उत्‍तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने छात्रों के लिए आनलाइन शिक्षण के उद्देश्य से ज्ञानवाणी-1 और ज्ञानवाणी-2 चैनल का शुभारंभ

देहरादून:- उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में ज्ञानवाणी चैनल का वर्चुअल शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने कहा की राज्य में छात्र-छात्राओं को ऑनलाईन शिक्षण अधिगम से लगातार जोड़े रखने हेतु उत्तराखण्ड राज्य शिक्षा विभाग और जियो ने मिलकर नए ऑनलाईन एजुकेशन चैनल ज्ञानवाणी-1 और ज्ञानवाणी-2 का शुभारंभ एक अच्छा प्रयास है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि बच्चों को आनलाइन शिक्षण के उद्देश्य से शुरू किए गए एजुकेशन चैनल ज्ञानवाणी का लाभ प्रदेश के सभी बच्चों को मिले। ज्ञानवाणी चैनल की सार्थकता तभी होगी जब समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्तियों तक इसका लाभ पहुंचे। उन्होंने कहा की बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में स्कूलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती होती है। कोरोना काल में आनलाइन शिक्षण के लिए अनेक सराहनीय प्रयास किए गए। स्कूलों में कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए सभी शैक्षणिक गतिविधियां चल रही है।

शिक्षा मंत्री श्री अरविन्द पाण्डेय ने कहा कि कोविड के दौरान ऑनलाइन शिक्षण का प्रचलन शुरू हुआ. आज ऑनलाइन माध्यम से अनेक शैक्षणिक गतिविधियां की जा रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि ज्ञानवाणी चैनल के माध्यम से पीएम ई विद्या के कंटेंट को भी शामिल किया जाय. जो पूर्णतः एनसीईआरटी पाठ्यक्रम पर आधारित है।

शिक्षा सचिव श्रीमती राधिका झा ने कहा कि ऑफलाइन शिक्षण के साथ ही बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से ही शैक्षणिक गतिविधियों से जोड़ने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।ज्ञानवाणी- 1 प्राथमिक कक्षाओं एवं ज्ञानवाणी- 2 माध्यमिक कक्षाओं के लिए चलाया जा रहा है।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी जियो श्री विशाल अग्रवाल ने कहा कि समग्र शिक्षा अभियान से जुड़े सभी एनजीओ भी शिक्षा विभाग के माध्यम से ज्ञानवाणी में कंटेंट का प्रसारण कर सकते हैं।उन्होंने बताया की जल्द ही धारचूला में जियो की 4जी कनेक्टिविटी शुरू की जाएगी। इस अवसर पर शिक्षा महानिदेशक श्री बंशीधर तिवारी, मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून डॉ. मुकुल सती, जियो के स्टेट कॉर्डिनेटर दीपक सिंह एवं वर्चुअल माध्यम से सभी मुख्य शिक्षाधिकारी एवं प्रधानाचार्य मौजूद थे।

उत्तराखंड: 21 सितंबर से खुलेंगे प्राथमिक विद्यालय, कोरोनाकाल में पहली बार पहली से पांचवी तक की क्लासेज शुरू करने की गाइडलाइन्स

देहरादून :- उत्तराखंड में 21 सितंबर से प्राथमिक विद्यालय खुलेंगे। कोरोना काल मे प्रदेश में पहली बार कक्षा एक से पांचवीं तक के विद्यालय खुलने जा रहे है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से वार्ता के बाद ये फैसला लिया है।

कोरेाना महामारी की वजह से पिछले साल मार्च 2020 से प्राइमरी स्कूल बंद हैं। शिक्षा मंत्री ने बताया कि स्कूल बंद होने की वजह से शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। हालिया कुछ समय में कोविड 19 संक्रमण में गिरावट आई है। 02 अगस्त से नवीं से 12 वीं तक के स्कूलों को खोल दिया गया था, जबकि 16 अगस्त से छठी से आठवीं तक के स्कूलों में पढ़ाई शुरू हो चुकी है। हालांकि, यह साफ किया गया है कि कोई भी स्कूल अभिभावकों पर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए दबाव नहीं डालेगा। स्कूल प्रबंधन आफलाइन और आनलाइन, दोनों तरह की कक्षाएं संचालित करने की व्यवस्था करेगा। स्कूलों में कोरोना गाइडलाइन का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। शिक्षा विभाग जल्द ही स्कूल खोलने के लिए गाइडलाइन भी जारी करेगा।

प्रदेश में मार्च 2020 के बाद से ही स्कूल बंद चल रहे हैं। सरकार ने पहले इस वर्ष अप्रैल से स्कूल खोलने का इरादा जाहिर किया था, लेकिन फिर दूसरी लहर में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्कूल नहीं खोले गए। अब कोरोना संक्रमण की दर राज्य में काफी कम है। सरकार छठी से 12 वीं तक के स्कूल व कालेज पहले ही खोल चुकी है।

सरकार ने पहली से पांचवी तक के सभी सरकारी व निजी स्कूल भी खोलने का निर्णय लिया है। शुक्रवार को शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने इस संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से चर्चा करने के बाद 21 सितंबर से स्कूल खोले जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण बच्चे बहुत समय से स्कूल जाने से वंचित हैं। अब देश व प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आई है। बच्चों की शिक्षा-दीक्षा को देखते हुए मुख्यमंत्री से परामर्श लेने के बाद उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कक्षा एक से पांचवीं तक स्कूल खोलने के निर्देश जारी किए हैं।

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा
शिक्षा मंत्री ने कहा कि अधिकारियों को यह भी कहा गया है कि कि कोरोना संक्रमण अभी समाप्त नहीं हुआ है। इसे देखते हुए स्कूलों में कोविड की गाइडलाइन का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर किसी अभिभावक को लगता है कि अभी परिस्थितियां स्कूल भेजने लायक नहीं हैं, तो उन पर कोई दबाव नहीं बनाया जाएगा। कक्षा एक से पांचवीं तक कक्षाएं आफलाइन चलेंगी, लेकिन साथ ही आनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था भी होगी।

NEET, JEE Main, NDA, CDS, CLAT, समेत कई परीक्षाओं के लिए फ्री कोचिंग दे रही है सरकार, करें रजिस्टर

अगर आप मेडिकल व इंजीनियरिंग एडमिशन से लेकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए खुशखबरी है। नीट (NEET), जेईई मेन (JEE Main), जेईई एडवांस्ड (JEE Advanced), यूपीएससी, सीडीएस (UPSC CDS), एनडीए (NDA) या किसी अन्य क्षेत्र में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद काम की है। केंद्र सरकार नीट यूजी, जेईई मेन, बैं‌किंग, क्लैट, सीडीएस जैसी कई परीक्षाओं के लिए आप मुफ्त में कोचिंग क्लासेस कर सकते हैं।। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन की लास्ट डेट 10 सितंबर 2021 है।

केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय(Ministry of Social Justice and Empowerment) ने हाशिए के समुदायों के उम्मीदवारों को इंजीनियरिंग, मेडिकल और कानून प्रवेश परीक्षा जेईई मेन, एनईईटी और सीएलएटी और भर्ती परीक्षा जैसे परीक्षाओं में मदद करने के लिए एक मुफ्त कोचिंग योजना के लिए आवेदन शुरू किया था। एमएसजेई की “एससी और ओबीसी छात्रों के लिए मुफ्त कोचिंग योजना मोड 2” छात्रवृत्ति योजना अनुसूचित जाति (एससी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणियों से संबंधित छात्रों के लिए है।

अनुसूचित जाति(एससी) और अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी) के सभी छात्र, जिनकी पारिवारिक आय 08 लाख रुपये प्रति वर्ष से कम है, योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं। इस योजना के तहत प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नि:शुल्क कोचिंग के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 10 सितंबर 2021 है।

आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार: “सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की फ्री कोचिंग योजना आर्थिक रूप से वंचित अनुसूचित जाति (एससी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) उम्मीदवारों के लिए गुणवत्तायुक्त कोचिंग देने का काम कर रहा है।

रजिस्ट्रेशन कैसे करें

-सबसे पहले ऑफिशियल पोर्टल पर लॉगिन करें।

-अपनी जानकारी दर्ज करें। जैसे कैटेगरी, नाम, पिता का नाम, लिंग, मोबाइल नंबर, जन्म तिथि, 10वीं बोर्ड पास करने की स्थिति, 10वीं बोर्ड प्रमाणपत्र संख्या, 10वीं बोर्ड पास करने का वर्ष

-अब अपना पासवर्ड बनाएं

क्या है फ्री कोचिंग योजना

कोचिंग शुल्क (योजना के तहत वास्तविक या निर्धारित कोचिंग शुल्क, जो भी कम हो) रुपये का वजीफा। बाहरी और स्थानीय छात्रों को क्रमशः 6,000 और 3,000 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे। दिव्यांग छात्रों के लिए 2,000 मासिक है।

इन परीक्षा की मिलेगी फ्री कोचिंग

संघ लोक सेवा आयोग(UPSC), राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB), कर्मचारी चयन आयोग (SSC) संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE Main), राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET), सामान्य प्रवेश परीक्षा (CAT), सामान्य कानून प्रवेश परीक्षा (CLAT), इंजीनियरिंग में स्नातक योग्यता परीक्षा (GATE) बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU), वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस (CPL), राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA), संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा (CDS) एक विदेशी भाषा के रूप में अंग्रेजी की परीक्षा (TOFL), स्नातक प्रबंधन प्रवेश परीक्षा (GMAT), स्नातक रिकॉर्ड परीक्षा (GRE), शैक्षिक मूल्यांकन परीक्षा (SAT)

राज्य गठन के बीस वर्ष बीतने के बाद भी उत्तराखंड राज्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से वंचित क्यों?

देहरादून :उत्तर प्रदेश से अलग होकर पृथक प्रदेश के रूप में उत्तराखंड का गठन हुए 20 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। उत्तराखंड को राज्य घोषित करने के लिए व्यापक आंदोलन चलाया गया क्योंकि पहाड़ की जनता उत्तर प्रदेश मैं खुद को उपेक्षित महसूस कर रही थी। अपने सपनों के उत्तराखंड की मांग को लेकर जनान्दोलन चलाया गया और शहादत भी दी गई परंतु आज 20 वर्ष बाद यहां की जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है। राज्य गठन के बाद पहाड़ी क्षेत्र के लोगों को लगता था छोटा राज्य होने के कारण इसका समुचित विकास होगा लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो पाया। 20 वर्ष बाद भी एक नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की स्थापना तक नहीं हो पाई जिसके कारण विधि की पढ़ाई करने के इच्छुक छात्रों को अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों का रुख करना पड़ रहा है जिससे इस राज्य के विद्यार्थियों को घोर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

उक्त संबंध में वर्ष 2011 में उत्तराखंड विधानसभा में एक प्रस्ताव पास कर उत्तराखंड विधि विश्वविद्यालय का गठन करने की घोषणा की गई।उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित भवाली में उत्तराखंड विश्वविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया परंतु यह केवल घोषणा तक ही सीमित रह गया और धरातल पर कोई कार्य नहीं हुआ।उक्त संबंध में माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड नैनीताल में सन 2014 में दो जनहित याचिका प्रस्तुत की गई जिसमें उत्तराखंड में विधि विश्वविद्यालय के गठन  सम्बंधी समुचित आदेश पारित करने का निवेदन किया गया परंतु कुछ नहीं हुआ।तदोपरान्त सन् 2018 में राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 3(4) मैं संशोधन किया गया जिसके अनुसार उत्तराखंड विधि विश्वविद्यालय का मुख्यालय राज्य सरकार द्वारा निर्धारित स्थानों के चयन के बाद सुनिश्चित करने का निर्णय किया गया। उक्त संबंध में दिनांक 13-04-2018 को राज्य के आफिसियक गजट में उक्त संशोधन को घोषित किया गया उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 2011 के 7 वर्ष के बाद भी राज्य सरकार द्वारा मुख्यालय के लिए स्थल चयन का कार्य नहीं पूर्ण हो सका। इन परिस्थितियों के मध्य नजर माननीय उच्च न्यायालय ने 2014 में दाखिल दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिनांक 19-06-2018 को निम्न आदेश पारित किए गये-

1. यह कि राज्य सरकार उक्त आदेश के 3 महीने के अन्दर राज्य विधि विश्वविद्यालय प्रारंभ करें।

2. यह कि राज्य सरकार को निर्देश दिए गए कि वह उक्त विश्वविद्यालय किसी सरकारी बिल्डिंग में या किसी प्राइवेट भवन में समुचित किराए पर लेकर भी विश्वविद्यालय प्रारंभ कर सकता है।

3. यह कि राज्य सरकार तराई क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए उधम सिंह नगर या अन्य तराई क्षेत्र में 1800 एकड़ भूमि का चयन करके निर्माण कार्य प्रारंभ करें।

4. कि उक्त विश्वविद्यालय में सितंबर 2018 से शैक्षणिक सत्र प्रारंभ कर दिया जाए और इसके लिए आवश्यक अनुमति यों को बार काउंसलिंग ऑफ इंडिया शीघ्राति शीघ्र प्राप्त कर लिया जाए।

5. यह के आदेश की तिथि के 1 महीने के अंदर विश्वविद्यालय अधिनियम का  विनियमन तैयार करें क्योंकि अभी तक उक्त अधिनियम हेतु आवश्यक विनियमन तक नहीं पारित किए गए हैं इसके लिए 1 महीने की समय सीमा माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित की गई।

इसके अतिरिक्त यह भी निर्देश दिए गए कि विश्वविद्यालय अधिनियम के अधीन सभी नियुक्तियां जिसमें शैक्षणिक और प्रशासनिक शामिल हैं आदेश के 3 महीने के अंदर पूरी कर ली जाये।परंतु दुर्भाग्यवश 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक उक्त संबंध में कोई समुचित कार्यवाही नहीं की गई हालांकि माननीय राज्यपाल उत्तराखंड द्वारा दिनांक 13-02-2019 को एक अधिसूचना जारी करते हुए यह कहा कि उत्तराखंड के देहरादून जिले में रानी पोखरी में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का मुख्यालय बनाया जाए।

माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन न करने के कारण माननीय उच्च न्यायालय में सन 2019 को न्यायालय की अवमानना के बाद दायर किया गया जिस के परीक्षण के बाद न्यायालय ने यह स्थापित किया कि 19-06-2018 को पारित आदेशों का अनुपालन नहीं किया गया मात्र 13-02-2018 को माननीय राज्यपाल उत्तराखंड द्वारा अधिसूचना जारी कर दिया गया लेकिन कोई कार्य नहीं किया गया।

उक्त अवमानना  याचिका के विरुद्ध में राज्य सरकार सुप्रीम न्यायलय में समीक्षा याचिका दायर की जिसके परीक्षण के उपरान्त सर्वोंच्च न्यायलय ने उच्च न्यायलय नैनीताल के आदेश पर स्थगनादेश पारित किया।

किसी भी राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी होती है कि वह राज्य में मूलभूत इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करें। जिसमें स्वास्थ्य शिक्षा और आजीविका अनिवार्य क्षेत्र हैं परंतु दुर्भाग्यवश ऐसा इस नवगठित राज्य में होता नहीं दिख रहा है।शिक्षा के क्षेत्र में यह राज्य पिछड़ता चला जा रहा है अन्य राज्यों से तुलना करें तो उत्तराखंड में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी एक्ट 2011 में विधानसभा में पारित किया गया तब से अन्य राज्यों में 9 एन एल यू स्थापित किए जा चुके हैं जिनमें नव गठित राज्य छत्तीसगढ़ झारखंड और हिमाचल अपने राज्य में इसकी स्थापना कर चुके हैं।

किसी भी राज्य में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना कितनी महत्वपूर्ण है इसका वर्णन राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय अधिनियम में किया गया है।

1. राष्ट्रीय विकास के लिए कानून कानूनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए।

2.सामाजिक परिवर्तन के लिए एक माध्यम के रूप में कानूनी प्रक्रिया बनाने के लिए कानून के ज्ञान को प्रोत्साहित करना।

3. विधिक क्षेत्र में सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए एक भावना विकसित करने और कानूनी क्षेत्र में छात्रों और शोधों को अमल में लाने के लिए विधिक कौशल को विकसित करना।

इन उद्देश्यों को विकसित करने में उत्तराखंड की सरकार विफल रही है जनहित की अपेक्षा करके केवल अपने हितों की पूर्ति मैं संलग्न होने की राजनेताओं की प्रवृत्ति इस राज्य के विकास की सबसे बड़ी बाधा है।

राज्य में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि इसके गठन से इस राज्य के विद्यार्थियों को अपने राज्य के विश्वविद्यालय में आरक्षण मिलता है इसके अतिरिक्त गुणवत्ता पूर्व कानूनी शिक्षा मिलने से यहां के युवाओं को रोजगार के अतिरिक्त सरकार समाज और कंपनियों के लिए भी सक्षम नेतृत्व प्रदान करने का अवसर मिलेगा जो इस दुर्गम और पिछड़े प्रदेश के लिए प्राथमिकता समझा जाना चाहिए परंतु इस क्षेत्र में इस संबंध में सार्थक पहल अभी तक इंतजार है।

राज्य गठन के बीस वर्ष बीतने के बाद भी उत्तराखंड राज्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से वंचित क्यों?

देहरादून :- उत्तर प्रदेश से अलग होकर पृथक प्रदेश के रूप में उत्तराखंड का गठन हुए 20 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। उत्तराखंड को राज्य घोषित करने के लिए व्यापक आंदोलन चलाया गया क्योंकि पहाड़ की जनता उत्तर प्रदेश मैं खुद को उपेक्षित महसूस कर रही थी। अपने सपनों के उत्तराखंड की मांग को लेकर जनान्दोलन चलाया गया और शहादत भी दी गई परंतु आज 20 वर्ष बाद यहां की जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है। राज्य गठन के बाद पहाड़ी क्षेत्र के लोगों को लगता था छोटा राज्य होने के कारण इसका समुचित विकास होगा लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो पाया। 20 वर्ष बाद भी एक नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की स्थापना तक नहीं हो पाई जिसके कारण विधि की पढ़ाई करने के इच्छुक छात्रों को अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों का रुख करना पड़ रहा है जिससे इस राज्य के विद्यार्थियों को घोर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

उक्त संबंध में वर्ष 2011 में उत्तराखंड विधानसभा में एक प्रस्ताव पास कर उत्तराखंड विधि विश्वविद्यालय का गठन करने की घोषणा की गई।उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित भवाली में उत्तराखंड विश्वविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया परंतु यह केवल घोषणा तक ही सीमित रह गया और धरातल पर कोई कार्य नहीं हुआ।उक्त संबंध में माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड नैनीताल में सन 2014 में दो जनहित याचिका प्रस्तुत की गई जिसमें उत्तराखंड में विधि विश्वविद्यालय के गठन  सम्बंधी समुचित आदेश पारित करने का निवेदन किया गया परंतु कुछ नहीं हुआ।तदोपरान्त सन् 2018 में राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 3(4) मैं संशोधन किया गया जिसके अनुसार उत्तराखंड विधि विश्वविद्यालय का मुख्यालय राज्य सरकार द्वारा निर्धारित स्थानों के चयन के बाद सुनिश्चित करने का निर्णय किया गया। उक्त संबंध में दिनांक 13-04-2018 को राज्य के आफिसियक गजट में उक्त संशोधन को घोषित किया गया उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 2011 के 7 वर्ष के बाद भी राज्य सरकार द्वारा मुख्यालय के लिए स्थल चयन का कार्य नहीं पूर्ण हो सका। इन परिस्थितियों के मध्य नजर माननीय उच्च न्यायालय ने 2014 में दाखिल दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिनांक 19-06-2018 को निम्न आदेश पारित किए गये-

1. यह कि राज्य सरकार उक्त आदेश के 3 महीने के अन्दर राज्य विधि विश्वविद्यालय प्रारंभ करें।

2. यह कि राज्य सरकार को निर्देश दिए गए कि वह उक्त विश्वविद्यालय किसी सरकारी बिल्डिंग में या किसी प्राइवेट भवन में समुचित किराए पर लेकर भी विश्वविद्यालय प्रारंभ कर सकता है।

3. यह कि राज्य सरकार तराई क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए उधम सिंह नगर या अन्य तराई क्षेत्र में 1800 एकड़ भूमि का चयन करके निर्माण कार्य प्रारंभ करें।

4. कि उक्त विश्वविद्यालय में सितंबर 2018 से शैक्षणिक सत्र प्रारंभ कर दिया जाए और इसके लिए आवश्यक अनुमति यों को बार काउंसलिंग ऑफ इंडिया शीघ्राति शीघ्र प्राप्त कर लिया जाए।

5. यह के आदेश की तिथि के 1 महीने के अंदर विश्वविद्यालय अधिनियम का  विनियमन तैयार करें क्योंकि अभी तक उक्त अधिनियम हेतु आवश्यक विनियमन तक नहीं पारित किए गए हैं इसके लिए 1 महीने की समय सीमा माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित की गई।

इसके अतिरिक्त यह भी निर्देश दिए गए कि विश्वविद्यालय अधिनियम के अधीन सभी नियुक्तियां जिसमें शैक्षणिक और प्रशासनिक शामिल हैं आदेश के 3 महीने के अंदर पूरी कर ली जाये।परंतु दुर्भाग्यवश 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक उक्त संबंध में कोई समुचित कार्यवाही नहीं की गई हालांकि माननीय राज्यपाल उत्तराखंड द्वारा दिनांक 13-02-2019 को एक अधिसूचना जारी करते हुए यह कहा कि उत्तराखंड के देहरादून जिले में रानी पोखरी में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का मुख्यालय बनाया जाए।

माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन न करने के कारण माननीय उच्च न्यायालय में सन 2019 को न्यायालय की अवमानना के बाद दायर किया गया जिस के परीक्षण के बाद न्यायालय ने यह स्थापित किया कि 19-06-2018 को पारित आदेशों का अनुपालन नहीं किया गया मात्र 13-02-2018 को माननीय राज्यपाल उत्तराखंड द्वारा अधिसूचना जारी कर दिया गया लेकिन कोई कार्य नहीं किया गया।

उक्त अवमानना  याचिका के विरुद्ध में राज्य सरकार सुप्रीम न्यायलय में समीक्षा याचिका दायर की जिसके परीक्षण के उपरान्त सर्वोंच्च न्यायलय ने उच्च न्यायलय नैनीताल के आदेश पर स्थगनादेश पारित किया।

किसी भी राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी होती है कि वह राज्य में मूलभूत इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करें। जिसमें स्वास्थ्य शिक्षा और आजीविका अनिवार्य क्षेत्र हैं परंतु दुर्भाग्यवश ऐसा इस नवगठित राज्य में होता नहीं दिख रहा है।शिक्षा के क्षेत्र में यह राज्य पिछड़ता चला जा रहा है अन्य राज्यों से तुलना करें तो उत्तराखंड में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी एक्ट 2011 में विधानसभा में पारित किया गया तब से अन्य राज्यों में 9 एन एल यू स्थापित किए जा चुके हैं जिनमें नव गठित राज्य छत्तीसगढ़ झारखंड और हिमाचल अपने राज्य में इसकी स्थापना कर चुके हैं।

किसी भी राज्य में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना कितनी महत्वपूर्ण है इसका वर्णन राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय अधिनियम में किया गया है।

1. राष्ट्रीय विकास के लिए कानून कानूनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए।

2.सामाजिक परिवर्तन के लिए एक माध्यम के रूप में कानूनी प्रक्रिया बनाने के लिए कानून के ज्ञान को प्रोत्साहित करना।

3. विधिक क्षेत्र में सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए एक भावना विकसित करने और कानूनी क्षेत्र में छात्रों और शोधों को अमल में लाने के लिए विधिक कौशल को विकसित करना।

इन उद्देश्यों को विकसित करने में उत्तराखंड की सरकार विफल रही है जनहित की अपेक्षा करके केवल अपने हितों की पूर्ति मैं संलग्न होने की राजनेताओं की प्रवृत्ति इस राज्य के विकास की सबसे बड़ी बाधा है।

राज्य में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि इसके गठन से इस राज्य के विद्यार्थियों को अपने राज्य के विश्वविद्यालय में आरक्षण मिलता है इसके अतिरिक्त गुणवत्ता पूर्व कानूनी शिक्षा मिलने से यहां के युवाओं को रोजगार के अतिरिक्त सरकार समाज और कंपनियों के लिए भी सक्षम नेतृत्व प्रदान करने का अवसर मिलेगा जो इस दुर्गम और पिछड़े प्रदेश के लिए प्राथमिकता समझा जाना चाहिए परंतु इस क्षेत्र में इस संबंध में सार्थक पहल अभी तक इंतजार है।

अटल उत्कृष्ट स्कूल को सीबीएसई ने मान्यता देने से किया इंकार, सूत्रों के अनुसार अधूरे मानकों की वजह से सीबीएसई ने आवेदन को स्वीकार नहीं

उत्तराखंड के अटल उत्कृष्ट स्कूलों में 16 को सीबीएसई से मान्यता हासिल नहीं हो पाई। 189 चयनित अटल स्कूलों में केवल 172 ही विधिवत सीबीएसई से मान्य हो पाए हैं। सूत्रों के अनुसार अधूरे मानकों की वजह से सीबीएसई ने आवेदन को स्वीकार नहीं किया। इन स्कूलों को मान्यता दिलाने के लिए नए सिरे से कोशिश शुरू की गई है। मान्यता का पोर्टल खुलने पर दोबारा अर्जी लगाई जाएगी।

प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर विकसित किए जा रहे अटल स्कूल सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल हैं। इन स्कूलों में छात्रों के सभी प्रकार की फीस आदि का पूरा खर्च सरकार खुद ही उठा रही है।संपर्क करने पर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि, अटल उत्कृष्ट स्कूलों की मान्यता पर प्रक्रिया जारी है। शेष 16 की मान्यता भी जल्द ही जारी हो जाएगी। इनकी सभी औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी हैूं।

चयन आयोग की विश्वसनीयता पर आंच, बेरोजगार संघ कह रहा की ऑनलाइन भर्ती प्रक्रिया हेतु चयनित कंपनी ब्लैक लिस्टेड है, सरकार कराए जांच- मोर्चा

प्रदेश में बेरोजगारों के साथ इस तरह के विरोधाभास के चलते असमंजस की स्थिति बनी हुई है तथा बेरोजगारों में अपने भविष्य को लेकर चिंता बनी हुई है |

चयन आयोग कह रहा सब कुछ है ठीक ! बेरोजगारों की शंका दूर कर उनके रोजगार संबंधी मार्ग प्रशस्त करने का काम करे शीघ्र करे सरकार |

जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि कुछ दिनों से बेरोजगार संघ अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की कार्यप्रणाली एवं उसके द्वारा ऑनलाइन भर्ती प्रक्रिया हेतु चयनित कंपनी को लेकर विवाद चल रहा है, जो कि अपने आप में बहुत कुछ बयान कर रहा है | कहीं ऐसा तो नहीं कि भर्ती करने वाली कंपनी एवं चयन आयोग की जुगलबंदी युवा बेरोजगारों को छलने का काम तो नहीं कर रही | नेगी ने कहा कि एक तरफ बेरोजगार संघ कह रहा है कि भर्ती करने वाली कंपनी ब्लैक लिस्टेड है तथा दूसरी ओर चयन आयोग के सचिव का कहना है कि पूरी पारदर्शिता के साथ भर्ती प्रक्रिया संपन्न कराई जा रही है तथा कंपनी कहीं भी ब्लैक लिस्टेड नहीं है | नेगी ने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारों के साथ इस तरह के विरोधाभास के चलते असमंजस की स्थिति बनी हुई है तथा बेरोजगारों में अपने भविष्य को लेकर चिंता बनी हुई है | मोर्चा सरकार से मांग करता है कि उक्त मामले में शीघ्र ही बेरोजगारों की शंका दूर कर उनके रोजगार संबंधी मार्ग प्रशस्त करने का काम करे |

देहरादून : डीएवी पीजी कॉलेज में स्नातक प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की अंतिम तिथि एक बार फिर बढ़ा दी गई है

देहरादून : डीएवी पीजी कॉलेज में स्नातक प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की अंतिम तिथि एक बार फिर बढ़ा दी गई है। कॉलेज के मीडिया प्रभारी डॉ. हरिओम शंकर ने बताया कि विभिन्न छात्र संगठनों के अनुरोध पर स्नातक प्रथम सेमेस्टर में ऑनलाइन पंजीकरण व स्नातक और स्नातकोत्तर के असाइनमेंट जमा करने की अंतिम तारीख चार सितंबर कर दी गई है। इससे पहले 30 अगस्त और फिर दो सितंबर अंतिम तारीख तय की गई थी।

डॉ. हरिओम शंकर ने बताया कि चार सितंबर सभी विद्यार्थियों के लिए पंजीकरण और असाइनमेंट के लिए अंतिम अवसर होगा। जिन विद्यार्थियों के फार्म में त्रुटि है तो वह भी इसमें सुधार कर सकते हैं। पांच और छह सितंबर को पोर्टल बैंकिंग क्लीयरेंस के कारण बंद रहेगा। चार तारीख को किए गए आवेदन की त्रुटि का सुधार सात सितंबर को किया जा सकता है।
पंजीकरण और असाइनमेंट दोनों ही डीएवी कॉलेज की वेबसाइट www.davpgcollege.in पर ही होंगे।

डीबीएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. वीसी पांडेय ने बताया कि कॉलेज में स्नातक प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश के आनलाइन पंजीकरण की अंतिम तिथि तीन सितंबर है।

एमकेपी कॉलेज की प्राचार्य डॉ. रेखा खरे ने बताया कि कॉलेज में स्नातक प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन की दो सितंबर को अंतिम तारीख थी। इसके बाद मेरिट की सूची जारी करने पर कार्य किया जाएगा। अगर सामान्य या आरक्षित वर्ग में सीट रिक्त रहती हैं तो आवेदन के लिए छात्र-छात्राओं को फिर मौका दिया जाएगा।

राज्य के स्कूल भी खुले गए , लेकिन कोविड कर्फ्यू भी बढ़ा गया , स्कूल खुलने के फैसले के खिलाफ मामला हाईकोर्ट में…

उत्तराखण्ड कैबिनेट के फैसले के अनुसार प्रदेश में 2 अगस्त 2021 से स्कूल खोल दिए गए हैं। वहीं दूसरी ओर देर शाम कोविड-19 के नियंत्रण हेतु कोविड कर्फ्यू के संबंध में नई गाइडलाइन भी जारी की गई है, जिसके तहत प्रदेश में अब कोविड कर्फ्यू 10 अगस्त 2021 तक बढा दिया गया है। नई गाइडलाइन के मुताबिक राज्य के समस्त शासकीय एवं निजी विद्यालय, विद्यालयी शिक्षा विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार संचालित होंगे। प्रदेश के समस्त औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, पॉलीटेक्निक, महाविद्यालय, मेडिकल एवं नर्सिंग कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, कृषि एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, समस्त विश्वविद्यालय एवं अन्य समस्त संस्थान को खोलने के लिए संबंधित विभाग द्वारा मानक प्रचलन विधि कोविड प्रोटोकॉल के साथ खोले जाने हेतु पृथक से जारी की जाएगी एवं उसकी संबंधित संस्थानों द्वारा कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराया जाएगा।

वहीं राज्य में 2 अगस्त से स्कूल खोलने का मामला हाईकोर्ट भी पहुंच गया है। हाईकोर्ट में कैबिनेट के फैसले के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है, कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से कैबिनेट के निर्णय के बजाय संबंधित शासनादेश को चुनौती देने को कहा है, मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त को होगी।

देहरादून के विजय सिंह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि बीते दिनों कैबिनेट ने कक्षा 6 से बारह तक के विद्यालयों को खोलने का ऐलान किया, प्रदेश में कोरोना संकट जारी है। पहाड़ी क्षेत्रों में अब भी बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन की पहली डो़ज तक नहीं लगी है। ऐसे में सरकार का निर्णय गलत है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बतााय गया कि उन्होंने कैबिनेट के निर्णय को चुनौती देते हुए 29 जुलाई को याचिका दायार की है। सरकार से संबंधित जिओ 31 जुलाई को जारी किया गया ऐसे में उन्हें जनहित याचिका में संशोधन को समय दिया जाए, इस पर कोर्ट ने समय दे दिया। राज्य में कई अभिभावक संगठन भी सरकार के स्कूल खोलने के फैसले के खिलाफ हैं, अभिवावक संघों का कहना है कि स्कूलों के दबाव में सरकार ने यह फैसला लिया है। अभिभावकों से सहमति पत्र भरवाकर स्कूल जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं, स्कलों को बच्चों की कोई परवाह नहीं है।

CLAT 2021 की ऑनलाइन पहली काउंसलिंग स्टार्ट हो गयी है , 1 अगस्त को पहली सूचि जारी होगी |

CLAT Result 2021 घोषित किए जाने के साथ ही देश के टॉप विधि विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया (CLAT Counseling process 2021) शुरू कर दी गई है | पहले चरण की काउंसलिंग के नतीजे 1 अगस्त को जारी किए जाएंगे | लॉ प्रेप ट्यूटोरियल देहरादून के निदेशक सिद्धनाथ उपाध्याय ने बताया कि यह काउंसलिंग ऑनलाइन हो रही है, सीट आवंटन मेरिट कम भागीदारी यानी इसको और प्रवेश के समय दी गई वरीयता के कर्म के आधार पर होगी | दाखिले के लिए काउंसलिंग के न्यूनतम 5 राउंड होंगे और छात्रों को प्रवेश प्रक्रिया के दौरान आवंटित सीटों को सुरक्षित करने के लिए 50 हजार रुपए जमा करने होंगे |

यह रहेगा काउंसलिंग का कार्यक्रमपहले चरण की काउंसलिंग के नतीजे 1 अगस्त को जारी किए जाएंगे | छात्रों को अपनी वैधता के हिसाब से आवंटित सीटों को सुरक्षित करने के लिए शुल्क जमा करना होगा | दूसरे चरण की काउंसलिंग के लिए 9 अगस्त तक सूची जारी होने की उम्मीद है, जिन अभ्यर्थियों के नाम इस सूची में होंगे उनके लिए काउंसलिंग 9 और 10 अगस्त को होगी | यह काउंसलिंग भी ऑनलाइन ही कराई जाएगी | तीसरी, चौथी और पांचवी सूची 13 अगस्त से 20 अगस्त के बीच जारी होगी | हर सूची के बाद छात्र के पास केवल 2 दिन का समय होगा |

इस दौरान उसे सीट ब्लॉक करने के लिए अपने डाक्यूमेंट्स को अपलोड करके फीस जमा करना अनिवार्य होगा | इस प्रक्रिया के बाद अगर किसी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में कोई सीट खाली होगी तो अभ्यर्थियों को विश्वविद्यालयों की व्यक्तिगत वेबसाइट पर उसकी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी | उस पर दी गई कटऑफ के आधार पर अलग से आवेदन करना होगा | जो छात्र CLAT 2021 परीक्षा में उपस्थित हुए हैं, वे ऑफिशियल वेबसाइट consortiumofnlus.ac.in पर जाकर अपना रिजल्ट (CLAT Result 2021) चेक कर सकेंगे |

आधिकारिक साइट पर जारी कैलेंडर के अनुसार CLAT 2021 काउंसलिंग रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है | यह 30 जुलाई (12 दोपहर) तक चलेगी |  उम्मीदवारों को अपनी पसंद के एनएलयू में अपनी सीटों को ब्लॉक करने के लिए 50,000 रुपये का भुगतान करना होगा | ऑफिशियल नोटिस में यह भी कहा गया है, “यदि उम्मीदवार जिन्हें पहली से चौथी Allocation लिस्ट में सीटें आवंटित की गई हैं, वे अपना प्रोविजनल एडमिशन वापस लेना चाहते हैं, तो वे इसे 18 अगस्त, 2021 को या उससे पहले कर सकते हैं |इस तारीख के बाद, सीट को ब्लॉक करने और वेटिंग उम्मीदवारों को नुकसान में डालने के लिए काउंसलिंग फीस से 10 हजार रुपये काट लिए जाएंगे |