उत्तराखंड के 18 मेडिकल कॉलेजों में घटी एमबीबीएस फीस, अब 4 लाख की जगह 1.45 लाख रुपये फीस करने की मिली मंजूरी, जानिए इस अहम बैठक के महत्वपूर्ण फैसले 

देहरादून :- उत्तराखंड में बीते गुरुवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कुछ अहम फैसलों को मंजूरी दी गई। इसी बीच विद्यार्थियों को बढ़ती फीस से भी राहत मिली है। उत्तराखंड के गरीब होनहार छात्रों के लिए अब एमबीबीएस की पढ़ाई करके डॉक्टर बनने की राह आसान हो गई है।राज्य के 18 मेडिकल कॉलेजों में अब एमबीबीएस कोर्स की फीस 4 लाख रुपये से घटकर सिर्फ 1.45 लाख रुपये होगी। उत्तराखंड सरकार ने यह बड़ा ऐलान करते हुए और सौगातों का पिटारा खोला। राज्य सरकार के कर्मचारियों को इस साल दीवाली बोनस मिलेगा। आशा फैसिलिटेटरों के लिए प्रोत्साहन राशि भी बढ़ाई गई है।इसके साथ ही, राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजना में संशोधन पर भी मुहर लगी। वास्तव में, उत्तराखंड कैबिनेट की एक अहम बैठक गुरुवार को यहां सचिवालय में हुई, जिसमें ये तमाम फैसले लिये गए। इस बैठक के बाद राज्य सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने मीडिया को बैठक में लिये गए फैसलों के बारे में बताया।

सरकार ने एक ओर जहां बांड की व्यवस्था सभी मेडिकल कॉलेजों में बहाल कर दी है तो वहीं विद्यार्थियों की मांग सुनते हुए दूसरी ओर फीस भी चार लाख रुपये से घटाकर एक लाख 45 हजार रुपये कर दी है। इससे निश्चित तौर पर छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी। सरकार ने मैदानी जिलों के मेडिकल कॉलेजों में बांड भरकर MBBS करने की सुविधा को बहाल कर दिया है। मीटिंग में राज्य के 18 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस कोर्स की फीस 4 लाख रुपये से घटाकर 1.45 लाख रुपये करने का फैसला किया है। इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बढ़ती फीस के बीच विद्यार्थियों के लिए यह राहत भरी खबर है। पहले बांड व्यवस्था के तहत केवल पर्वतीय क्षेत्रों के मेडिकल कॉलेजों जैसे श्रीनगर में बांड से पढ़ाई की सुविधा थी। जबकि बिना बांड के एमबीबीएस का शुल्क चार लाख रुपये हो गया था, जिसके तहत देहरादून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने वाले छात्रों को भारी परेशानी हो रही थी। छात्र इसके खिलाफ लगातार आंदोलन कर रहे थे और अपनी आवाज उठा रहे थे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्य कर्मचारियों, छात्रों और महिलाओं के लाभ से जुड़े कई फैसले राज्य सरकार ने लिये। मंत्रिमंडल की बैठक में 25 सूत्रीय एजेंडे पर चर्चा हुई, जिनमें से 24 के संदर्भ में फैसले लिये गए जबकि एक मामले को फिलहाल टाल दिया गया। कैबिनेट बैठक में महंगाई भत्ते को तीन प्रतिशत बढ़ाए जाने के बारे में अटकलें थीं, लेकिन इस पर सरकार ने कोई चर्चा नहीं की। बहरहाल, राज्य सरकार ने इस अहम बैठक में जो महत्वपूर्ण फैसले लिये, उनके बारे में एक नज़र में जानिए।

एमबीबीएस की फीस आधी से भी कम कर दिए जाने के बाद उत्तराखंड सरकार का दावा है कि यह देश में इस कोर्स के लिए सबसे कम शुल्क है।
मुख्यमंत्री महिला पोषण योजना के अंतर्गत राज्य की महिलाओं को अब हफ्ते में दो दिन फल, मेवाएं और अंडे वितरित किए जाएंगे।
आशा फेसिलिटेटरों के लिए प्रोत्साहन राशि को 1000 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये किया गया.
स्टोन क्रशर नीति 2021, उत्तराखंड रिवर ड्रेजिंग नीति 2021 के बारे में प्रस्तावों को भी कैबिनेट ने पास किया।
वीरचंद्र गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना के तहत सब्सिडी दिए जाने की प्रक्रिया को सरल करने पर मंज़ूरी।
कक्षा 10 और 12 के छात्रों को टैबलेट दिए जाने की प्रक्रिया में टेंडर शर्तों में बदलाव किए जाने को भी स्वीकृति दी गई।
राज्य सरकार के कर्मचारियों को 7000 रुपये तक का दीवाली बोनस दिए जाने पर कैबिनेट ने मुहर लगाई. दैनिक वेतनभोगियों को 1184 रुपये का बोनस मिलेगा। उनियाल ने बताया कि इस फैसले से राज्य के 1.6 लाख कर्म​चारियों को लाभ मिलेगा।
सोहन सिंह जीना राजकीय आर्युविज्ञान एवं शोध संस्थान अल्मोड़ा में 197 अतिरिक्त पदों को भी मंज़ूरी दी गई।
पेयजल व सीवर के बिलों को लेकर कैबिनेट ने बड़ी राहत देते हुए मार्च 2022 तक लेट फीस न लेने की घोषणा की।
राज्य सरकार के कर्मचारियों को गोल्डन कार्ड सुविधा के तहत अब केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना की दरों के मुताबिक इलाज करवाने की सुविधा दी जाएगी।
कैबिनेट मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा कि मुख्यमंत्री महिला पोषण योजना के तहत राज्य में महिलाओं को सप्ताह में दो दिन फल, सूखे मेवे और अंडे जैसे पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराए जाएंगे। महिला कल्याण बाल विकास विभाग उक्त सामग्री आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए गर्भवती और धात्री महिलाओं को उपलब्ध कराएगा। इसका लाभ करीब एक लाख 80 हजार महिलाओं को मिलेगा। सरकार चुनाव से पहले इस योजना को लागू करने की तैयारी कर रही है।

बृहस्पतिवार को सचिवालय में हुई बैठक में 764 करोड़ के निवेश प्रस्तावों को स्वीकृति,मिलेंगे हजारों लोगों को रोजगार के अवसर

उत्तराखंड में 764 करोड़ के औद्योगिक पूंजी निवेश को सरकार ने मंजूरी दे दी है। मुख्य सचिव एसएस संधु की अध्यक्षता में उद्योग विभाग के लिए गठित राज्य प्राधिकृत समिति ने 764.12 करोड़ के 14 निवेश प्रस्तावों को स्वीकृति मिल गई है। इन प्रस्तावों की स्वीकृति के बाद राज्य में तीन हजार से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

बृहस्पतिवार को सचिवालय में हुई बैठक में विभिन्न निवेशकों के निवेश के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। बैठक में इन कंपनियों के प्रस्ताव को मिली मंजूरी। ट्रांस हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड के 16.32 करोड़, डिक्सन टेक्नोलाजी के 94 करोड़, बहल पेपर मिल लिमिटेड के 35 करोड़, जिप्पी खाद्य उत्पाद के 26.12 करोड़, कूल कैप्स के 28.37 करोड़, वी गार्ड कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के 50.17 करोड़, साइनोकैम लाइफसाइसेंज के 57.81 करोड़, केपीटी पाइपिंग के 23.78 करोड़, बालाजी टेक्नोमीडिया के 26.92 करोड़, महालक्ष्मी बिल्डवेल के 143.55 करोड़, मेटरो डेकोरेटिव के 157 करोड़ व केदार स्टेनलेस स्टील के 66.45 करोड़ रुपये।जिसमें निवेशकों की ओर से ऊधमसिंह नगर, देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी जिले में नए उद्योग लगाने में पूंजी निवेश किया जाएगा।

सरकार का प्रदेश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए निवेश पर विशेष फोकस है।उद्यमियों की समस्याओं का त्वरित निपटारा करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। जिससे सिंगल विंडो के माध्यम से पूंजी निवेश में तेजी आ रही है। बैठक में सचिव उद्योग अमित सिंह नेगी, उद्योग महानिदेशक रोहित मीणा, अपर सचिव वन नेहा वर्मा, निदेशक उद्योग सुधीर चंद्र नौटियाल समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।

कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि प्रदेश सरकार समयबद्ध रूप से निवेश प्रस्तावों के निस्तारण के के लिए संकल्पबद्ध है। इसी का परिणाम है कि निवेश प्रस्तावों को त्वरित मंजूरी दी जा रही है। इससे प्रदेश में रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।

 

गृह मंत्री अमित शाह उत्तराखंड में 30 अक्तूबर को विधानसभा चुनाव-2022 का करेंगे शंखनाद, कार्यकर्ताओं में भरेंगे जोश

भारत में त्यौहार के सीजन के साथ साथ अब ‘चुनावी सीजन’ आ गया है। अगले साल कई प्रदेशो में विधान सभा के चुनाव होने है, जिसमे से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पर सभी की नजरे टिकी हुई है। फिलहाल दोनों ही प्रदेशो में भाजपा की सरकार है लेकिन दोनों ही प्रदेशो का इतिहास निरंतरता वाला नहीं है, यानी हर 5 साल में यहां सत्ता परिवर्तन होता ही है।  तो अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार भाजपा सरकार सत्ता पर बरक़रार रह पाती है।

इन्ही चुनावी सरगर्मियों के बीच सारी पार्टियों ने अपनी चुनावी तैयारियां कर ली है, और पुरजोर तरीके से चुनाव प्रचार में जुट गए है।  इसी बीच गृह मंत्री अमित शाह 30 अक्टूबर को उत्तराखंड पहुंचेंगे और देहरादून पहुँच कर जनसभा को भी संबोधित करेंगे।

भाजपा 30 अक्तूबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की रैली से अपने चुनावी अभियान का आगाज करने जा रही है। विधानसभा चुनाव-2022 शाह चुनावी शंखनाद कर कार्यकर्ताओं में जोश भरेंगे। वे हरिद्वार स्थित शांतिकुंज जाएंगे व संत-समाज से भी भेंट करेंगे। भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में बुधवार को शाह की रैली की तैयारियों को लेकर बैठक हुई। इस दौरान पार्टी नेताओं ने शाह के कार्यक्रम को बड़े स्तर पर करने का फैसला लिया।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना की लांचिंग कर सकते हैं। यह सरकारी कार्यक्रम होगा। इसके बाद वह जनसभा को भी संबोधित करेंगे। सभा स्थल कहां होगा, बुधवार तक इसे फाइनल कर दिया जाएगा।

इस लॉन्च इवेंट के बाद शाह विभागीय पत्रिका ‘सहकार से समृद्धि’ का विमोचन करेंगे और जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके अलावा वो PACS (Primary Agricultural Credit Societies) के कम्प्यूटरीकरण का उद्घाटन करेंगे।केंद्रीय गृह मंत्री के कार्यक्रम का राज्य भर में 670 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) और 292 सहकारी बैंकों की शाखाओं में सीधा प्रसारण किया जाएगा।

रावत ने कहा, ‘गृह मंत्री के कार्यक्रम की तैयारियों के संबंध में जिला प्रशासन, पुलिस और सहकारिता विभागों के अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं।’ रावत ने कहा, ‘मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना’ का उद्देश्य पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाली राज्य की तीन लाख से अधिक ग्रामीण महिलाओं के बोझ को खत्म करना है। इस योजना के तहत उनके घरों में पैकेज्ड साइलेज (सुरक्षित हरा चारा) और पूरा मिश्रित पशु चारा उपलब्ध कराया जाना है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 30 अक्तूबर को सुबह नौ बजे विशेष विमान से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे। इसके बाद वह बीजापुर स्थित सैफ हाउस में पार्टी कोर ग्रुप की बैठक में हिस्सा लेंगे। इसमें वे पार्टी के आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा पर मुहर लगाएंगे। पूर्वाह्न 11 बजे से रेसकोर्स स्थित बन्नू स्कूल के मैदान में उनकी रैली होगी।

प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने बताया कि शाह 30 अक्टूबर को सुबह 11 बजे एक विशाल रैली को संबोधित करेंगे। उन्होंने बताया कि यह पार्टी की चुनावी रैली होगी। उत्तराखंड के मंत्री धनसिंह रावत ने बुधवार को यह जानकारी दी कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 30 अक्टूबर को देहरादून का दौरा करेंगे। रावत ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि 30 अक्टूबर को अमित शाह देहरादून के बन्नू स्कूल में राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी ‘मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना’ का शुभारंभ करेंगे।

रैली के बाद वे मंत्रियों और संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। वह अपराह्न चार बजे हरिद्वार रवाना होंगे। शाह हरिद्वार स्थित शांतिकुंज में एक कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद उनकी संत समाज के साथ मुलाकात का कार्यक्रम है। रात 9:30 बजे अमित शाह जौलीग्रांट एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए रवाना होंगे।

सचिवालय में आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक,दीवाली बोनस-मंहगाई भत्ते समेत कई फैसलों पर लग सकती है मुहर

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज गुरुवार को मंत्रिमंडल की बैठक होगी। राज्य सचिवालय में शाम पांच बजे से होने वाली बैठक में विभिन्न विभागों के प्रस्तावों पर चर्चा होगी।बैठक में राज्य के करीब ढाई लाख कार्मिकों को दीपावली के मौके पर महंगाई भत्ते (डीए) में तीन फीसद की वृद्धि तथा बोनस के प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है। इसके अलावा कैबिनेट में कर्मचारियों से जुड़े कई अन्य विषय भी आने की उम्मीद है। इसके अलावा कैबिनेट की बैठक में आयुष्मान योजना में संशोधन और नर्सिंग भर्ती में नियमों में बदलाव संबंधी प्रस्ताव भी कैबिनेट में आ सकते हैं।बैठक में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय बढ़ोतरी पर कैबिनेट की मुहर लग सकती है। आज कैबिनेट इस प्रस्ताव पर निर्णय ले सकती है।इसके अलावा गुरुवार को कई अन्य प्रस्तावों को भी राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में रखा जाएगा।

केदारनाथ में ऐतिहासिक होने वाला है पांच नवंबर का दिन, एक ही समय पर केदारधाम से देश के 11 अन्य ज्योतिर्लिंग को ऑनलाइन कनेक्ट करने की तैयारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पांच नवंबर को केदारनाथ धाम में पहुंचेंगे,बाबा के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेंगे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का  केदारनाथ धाम का दौरा अनूठा और यादगार होने जा रहा है।इस दिन जब पीएम बाबा केदार की शरण में होंगे, ठीक उसी समय उत्तराखंड के सभी प्रमुख शिवालयों में भाजपा के वरिष्ठ नेता विशेष पूजा अर्चना करते दिखेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बाबा केदार के प्रति आस्था जग जाहिर है। ऐसे में एक बार फिर दिवाली के समय पीएम मोदी बाबा केदार नाथ के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। दिवाली व कपाट बंद होने से पहले केदारनाथ मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाएगा। इसके लिए प्रशासन व देवस्थानम बोर्ड द्वारा जरूरी तैयारियां की जा रही हैं। मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी से सराबोर करने के साथ ही 10 क्विंटल से अधिक फूलों से सजाया जाएगा। साथ ही मंदिर परिसर व मंदिर के चारों तरफ घी के दीए जलाए जाएंगे। इसके अलावा मंदिर के मध्य में भव्य रंगोली साथ परिसर को रंग-बिरंगे झालर से भी सुशोभित किया जाएगा।

एक ही दिन में एक ही समय पर केदारधाम से देश के 11 अन्य ज्योतिर्लिंग और उत्तराखंड के सभी शिवधामों को ऑनलाइन जोड़ने की योजना है। प्रदेश संगठन इसकी तैयारी में जुट गया है। प्रधानमंत्री केदारनाथ के कपाट बंद होने से ठीक एक दिन पहले पांच नवंबर को उत्तराखंड आएंगे। उनका केदारनाथ का कार्यक्रम तय हो चुका है।

इस दिन जब पीएम बाबा केदार के दर्शन करेंगे में होंगे,उसी दिन में एक ही समय पर केदारधाम से देश के 11 अन्य ज्योतिर्लिंग और उत्तराखंड के सभी शिवधामों को वर्चुअल जोड़ने की योजना है साथ ही ठीक उसी समय उत्तराखंड के सभी प्रमुख शिवालयों में भाजपा के वरिष्ठ नेता विशेष पूजा अर्चना करते दिखेंगे।प्रधानमंत्री का दौरा इस बार विशेष के साथ अनूठा बनाने के लिए भाजपा संगठन जोर की तैयारियों में जुट गया है,अमूमन जब प्रधानमंत्री कहीं जाते हैं तो उस प्रदेश के नेता उनका स्वागत के लिए मौजूद रहते हैं साथ ही प्रधानमंत्री के हर कार्यक्रम में भी मौजूद रहते हैं लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा,प्रधानमंत्री जहां बाबा केदार के दर्शन करेंगे तो उसी समय भाजपा के सभी मंत्री और नेता प्रदेश के अलग अलग शिवालयों से पूजा करंगे और वर्चुअल माध्यम से एक दूसरे से जुड़ेंगे।

पीएम नरेंद्र मोदी के केदारधाम आने पर सरकार के सभी मंत्री, पार्टी विधायक व पदाधिकारी बाबा के धाम नहीं पहुंचना होगा।जब पीएम मोदी केदारनाथ में बाबा के दर्शन कर रहे होंगे, ठीक उसी समय भाजपा के वरिष्ठ नेता अपने आसपास के शिवालयों में पूजा अर्चना करेंगे। केदारनाथ समेत देश की सभी दिशाओं में स्थापित 12 ज्योतिर्लिंगों को भी ऑनलाइन कनेक्ट करने की तैयारी है। पीएम के दौरे के माध्यम से एक साथ सभी ज्योतिर्लिंगों को जोड़ने का प्रयास होगा।

केदारनाथ समेत देश की सभी दिशाओं में स्थापित 12 ज्योतिर्लिंगों को भी वर्चुअल कनेक्ट करने की तैयारी की जा रही है। पीएम के दौरे के माध्यम से एक साथ सभी ज्योतिर्लिंगों को जोड़ने का प्रयास होगा,जबकि अनेक शिवालयों से ठीक उसी समय भाजपा नेता भी पूजा अर्चना करेंगे।

सरकार के स्तर पर उनके केदारनाथ में स्वागत की तैयारियां तेजी से शुरू हो गई हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी वर्चुअल और दूरभाष के माध्यम से लगातार दिशा-निर्देश दे रहे हैं। पुनर्निर्माण कार्यों से दिव्य और भव्य स्वरूप ले रही केदारनगरी में पीएम आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। करीब 400 करोड़ से तैयार पुनर्निर्माण कार्यों का भी लोकार्पण करेंगे।

प्रधानमंत्री के इस दौरे को लेकर भाजपा प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी पांच नवंबर को केदारनाथ आ रहे हैं। इस दिन सभी ज्योतिर्लिंग भी वर्चुअल जुड़ेंगे। पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता राज्य के शिव मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष हरिद्वार, रक्षा राज्य मंत्री जागेश्वर में, पूर्व मुख्यमंत्री भी अलग-अलग स्थानों पर शिवालयों में जाएंगे और वर्चुअल माध्य से जुड़ेंगे। पार्टी ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है।

भगवान भोलेनाथ के पूरे देश मे 12 ज्योतिर्लिंग हैं

1.केदारनाथ (उत्तराखंड) 2.सोमनाथ (गुजरात),3. मल्लिकार्जुन (आंध्रप्रदेश), 4.महाकालेश्वर (मध्यप्रदेश),5. ऊंकारेश्वर (मध्यप्रदेश), 6. भीम शंकर(महाराष्ट्र), 7. काशी विश्वनाथ (उत्तरप्रदेश) 8. त्रयम्बकेश्वर (महाराष्ट्र) 9. वैद्यनाथ (झारखंड), 10. नागेश्वर (गुजरात), 11. रामेश्वर (तमिलनाडु),12.  घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र)।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा मंगलवार को दिल्ली से अचानक देहरादून पहुंचे,मंत्री हरक सिंह और विधायक काऊ से मुलाकात की

देहरादून :- उत्तराखंड की सियासी हवाओं की अटकलों के बीच उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा दिल्ली से अचानक देहरादून पहुंचे। बहुगुणा ने मंगलवार को देहरादून पहुंचकर मंत्री हरक सिंह और विधायक काऊ के निवास पर जाकर उनसे लंबी मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक बहुगुणा ने यह संदेश देने का प्रयास किया कि सभी एकजुट रहेंगे तो ठीक रहेगा। साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव के संबंध में चर्चा की।

कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत और रायपुर क्षेत्र से विधायक उमेश शर्मा काऊ को साधने के लिए पार्टी हाईकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को मोर्चे पर लगाया है।सूत्रों के मुताबिक, पार्टी केंद्रीय नेतृत्व ने इन अटकलों पर पूर्ण विराम लगाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बहुगुणा को मैदान में उतारा है। लंबे समय से तकरीबन उपेक्षित रहे बहुगुणा ने अपने साथियों से मुलाकात करने से पहले भाजपा प्रदेश कार्यालय का रुख किया। वहां उन्होंने प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार से मुलाकात की।

विधायक काऊ ने मुलाकात के बारे में पूछने पर बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री बहुगुणा उनके गु्रप के नेता है। उन्हीं के नेतृत्व में हम भाजपा में शामिल हुए थे। साढ़े चार साल बाद वह उनके घर आए और कुशलक्षेम पूछी। साथ ही पार्टी संगठन की मजबूती और आगामी विधानसभा चुनाव में जीत के संबंध में चर्चा हुई। मंत्री हरक सिंह रावत से काफी प्रयासों क बाद भी फोन पर संपर्क नहीं हो पाया।

पूर्व मुख्यमंत्री बहुगुणा ने कहा कि हमने कांग्रेस से विभाजन सिद्धांतों के आधार पर किया था। आज हम सभी साथ हैं और पूरी तरह से समर्पित हैं। बहुगुणा ने कहा कि हमारा आज भी यह मानना है कि उत्तराखंड का हित और विकास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सुरक्षित है। पीएम मोदी का उत्तराखंड से विशेष लगाव है।पूर्व मुख्यमंत्री ने इस पर कहा कि कांग्रेस में विभाजन करने वाले हम नौ विधायक थे, यशपाल आर्य हमारे साथ नहीं थे।बहुगुणा ने कहा कि कुछ गलत भ्रांतियां फैली हैं। न तो कोई नाराज है न ही कोई कहीं जा रहा है। उन्होंने कहा कि पार्टी छोड़ने को लेकर जो चर्चाएं हो रही हैं, वो बे सिर-पैर की कहानी है। उसमें कोई सच्चाई नहीं है।

वर्ष 2016 के सियासी घटनाक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तब उनकी अगुआई में जिन नौ कांग्रेसी विधायकों ने भाजपा का दामन थामा था, उनमें हरक सिंह रावत व उमेश शर्मा काऊ भी शामिल थे।सूत्रों के मुताबिक बहुगुणा ने मुलाकात के दौरान यह संदेश देने का प्रयास किया कि सभी एकजुट रहें। ये भी चर्चा है कि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर फार्मूला, मनपसंद सीट समेत अन्य विषयों पर भी मंथन हुआ। अब देखने वाली बात होगी कि बहुगुणा की यह मुलाकात क्या असर दिखाती है।

देवस्थानम बोर्ड के संबंध में गठित उच्चस्तरीय समिति ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अंतरिम रिपोर्ट सौंपी,क्या रद्द होगा देवस्थान बोर्ड 

चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के संबंध में उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति ने सोमवार को समिति के अध्यक्ष ध्यानी ने मुख्यमंत्री धामी से सचिवालय में मुलाकात की और उन्हें देवस्थानम बोर्ड के संबंध में अंतरिम रिपोर्ट सौंपी।

समिति के अध्यक्ष ध्यानी ने कहा कि सरकार ने उन्हें यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी। रिपोर्ट के जरिये हमने सरकार का सही मार्गदर्शन करने के साथ अधिकारी ठीक ढंग से काम करें इसका उल्लेख किया है। साथ ही अधिनियम में जो त्रुटियां और अच्छाइयां हैं, उनका जिक्र भी रिपोर्ट में किया गया है।अभी इस बारे में कुछ सार्वजनिक नहीं किया गया है कि रिपोर्ट में समिति ने क्या सुझाव दिए हैं।लोगों के मन में यह सवाल है कि क्या देवस्थान बोर्ड को रद्द कर तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों की मांग पूरी की जाएगी।

गौरतलब है कि चारों हिमालयी धामों—बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहितों द्वारा देवस्थानम बोर्ड के विरोध में लंबे समय तक आंदोलनरत रहने के मद्देनजर धामी ने वरिष्ठ भाजपा नेता ध्यानी की अध्यक्षता में इस उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था।

21 जुलाई को उत्तरकाशी दौरे में मुख्यमंत्री बनने के बाद यह घोषणा करते हुए पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अधिनियम के परीक्षण और उस पर ‘सकारात्मक संशोधन’ का सुझाव देने के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की जा रही है।उन्होंने कहा था कि यह समिति अधिनियम के विधिक पहलुओं का आकलन कर यह सुनिश्चित करेगी कि इससे चारधाम यात्रा से जुड़े हक—हकूकधारियों, पुजारियों तथा अन्य हितधारकों के पारंपरिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समस्या के समाधान को पूर्व सांसद और पंडा-पुरोहित समाज से जुड़े मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की। समिति को तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। समिति ने चारधाम के हक-हकूकधारियों से बातचीत के बाद दो माह में ही अपनी अंतरिम रिपोर्ट तैयार कर ली।

लंबे समय से आंदोलनरत चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों का मानना है कि बोर्ड का गठन उनके अधिकारों का हनन है।देवस्थानम अधिनियम पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सरकार के कार्यकाल में पारित हुआ था जिसके तहत चार धामों सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के प्रबंधन के लिए बोर्ड का गठन किया गया था। बोर्ड के गठन के बाद से ही चारधाम के तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि अधिनियम व बोर्ड के कारण उनके हितों को चोट पहुंची है। वे बोर्ड को भंग करने की मांग उठा रहे हैं।

चारधाम रूट पर सदियों पुरानी पैदल ट्रैक की होगी खोजबीन,1200 किमी में 50 दिनों तक ढूढ़ेंगे रास्ते

आज चारधाम के पुराने मार्गों को खोजने के लिए 25 सदस्यों के दल को शुभकामनाएं देते हुए रवाना कर रहा हूँ। यह गर्व का क्षण है कि हमारे पास उत्तराखण्ड की पुरानी पगडंडियों का पता लगाने के लिए एक युवा बल है। यह हमारी सदियों पुरानी विरासत को संरक्षित करने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा : मुख्यमंत्री पुष्कर धामी

उत्तराखंड में शीतकालीन और साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ऋषिकेश से चारधाम तक पुराने रास्ते की तलाश की जाएगी। इसके लिए सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। पहली बार 1200 किमी लंबे पैदल मार्ग (चारधाम ट्रेल) का खाका तैयार करने को 10 से 12 सदस्यीय रेकी टीम को सर्वे के लिए भेजा जा रहा है।केदारनाथ-बदरीनाथ सहित चारधाम के पुराने पैदल ट्रैक खोजे जाएंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने सोमवार को इन पुराने मार्गों को खोजने के लिए 25 सदस्यों के दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) ने ट्रैक द हिमालय के साथ मिलकर यह अभियान शुरू किया है। इसके तहत विशेषज्ञों के 25 सदस्यों का दल चारधाम ट्रैक पर पुराने मार्गों को खोजने के लिए 1200 किलोमीटर से अधिक का सफर तय करेगा।

दल द्वारा यह अभियान लगभग 50 दिनों तक चलाया जाएगा। दल पुराने चार धाम और शीतकालीन चार धाम मार्ग को खोजने का काम करेगा। सीएम धामी ने ट्रेकर्स को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह गर्व का क्षण है कि हमारे पास उत्तराखंड की पुरानी पगडंडियों का पता लगाने के लिए एक युवा बल है। यह पहल हमारी सदियों पुरानी विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। इस अभियान से उत्तराखंड में साहसिक खेलों को भी बढ़ावा मिलेगा।

दशकों पहले चारधाम यात्रा ऋषिकेश से पैदल मार्ग से होती थी। सड़क सुविधा न होने के कारण तीर्थ यात्री इसी रास्ते से गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ के दर्शन करने पहुंचते थे। पैदल रास्ते पर चट्टियां होती थीं, जहां पर यात्री रात्रि विश्राम करते थे। यातायात और सड़क सुविधा से प्राचीन रास्ता बंद हो गया है। शीतकालीन व साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार व पर्यटन विभाग ने चारधाम के इस पुराने रास्ते को संवारने की कवायद शुरू कर दी है।

चारधाम यात्रा पहले ऋषिकेश से पैदल होती थी। जिसमें यात्री ऋषिकेश, देवप्रयाग, टिहरी होते हुए यमुनोत्री, गंगोत्री धाम के दर्शन कर बूढ़ाकेदार, केदारनाथ, त्रियुगीनारायण, ऊखीमठ, चोपता, गोपेश्वर होते हुए बदरीनाथ पहुंचते थे। रेकी टीम इस रास्ते का सर्वे कर पूरा खाका तैयार करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभियान पर्यावरण जागरूकता फैलाने, होमस्टे, स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देने में भी सहायक सिद्ध होगा। इस अवसर पर पर सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर, अपर सचिव युगल किशोर पंत, मुख्य कार्यकारी अधिकारी कर्नल अश्विनी पुंडीर, अपर निदेशक विवेक सिंह चौहान, अपर निदेशक श्रीमती पूनम चंद आदि मौजूद रहे।

चारधाम में जमकर हुई बर्फबारी, बर्फ की सफेद चादर से ढका केदारनाथ धाम,उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

उत्तराखंड की ऊंची पहाड़ियों पर रविवार शाम को बर्फबारी होने से ठंड में इजाफा हो गया है। वहीं, केदारनाथ धाम में रविवार देर शाम जमकर बर्फबारी हुई।उत्तराखंड स्थित भगवान शिव के 11वें ज्योतिर्लिंग बाबा केदारनाथ धाम में सोमवार भोर से हो रही बर्फबारी ने स्वच्छ, धवल चादर सरीखा रूप ले लिया है। बर्फबारी से हवाई सेवा पर प्रभावित हुई है। राहत बल यहां लगातार बर्फ हटाने का काम कर रहे हैं।इस बीच सांयकालीन आरती के लिए  श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा रहा। श्रद्धालु छाता लेकर पूजा करते नजर आए। वहीं, रात भी बर्फबारी हुई तो सुबह धाम बर्फ से सराबोर नजर आया।

देवस्थानम बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. हरीश गौड़ ने आज यहां बताया कि रविवार शाम केदारनाथ धाम में बारिश के बाद बफर्बारी शुरू हुई। उन्होंने बताया कि हेलीपैड एवं रास्ते से बर्फ हटाई जा रही है।बेहद सर्द मौसम के बादवजूद चार धाम यात्रा जारी है। गौड़ ने बताया कि ऋषिकेश चारधाम बस टर्मिनल एवं हरिद्वार बस अड्डे से तीर्थयात्री चारधाम को लगातार प्रस्थान कर रहे हैं। ऋषिकेश में विभिन्न विभागों यथा- देवस्थानम बोर्ड एवं यात्रा प्रशासन संगठन सहित पुलिस, चिकित्सा- स्वास्थ्य, परिवहन, पर्यटन, नगर निगम, संयुक्त रोटेशन के हेल्प डेस्क यात्रियों की सहायता मार्गदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बदरीनाथ धाम, गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए सड़क मार्ग सुचारू है।

विश्व विख्यात केदारनाथ धाम की अंतिम चरण की यात्रा शुरू हो गई है।केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने में अब मात्र 11 दिन का समय शेष है। नवम्बर को केदारनाथ के कपाट बंद हो जाएंगे। अंतिम चरण की यात्रा में भक्तों का भारी हुजूम उमड़ रहा है। तीन दिन तक यात्रा पर मौसम ने ब्रेक लगा तो श्रद्धालू मायूस हो गए। लेकिन, जैसे ही यात्रा दुबारा शुरू हुई तो श्रद्धालुओं का हुजूम सोनप्रयाग के पुल पर देखने को मिला।पुल पर बेतहाशा भीड़ दिख रही है। हजारों की संख्या में भक्त केदारनाथ धाम में ही रात्रि प्रवास कर रहे हैं। कंपकपाती ठंड के बीच भक्तों के जयकारे सर्द मौसम को गर्म बना दे रहे हैं।

रविवार को यमुनोत्री धाम में सीजन की पहली बर्फबारी हुई थी। धाम में हल्की बर्फबारी होने से ठंड में भी इजाफा हो गया है। साथ ही बिजली सप्लाई ठप हो गई है। सुबह खिली धूप के साथ यमुनोत्री धाम व बंदरपूंछ और सप्त ऋषिकुंड का की पहाड़ियां सफेद चादर से लिपटी नजर आई।

रविवार को राजधानी देहरादून समेत आसपास के इलाकों में तेज हवा के साथ मूसलाधार बारिश हुई, वहीं पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक एवं वरिष्ठ मौसम विज्ञानी विक्रम सिंह के मुताबिक आज मौसम साफ बना रहेगा। लेकिन आने वाले दिनों में पर्वतीय इलाकों में भारी बर्फबारी हो सकती है।

 

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने सरकार को भेजा प्रस्ताव, पटवारी-लेखपाल भर्ती की प्रक्रिया में होगा बदलाव

विभाग से आए अधियाचन के हिसाब से इन भर्तियों के लिए पहले फिजिकल और फिर लिखित परीक्षा होनी चाहिए। इस नियम की वजह से आयोग पसोपेश में था कि इतनी बड़ी संख्या में युवाओं की फिजिकल कैसे कराई जाएगी। उत्तराखंड में चल रही पटवारी-लेखपाल भर्ती की प्रक्रिया का पैटर्न बदलने जा रहा है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने इसके लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा दिया है। इसमें कहा गया है कि किसी भी भर्ती के तरीके को आयोग तय करेगा न कि विभाग।प्रदेश में पटवारी के 391 और लेखपाल के 163 पद मिलाकर कुल 554 पदों के लिए पटवारी-लेखपाल भर्ती होने जा रही है। आयोग के पास इस भर्ती के लिए एक लाख 43 हजार आवेदन आ गए हैं।

विभाग से आए अधियाचन के हिसाब से इन भर्तियों के लिए पहले फिजिकल और फिर लिखित परीक्षा होनी चाहिए। इस नियम की वजह से आयोग पसोपेश में था कि इतनी बड़ी संख्या में युवाओं की फिजिकल कैसे कराई जाएगी।आयोग ने बैठक कर तय किया है कि यह उसका अधिकार होना चाहिए कि भर्ती की प्रक्रिया क्या हो। आयोग ने एक प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है, जिसमें कहा गया है कि पटवारी-लेखपाल सहित सभी भर्तियों में पैटर्न क्या होगा, यह आयोग ही तय करेगा। कोई भी विभाग तय नहीं करेगा कि उसकी प्रक्रिया क्या होगी। शासन से अनुमति मिलने के बाद ही पटवारी-लेखपाल भर्ती की गाड़ी आगे बढ़ेगी।

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्तियों में आ रहे भारी भरकम आवेदन एक नई चुनौती बन रहे हैं। चार भर्तियां ऐसी हैं, जिनमें एक लाख से अधिक आवेदन आ गए हैं। आयोग के लिए अब इनकी परीक्षा कराना बड़ी चुनौती है। पटवारी-लेखपाल भर्ती में एक लाख 43 हजार आवेदन आए हैं। इसकी परीक्षा तिथि अभी तय नहीं है। कनिष्ठ सहायक इंटरमीडिएट स्तर भर्ती में एक लाख 19 हजार आवेदन आए हैं, जिनकी परीक्षा 31 अक्तूबर को प्रस्तावित है। फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा के लिए भी एक लाख 57 हजार आवेदन आ चुके हैं जबकि प्रयोगशाला सहायक के लिए 90 हजार आवेदन आ गए हैं। इतने भारी भरकम आवेदनों की वजह से आयोग को परीक्षा में मुश्किलें पेश आ रही हैं।

चुनाव आचार संहिता से भर्तियां प्रभावित हो सकती हैं सरकार की कोशिशों के चलते अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने नई भर्तियों के आवेदन तो मंगा लिए हैं लेकिन इनकी परीक्षाओं पर विधानसभा चुनाव की छाया पड़ना तय माना जा रहा है।दिसंबर में चुनाव आचार संहिता लगने की संभावनाओं के बीच आयोग अभी इंतजार कर रहा है। आयोग का कहना है कि अगर आचार संहिता लग गई तो प्रशासन के अधिकारी उसमें व्यस्त हो जाएंगे। तब परीक्षाएं चुनाव के बाद ही होंगी।

पटवारी सहित अन्य भर्तियों में पैटर्न आयोग पर निर्भर करे, इसका प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। इसके बाद आयोग अपने हिसाब से भर्तियों की परीक्षाएं कराएगा। पटवारी भर्ती में पहले फिजिकल की शर्त की वजह से यह दुश्वारी पेश आई है। बाकी परीक्षाओं की तिथियां आचार संहिता की संभावनाओं पर निर्भर करेंगी।
– संतोष बडोनी, सचिव, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग