उत्तराखंड में कोरोना वायरस का संक्रमण दर भी तेजी से बढ़ रहा है। , हर 82 सेकेंड में औसतन एक मामला दर्ज

उत्तराखंड में कोरोना वायरस के प्रसार की रफ्तार चरम पर पहुंच गई है। बीते एक पखवाड़े (एक अप्रैल से 15 अप्रैल) में प्रदेश में कोरोना संक्रमण के 15833 मामले आए हैं, जबकि जनवरी से मार्च तक यानी तीन माह में राज्य में 9491 मामले आए थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात किस कदर भयावह हो रहे हैं।
बीते 15 दिन की स्थिति का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि हर 82 सेकेंड में संक्रमण का औसतन एक मामला दर्ज हो रहा है। एक अप्रैल को प्रदेश में 500 लोग संक्रमित मिले थे। 15 अप्रैल को यह आंकड़ा साढ़े चार गुना बढ़कर 2220 पर पहुंच गया। एक अप्रैल को प्रदेश में 2236 सक्रिय मामले थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर 12484 पहुंच गई है। रिकवरी दर भी 94.59 से घटकर 85.83 फीसद पर आ गई है।

उत्तराखंड में दून और हरिद्वार कोरोना के हॉटस्पॉट बने हुए हैं। पिछले 15 दिन में इन दो जनपदों में 11142 लोग संक्रमित मिले हैं। यह प्रदेश के कुल मामलों का 70 फीसद है। इस दौरान देहरादून में 6644 और हरिद्वार में 4498 मामले आए हैं। दून, विकासनगर, ऋषिकेश और मसूरी में फिलवक्त 40 से अधिक कंटेनमेंट जोन हैं।

देहरादून जनपद की स्थिति अब भयावह होती जा रही है। हर दिन सबसे ज्यादा मामले यहीं आ रहे हैं। गुरुवार को जनपद में अब तक के सर्वाधिक 914 मामले आए। स्थिति इसलिए ज्यादा चिंताजनक है, क्योंकि यहां संक्रमण दर भी तेजी से बढ़ रही है। गुरुवार को दून में सैंपल पॉजिटिविटी रेट 16.89 फीसद पर पहुंच गया। एक सप्ताह पहले आठ अप्रैल को यह 3.72 फीसद था।

संक्रमण की स्थिति
मामले
जनवरी: 5209
फरवरी: 863
मार्च: 3419
अप्रैल (15 तक): 15833

मौत
जनवरी: 135
फरवरी: 48
मार्च: 25
अप्रैल (15 तक): 85

संक्रमण दर
जनवरी: 1.45
फरवरी: 0.31
मार्च: 1.02
अप्रैल (15 तक): 3.33

कोरोना के बढ़ते केसों के बीच कुंभ को समे।टने की शुरुआत कर दी है। सरकार जहां कुंभ को तय अवधि (30 अप्रैल) तक कराना चाहती है।

हरिद्वार में कोरोना के तेज फैलाव के बीच सरकार जहां कुंभ को तय अवधि (30 अप्रैल) तक कराने पर अडिग है, वहीं अखाड़ों ने कुंभ को समेटने की शुरुआत कर दी है। निरंजनी अखाड़े ने 17 अप्रैल को कुंभ मेला खत्म करने का निर्णय लिया है। पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने मीडिया को बताया कि, हरिद्वार में कोरोना की स्थिति अच्छी नहीं है। संत कोरोना की चपेट में आ रहे हैं। 27 अप्रैल के शाही स्नान पर चंद संत पैदल जाकर गंगा स्नान करेंगे। उन्होंने कहा कि, 17 अप्रैल को छावनी उठ जाएगी और संत अपने-अपने अखाड़ों में चले जाएंगे। उधर, पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने गुरुवार को हरियाणा की साध्वी अन्नपूर्णा भारती और बेंगलुरु के स्वामी राघवेंद्र भारती को अखाड़े का नया महामंडलेश्वर बनाया है। अखाड़ा पंचों की उपस्थिति में दोनों संतों का पट्टाभिषेक संपन्न हुआ। रविंद्र पुरी ने कहा कि गुरुवार को भी पट्टाभिषेक पहले से तय था अन्यथा इसका आयोजन भी नहीं करना था।

उत्तराखंड के जंगलों में भड़की आग को जैल से काबू किया जाएगा। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक टीम ने वन विभाग के साथ दून में दो जगहों पर सफल ट्रायल किया

उत्तराखंड के जंगलों में भड़की आग को अब विशेष प्रकार के जैल से काबू किया जाएगा। दिल्ली से आई रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक टीम ने वन विभाग के साथ दून में दो जगहों पर इसका ट्रायल किया है। इसके नतीजे अच्छे रहे। डीआरडीओ के सेंटर फॉर फायर, एक्सप्लोसिव एंड इंवायरमेंट सेफ्टी (सीएफईईएस) ने ये फायर सप्रेसिंग (अग्नि शमन) जैल तैयार किया है। यह जैल दुनिया के कई देशों में आग बुझाने में इस्तेमाल होता है। सीएफईईएस के एसोसिएट डॉयरेक्टर डॉ. केसी वाधवा ने बताया कि अभी कुआंवाला और लाडपुर के जंगल में इसका ट्रायल किया गया।

इसमें लाडपुर में तो जंगल में एक प्लॉट बनाकर आग लगाई गई और इस जैल को पानी में मिलाकर बुझाई गई। कुआंवाला में जंगल में लगी एक भीषण आग पर भी इसका ट्रायल किया गया, जो काफी सफल रहा। डॉ. वाधवा के अनुसार, ये जैल पानी की खपत को 60 प्रतिशत तक कम करता है। साथ ही पानी को जल्द भाप बनने और बहने से रोकता है। जिस आग में ये जैल पानी में मिलाकर डाला जाता है, वहां काफी समय तक नमी बनी रहती है। रायपुर रेंजर राकेश नेगी ने बताया कि वन विभाग और डीआरडीओ की टीम ने लाडपुर में इसका ट्रायल किया, जो काफी अच्छा रहा। ये बेहद कारगर है।

सात दिन तक जंगल को बना सकता है अग्निरोधक
डॉ. वाधवा के अनुसार यह ईको फ्रेंडली पालीमर बेस्ड जैल है, जो आग पानी में घुलने वाले खास तरह के अग्निरोधी पदार्थों से बनाया गया है। इसको पानी में प्वाइंट 6 से प्वाइंट 8 प्रतिशत तक मिलाते हैं। ये पानी में मिलकर छोटे से छोटे अग्निशमन उपकरण से डाला जा सकता है। अगर संवेदनशील इलाकों में इस जैल से फायर लाइन बना दी जाए या उस पूरे इलाके में पहले ही छिड़काव कर दें तो आग लगने की आशंका काफी कम हो जाएगी। इसका प्रभाव कम से कम सात दिन तक रहेगा। ये जमीन में नमी को बनाए रखने में भी मदद करता है। इससे आग लगने की संभावन भी काफी कम हो जाती है। इसकी एक्सपायरी का समय पांच साल तक है।उत्तराखंड के जंगलों में भड़की आग को अब विशेष प्रकार के जैल से काबू किया जाएगा। दिल्ली से आई रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक टीम ने वन विभाग के साथ दून में दो जगहों पर इसका ट्रायल किया है। इसके नतीजे अच्छे रहे। डीआरडीओ के सेंटर फॉर फायर, एक्सप्लोसिव एंड इंवायरमेंट सेफ्टी (सीएफईईएस) ने ये फायर सप्रेसिंग (अग्नि शमन) जैल तैयार किया है। यह जैल दुनिया के कई देशों में आग बुझाने में इस्तेमाल होता है। सीएफईईएस के एसोसिएट डॉयरेक्टर डॉ. केसी वाधवा ने बताया कि अभी कुआंवाला और लाडपुर के जंगल में इसका ट्रायल किया गया।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने हरिद्वार महाकुंभ में तीसरे स्नान ‘मेष संक्रांति’ के अवसर पर सभी श्रद्धालुओं को हार्दिक शुभकामनाएं दी।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने हरिद्वार महाकुंभ में तीसरे स्नान मेष संक्रांति के अवसर पर सभी श्रद्धालुओं को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा महाकुंभ मेले में तीसरे शाही स्नान के दौरान भारत सरकार द्वारा तय गाइडलाइन का पालन करने की अपील की है। उन्होंने कहा हरिद्वार महाकुंभ के प्रथम एवं द्वितीय शाही स्नान का आयोजन सफलतापूर्वक एवं सुरक्षित तरीके से संपन्न हो गया है। हरिद्वार महाकुंभ 2021 में आयोजित शाही स्नान में संत समाज से लेकर सभी श्रद्धालुओं में डुबकी लगाकर पूर्णिया लाभ अर्जित किया और सभी राज्य सरकार द्वारा बनाई गई व्यवस्थाओं से संतुष्ट नजर आए। भगवान बद्री विशाल, बाबा केदार और गंगा मैया के आशीर्वाद से शाही स्नान सफलतापूर्वक संपन्न होगा मुझे इसका पूर्ण विश्वास है।

महाकुंभ मेले में तीसरे शाही स्नान के दौरान साधु-संतों और श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े इसके लिए राज्य सरकार ने उचित व्यवस्था बना रखी है। कुंभ में व्यवस्थाएं सुचारू रूप से संचालित करने के लिए हर अखाड़े के स्नान का समय पहले से निर्धारित कर दिया गया है। इसके साथ ही अन्य श्रद्धालुओं के लिए भी अलग से स्नान की व्यवस्था की गई है सभी सुरक्षाकर्मी, सफाई कर्मी, मेडिकल स्टाफ आदि अपना कार्य पूरी निष्ठा के साथ कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने तीसरे शाही स्नान के लिए आने वाले सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कोरोनावायरस को लेकर भारत सरकार द्वारा तय की गई गाइडलाइन का पालन अवश्य करें सभी श्रद्धालु मास्क पहने, सामाजिक दूरी बनाए रखें और समय-समय पर हाथों को सेनीटाइज भी करते रहें।

15 मई को खुलेंगे विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट, 18 अप्रैल को तय होगा यमुनोत्री धाम खुलने का शुभ मुहूर्त

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री एवं गंगोत्री मंदिर के कपाट इस बार अलग-अलग तारीख को खुलने की स्थिति बन रही है।यमुनोत्री मंदिर खुलने का शुभ मुहूर्त 18 अप्रैल को तय होगा।

गंगोत्री मंदिर के कपाट 15 मई को खुलेंगे। अक्षय तृतीय, मिथुन लग्न की शुभ बेला पर विधिवत पूजा अर्चना के साथ सुबह 7:30 पर श्रद्धालुओं के दर्शनाथ कपाट खोल दिये जायेंगे। पवित्र धाम के कपाट खोलने के लिए 14 मई को अपने शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव से सुबह 11:45 बजे मां गंगा की उत्सव डोली गंगोत्री धाम के लिए रवाना होगी। चैत्र नवरात्र के अवसर पर गंगोत्री तीर्थ पुरोहितों ने गंगोत्री धाम के कपाट खोलने के लिए शुभ मुहूर्त निकाला।

विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट 17 मई को भक्तों के लिए खोले जाएंगे। पंचकेदार गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में केदारनाथ रावल ने घोषणा की है। प्राचीन परपंरा के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन हर साल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का दिन निकाला जाता है। केदारनाथ धाम के कपाट खोलने के लिए भगवान भैरवनाछ की 13 मई को पूजा-अर्चना की जाएगी।

बाबा केदार की चल विग्रह डोली पहले ऊखीमठ से प्रस्थान कर 14 मई को फाटा विश्राम के लिए पहुंचेगी। जबकि 15 मई को को गौरीकुंड और 16 मई को केदारनाथ धाम पहुंचेगी, जहां 17 मई को सुबह पांच बजे भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। केदारनाथ समेत चारधामों के कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर में सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं, जो अगले साल फिर अप्रैल-मई में भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं।

उत्तराखंड के गढवाल हिमालय में स्थित विश्वप्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए इस साल 18 मई को खुलेंगे। बदरीनाथ मंदिर को खोले जाने का मुहूर्त मंगलवार को बसंत पंचमी के मौके पर नरेंद्रनगर स्थित टिहरी राजवंश के दरबार में आयोजित समारोह में निकाला गया।

 

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत बोले, हरिद्वार महाकुंभ को दिव्य भव्य और सुरक्षित तरीके से कराया जा रहा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि हरिद्वार में कुंभ को दिव्य, भव्य और सुरक्षित तरीके से कराया जा रहा है। सोमवती अमावस्या पर शाही स्नान के समापन तक करीब 35 लाख श्रद्धालुओं के स्नान करने का अनुमान है। संत समाज और श्रद्धालु कुंभ मेले की व्यवस्थाओं से संतुष्ट हैं। सचिवालय में पत्रकारों से वर्चुअली बातचीत में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि कुंभ मेले में कोरोना वाइरस को लेकर केंद्र सरकार की गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है।

महामारी के दौर में विपरीत परिस्थितियों के बीच कुंभ के आयोजन की चुनौती सरकार ने स्वीकार की। मेले में संत समाज की हर सुविधा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। संत समाज और श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना न करना पड़े, इस संबंध में अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं। सीएम ने सहयोग के लिए जताया आभारमुख्यमंत्री ने बताया कि प्रशासन से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक सुबह आठ बजे तक करीब 15 लाख श्रद्धालु स्नान कर चुके थे। शाम छह बजे तक स्नान करने वालों की संख्या बढ़कर 28 लाख तक पहुंच गई और शाही स्नान का समापन होने तक करीब 35 लाख श्रद्धालुओं के स्नान करने का अनुमान है।
शाही स्नान संपन्न होने पर उन्होंने संत समाज और श्रद्धालुओं के साथ ही कुंभ के आयोजन से जुड़े अधिकारियों के सहयोग के लिए उनका आभार जताया। नरेंद्र गिरी ने किया नियमों का पालनकुंभ में कोविड-19 के नियमों का पालन करने के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कुंभ में व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के लिए हर अखाड़े के स्नान का समय निर्धारित है। संत समाज के स्वागत में कसर नहीं रखी गई है। इससे पहले महाशिवरात्रि पर हुए स्नान में संत समाज का अभिनंदन हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा से किया गया था।
सोमवार को भी हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा की गई। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी ने कोरोना संक्रमण की चपेट में आने के बाद नियमों का पालन किया। गंगा में स्नान की इच्छा छोड़कर वह होम क्वारंटाइन हैं। कुंभ की मरकज से तुलना ठीक नहीं उन्होंने कहा कि कुंभ की किसी भी तरह मरकज से तुलना ठीक नहीं है। कुंभ में खुले स्थान पर 16 घाटों में स्नान की व्यवस्था कराई गई। ऋषिकेश में नीलकंठ क्षेत्र से लेकर हरिद्वार तक कुंभ क्षेत्र फैला हुआ है।

कोरोना वाइरस को मात देने के लिए उत्तराखंड के गांव-गांव जाकर होगी बुजुर्गों की जांच, मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिए निर्देश। उत्तराखंड में तीसरे दिन भी एक हजार से ज्यादा लोग संक्रमित, सात की मौत

मुख्यमंत्री तीरथ रावत ने कहा कि कोरोना की जांच का दायरा न्याय पंचायत स्तर तक ले जाया जाएगा। बुजुर्गों की जांच को गांव-गांव तक जाने को कहा गया है। सचिवालय में सोमवार शाम सीएम ने कहा कि कोविड 19 के नियंत्रण को केंद्र से भरपूर मदद मिल रही है। वैक्सीन, पीपीई किट व दवाएं मांग के अनुसार मिल रही हैं। वैक्सीनेशन की प्रक्रिया को तेज किया जा रहा है। राज्य की टेस्टिंग क्षमता में भी इजाफा हुआ है। संक्रमण की जांच को अफसरों को पीएचसी-सीएसची के साथ न्याय पंचायत स्तर तक जाने को कहा है।

खासकर बुजुर्गों की जांच को सरकार गंभीर है। अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जरूरत पड़ने पर गांव-गांव जाकर बुजुर्गों की जांच करें व संक्रमितों को पर्याप्त उपचार दें। वैक्सीन की कमी को खारिज करते हुए सीएम ने कहा कि राज्य को पर्याप्त वैक्सीन मिल रही है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा, जहां प्रत्येक मीडियाकर्मी का भी वैक्सीनेशन कराया गया जबकि यह मानकों में नहीं था।

उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर बेकाबू होती जा रही है। प्रदेश में सोमवार को 1334 व्यक्तियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, जबकि सात मरीजों की मौत हुई है। इनमें तीन मरीज एम्स ऋषिकेश और तीन श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में भर्ती थे। इनके अलावा मैक्स अस्पताल में भर्ती एक मरीज की भी मौत हुई है।  इसके साथ ही राज्य में कुल मरीजों की संख्या एक लाख दस हजार से अधिक हो गई है। जबकि मरने वालों का आंकड़ा 1767 हो गया है।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, सरकारी व निजी लैब से 36 हजार, 432 सैंपल की जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई है। इनमें 35098 मामलों में रिपोर्ट निगेटिव आई है। देहरादून में फिर सबसे अधिक 554 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आए हैं। हरिद्वार में भी 408 व्यक्तियों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। नैनीताल में 114, ऊधमसिंह नगर में 89, पौड़ी में 70, टिहरी में 56, रुद्रप्रयाग में नौ, अल्मोड़ा, चमोली, चंपावत व उत्तरकाशी में सात-सात और बागेश्वर व पिथौरागढ़ में तीन-तीन लोग संक्रमित मिले हैं। इधर, विभिन्न जिलों में 605 मरीज ठीक भी हुए हैं। प्रदेश में अब तक कोरोना के एक लाख, 10 हजार, 146 मामले आए हैं। इनमें 98492 लोग स्वस्थ्य हो चुके हैं। वर्तमान में कोरोना के 7846 सक्रिय मामले हैं। वहीं कोरोना संक्रमित 1767 मरीजों की मौत भी हो चुकी है। राज्य में 52 कंटेन्मेंट जोन बने हैं।

सीएम तीरथ सिंह रावत ने भगवान शिव की आराधना की प्रतीक पुण्यदायी मौनी और सोमवती अमावस्या की हार्दिक शुभकामनाएं दी और उन्होने कहा भगवान गौरीशंकर का आशीर्वाद हमेशा बने रहे।

देहरादून हरिद्वार – मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भगवान शिव की आराधना की प्रतीक पुण्यदायी मौनी और सोमवती अमावस्या की हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि भगवान गौरीशंकर के आशीर्वाद से सभी के जीवन में हमेशा सुख-शांति बनी रहे।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि महाकुंभ को भव्य, दिव्य और सुरक्षित बनाने की दिशा में हम निरंतर कार्य कर रहे हैं। इस पावन अवसर पर कुंभ में गंगा स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करें। हमने बॉर्डर पर आरटीपीसीआर की व्यवस्था की गई है। बाहरी राज्यो से आने वाले सभी श्रद्धालुओं को टेस्टिंग के बाद ही स्नान के लिए आगे भेजा जा रहा है। कुंभ 12 साल में एक बार आता है इसलिए सभी श्रद्धालुओं और साधु-संतों के लिए व्यापक व्यवस्थाएं की गई हैं। साथ ही मेरा सभी से आग्रह है कि कोरोना वाइरस को लेकर भारत सरकार द्वारा निर्धारित की गई गाइडलाइन का शत-प्रतिशत पालन अवश्य करें।

पहला शाही स्नान पूरी श्रद्धा के साथ सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ था। आने वाले शाही स्नानों के लिए भी हमने उचित व्यवस्था कर रखी है। भारत सरकार ने हमें सभी चीजें जैसे मास्क, पीपीई किट आदि उपलब्ध करवाई हैं, जिसके लिए हम उनके आभारी हैं। हमारे पास कोई कमी नहीं है। कोरोना को लेकर राज्य में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और मुझे पूर्ण विश्वास है कि आगे भी नियंत्रण में रहेंगी।

हरिद्वार-महाकुंभ शाही स्नान में उमड़ा भक्तों को जन सैलाब। सूचना विभाग द्वारा दूरदर्शन के सहयोग से कुम्भ मेला के शाही स्नान पर्वों की लाईव कवरेज व प्रसारण की हाईटेक व्यवस्था की गई, यहां से देखे लाइव प्रसारण

हरिद्वार:- हरिद्वार महाकुंभ मेला के दिव्य-भव्य एवं सुरक्षित आयोजन को लेकर उत्तराखण्ड सरकार के द्वारा व्यापक इंतजाम किए गए हैं। आस्था और विश्वास के इस महापर्व को लेकर दुनियाभर के लोगों में गजब का आकर्षण और सहयोग देखने को मिलता है। इस बार कोरोना वाइरस की चुनौतियों के अभूतपूर्व दौर में लोगों को घर बैठे कुम्भ के विभिन्न आयामों एवं स्नानपर्वों से साक्षात्कार कराने के लिए उत्तराखंड सरकार ने अनेक प्रबंध किए गए हैं।
राज्य के सूचना विभाग द्वारा दूरदर्शन के सहयोग से कुम्भ मेला के शाही स्नान पर्वों की लाईव प्रसारण व कवरेज की हाईटेक व्यवस्था की गई है। इसी सिलसिले में चैत्र/सोमवती अमावस्या शाही स्नान का पूर्वाह्न 9.00 बजे से सायं 4.00 बजे तक लाईव कवरेज कर दूरदर्शन के नेशनल चैनल एवं ओटीटी प्लेटफार्म्स पर सीधा प्रसारण किया जाएगा। इस व्यवस्था के जरिए देश-विदेश में लोग घर बैठे कुम्भ स्नान का साक्षात्कार कर सकेंगे।
हरिद्वार कुम्भ मेला के शाही स्नान के लाईव प्रसारण की क्लीन फीड मीडिया के लिए निःशुल्क उपलब्ध रहेगी। लाईव प्रसारण की क्लीन फीड को सेटेलाईट GSat17 3820mhZ SR 4.25 से डाउनलिंक कर प्राप्त किया जा सकता है। सभी मीडिया प्लेटफार्म इस लाईव फीड का निःशुल्क उपयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही कुंम्भ मेला की कवरेज की लाईव स्ट्रीमिंग, वीडियो फुटेज, स्टिल फोटोग्राफ्स तथा प्रेस विज्ञप्तियों को एफ.टी.पी. सर्वर के माध्यम से मीडिया को उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। वेब ब्राउजर इंटरनेट एक्सप्लोर पर एफटीपी यूआरएल ftp://103.159.45.156:21 पर User Name: ftpuser1 Password: 7kumbh@2021 दर्ज कर एफटीपी सर्वर पर उपलब्ध डाटा को एक्सेस किया जा सकता है। मेले के सभी शाही स्नान पर्वों के दौरान यह व्यवस्थायें उपलब्ध रहेंगी। सूचना विभाग उत्तराखण्ड सरकार के सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स एवं दूरदर्शन के ओटीटी प्लेटफार्म्स पर भी शाही स्नान की लाईव स्ट्रीमिंग की जाएगी।
एलईडी स्क्रीन के माध्यम से राज्य के सभी जिला मुख्यालयों सहित प्रमुख स्थलों पर कुम्भ मेला के शाही स्नान के लाईव प्रसारण को दिखाने की व्यवस्था भी की गई है।
कुम्भ मेला की कवरेज के लिए मीडियाकर्मियों एवं मीडिया प्रतिष्ठानों की सुविधा का भी पूरा ध्यान रखा गया है। इसके लिए चण्डीद्वीप नीलधारा में आधुनिक सुविधाओं से युक्त मीडिया सेंटर की स्थापना की गई है।
कुम्भ मेला की लाईव कवरेज एवं प्रसारण को लेकर सूचना विभाग एवं दूरदर्शन के द्वारा अपनी तैयारियों को अंतिम रूप किया जा चुका है। दूरदर्शन के दिल्ली, देहरादून, लखनऊ, अहमदाबाद, रांची आदि केन्द्रों से लगभग 200 कर्मी हरिद्वार पहुंच चुके हैं। जो हरकी पैड़ी सहित मेला क्षेत्र के प्रमुख स्नान घाटों, अखाड़ो, पमुख स्थानों से कुम्भ मेला की विभिन्न रूप छवियों को लोगों के सम्मुख प्रस्तुत करेंगे।

उत्‍तराखंड :- हरिद्वार और अल्मोड़ा को छोड़ राज्य के शेष जिलों के 78 ब्लाकों में पंचायतीराज के गुर सीख रहे पंचायत प्रतिनिधि

देहरादून :- केंद्र पोषित राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान और राज्य सेक्टर की प्रशिक्षण योजनाओं के तहत हरिद्वार और अल्मोड़ा को छोड़ राज्य के शेष जिलों के 78 ब्लाकों में ग्राम प्रधान व क्षेत्र पंचायत सदस्यों को पंचायतीराज से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सचिव पंचायतीराज एचसी सेमवाल के अनुसार पंचायत प्रतिनिधियों की क्षमता वृद्धि के उद्देश्य से प्रदेशभर में पहली बार एक साथ ये प्रशिक्षण हो रहा हैं। जल्द ही न्याय पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायत सदस्यों के प्रशिक्षण का क्रम जल्द ही शुरू किया जाएगा।

पंचायतीराज विभाग के तत्वावधान में चल रहे प्रशिक्षण के तहत ब्लाक मुख्यालयों में ग्राम प्रधानों व क्षेत्र पंचायत सदस्यों के साथ ही रेखीय विभागों के ब्लाक स्तरीय अधिकारियों एवं कार्मिकों को भी पंचायतीराज से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हरिद्वार में पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने और अल्मोड़ा में विधानसभा की सल्ट सीट के उपचुनाव के मद्देनजर यह मुहिम शुरू नहीं हो पाई है।

सचिव पंचायतीराज सेमवाल ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान पंचायतीराज की संवैधानिक व्यवस्था, पंचायतीराज एक्ट, अधिप्राप्ति नियमावली, वित्तीय नियम व लेखा परीक्षा प्रणाली, केंद्र व राज्य सरकार की ग्रामीण विकास पर केंद्रित योजनाएं, समाज कल्याण की योजनाएं, ई-पंचायत, ई-ग्राम स्वराज, पीएफएमएस, डीबीटी, जैवविविधता, सेवा का अधिकार, सीएम हेल्पलाइन, ग्राम पंचायत विकास योजना, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन समेत अन्य विषयों की जानकारी विशेषज्ञों द्वारा दी जा रही है। इसके साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों को उनके अधिकार, दायित्व आदि से संबंधित पुस्तिकाएं भी वितरित की जा रही हैं