उतराखण्ड के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस के सीटों पर फीस 50 हजार हुई

देहरादून :- उत्तराखंड सरकार ने दून-हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में मेडिकल छात्रों के लिए एक बार फिर से बांड की व्यवस्था लागू करने जा रही है। दो साल पहले सरकार ने हल्द्वानी और दून मेडिकल कॉलेज में बांड की व्यवस्था खत्म कर दी गई थी। इसके बाद दोनों मेडिकल कॉलेजों में छात्रों को चार लाख रुपये सालाना फीस चुकानी पड़ रही थी।इस फीस का छात्र काफी समय से विरोध कर रहे हैं। सरकारी प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया कि छात्र हित को देखते हुए फिर से दून और हल्द्वानी में बांड की व्यवस्था लागू की जाएगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग को इसके लिए प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए हैं। अगली कैबिनेट में इस पर मुहर लगाई जाएगी। अभी सिर्फ श्रीनगर मेडिकल कालेज में ही छात्रों को यह सुविधा मिल रही थी।

एमबीबीएस के छात्र लगातार सरकारी कॉलेजों में फीस कम करने की मांग कर रहे हैं। इस बीच मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस का मुद्दा उठा। मामले में यह तथ्य सामने आया कि वर्ष 2019 में यह व्यवस्था की गई थी कि बांड से केवल पर्वतीय जिलों के मेडिकल कॉलेजों (श्रीनगर मेडिकल कॉलेज, अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज) में ही पढ़ाई की सुविधा दी जाएगी। मैदानी जिलों के मेडिकल कॉलेजों दून मेडिकल कॉलेज व हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में बांड की व्यवस्था खत्म कर दी थी। बांड भरकर एमबीबीएस की सालाना फीस 50 हजार रुपये है जबकि बिना बांड चार लाख रुपये फीस है।

सरकार की इस सहमति के बाद अब दून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में पचास हजार सालाना फीस पर छात्रों को एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश मिल जाएगा। जबकि अभी बिना बांड के यह फीस चार लाख रुपये सालाना है। श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में भी बांड की फीस पचास हजार रुपये है। बांड वाले डॉक्टरों को एक साल मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप और दो साल राज्य में नौकरी करनी होगी।

बांड भरने वालों के लिए भी नियम काफी सख्त हैं। मेडिकल कॉलेजों में जूनियर और सीनियर रेजीडेंट डॉक्टरों की कमी को देखते हुए बांड से एमबीबीएस करने वाले छात्रों को पहले एक साल मेडिकल कॉलेजों में सेवा देनी होती है। उसके बाद दो साल तक दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों के प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों पर सेवा देनी हाती है। इसके बाद दो वर्ष तक जिला चिकित्सालयों या दुर्गम के चिकित्सालयों में सेवा की अनिवार्यता होती है।

 

उत्तराखंड में नर्सिंग और पैरामेडिकल में आज से ऑनलाइन आवेदन शुरू,प्रवेश परीक्षा 20 और 21 नवंबर को होगी

देहरादून :- उत्तराखंड में नर्सिंग और पैरामेडिकल में आज (बुधवार ) से ऑनलाइन आवेदन शुरू हो जाएंगे। एचएनबी मेडिकल विवि ने प्रवेश परीक्षा का शेड्यूल मंगलवार शाम को जारी कर दिया है। बुधवार से ऑनलाइन आवेदन शुरू हो जाएंगे।अभ्यर्थी 11 नवंबर तक आवेदन कर पाएंगे। प्रवेश परीक्षा 20 और 21 नवंबर को होगी। अभ्यर्थी 11 नवंबर तक आवेदन कर पाएंगे।

विवि के कुलपति डा. हेमचंद्र पांडेय ने बताया कि एएनएम और जीएनएम की प्रवेश परीक्षा 20 नवंबर को आयोजित की जाएगी। बीएससी नर्सिंग, एमएससी नर्सिंग, बीएससी पैरामेडिकल और पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग की प्रवेश परीक्षा 21 नवंबर को होगी। प्रवेश पत्र 14 नवंबर से डाउनलोड किए जा सकेंगे।

परीक्षा नियंत्रक प्रो. विजय जुयाल के अनुसार इस परीक्षा के माध्यम से प्रदेश में राज्य कोटे की नर्सिंग और पैरामेडिकल से संबंधित सीटों पर दाखिला दिया जाएगा। निजी नर्सिंग व पैरामेडिकल संस्थानों में 50 प्रतिशत सीटें राज्य कोटे की हैं। वहीं बीएससी नर्सिंग में दाखिले अगले साल से नीट से किए जाएंगे। यह व्यवस्था इसी साल लागू होनी थी, पर इसका आदेश विलंब से हुआ। ऐसे में छात्रों को एक साल रियायत दी गई है। इन बदलाव के कारण भी परीक्षा में देरी हुई है।

बीएससी नर्सिंग के परीक्षा पैटर्न में इस बार बदलाव किया गया है। नर्सिंग काउंसिल के नए नियमों के तहत इसमें अंग्रेजी और नर्सिंग एप्टीट्यूट का भी सेक्शन जुड़ गया है। परीक्षा नियंत्रक प्रो. विजय जुयाल ने बताया कि प्रवेश परीक्षा में नॄसग एप्टीट्यूट, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और अंग्रेजी में 20-20 अंक के सवाल पूछे जाएंगे। प्रवेश परीक्षा में 50 फीसदी से कम अंक लाने वालों को क्वालिफाई नहीं माना जाएगा। हर अभ्यर्थी को आनलाइन आवेदन पत्र में न्यूनतम तीन परीक्षा केंद्रों का विकल्प भरना होगा। विवि कोई एक परीक्षा केंद्र अभ्यर्थी को आवंटित करेगा। एक बार आवंटित परीक्षा केंद्र में किसी भी तरह का बदलाव नहीं होगा।

आईसीएआई द्वारा दिसंबर 2021 एग्जाम के लिए रजिस्ट्रेशन का एक और मौका, 11 अक्टूबर से दो दिनों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को फिर से खोला गया

‘द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) सीए फाउंडेशन, इंटरमीडिएट और फाइनल कोर्सेस की दिसंबर 2021 परीक्षाओं के लिए रजिस्ट्रेशन करने से किसी कारणवश वंचित रह गये हैं, तो आपके लिए अब एक और मौका है। दिसंबर परीक्षा 2021 सभी कोर्सेज के लिए आवेदन 11 अक्टूबर से दो दिनों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को फिर से खोला गया है। जो उम्मीदवार परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन करना चाहते है। चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) फाउंडेशन, इंटरमीडिएट और फाइनल कोर्सेस की दिसंबर 2021 परीक्षाओं के लिए रजिस्ट्रेशन करने से किसी कारणवश वंचित रह गये हैं, तो आपके लिए अब एक और मौका है। ‘द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया’ ने विभिन्न कोर्सेस की सीए परीक्षाओं के लिए फॉर्म भरने के लिए अप्लीकेशन विंडो को 11 अक्टूबर 2021 से फिर से ओपेन करनी की घोषणा की है। हालांकि, स्टूडेंट्स को ध्यान देना चाहिए कि आईसीएआई द्वारा दिसंबर 2021 एग्जाम के लिए रजिस्ट्रेशन विंडो सिर्फ दो दिनों के लिए ओपेन किया जाना है, यानि उम्मीदवार 12 अक्टूबर 2021 की रात 11.59 बजे तक पंजीकरण कर पाएंगे।जो उम्मीदवार परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन करना चाहते हैं, वे ICAI की आधिकारिक साइट icai.org के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

आईसीएआई द्वारा सीए दिसंबर 2021 परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन हेतु अप्लीकेशन विडों फिर से खोले जाने को लेकर 7 अक्टूबर 2021 को जारी नोटिस के अनुसार, यह निर्णय मौजूदा COVID-19 स्थिति को ध्यान में रखते हुए और छात्रों के कल्याण और कल्याण के हित में, उनकी कठिनाई को कम करने के लिए लिया गया है। चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की फाइनल, इंटरमीडिएट (आईपीसी), इंटरमीडिएट, फाउंडेशन, पोस्ट क्वालिफिकेशन कोर्सेस के दिसंबर, 2021 एग्जाम के लिए अप्लीकेशन फॉर्म भरने का दो और दिनों का समय दिया जा रहा है। पोस्ट क्वालिफिकेशन कोर्सेस में बीमा और जोखिम प्रबंधन (आईआर) तकनीकी परीक्षा, अंतर्राष्ट्रीय कराधान – मूल्यांकन परीक्षण (आईएनटीटी-एटी) और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून और विश्व व्यापार संगठन (आईटीएल और डब्ल्यूटीओ), भाग 1 शामिल हैं।

चार्टर्ड अकाउंटेंट दिसंबर परीक्षा कार्यक्रम अगस्त में जारी किया गया था। परीक्षा 5 दिसंबर से शुरू होगी और 20 दिसंबर 2021 को समाप्त होगी। प्रवेश पत्र संस्थान द्वारा सही समय पर जारी किया जाएगा।

सर्वोच्च न्यायलय ने गुरुवार को केंद्र सरकार से कहा लड़कियों को भी मिले राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज की प्रवेश परीक्षा देने का मौका

सर्वोच्च न्यायलय ने गुरुवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि दिसंबर में होने वाली राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (RIMC) की प्रवेश परीक्षा में लड़कियों को बैठने की भी अनुमति दी जाए और इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएं।सर्वोच्च न्यायलय ने गुरुवार को केंद्र सरकार को दिसंबर में होने वाले राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज (RIMC) में प्रवेश के लिए लड़कियों को प्रवेश परीक्षा देने की अनुमति देने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया। सर्वोच्च न्यायलय के पहले के निर्देश के बाद, सशस्त्र बलों ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में महिला उम्मीदवारों को अनुमति देने का निर्णय लिया है। केंद्र ने इस बारे में बुधवार को शीर्ष अदालत को सूचित किया। इस बीच, केंद्र ने बुनियादी ढांचे में बदलाव की आवश्यकता का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत से इस साल प्रवेश प्रक्रिया में महिलाओं के प्रवेश में छूट देने का अनुरोध किया।

केंद्र ने सर्वोच्च न्यायलय को बताया कि सेना, वायुसेना और नौसेना प्रमुखों ने एनडीए, नौसेना अकादमियों में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने के प्रस्ताव पर सहमति जताई है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमें यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि एनडीए में लड़कियों को प्रवेश दिया जाएगा। वहीं सर्वोच्च न्यायलय ने कहा कि, ‘हमें उम्मीद है कि रक्षा बल महिलाओं की महत्वूपूर्ण भूमिका को महत्व देंगे। हम चाहते हैं कि वे अदालतों के हस्तक्षेप के बजाय लिंग आधारित भूमिकाओं में सक्रिय रुख अपनाएं।’ इससे पहले शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि नीतिगत निर्णय लैंगिक भेदभाव पर आधारित हैं।

बता दें कि इसको लेकर सर्वोच्च न्यायलय में एक याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि योग्य महिला उम्मीदवारों को उनके लिंग के आधार पर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल होने के अवसर से वंचित कर दिया गया है, जो बाद में महिला अधिकारियों के लिए कैरियर में उन्नति के अवसरों में बाधा बन जाती है, जिसके बाद सर्वोच्च न्यायलय ने अपने फैसले में कहा कि उम्मीदवारों का चयन आयोग द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा में उनके प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा, जिसके बाद लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले उम्मीदवारों का सेवा चयन बोर्ड द्वारा बुद्धि और व्यक्तित्व परीक्षण किया जाएगा। बता दें कि राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कालेज की प्रवेश परीक्षा दो विषयों – गणित और सामान्य योग्यता परीक्षा पर आधारित होगी। दोनों पेपर ढाई घंटे के होंगे। गणित का पेपर 300 अंकों का होगा और सामान्य योग्यता परीक्षा 600 अंकों की होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स टेक्नोलॉजी (CIPET) का उद्घाटन किया है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स टेक्नोलॉजी (CIPET) का उद्घाटन किया है। साथ ही उन्होंने राजस्थान में 4 मेडिकल कॉलेजों की नींव भी रखी। इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने कोविड आपदा में आत्मनिर्भर बनने का संकल्प लिया है। राजस्थान में 4 मेडिकल कॉलेजों के निर्माण का कार्यक्रम और इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स टेक्नोलॉजी का उद्घाटन इसी दिशा में एक अहम कदम है। इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया भी मौजूद थे। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से जुड़े । इसके साथ ही पीएम मोदी ने स्वास्थ्य क्षेत्र-आयुष्मान भारत और वैक्सीनेशन सहित कई मुद्दों पर अपनी बात रखी।

स्वास्थ्य क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है। देश के साथ प्रदेश में विकास की धारा को नया मोड मिलेगा। इसके तहत दौसा, बांसवाड़ा, सिरोही और हनुमानगढ़ जिले में मेडिकल कालेज बनेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन चारों जिलों में बनने वाले मेडिकल कालेज का वर्चुअल शिलान्यास किया।

पीएम मोदी ने कहा, ‘’साल 2014 के बाद से राजस्थान में 23 नए मेडिकल कॉलेजों के लिए केंद्र सरकार ने स्वीकृति दी थी, इनमें से 7 मेडिकल कॉलेज शुरू हो चुके हैं। आज बांसवाड़ा, सिरोही, हनुमानगढ़ और दौसा में नए मेडिकल कॉलेज के निर्माण की शुरुआत हुई है।’’ उन्होंने कहा, ‘’मुझे उम्मीद है कि इन नए मेडिकल कॉलेज का निर्माण राज्य सरकार के सहयोग से समय पर पूरा होगा. देश के स्वास्थ्य क्षेत्र की जो कमियां मुझे अनुभव होती हैं, बीते 6-7 सालों से उसे दूर करने की निरंतर कोशिश जारी है।’

पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘’6-7 सालों में 170 से अधिक नए मेडिकल कॉलेज तैयार हो गए हैं। 100 से ज़्यादा नए मेडिकल कॉलेज पर काम तेज़ी से चल रहा है। साल 2014 में देश में मेडिकल की अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की कुल सीटें 82 हज़ार के करीब थीं, आज इनकी संख्या बढ़कर 1,40,000 सीट तक पहुंच रही है।’’

पीएम मोदी न कहा कि आज भारत में कोविड वैक्सीन की 88 करोड़ से ज़्यादा डोज़ लग चुकी है. राजस्थान में भी 5 करोड़ से अधिक डोज़ लग चुकी हैं.

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में PM-पोषण योजना समेत केंद्रीय कैबिनेट ने लिए कई बड़े फैसले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में हुई।केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को इन फैसलों की जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि कैबिनेट ने एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (ईसीजीसी) के स्टॉक एक्सचेंज में आईपीओ के जरिए लिस्टिंग करने को भी मंजूरी दी है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई नए फैसलों की घोषणा की गई।

बच्चों को दिए जाने वाले मिड-डे मिल योजना के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि देश में लगभग 11.2 लाख से ज्यादा सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को दोपहर का खाना दिया जाएगा। पांच साल तक चलने वाली इस योजना में 1.31 लाख करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि अभी जो मिड-डे मिल योजना चल रही है, उसे भी पीएम-पोषण योजना में ही शामिल करने का फैसला लिया गया है। अनुराग ठाकुर ने बताया कि इस योजना में राज्यों का भी सहयोग होगा लेकिन हिस्सेदारी केंद्र सरकार की ही रहेगी। इस योजना में 54 हजार करोड़ केंद्र और लगभग 32 हजार करोड़ रुपए राज्य सरकारें खर्च करेंगी।

वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि कैबिनेट ने एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन के स्टॉक एक्सचेंज में आईपीओ के जरिए लिस्टिंग की जा सकेगी। अगले साल तक इसे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट कर दिया जाएगा। केंद्र सरकार भी ईसीजीसी में अगले पांच वर्षों तक 4400 करोड़ रुपए तक का निवेश करेगी। इससे देशभर में 2.6 लाख रोजगार समेत 59 लाख नौकरियां पैदा होने की संभावना है। चीन से आने वाले सेब पर इम्पोर्ट ड्यूटी घटाने के सवाल पर पीयूष गोयल ने बताया कि फिलहाल ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है। चीन से आने वाले सेब पर इम्पोर्ट ट्यूटी घटाने वाली बाते निराधार हैं।बच्चों को दिए जाने वाले मिड-डे मिल योजना के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि देश में लगभग 11.2 लाख से ज्यादा सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को दोपहर का खाना दिया जाएगा। पांच साल तक चलने वाली इस योजना में 1.31 लाख करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि अभी जो मिड-डे मिल योजना चल रही है, उसे भी पीएम-पोषण योजना में ही शामिल करने का फैसला लिया गया है। अनुराग ठाकुर ने बताया कि इस योजना में राज्यों का भी सहयोग होगा लेकिन हिस्सेदारी केंद्र सरकार की ही रहेगी। इस योजना में 54 हजार करोड़ केंद्र और लगभग 32 हजार करोड़ रुपए राज्य सरकारें खर्च करेंगी।

उत्‍तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने छात्रों के लिए आनलाइन शिक्षण के उद्देश्य से ज्ञानवाणी-1 और ज्ञानवाणी-2 चैनल का शुभारंभ

देहरादून:- उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में ज्ञानवाणी चैनल का वर्चुअल शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने कहा की राज्य में छात्र-छात्राओं को ऑनलाईन शिक्षण अधिगम से लगातार जोड़े रखने हेतु उत्तराखण्ड राज्य शिक्षा विभाग और जियो ने मिलकर नए ऑनलाईन एजुकेशन चैनल ज्ञानवाणी-1 और ज्ञानवाणी-2 का शुभारंभ एक अच्छा प्रयास है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि बच्चों को आनलाइन शिक्षण के उद्देश्य से शुरू किए गए एजुकेशन चैनल ज्ञानवाणी का लाभ प्रदेश के सभी बच्चों को मिले। ज्ञानवाणी चैनल की सार्थकता तभी होगी जब समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्तियों तक इसका लाभ पहुंचे। उन्होंने कहा की बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में स्कूलों की महत्वपूर्ण भूमिका होती होती है। कोरोना काल में आनलाइन शिक्षण के लिए अनेक सराहनीय प्रयास किए गए। स्कूलों में कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए सभी शैक्षणिक गतिविधियां चल रही है।

शिक्षा मंत्री श्री अरविन्द पाण्डेय ने कहा कि कोविड के दौरान ऑनलाइन शिक्षण का प्रचलन शुरू हुआ. आज ऑनलाइन माध्यम से अनेक शैक्षणिक गतिविधियां की जा रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि ज्ञानवाणी चैनल के माध्यम से पीएम ई विद्या के कंटेंट को भी शामिल किया जाय. जो पूर्णतः एनसीईआरटी पाठ्यक्रम पर आधारित है।

शिक्षा सचिव श्रीमती राधिका झा ने कहा कि ऑफलाइन शिक्षण के साथ ही बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से ही शैक्षणिक गतिविधियों से जोड़ने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।ज्ञानवाणी- 1 प्राथमिक कक्षाओं एवं ज्ञानवाणी- 2 माध्यमिक कक्षाओं के लिए चलाया जा रहा है।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी जियो श्री विशाल अग्रवाल ने कहा कि समग्र शिक्षा अभियान से जुड़े सभी एनजीओ भी शिक्षा विभाग के माध्यम से ज्ञानवाणी में कंटेंट का प्रसारण कर सकते हैं।उन्होंने बताया की जल्द ही धारचूला में जियो की 4जी कनेक्टिविटी शुरू की जाएगी। इस अवसर पर शिक्षा महानिदेशक श्री बंशीधर तिवारी, मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून डॉ. मुकुल सती, जियो के स्टेट कॉर्डिनेटर दीपक सिंह एवं वर्चुअल माध्यम से सभी मुख्य शिक्षाधिकारी एवं प्रधानाचार्य मौजूद थे।

उत्तराखंड: 21 सितंबर से खुलेंगे प्राथमिक विद्यालय, कोरोनाकाल में पहली बार पहली से पांचवी तक की क्लासेज शुरू करने की गाइडलाइन्स

देहरादून :- उत्तराखंड में 21 सितंबर से प्राथमिक विद्यालय खुलेंगे। कोरोना काल मे प्रदेश में पहली बार कक्षा एक से पांचवीं तक के विद्यालय खुलने जा रहे है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से वार्ता के बाद ये फैसला लिया है।

कोरेाना महामारी की वजह से पिछले साल मार्च 2020 से प्राइमरी स्कूल बंद हैं। शिक्षा मंत्री ने बताया कि स्कूल बंद होने की वजह से शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। हालिया कुछ समय में कोविड 19 संक्रमण में गिरावट आई है। 02 अगस्त से नवीं से 12 वीं तक के स्कूलों को खोल दिया गया था, जबकि 16 अगस्त से छठी से आठवीं तक के स्कूलों में पढ़ाई शुरू हो चुकी है। हालांकि, यह साफ किया गया है कि कोई भी स्कूल अभिभावकों पर बच्चों को स्कूल भेजने के लिए दबाव नहीं डालेगा। स्कूल प्रबंधन आफलाइन और आनलाइन, दोनों तरह की कक्षाएं संचालित करने की व्यवस्था करेगा। स्कूलों में कोरोना गाइडलाइन का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। शिक्षा विभाग जल्द ही स्कूल खोलने के लिए गाइडलाइन भी जारी करेगा।

प्रदेश में मार्च 2020 के बाद से ही स्कूल बंद चल रहे हैं। सरकार ने पहले इस वर्ष अप्रैल से स्कूल खोलने का इरादा जाहिर किया था, लेकिन फिर दूसरी लहर में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्कूल नहीं खोले गए। अब कोरोना संक्रमण की दर राज्य में काफी कम है। सरकार छठी से 12 वीं तक के स्कूल व कालेज पहले ही खोल चुकी है।

सरकार ने पहली से पांचवी तक के सभी सरकारी व निजी स्कूल भी खोलने का निर्णय लिया है। शुक्रवार को शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने इस संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से चर्चा करने के बाद 21 सितंबर से स्कूल खोले जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण बच्चे बहुत समय से स्कूल जाने से वंचित हैं। अब देश व प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आई है। बच्चों की शिक्षा-दीक्षा को देखते हुए मुख्यमंत्री से परामर्श लेने के बाद उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कक्षा एक से पांचवीं तक स्कूल खोलने के निर्देश जारी किए हैं।

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा
शिक्षा मंत्री ने कहा कि अधिकारियों को यह भी कहा गया है कि कि कोरोना संक्रमण अभी समाप्त नहीं हुआ है। इसे देखते हुए स्कूलों में कोविड की गाइडलाइन का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर किसी अभिभावक को लगता है कि अभी परिस्थितियां स्कूल भेजने लायक नहीं हैं, तो उन पर कोई दबाव नहीं बनाया जाएगा। कक्षा एक से पांचवीं तक कक्षाएं आफलाइन चलेंगी, लेकिन साथ ही आनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था भी होगी।

NEET, JEE Main, NDA, CDS, CLAT, समेत कई परीक्षाओं के लिए फ्री कोचिंग दे रही है सरकार, करें रजिस्टर

अगर आप मेडिकल व इंजीनियरिंग एडमिशन से लेकर यूपीएससी की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए खुशखबरी है। नीट (NEET), जेईई मेन (JEE Main), जेईई एडवांस्ड (JEE Advanced), यूपीएससी, सीडीएस (UPSC CDS), एनडीए (NDA) या किसी अन्य क्षेत्र में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद काम की है। केंद्र सरकार नीट यूजी, जेईई मेन, बैं‌किंग, क्लैट, सीडीएस जैसी कई परीक्षाओं के लिए आप मुफ्त में कोचिंग क्लासेस कर सकते हैं।। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन की लास्ट डेट 10 सितंबर 2021 है।

केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय(Ministry of Social Justice and Empowerment) ने हाशिए के समुदायों के उम्मीदवारों को इंजीनियरिंग, मेडिकल और कानून प्रवेश परीक्षा जेईई मेन, एनईईटी और सीएलएटी और भर्ती परीक्षा जैसे परीक्षाओं में मदद करने के लिए एक मुफ्त कोचिंग योजना के लिए आवेदन शुरू किया था। एमएसजेई की “एससी और ओबीसी छात्रों के लिए मुफ्त कोचिंग योजना मोड 2” छात्रवृत्ति योजना अनुसूचित जाति (एससी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणियों से संबंधित छात्रों के लिए है।

अनुसूचित जाति(एससी) और अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी) के सभी छात्र, जिनकी पारिवारिक आय 08 लाख रुपये प्रति वर्ष से कम है, योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं। इस योजना के तहत प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नि:शुल्क कोचिंग के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 10 सितंबर 2021 है।

आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार: “सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की फ्री कोचिंग योजना आर्थिक रूप से वंचित अनुसूचित जाति (एससी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) उम्मीदवारों के लिए गुणवत्तायुक्त कोचिंग देने का काम कर रहा है।

रजिस्ट्रेशन कैसे करें

-सबसे पहले ऑफिशियल पोर्टल पर लॉगिन करें।

-अपनी जानकारी दर्ज करें। जैसे कैटेगरी, नाम, पिता का नाम, लिंग, मोबाइल नंबर, जन्म तिथि, 10वीं बोर्ड पास करने की स्थिति, 10वीं बोर्ड प्रमाणपत्र संख्या, 10वीं बोर्ड पास करने का वर्ष

-अब अपना पासवर्ड बनाएं

क्या है फ्री कोचिंग योजना

कोचिंग शुल्क (योजना के तहत वास्तविक या निर्धारित कोचिंग शुल्क, जो भी कम हो) रुपये का वजीफा। बाहरी और स्थानीय छात्रों को क्रमशः 6,000 और 3,000 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे। दिव्यांग छात्रों के लिए 2,000 मासिक है।

इन परीक्षा की मिलेगी फ्री कोचिंग

संघ लोक सेवा आयोग(UPSC), राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB), कर्मचारी चयन आयोग (SSC) संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE Main), राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET), सामान्य प्रवेश परीक्षा (CAT), सामान्य कानून प्रवेश परीक्षा (CLAT), इंजीनियरिंग में स्नातक योग्यता परीक्षा (GATE) बैंक, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU), वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस (CPL), राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA), संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा (CDS) एक विदेशी भाषा के रूप में अंग्रेजी की परीक्षा (TOFL), स्नातक प्रबंधन प्रवेश परीक्षा (GMAT), स्नातक रिकॉर्ड परीक्षा (GRE), शैक्षिक मूल्यांकन परीक्षा (SAT)

राज्य गठन के बीस वर्ष बीतने के बाद भी उत्तराखंड राज्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से वंचित क्यों?

देहरादून :उत्तर प्रदेश से अलग होकर पृथक प्रदेश के रूप में उत्तराखंड का गठन हुए 20 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। उत्तराखंड को राज्य घोषित करने के लिए व्यापक आंदोलन चलाया गया क्योंकि पहाड़ की जनता उत्तर प्रदेश मैं खुद को उपेक्षित महसूस कर रही थी। अपने सपनों के उत्तराखंड की मांग को लेकर जनान्दोलन चलाया गया और शहादत भी दी गई परंतु आज 20 वर्ष बाद यहां की जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है। राज्य गठन के बाद पहाड़ी क्षेत्र के लोगों को लगता था छोटा राज्य होने के कारण इसका समुचित विकास होगा लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो पाया। 20 वर्ष बाद भी एक नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की स्थापना तक नहीं हो पाई जिसके कारण विधि की पढ़ाई करने के इच्छुक छात्रों को अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों का रुख करना पड़ रहा है जिससे इस राज्य के विद्यार्थियों को घोर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

उक्त संबंध में वर्ष 2011 में उत्तराखंड विधानसभा में एक प्रस्ताव पास कर उत्तराखंड विधि विश्वविद्यालय का गठन करने की घोषणा की गई।उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित भवाली में उत्तराखंड विश्वविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया परंतु यह केवल घोषणा तक ही सीमित रह गया और धरातल पर कोई कार्य नहीं हुआ।उक्त संबंध में माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड नैनीताल में सन 2014 में दो जनहित याचिका प्रस्तुत की गई जिसमें उत्तराखंड में विधि विश्वविद्यालय के गठन  सम्बंधी समुचित आदेश पारित करने का निवेदन किया गया परंतु कुछ नहीं हुआ।तदोपरान्त सन् 2018 में राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 3(4) मैं संशोधन किया गया जिसके अनुसार उत्तराखंड विधि विश्वविद्यालय का मुख्यालय राज्य सरकार द्वारा निर्धारित स्थानों के चयन के बाद सुनिश्चित करने का निर्णय किया गया। उक्त संबंध में दिनांक 13-04-2018 को राज्य के आफिसियक गजट में उक्त संशोधन को घोषित किया गया उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 2011 के 7 वर्ष के बाद भी राज्य सरकार द्वारा मुख्यालय के लिए स्थल चयन का कार्य नहीं पूर्ण हो सका। इन परिस्थितियों के मध्य नजर माननीय उच्च न्यायालय ने 2014 में दाखिल दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिनांक 19-06-2018 को निम्न आदेश पारित किए गये-

1. यह कि राज्य सरकार उक्त आदेश के 3 महीने के अन्दर राज्य विधि विश्वविद्यालय प्रारंभ करें।

2. यह कि राज्य सरकार को निर्देश दिए गए कि वह उक्त विश्वविद्यालय किसी सरकारी बिल्डिंग में या किसी प्राइवेट भवन में समुचित किराए पर लेकर भी विश्वविद्यालय प्रारंभ कर सकता है।

3. यह कि राज्य सरकार तराई क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए उधम सिंह नगर या अन्य तराई क्षेत्र में 1800 एकड़ भूमि का चयन करके निर्माण कार्य प्रारंभ करें।

4. कि उक्त विश्वविद्यालय में सितंबर 2018 से शैक्षणिक सत्र प्रारंभ कर दिया जाए और इसके लिए आवश्यक अनुमति यों को बार काउंसलिंग ऑफ इंडिया शीघ्राति शीघ्र प्राप्त कर लिया जाए।

5. यह के आदेश की तिथि के 1 महीने के अंदर विश्वविद्यालय अधिनियम का  विनियमन तैयार करें क्योंकि अभी तक उक्त अधिनियम हेतु आवश्यक विनियमन तक नहीं पारित किए गए हैं इसके लिए 1 महीने की समय सीमा माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित की गई।

इसके अतिरिक्त यह भी निर्देश दिए गए कि विश्वविद्यालय अधिनियम के अधीन सभी नियुक्तियां जिसमें शैक्षणिक और प्रशासनिक शामिल हैं आदेश के 3 महीने के अंदर पूरी कर ली जाये।परंतु दुर्भाग्यवश 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक उक्त संबंध में कोई समुचित कार्यवाही नहीं की गई हालांकि माननीय राज्यपाल उत्तराखंड द्वारा दिनांक 13-02-2019 को एक अधिसूचना जारी करते हुए यह कहा कि उत्तराखंड के देहरादून जिले में रानी पोखरी में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का मुख्यालय बनाया जाए।

माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन न करने के कारण माननीय उच्च न्यायालय में सन 2019 को न्यायालय की अवमानना के बाद दायर किया गया जिस के परीक्षण के बाद न्यायालय ने यह स्थापित किया कि 19-06-2018 को पारित आदेशों का अनुपालन नहीं किया गया मात्र 13-02-2018 को माननीय राज्यपाल उत्तराखंड द्वारा अधिसूचना जारी कर दिया गया लेकिन कोई कार्य नहीं किया गया।

उक्त अवमानना  याचिका के विरुद्ध में राज्य सरकार सुप्रीम न्यायलय में समीक्षा याचिका दायर की जिसके परीक्षण के उपरान्त सर्वोंच्च न्यायलय ने उच्च न्यायलय नैनीताल के आदेश पर स्थगनादेश पारित किया।

किसी भी राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी होती है कि वह राज्य में मूलभूत इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करें। जिसमें स्वास्थ्य शिक्षा और आजीविका अनिवार्य क्षेत्र हैं परंतु दुर्भाग्यवश ऐसा इस नवगठित राज्य में होता नहीं दिख रहा है।शिक्षा के क्षेत्र में यह राज्य पिछड़ता चला जा रहा है अन्य राज्यों से तुलना करें तो उत्तराखंड में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी एक्ट 2011 में विधानसभा में पारित किया गया तब से अन्य राज्यों में 9 एन एल यू स्थापित किए जा चुके हैं जिनमें नव गठित राज्य छत्तीसगढ़ झारखंड और हिमाचल अपने राज्य में इसकी स्थापना कर चुके हैं।

किसी भी राज्य में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना कितनी महत्वपूर्ण है इसका वर्णन राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय अधिनियम में किया गया है।

1. राष्ट्रीय विकास के लिए कानून कानूनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए।

2.सामाजिक परिवर्तन के लिए एक माध्यम के रूप में कानूनी प्रक्रिया बनाने के लिए कानून के ज्ञान को प्रोत्साहित करना।

3. विधिक क्षेत्र में सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए एक भावना विकसित करने और कानूनी क्षेत्र में छात्रों और शोधों को अमल में लाने के लिए विधिक कौशल को विकसित करना।

इन उद्देश्यों को विकसित करने में उत्तराखंड की सरकार विफल रही है जनहित की अपेक्षा करके केवल अपने हितों की पूर्ति मैं संलग्न होने की राजनेताओं की प्रवृत्ति इस राज्य के विकास की सबसे बड़ी बाधा है।

राज्य में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि इसके गठन से इस राज्य के विद्यार्थियों को अपने राज्य के विश्वविद्यालय में आरक्षण मिलता है इसके अतिरिक्त गुणवत्ता पूर्व कानूनी शिक्षा मिलने से यहां के युवाओं को रोजगार के अतिरिक्त सरकार समाज और कंपनियों के लिए भी सक्षम नेतृत्व प्रदान करने का अवसर मिलेगा जो इस दुर्गम और पिछड़े प्रदेश के लिए प्राथमिकता समझा जाना चाहिए परंतु इस क्षेत्र में इस संबंध में सार्थक पहल अभी तक इंतजार है।