News web media uttarakhand : उत्तराखंड के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए बीएड नहीं बल्कि अब केवल डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) की मान्यता अनिवार्य होगी। आपको बता दे, यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTI) की याचिका के आधार पर सुनाया था। एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट ने उत्तराखंड सरकार से यह आग्रह किया है कि उत्तराखंड के निजी बीएड कॉलेजों में भी डीएलएड की पढ़ाई की अनुमति दी जाए, ताकि युवा अन्य राज्यों में पलायन न करें।
सुप्रीम कोर्ट का है यह निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा, कि प्राइमरी शिक्षक बनने के लिए उम्मीदवारों को डीएलएड की मान्यता प्राप्त होनी चाहिए, और बीएडधारक उम्मीदवारों को अब यह अवसर नहीं मिलेगा। आपको बता दे, इस निर्णय के पीछे उत्तराखंड के संदर्भ में राजस्थान हाईकोर्ट के एक निर्णय का प्रभाव है, और इसके परिणामस्वरूप उत्तराखंड में केवल कुछ कॉलेजों में ही 13 डायट में डीएलएड कोर्स चल रहा है, जिसमें हर साल केवल 650 छात्रों को ही दाखिला मिलता है।
डॉ. सुनील अग्रवाल ने प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती को लेकर दिया यह सुझाव
पूर्व में निजी कॉलेजों ने डीएलएड कोर्स की अनुमति मांगी थी, लेकिन राज्य सरकार ने इसे नहीं माना। इसके परिणामस्वरूप बहुत से युवा अन्य राज्यों में जाकर डीएलएड कोर्स कर रहे हैं। डॉ. सुनील अग्रवाल ने सरकार से मांग की कि प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती में निजी कॉलेजों में डीएलएड कोर्स की अनुमति दी जाए। इसके साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि अब NCTI को निजी कॉलेजों में डीएलएड कोर्स को संचालित करने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए, ताकि युवाओं को यूपी और अन्य राज्यों में पलायन की आवश्यकता ना हो। अन्यथा, नई शिक्षा नीति के तहत NCTI ने दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स के लिए नए आवेदन स्वीकार नहीं करने का निर्णय लिया है।