहा कि मांग में दो से तीन गुना इजाफा हुआ है लेकिन अभी कोई परेशानी नहीं है। जिलाधिकारी डॉ आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि ऑक्सीजन की कमी ना हो इसके लिए नोडल अधिकारी तय कर दिए गए हैं। ऑक्सीजन की कमी होने पर तत्काल व्यवस्था करने और स्थिति से अवगत कराने को कहा गया है।

ऑक्सीजन के दामों में 40 फीसदी इजाफा
हरिद्वार के अस्पतालों में आक्सीजन की भारी मांग की वजह से आक्सीजन के दामों में 40 फीसदी तक का इजाफा हुआ है।— जिले में अधिकांश मरीज होम आइसोलेशन में रह रहे हैं और इस वजह से घर में ऑक्सीजन सिलेंडरों की डिमांड बढ़ रही है। जिले में ऑक्सीजन की कोई कमी तो नहीं है लेकिन मांग बढ़ने की वजह से प्राइवेट से सिलेंडरों की कीमत बढ़ गई है। हालांकि जिले के अस्पतालों में ऑक्सीजन की स्थिति पर्याप्त बनी हुई है। जिले में 51 आईसीयू बेड हैं और अभी सभी बेड खाली चल रहे हैं।

हल्द्वानी में तीन गुना हुई खपत
हल्द्वानी के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में ऑक्सीजन की मांग तीन गुना हो गई है। हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज समेत सात निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इन अस्पतालों में रोजाना 200 ऑक्सीजन सिलेंडरों की खपत होती थी जो अब बढ़कर 600 के पार पहुंच गई है। हालांकि ऑक्सीजन सप्लाई में कहीं कोई दिक्कत नहीं है और दामों में भी इजाफा नहीं हुआ है। इसके अलावा पिथौरागढ़, यूएसनगर, चम्पावत, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिलों में भी आक्सीजन की कोई कमी नहीं है।

पर्वतीय जिलों में कोई समस्या नहीं
गढ़वाल के पर्वतीय जिलों में भी आक्सीजन की कोई कमी नहीं है। मरीज काफी कम होने की वजह से अस्पतालों में आईसीयू और वेंटीलेटर बेड खाली हैं और आक्सीजन सिलेंडर भी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में हैं। रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी और पौड़ी जिलों में ऑक्सीजन सप्लाई पर्याप्त मात्रा में हो रही है।

रुड़की व श्रीनगर में पर्याप्त उत्पादन
रुड़की के मंगलौर में ऑक्सीजन प्लांट में 700 सिलेंडर की क्षमता प्रतिदिन है। चौबीस घंटे प्लांट काम कर रहा है। करीब नब्बे फीसदी काम हो रहा है। प्लांट से राज्य में कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। इधर श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्लांट में भी ऑक्सीजन का उत्पादन लगातार किया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज के दो प्लांट एक दिन में 12 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन का उत्पादन होता है।

राज्य में क्षमता से कई गुना ऑक्सीजन उत्पादन
निदेशक स्वास्थ्य एसके गुप्ता ने बताया कि राज्य के सभी प्लांटों में मौजूदा समय में एक दिन में तकरीबन 350 क्यूबिक मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है, जबकि राज्य के अस्पतालों की कुल ऑक्सीजन डिमांड प्रतिदिन 125 क्यूबिक मीट्रिक टन के करीब चल रही है। ऑक्सीजन की मांग में कुछ दिनों में इजाफा हुआ है लेकिन यह बहुत सामान्य है और किल्लत जैसी कोई बात नहीं है। इसके अलावा भविष्य की जरूरतों को देखते हुए उत्पादन बढ़ाने के प्रयास भी हो रहे हैं।

राज्य में बेड की कमी नहीं है, लेकिन संक्रमण के बाद सभी लोग आईसीयू और वेंटिलेटर की डिमांड कर रहे हैं। इस वजह से अस्पतालों पर भारी दबाव है। प्राइवेट अस्पतालों में सिफारिशों की वजह से भी क्रिटिकल बेड भर गए हैं। राजधानी दून में दिक्कतों को देखते हुए एम्स, दून और रायपुर कोविड केयर सेंटर में आईसीयू बेड बढ़ाए जा रहे हैं, जबकि कोरोनेशन अस्पताल को भी कोविड अस्पताल में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया है।

उत्तराखंड की सीमा से बाहर गए तो होना पड़ेगा क्वारंटाइन,बाहरी राज्यों से प्रवेश करने के लिए लोगों को स्मार्ट सिटी देहरादून के पोर्टल पर होम आइसोलेशन के लिए पंजीकरण करना अनिवार्य

जिले में बाहरी राज्यों से प्रवेश करने के लिए लोगों को स्मार्ट सिटी देहरादून के पोर्टल पर पंजीकरण करना जरूरी होगा। बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए जिले में यह व्यवस्था बनाई गई। राज्य से बाहर गए लोगों को भी लौटने पर सात क्वारंटाइन रहना होगा। देहरादून के डीएम आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बाहरी राज्यों ने आने वाले पर्यटक, श्रद्धालुओं या अन्य लोगों को पोर्टल पर पंजीकरण के बाद ही जिले में प्रवेश दिया जाएगा। वहीं उन्हें कोरोना की बीते 72 घंटे कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी। वहीं, राज्य से बाहर जाने वाले या बाहर से आ रहे लोगों को वापसी पर सात दिन के क्वारंटाइन रहना होगाा। इसकी स्वास्थ्य विभाग मानिटरिंग करेगा। ऐसे लोग बाहर जाने के लिए स्मार्ट सिटी पोर्टल पर पंजीकरण कर सकते हैं।

होम आइसोलेशन के लिए पंजीकरण 
डीएम ने बताया कि जिले में ऐसे संक्रमित व्यक्ति जिन्हें स्वास्थ्य को देखते हुए चिकित्सालय में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं है ऐसे व्यक्ति होम आइसोलेशन में जाने के लिए वेबसाइट https://dsclservices.org.in/self-isolation.php पर आवेदन कर पंजीकरण करा सकते हैं। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग उनकी मानिटरिंग करने के साथ ही दवा और अन्य व्यवस्थाए कराएगा।

देहरादून के हालात: 24 घंटे 87 फीसदी बढ़ी संक्रमितों की संख्या
देहरादून। दून में कोरोना तेजी से रफ्तार पकड़ता जा रहा है। यहां संक्रमितों की प्रतिदिन संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि जल्द काबू नहीं किया गया तो परिणाम घातक हो सकते हैं। क्योंकि, अस्पतालों में अभी से हालात खराब हैं। आगे मरीज बढ़े रहे हैं। ऐसे में संभालना मुश्किल हो जाएगा। बुधवार को जिले में 1854 नए कोरोना संक्रमित मिले। यह संख्या मंगलवार को मिले संक्रमितों की 187 फीसदी है।जिले में मंगलवार को 999 लोग कोरोना संक्रमित मिले थे। बुधवार को यह संख्या 1876 पहुंच गई। इतना ही नहीं बीते कई दिनों में भी कोरोना के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं। कोरोना संक्रमण की दर के साथ ही मरीजों का औसत तेजी से उछाल ले रहा है। इससे बचने के लिए लोगों को अतिरिक्त एहतियात बरतने की जरूरत है। क्योंकि, जिले में कोरोना अस्पताल अभी से पैक हैं। जिले में बुधवार कोरोना संक्रमण के चलते 11 लोगों की जान गई। बुधवार शाम तक जिले में कोरोना मरीजों की कुल संख्या 44,778 पहुंच गई। इनमें 9,164 एक्टिव कोरोना केस हैं।

देवस्थानम बोर्ड ने चारधाम के कपाट खुलने की तिथियां घोषित, कोरोना गाइडलाइन का पालन अनिवार्य।

वस्थानम बोर्ड ने चारधाम के कपाट खुलने की तिथियां घोषित कर दी हैं। श्री केदारनाथ धाम के कपाट 17 मई प्रात: पांच बजे और श्री बदरीनाथ धाम के 18 मई सुबह सवा चार बजे खुलेंगे।
मंगलवार को देवस्थानम बोर्ड ने धामों के कपाट खुलने की तिथियों की जानकारी दी है। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि श्री यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया पर 14 मई को दोपहर 12:15 बजे खुलेंगे। श्री गंगोत्री धाम के कपाट 15 मई को प्रात: 7 बजकर 31 मिनट पर खुलेंगे। कहा कि कोविड-19 से बचाव हेतु जारी एसओपी का पालन किया जाएगा और सभी के लिए मास्क पहनना, सामाजिक दूरी और सेनेटाइजेशन अनिवार्य रहेगा।

सरकार कोरोना टेस्ट के लिए पहाड़ के दूरस्थ इलाकों में मोबाइल टेस्टिंग वैन चलाए : हाईकोर्ट

हाईकोर्ट नैनीताल ने सरकार को पहाड़ के दूरस्थ इलाकों में मोबाइल टेस्टिंग वैन की व्यवस्था करने, अस्पतालों में आईसीयू-ऑक्सीजन बेड बढ़ाने और सीटी स्कैन मशीन लगाने के निर्देश दिए हैं। क्वारंटाइन सेंटरों की बदहाल व्यवस्थाओं को लेकर दायर याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार से पूछा कि क्या गैर सरकारी अस्पताल कोविड मरीजों को 25 प्रतिशत बेड उपलब्ध करवा रहे हैं। सरकार को विस्तृत रिपोर्ट छह मई तक पेश करने के आदेश दिए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 मई की तारीख तय की गई है। मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और आलोक वर्मा की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करते हुए सरकार से कहा कि मोबाइल वैन, मोबाइल टीमों का गठन, कोविड अस्पतालों की संख्या बढ़ाने, कोविड अस्पतालों के कर्मियों को सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

उत्तराखंड में दोपहर दो बजे बंद होंगे बाजार, आवश्यक सेवाओं को छोड़कर शेष बाजार बंद हो जाएंगे।रात्रि कालीन कफर्यू भी रात सात बजे से ही लागू हो जाएगा।

उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों में अब प्रतिदिन दोपहर दो बजते ही, आवश्यक सेवाओं को छोड़कर शेष बाजार बंद हो जाएंगे। साथ ही रात्रि कालीन कफर्यू भी रात नौ बजे के बजाय सात बजे से ही लागू हो जाएगा। उक्त आदेश आज बुधवार से ही लागू होंगे। जैसे जैसे कोविड संक्रमण बेकाबू हो रहा है, सामान्य जन जीवन पर सख्ती भी बढ़ती जा रही है। इसी क्रम में सरकार ने अब प्रदेश के सभी शहरी क्षेत्रों में रोजाना दोपहर दो बजे बाद आवश्यक सेवाओं के इतर अन्य बाजार बंद करने का निर्णय लिया है।

मुख्य सचिव ओमप्रकाश की ओर से जारी आदेश के अनुसार पूरे प्रदेश में अब रात्रि कालीन कफर्यू भी शाम सात बजे से ही लागू हो जाएगा। पहले इसके लिए रात नौ बजे का समय तय था। कफर्यू सुबह पांच बजे तक जारी रहेगा। रविवार को पूरे प्रदेश में सम्पूर्ण कोविड कफर्यू रहेगा। कफ्र्यू के दौरान बाहर से आने जाने वाले यात्री, शादी समारोह वालों को पूर्व निर्धारित शर्त के अनुसार आने जाने की छूट रहेगी। इसी तरह दूसरे राज्यों के नागरिकों को अब उत्तराखंड में प्रवेश के लिए देहरादून स्मार्ट सिटी की वेबसाइट पर पूर्व पंजीकरण करवाना होगा।
कोरोना के बढ़ते केसों के बीच उत्तराखंड में बदला नाइट कर्फ्यू का टाइम, जानें कब से बंद होंगी दुकानें

साथ ही 72 घंटे के भीतर की आरटी पीसीआर नैगेटिव रिपोर्ट भी प्रस्तुत करनी होगी। दूसरे राज्यों से अपने घर लौट रहे राज्य के नागरिकों को भी इसी प्रकार पंजीकरण करवाना होगा, हालांकि उनके लिए कोविड जांच की अनिवार्यता नहीं रखी गई है, अलबत्ता उन्हें अपने घर पर ही क्वारंटीन होना पड़ेगा। इधर, सरकार ने जिला स्तरीय कार्मिकों के अवकाश सीधे निदेशालय स्तर से मंजूर किए जाने पर रोक लगाते हुए, इसके लिए जिलाधिकारी को अधिकृत कर दिया है। उक्त सभी आदेश आज यानि बुधवार 21 अप्रैल से ही लागू होंगे।
उत्तराखंड में मंगलवार को कोरोना के 3012 नए मरीज मिले और 27 संक्रमितों की मौत हो गई। इसके साथ ही राज्य में कोरोना संक्रमितों का कुल आंकड़ा एक लाख 29 हजार पहुंच गई है। जबकि मरने वालों का आंकड़ा 1919 पहुंच गया है। राज्य लगातार बढ़ते संक्रमण की वजह से एक्टिव मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। मंगलवार को जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार राज्य के अस्पतालों में भर्ती और होम आईसोलेशन में रह रहे मरीजों का कुल आंकड़ा 21 हजार 14 पहुंच गया है। हालांकि मंगलवार को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती 737 लोगों को ठीक होने के बाद डिस्चार्ज किया गया लेकिन तीन हजार से अधिक नए मरीज मिलने से अस्पतालों का दबाव जरा भी कम नहीं हो पाया।

उत्तराखंड में आंदोलन, हड़ताल करने पर कर्मचारियों को बर्खास्त चेतावनी का कर्मचारियों पर असर नहीं

उत्तराखंड में आंदोलन, हड़ताल करने पर कर्मचारियों को बर्खास्त करने की चेतावनी का कोई असर नजर नहीं आ रहा है। कर्मचारी संगठनों के तेवर लगातार सख्त होते जा रहे हैं। बिजली कर्मचारियों ने प्रदेश भर में अपना जनजागरण कार्यक्रम जारी रखा। साफ किया कि तय आंदोलन कार्यक्रम वापस नहीं लिया जाएगा। मांगे न मानी गईं, तो 28 मई से हड़ताल तय है। बिजली कर्मचारी अधिकारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने सरकार से कर्मचारियों की बजाय ऐसे अफसरों को बर्खास्त करने की मांग की, जिन्होंने कर्मचारियों को मांगे पूरी करने का आश्वासन दिया, लेकिन उसे पूरा नहीं किया।

मोर्चा के संयोजक इंसारुल हक ने कहा कि आंदोलन, हड़ताल करने का कर्मचारियों को कोई शौक नहीं है। जब साढ़े तीन साल पहले हुए समझौते की कोई सुध ही नहीं लेगा, तो कर्मचारियों के पास क्या रास्ता बचा है, अपनी मांग उठाने का। अब सरकार कर्मचारियों से उनका लोकतांत्रिक अधिकार भी छीनना चाहती है। यदि ऐसा होता है, तो ये लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन होगा। बावजूद इसके कर्मचारी डरने वाले नहीं हैं। क्योंकि जब कोई न तो मांगे पूरी करेगा और न ही वार्ता करेगा, तो कर्मचारी क्यों अपने आंदोलन से पीछे हटेगा।

उन्होंने कहा कि सरकार से कुछ भी अनोखा नहीं मांगा जा रहा है। बल्कि उनके जो अधिकार छीने गए हैँ, उन्हें ही वापस मांगा जा रहा है। दिसंबर 2017 को जो समझौता हुआ, उसे पूरा किया जाए। इस बीच उसे न तो पूरा किया गया। न ही इस बीच कोई वार्ता की गई। 12 साल से टीजी टू से जेई पद पर प्रमोशन नहीं हुआ है। इंसेटिव बोनस नहीं दिया जा रहा है। एसीपी का 9,14,19 वर्ष पर लाभ नहीं मिल रहा। समय वेतनमान का लाभ नहीं मिल रहा है। वेतन विसंगति के मसले दूर नहीं हो रहे। ऐसे में कोई भी आंदोलन का कार्यक्रम वापस नहीं लिया जाएगा।

संयोजक इंसारुक हक ने कहा कि जिसे सरकार आंदोलन कह रही है, वो असल में जन जागरण अभियान है। इसमें कर्मचारियों को न सिर्फ उनकी मांगों को लेकर जागरुक किया जा रहा है। बल्कि लाइन लॉस कम किए जाने को भी प्रेरित किया जा रहा है।

डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ भी विरोध में
सरकार के आदेश के खिलाफ उत्तराखंड डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ भी विरोध में है। महासचिव अजय बेलवाल ने कहा कि कोई हड़ताल नहीं होनी चाहिए। जनता को प्रभावित नहीं होना चाहिए। सरकार के आदेश का समर्थन करते हैं, लेकिन बर्खास्तगी की यही कार्रवाई उनके साथ भी होनी चाहिए, जो आश्वासनों को लटकाते हैं। 15 साल से वरिष्ठता सूची को लटकाए हुए हैं। समय पर प्रमोशन नहीं करते हैं। वेतन, पेंशन का भुगतान समय पर नहीं होता है, तो उसके लिए भी कार्रवाई के वैसे ही सख्त प्रावधान सरकार को करने चाहिए।

महाकुंभ :- कोरोना महामारी के बाद पहली बार हरिद्वार कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी कमी, रामनवमी स्नान एक बार में कितने श्रद्धालु हरकी पैड़ी पर गंगा में लगा सकते है डुबकी

हरिद्वार :- बुधवार को होने वाले रामनवमी स्नान को लेकर पुलिस ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। मंगलवार रात से स्नान ड्यूटी के लिए पुलिसकर्मी तैनात हो जाएंगे। बढ़ते कोरोना के संक्रमण को देखते हुए हरकी पैड़ी पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सख्ती से कराया जाएगा। एक बार में 20 हजार श्रद्धालु हरिद्वार हरकी पैड़ी पर स्नान कर सकेंगे। मंगलवार को इसको लेकर आईजी मेला ऑनलाइन ब्रीफिंग भी करेंगे। कुंभ के तीन प्रमुख शाही स्नान समाप्त होने के बाद अब तीन ही स्नान हरिद्वार में बचे हैं। इसमें 27 को चैत्र पूर्णिमा के दिन शाही स्नान है, जबकि बुधवार को रामनवमी का पर्व और 25 अप्रैल को देव डोलियों का स्नान होना तय है।

बुधवार को होने वाले रामनवमी स्नान को लेकर पुलिस की कोशिश रहेगी कि इस स्नान में स्थानीय लोगों को दिक्कतें न हो। इस पर्व स्नान में कम ही बढ़ रहने की उम्मीद जताई जा रही है। मंगलवार से सीमाओं पर और फोर्स बढ़ा दी जाएगी। 72 घंटे भीतर की आरटीपीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट लाने के बाद ही श्रद्धालु को आने दिया जाएगा। पुलिसकर्मियों को संक्रमण से बचाव के लिए फेस शील्ड, मास्क और सेनेटाइजर भी दिए जाएंगे। वहीं कुंभ के रामनवमी पर्व स्नान से पहले हरकी पैड़ी पर सन्नाटा पसरा रहा।

कोरोना महामारी के बाद हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी कमी आई है। पिछले वर्ष 2010 के कुंभ में 10 लाख श्रद्धालुओं ने हरिद्वार में गंगा स्नान किया था। कोरोना महामारी के बीच हरिद्वार में चल रहे कुंभ के दौरान अचानक से कोरोना संक्रमण की बढ़ोतरी के बाद हरिद्वार सुनसान सा नजर आ रहा है। अचानक यात्रियों की संख्या कम हो गई है। स्नान से 48 घंटे पहले हरिद्वार में सन्नाटा पसरा नजर आया है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब कुंभ का पर्व स्नान से पहले इस तरह की स्थिति हरिद्वार में बनी हुई है।

स्नान को लेकर तैयार है ट्रैफिक प्लान
पुलिस ने ट्रैफिक प्लान भी तैयार किया है, लेकिन भीड़ कम होने की उम्मीद है। इसी को देखते हुए माना जा रहा है कि ट्रैफिक प्लान लागू करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ट्रैफिक प्लान पुराने वाला ही है। दिल्ली से आने वाले वाहनों को जरूरत पड़ने पर रुड़की लक्सर से डायवर्ट कर दक्षद्वीप पार्किंग लाया जाएगा। देहरादून से आने वालों को दूधाधारी और नजीबाबाद से आने वालों को गौरी शंकर पार्किंग में लाया जाएगा।

स्नान की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मंगलवार रात से फोर्स तैनात हो जाएगी। जरूरत पड़ने पर ट्रैफिक प्लान लागू किया जाएगा। पुलिस सख्ती से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराएगी।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को आरटीपीसीआर की नेगेटिव रिपोर्ट के बिना राज्य में आने की अनुमति नहीं

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने प्रदेश में आने वाले दूसरे राज्यों के लोगों को आरटीपीसीआर की नेगेटिव रिपोर्ट के बिना अनुमति न दी जाए। उत्तराखंड वापस आने वाले प्रवासी लोगों के लिए रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इसके लिए पिछली बार के पोर्टल को दोबारा एक्टिव किया जाए। घर लौटने पर प्रवासियों के लिए होम क्वारंटाइन अनिवार्य किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को सख्त हिदायत दी है कि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएं जाए। कहा कि कोविड सेंटरों को सुदृढ़ किया जाए। प्रदेश में कोरोना के बढ़ते ग्राफ पर लगाम लगाने के लिए कोरोना जांच में तेजी लाई जाए।

सीएम तीरथ ने राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों को अगले आदेश तक बंद करने के आदेश दे दिए हैं। जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिग में प्रदेश में कोविड की स्थिति की समीक्षा करते हुए उन्होंने जारी किए गए दिशा निर्देशों का पालन पूरी सख्ती से कराया जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हर जिले में कोविड केयर सेंटरों को मजबूत किया जाए। सीएम ने कहा कि प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थानों को बंद किया जाए। राज्य की सीमाओं पर पूरी गंभीरता से जांच की जाए।

उत्तराखंड में राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा है मृत्यु दर, जानें कोरोना कितने पॉजिटिव मरीजों की ले चुका है जान

उत्तराखंड में कोरोना के कुल नये केस 2160 मिले। 24 मरीजों की मौत भी हुई। मौत का कुल आंकड़ा 1892 पहुंच गया है। एक्टिव केस 18864 पहुंच गए हैं। राज्य में 532 मरीज ठीक भी हुए। संक्रमण दर अब 3.75 प्रतिशत और रिकवरी दर 81.54 प्रतिशत पहुंच गई है। राज्य में कोरोना के कुल केस 126193 पहुंच गए हैं। 102899 मरीज ठीक भी हो गए हैं। राज्य में सोमवार को 28170 केस निगेटिव मिले। 36023 केस जांच को भेजे गए। अभी भी 25743 सैंपल की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। सोमवार को 79 केस अल्मोड़ा, सात बागेश्वर, 22 चमोली, 15 चंपावत, 649 देहरादून, 461 हरिद्वार, 322 नैनीताल, 114 पौड़ी, चार पिथौरागढ़, 32 रुद्रप्रयाग, 142 टिहरी, 224 यूएसनगर, 89 उत्तरकाशी में पॉजिटिव केस पाए गए। कुल कंटेनमेंट जोन 90 पहुंच गए हैं।